20 दिसंबर 2014

अग्निकांड पीडि़ता ने प्रतिभा के दम पर दिया राजनीतिकों को जवाब

डबवाली (लहू की लौ) अग्निकांड में सौ फीसदी जलने के बाद सीमा ने अपनी दोनों टांगें गंवा दी। यहीं नहीं एक हाथ की चार अंगुली भी कट गई। इसके बावजूद डबवाली की इस बेटी ने अपना हौंसला नहीं खोया। भाईयों ने राखी के बंधन का फर्ज निभाते हुये उसकी पढ़ाई पूरी करवाई। उसके बाद हाथ थामने के लिये एक युवक आगे आया। अब उसका हमसफर हर मुश्किल में साथ दे रहा है। राजनीतिकों की ओर से दरकिनार हुई यह बेटी अपनी प्रतिभा के बल पर पंजाब के कपूरथला में बच्चों को शिक्षा दे रही है।
वर्ष 1995 में सीमा का एडमिशन बीए में हुआ था। 23 दिसंबर 1995 को डीएवी स्कूल का वार्षिक समारोह देखने के लिये सीमा अपनी भाभी प्रवीण रानी, भतीजे ऋषभ, भतीजी शैफी के साथ राजीव मैरिज पैलेस में गई। समारोह में भड़की आग के बीच उसकी भतीजी शैफी ने दम तोड़ दिया। खुद सीमा सौ फीसदी जल गई। आग ने सीमा से उसकी दोनों टांगे तथा एक हाथ की चार अंगुली छीन ली। लेकिन आगे बढऩे की हिम्मत और जज्बा ने उसे इमरजेंसी वार्ड से बाहर निकाला। उपचार के तुरंत बाद पुन: सीमा ने अपनी पढ़ाई शुरू की। पांच भाईयों की इकलौती बहन सीमा को पग-पग पर उसके भाईयों का सहयोग मिला। भाई ही थे, जिनकी वजह से उसकी पढ़ाई पूरी हो सकी। भाई ही उसे शिक्षा के मंदिर तक लेजाते और फिर वापिस घर तक लाते। अपने जख्मों को देखकर कमजोर पडऩे वाली सीमा की हौंसला अफजाई भाई ही करते। भाईयों ने सहारा दिया और सीमा वर्ष 1998 में बीएड कर गई।
नौकरी के लिये राजनीतिकों की मिन्नतें : सीमा के भाई गोल्डी बलाना ने बताया कि अग्निकांड के तुरंत बाद राजनीतिकों ने अग्निकांड पीडि़तों को नौकरी देने का वायदा किया था। इस लहजे से शिक्षा पूरी करवाने के बाद बहन को नौकरी दिलाने के लिये उन्होंने कई राजीतिकों के आगे मिन्नतें की। लेकिन कोई भी सीमा का सहारा नहीं बना। चाहे कांग्रेस हो, चाहे इनेलो, फिर चाहे भाजपा के प्रतिनिधि ही क्यों न हो। प्रत्येक ने अग्निकांड पीडि़ता की खिल्ली उड़ाई। बहन को नौकरी दिलाने के लिये कई बार चंडीगढ़ का सफर तक किया। नेता मिले, कागज लिया, शक्ल देखी और फिर वहीं आश्वासन दिया, देख लेंगे। लेकिन नौकरी नहीं दी।
कपूरथला वासी ने खुद मांगा पीडि़ता का हाथ : पंजाब के कपूरथला में आरओ की शॉप करने वाले अशोक मनचंदा पर पूरा बलाना परिवार गर्व करता है। ये वो शख्स हैं, जो वर्ष 2000-01 में सीमा का हाथ थामने के लिये स्वयं डबवाली पहुंचे। बलाना परिवार ने बिना झिझक दोनों की शादी करवा दी। विवाह बंधन में बंधने के बाद अग्निकांड पीडि़ता अपने हमसफर पर बोझ नहीं बनी। खुद आत्मनिर्भर होने का अपना सफर जारी रखा। कपूरथला में बच्चों को घर पर ट्यूशन देने लगी। इसके बाद एक निजी बैंक मे करीब दो वर्षों तक नौकरी की।
अब शिक्षक बन गई
शादी से पहले यहां भाईयों ने शिक्षा पूरी करने में मदद की, तो शादी के बाद हमसफर का साथ मिला। जिसके चलते सीमा लगातार अपनी मंजिल की ओर बढ़ती चली जा रही है। अपनी प्रतिभा के बल पर करीब एक साल पूर्व ही डबवाली की यह बेटी पंजाब में बतौर सरकारी अध्यापिका तैनात हुई है। कपूरथला से कुछ ही किलोमीटर दूर स्थित एक सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ाती है। सीमा को स्कूल छोडऩे तथा वापिस लाने का कार्य उनके हमसफर अशोक मनचंदा करते हैं। स्कूली बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ यह अग्निकांड पीडि़ता अपने बेटे कुणाल की परवरिश बड़े अच्छे से कर रही है।

अग्निकांड में सौ फीसदी जलने के बाद सीमा में जोश तथा उमंग थी। बेशक मैं उसे शिक्षण संस्थान तक छोड़कर आता और वापिस घर लेजाता, इसकी भी प्रेरणा मेरी बहन थी। राजनीतिकों ने अपना वायदा पूरा नहीं किया, अग्निकांड पीडि़ता को देखकर मुंह फेरने का काम किया। उसकी बहन ने अपनी प्रतिभा के दम पर नौकरी पाई है। जिसकी वह सही हकदार है। -गोल्डी बलाना
(पीडि़ता सीमा का भाई)

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