11 दिसंबर 2009

गेहूं भिगोने के मामले पर कहानियां गढ़ कर की जा रही है लीपापोती

डबवाली (लहू की लौ) स्टेट वेयर हाऊस कार्पाेरेशन की गेहूं की हजारों बोरियों पर पानी स्प्रे करने का मामला अभी तक सुलग रहा है। हालांकि इस मामले से उठी आग पर पानी डालने का प्रयास विभाग के डीएम से लेकर पुलिस के जांच अधिकारी तक कर चुके हैं।
भीगे गेहूं की जांच के मामले को पुलिस यह कहकर दबाने के प्रयास में है कि इसकी शिकायत करने वाले होमगार्ड जवान इस मामले में आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं करवाना चाहते। लेकिन कारपोरेशन के अधिकारी इस मामले को केवल ओस की कहानी गढ़ कर लीपापोती करने में लगे हुए हैं। चूंकि इस मामले में केवल चौकीदार ही नहीं बल्कि अधिकारी भी मिले हुए दिखाई देने लगे हैं।
स्टेट वेयर हाऊस कार्पाेरेशन के जिला प्रबन्धक एम.एल. वर्मा से वीरवार को फिर इस संवाददाता ने मोबाइल पर बातचीत की और उनसे सवाल पूछा कि बुधवार शाम को आप जांच पर आये थे, तो क्या आपने संदिग्ध गेहूं के नमूने लिये, तो उन्होंने कहा कि नमूने नहीं लिये। लेकिन गेहूं में नमी को टैस्ट किया था, जो सही पाई गई। उनसे जब यह सवाल किया गया कि ओस से केवल दो स्टेग ही क्यों भीगे साथ वाले स्टेग क्यों नहीं भीगे तो इस पर उन्होंने कहा कि जांच अभी चल रही है। उनसे यह भी सवाल किया गया कि अगर पानी का स्प्रे नहीं किया गया था तो स्टेग पर डाली गई, पोलोथीन की तरपेल पर पानी कहां से आ गया। लेकिन इसका वे जवाब नहीं दे पाये और यह कहते हुए कि जांच चल रही है, जांच चल रही है और मोबाइल काट दिया।
यहां यह प्रश्न भी खड़ा होता है कि होमगार्ड जवानों ने स्पष्ट रूप से कहा था कि उन्होंने पाईप से चौकीदारों को पानी डालते हुए पकड़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें जो भुजिया दिया गया, उससे वे बेहोश हो गये। फिर वह गलतफहमी की बात कैसे कह रहे हैं। अगर पुलिस को गलत सूचना दी गई है, तो पुलिस ने उनके खिलाफ 182 क्यों नहीं बनाई। अगर सूचना सही है और उन पर कोई दबाव डाला गया है तो पुलिस निष्पक्षता से जांच क्यों नहीं कर रही। इस प्रकार जांच को प्रभावित करने के लिए जो हथकंडे अपनाये जा रहे हैं, उससे साफ हो रहा है कि कहीं न कहीं दाल में कुछ काला है। इधर जानकार सूत्रों से पता चला है कि इस मामले को राजनीतिक दबाव के तहत दबाने के प्रयास किये जा रहे हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि एक कांग्रेसी नेता ने होमगार्ड जवानों पर यह कहकर दबाव डाला है कि इसमें गरीब मारे जाएंगे, जो भी है मिल बैठकर सुलझा लो।
इस जांच में यह सवाल भी पैदा होता है कि कार्पोरेशन का जिला अधिकारी जांच पर 34 घण्टों के बाद पहुंचता है। तब तक तो कुछ भी बदला जा सकता है और कुछ भी परिवर्तन किया जा सकता है। दूसरा यह कि जब गेहूं के नमूने ही नहीं लिये गये तो फिर जांच कैसी और जांच रिपोर्ट भी कैसी होगी। इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।

बिजली कर्मचारियों ने हड़ताल कर पंजाब सरकार के खिलाफ की नारेबाजी

डबवाली (लहू की लौ) टेक्निकल सर्विस यूनियन के सर्कल मुक्तसर के अन्तर्गत आने वाली 25 सब यूनिटों में यूनियन के कार्यकर्ताओं ने वीरवार को एक दिवसीय कलम छोड़-औजार छोड़ हड़ताल करके अपनी मांगों के समर्थन में आवाज उठाई तथा पंजाब सरकार की कर्मचारी और मजदूर विरोधी नीति के खिलाफ नारेबाजी करते हुए रोष प्रकट किया।
किलियांवाली में पत्रकारों से बातचीत करते हुए यूनियन के सर्कल मुक्तसर प्रधान हेमराज ने बताया कि बिजली कर्मचारियों की मुख्य मांग पंजाब सरकार द्वारा लागू किये जा रहे 2003 बिजली एक्ट को रद्द करवाना है। उन्होंने बताया कि पंजाब सरकार अपने निजी फायदे के लिए एक्ट को लागू करके बिजली बोर्ड को निजी कम्पनियों के हाथों में सौंपना चाहती है। जबकि इस एक्ट के लागू होने से इसका प्रभाव केवल बिजली कर्मचारियों पर ही नहीं बल्कि पंजाब प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। बिजली बोर्ड का निजीकरण होने से निजी कम्पनियां मनमाने ढंग से बिजली के बिल वसूल करेंगी।
सर्कल प्रधान नेे पंजाब सरकार पर मजदूर और कर्मचारी हितैषी होने का ढोंग रचने का आरोप लगाते हुए कहा कि 1991 में सूबे में बिजली बोर्ड में करीब 1 लाख 50 हजार कर्मचारी कार्यरत थे। लेकिन वर्तमान समय में बिजली कर्मचारियों की संख्या केवल 58 हजार है। 1991 से ही बिजली बोर्ड में भर्ती न होने के कारण एक-एक कर्मचारी तीन-तीन कार्य करने को मजबूर है।
हेमराज ने सरकार पर कर्मचारियों का शोषण करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने 1930 से चले आ रहे पे-स्केल के नियमों का ताक पर रखते हुए गत माह नया पे-स्केल जारी कर दिया। जिसके तहत कर्मचारी का पे-स्केल महंगाई के अनुसान न बढ़ाकर घोषित पे-स्केल भी कम कर दिया गया।
सर्कल प्रधान ने कहा कि पंजाब सरकार 9 बार बिजली बोर्ड को भंग करने के अपने आदेश को आगे डाल चुकी है। अब समय आ गया है कि सरकार इसे एक्ट को वापिस ले। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने वर्तमान विधानसभा सैशन के दौरान इस एक्ट को वापिस नहीं लिया तो कर्मचारी अन्य जन संगठनों के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ संघर्ष चलाने को बाध्य होंगे।
इस मौके पर पंजाब खेत मजदूर यूनियन के रूलदू सिंह, सुक्खा सिंह, नानक चन्द, आरएमपी डॉक्टर यूनियन के अमरिन्द्र पप्पी, सुखदर्शन सिंह, कांती आदि उपस्थित थे।
इधर उक्त मांगों के समर्थन में पीएसईबी इम्पलाईज यूनियन ने भी यूनिट प्रधान जंगीर सिंह के नेतृत्व में एक दिवसीय हड़ताल रखी और किलियांवाली स्थित बोर्ड के कार्यालय के समक्ष गेट मीटिंग करके पंजाब सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इस अवसर पर हरदेव सिंह सचिव, खजाना राम, नरपाल सिंह, गुरसेवक सिंह, सुखदेव सिंह आदि उपस्थित थे।