20 दिसंबर 2014

शहर से बाहर जायेगी लोडिंग लाईन

डबवाली (लहू की लौ) मजदूरों की पुकार पर रेलवे करीब एक शताब्दी बाद जागा है। डबवाली रेलवे स्टेशन पर अपनी लोडिंग-अनलोडिंग लाईन को शिफ्ट करने जा रहा है। रेलवे महाप्रबंधक जयपुर से नई लोडिंग लाईन को मंजूरी मिलने के बाद अस्टीमेट बनना शुरू हो गया है। अपने इस प्रोजेक्ट पर रेलवे करीब चार करोड़ रूपये खर्च करने जा रहा है। नई लोडिंग लाईन से यहां मजदूरों को सुविधाएं मिलेंगी। वहीं शहर वासियों को जाम की समस्या से छुटकारा मिलेगा।
अब मुश्किल पर मुश्किल
लोडिंग लाईन शहर के बीचों-बीच होने के कारण शहर वासियों को जाम जैसी समस्या से दो-चार होना पड़ता है। स्पैशल के दौरान कलोनी रोड़ रेलवे फाटक से लेकर नई अनाज मंडी रोड़ तक ट्रकों की लंबी कतार लगने से लोग हादसों का शिकार होते हैं। यहीं नहीं फाटक पर घंटों तक जाम में फंसना पड़ता है। हर माह ऐसे दस मौके आते हैं। पूरे वर्ष में 120 बार स्पैशल लगती हैं। वहीं लोडिंग लाईन पर सुविधाएं न होने के कारण मजदूरों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मजदूर बोगियों के नीचे खाना खाने को बाध्य होते हैं। गेहूं लोडिंग का कार्य देर रात तक चलना है, लेकिन रेलवे की ओर से मौका पर बिजली का पुख्ता प्रबंध नहीं है। ऐसे में मजदूरों को मोमबत्ती की रोशनी में काम चलाना पड़ता है। मजदूर लंबे समय से लोडिंग लाईन शिफ्ट करने की मांग करते आ रहे थे।
भविष्य में क्या होगा
मजदूरों की मांग पर सुनवाई करते हुये रेलवे महाप्रबंधक ने लोडिंग-अनलोडिंग लाईन को शहर से बाहर शिफ्ट करने के लिये मंजूरी दे दी है। अब यह लाईन रामबाग के नजदीक बनाई जायेगी। मंजूरी मिलने के बाद अस्टीमेट का कार्य शुरू हो गया है। करीब चार करोड़ रूपये की लागत से नई लोडिंग लाईन, प्लेटफार्म, मजदूरों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुये शौचालय, पानी की व्यवस्था की जायेगी। इसके साथ-साथ मजदूरों के आराम करने के लिये रूम तथा एक कार्यालय भी बनाया जाएगा।
अतीत के झरोखे से
रेलवे पिछले करीब 100 वर्षों से वर्तमान लाईन से गेहूं की लोडिंग करवा रहा है। यहीं नहीं खाद की अनलोडिंग भी इसी लाईन से होती है। रेलवे करीब एक शताब्दी पुरानी व्यवस्था को बदलने जा रहा है। रेलवे की इस क्रांतिकारी पहल से मजदूरों के साथ-साथ शहरवासियों को फायदा मिलेगा।

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