20 दिसंबर 2014

23 दिसंबर 1995 सात तस्वीरें, जो बन गई इतिहास

थाना प्रभारी ने सेवानिवृत्त होने के बाद खोला था राज

डबवाली (लहू की लौ) 23 दिसंबर 1995 को राजीव मैरिज पैलेस में डीएवी स्कूल के कार्यक्रम में हुये भीषण अग्निकांड में सबकुछ तहस-नहस हो गया। कार्यक्रम में फोटोग्राफी कर रहे दो युवा फोटोग्राफर अश्विनी तथा रविंद्र की मौका पर ही मौत हो गई। आग में उनके कैमरे जलने से कार्यक्रम की तस्वीरें भी खत्म हो गईं। लेकिन एक फोटोग्राफर की जेब से मिली एक रील ने ऐसी सात फोटो सामने लाई, जिसे देखने के बाद सभी की आंखें नम हो जाती हैं।
थाना प्रभारी के हाथ लगी रील
शवों की जांच करते समय तत्कालीन थाना प्रभारी प्रेमचंद शर्मा के हाथ उपरोक्त रील लगी थी। लेकिन उन्होंने इस रील को सार्वजनिक नहीं किया। पद पर रहते हुये उन्होंने रील को छुपाये रखा। सेवानिवृत्ति के बाद उस रील से डिवेल्प की हुई सात तस्वीरें सामने आई। जिसमें बच्चे मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम की छटा बिखेर रहे हैं। जिस समय ये तस्वीरें सार्वजनिक हुई, उस समय अग्निकांड को दो साल बीत चुके थे। इन तस्वीरों को देखकर आज भी क्लेजा बाहर आ जाता है। ऐसा लगता है जैसे तस्वीरें कुछ कह रही हों।
फोटो मिलने के बाद उठा पर्दा
अग्निकांड पीडि़त संघ के प्रवक्ता विनोद बांसल ने बताया कि अग्निकांड में दोनों फोटोग्राफर की मृत्यु होने तथा उनके कैमरे समाप्त होने से कार्यक्रम की फोटो सामने नहीं आ पाई थीं। प्रत्येक व्यक्ति के जहन में एक ही सवाल था कि क्या कार्यक्रम की कोई फोटो नहीं रही? बच्चे ऐसा क्या कार्यक्रम दिखा रहे थे, जिसे देखने के लिये लोग इतना उत्सुक थे? क्या कार्यक्रम का कोई साक्ष्य नहीं रहा? अग्निकांड के दो साल के बाद इन सवालों से पर्दा उठ गया। थाना प्रभारी प्रेमचंद शर्मा ने ऐसी सात फोटो उपलब्ध करवाई, जिसमें बच्चे अपनी प्रतिभा प्रदर्शित कर रहे थे। अग्निकांड के 19 वर्षों बाद इन तस्वीरों को देखकर आज भी आंखें खुद-ब-खुद रोने लगती हैं।

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