17 मार्च 2010

14 क्विंटल चूरा पोस्त सहित दबोचा

डबवाली (लहू की लौ) डीएसपी (आर) बठिंडा बलजीत सिंह सिधू ने कहा कि पुलिस नशों पर नकेल कसने के लिए संकल्पबद्ध है। इसी संकल्प के तहत संगत क्षेत्र में नाकाबन्दी के दौरान पुलिस ने एक बड़ी सफलता प्राप्त करते हुए एक ट्रक में लेजायी जा रही 35 बोरी चूरा पोस्त पकड़ी है।
उन्होंने बताया कि पुलिस को मुखबरी मिली थी कि एक ट्रक में भारी मात्रा में चूरा पोस्त पंजाब में लाया जा रहा है। इसी मुखबरी के आधार पर थाना संगत के प्रभारी संदीप सिंह भाटी तथा चौकी आनन्दगढ़ प्रभारी एएसआई जसकरण सिंह ने सोमवार की रात को चकअतर सिंह वाला में नाका लगा कर चैकिंग शुरू कर दी। जिसके दौरान मुखबरी में बताया गया ट्रक चालक सहित काबू कर लिया गया। जिसकी तालाशी लेने पर ट्रक में रखी 35 बोरी चूरा पोस्त मिली जिसका कुल वजन 14 क्विंटल 3 किलो 500 ग्राम निकला। पुलिस सूत्रों के अनुसार इस ट्रक में सवार चार अन्य व्यक्ति पीछे आ रही एक स्कारपियों में फरार होने में सफल रहे। जिनमेें से दो की पहचान राजवीर सिंह पुत्र तारा सिंह निवासी बाज़क (संगत), गोरा सिंह निवासी गोबिन्दपुरा के रूप में की गई है।
गिरफ्तार किये गये ट्रक चालक संदीप सिंह पुत्र हरबन्स सिंह निवासी हररायपुर थाना नुइयांवाली को मंगलवार को बठिंडा अदालत में पेश करके अदालत से तीन दिन का पुलिस रिमांड ले लिया। रिमांड में पुलिस अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी और उनको शरण देने वाले स्कारपियो में कौन लोग थे। कहां से यह चूरा पोस्त लायी गई और इसे पंजाब में किस-किसको सप्लाई करना था।

तीन वर्षीय बच्चे की जोहड़ में डूबने से मौत

डबवाली (लहू की लौ) पंजाब क्षेत्र के नजदीकी गांव फरीदकोट (बठिण्डा) में मंगलवार को एक तीन वर्षीय बच्चे की जोहड़ में डूबने से मौत हो गई। मिली जानकारी अनुसार गांव के सुखदेव सिंह का तीन वर्षीय बेटा शंकर आज अचानक एससी कलोनी में बने जोहड़ में गिर गया। जिसे तुरन्त डबवाली के एक प्राईवेट अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया। लेकिन उसने दम तोड़ दिया। ग्रामीणों ने पंजाब सरकार से पीडि़त परिवार को मुआवजा दिये जाने की मांग की है।

कितने हैं जो दूसरों को प्रेम देते हैं-जैन साध्वी

डबवाली (लहू की लौ) अढाई अक्षर प्रेम के लिए हर कोई यह अभिलाषा करता है कि हर जन मुझे से प्रेम करे यह बात जैन साध्वियों उज्ज्वल कुमारी, सूरज प्रभा तथा डा. लवण्यायशा ने लगभग एक माह से नित्य चलने वाली सांयकालिन कथा के दौरान कहे। उन्होंने उपस्थित जनसमूह से यह सवाल किया कि हर कोई प्रेम तो चाहता है परन्तु कितने हैं जो दूसरों को प्रेम देते हैं। परन्तु उन्होंने यह चिन्ता भी व्यक्त की कि प्रेम करें किससे। क्या भजन गाने से, हाथ मिलाने से प्रेम हो जाता है।
उन्होंने कहा कि प्रेम तब होता है जब हम अंदर से सरल हो जाते हैं। किसी भी वस्तु को तब तक हासिल नहीं किया जा सकता जब तक हम पूर्ण रूप से उसका मूल्य नहीं दे देते। उसी प्रकार हम पूर्ण समर्पित हुए बिना न तो किसी से प्रेम पा सकते हैं और न हीं किसी को प्रेम दे सकते हैं।
भगवान को पाने के लिए भी हमें द्रौपदी की तरह पूर्ण समपर्ण करना होगा। उन्होंने बताया कि द्रौपदी को भी भगवान ने चीर तभी प्रदान किया जब उसने दोनों हाथ उठाकर स्वयं को पूर्ण रूप से समर्पित कर दिया।
हम जब तक अपने मन में अनुराग नहीं जगाते और जब तक क्रोध, काम, मोह, माया का त्याग नहीं करते तब तक परमात्मा का प्रेम नहीं मिलता। यदि हम मैले दर्पण में अपना चेहरा देखेंग तो वह भी हमें सुन्दर दिखाई नहीं देगा। हम भले ही सुन्दर हों। अर्थात् हमें अपने-अपने मन रूपी दर्पण को सदैव साफ रखना होगा तभी हम प्रेम पा सकते हैं और तभी हम प्रेम दे भी सकते हैं। व्यक्ति स्वयं को प्रेम करना सीखे तो ही वह प्रेम लेेने का अधिकारी बन सकता है।