29 अक्तूबर 2011

पेस्टीसाईड से तैयार किया जा रहा है केला


डबवाली | हम केला के रूप में फल नहीं जहर खा रहे हैं। जी हां, यह बात सौ फीसदी सच है। केला पकाने में जहर का प्रयोग किया जा रहा है। कच्चे केले वातानुकूलित कमरों में रखकर उचित ताप पर पकाए जा रहे हैं। इससे पूर्व रसायनिक प्रक्रिया अपनाई जाती है। महज 48 घंटे में हरे रंग से पीले रंग में आए केले को मार्किट में उतारा जा रहा है। रसायनिक प्रक्रिया में प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर का प्रयोग किया जाता है। हरियाणा बागवानी तथा स्वास्थ्य अधिकारियों ने इस केले को जहर करार दिया है।
कच्चे केले को पकाकर बाजार में बेचने वाली फर्मों ने अपने गोदाम साथ लगते पंजाब के जिला श्रीमुक्तसर साहिब के गांव किलियांवाली तथा जिला बठिंडा के गांव नरसिंह कलोनी में बना रखे हैं। जो गुजरात, महाराष्ट्र तथा आंध्रप्रदेश से सस्ते दामों पर कच्चा केला मंगवाती है। हरियाणा में टैक्स भरे बिना चोर रास्तों से इन्हें गोदामों तक पहुंचाया जाता है। कच्चा माल पहुंचते ही गोरखधंधे से जुड़े लोग उसे पकाने में जुट जाते हैं। केला पकाने में पेस्टीसाईड की दुकानों में मिलने वाले प्लांट ग्रोथ रेगुलेटरों को प्रयोग में लाया जाता है।
इस विधि से बनता है केला
इथीगोल्ड एक प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर है। इस क्षेत्र में लगे गोदाम ज्यादातर इसी का प्रयोग करते हैं। टब में पानी इक्ट्ठा किया जाता है। जिसमें इथीगोल्ड (पौध बाढ़ नियंत्रक) मिलाकर रसायन तैयार कर लिया जाता है। इस रसायन में कच्चे केलों को भिगोकर करेटों में रखा जाता है। गोदामों में एल्युमिनियम शीट का प्रयोग करके एक चैम्बर तैयार होता है। इस चैम्बर में तापमान को कंट्र्रोल में रखने की पूरी व्यवस्था स्थापित होती है। चैम्बर में रसायन से भीगे केलों की करेटों को रख दिया जाता है। रसायनिक क्रिया और वातावरण के प्रभाव में हरे रंग का केला 48 घंटों के भीतर तैयार होकर मार्किट में आ जाता है। यह केला डबवाली शहर के साथ-साथ पंजाब की रामां मण्डी, मलोट, गिदड़बाहा में सप्लाई होता है।
डबवाली तथा साथ लगते पंजाब क्षेत्र में केले की मांग है। गोदामों को कच्चा केला महज 8 से लेकर 11 रूपए प्रति किलो तक उपलब्ध होता है। 48 घंटों के भीतर पकने के बाद इसका रेट दोगुणा हो जाता है। फल विक्रेता के पास पहुंचते-पहुंचते रेट बढ़कर 30 रूपए किलो हो जाता है। क्षेत्र में प्रतिदिन 300 क्विंटल केले की खपत हो रही है।
बागवानी विकास अधिकारी अमर सिंह पूनियां के अनुसार प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर (पौध बाढ़ नियंत्रक) एक जहर है। ये कई नामों से बाजार में बिकता है। इंसानी स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाले लोग इसे फल पकाने में प्रयोग करने लगे हैं। कच्चे केले को इसमें भिगोने के बाद मात्र 5 घंटों के दौरान यह काम करना शुरू कर देता है। इसकी हीट से केला कुछ ही घंटों में पककर तैयार हो जाता है। हीट पर कंट्रोल करने के लिए केलों को वातानुकूलित कमरों में रखा जाता है। इस विधि से तैयार किया गया केला फल न रहकर जहर बन जाता है। इसे खाने वाले इंसान के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पडऩा लाजिमी है।
सरकारी अस्पताल के कार्यकारी एसएमओ डॉ. एमके भादू के अनुसार केले को उपरोक्त ढंग से पकाना स्वास्थ्य से खिलवाड़ है। इस विधि से तैयार किया गया केला विष बन जाता है।

29 सितंबर 2011

दहेज प्रताडऩा के 90 फीसदी मामले झूठे


डबवाली (लहू की लौ) कोर्ट में निर्णय के लिए आने वाले 90 प्रतिशत दहेज प्रताडऩा के मामले झूठे होते हैं। असल में इन केसों के पीछे विवाद कुछ ओर होता है। ये शब्द उपमण्डल न्यायिक दण्डाधिकारी तथा लीगल सैल के अध्यक्ष डॉ. अतुल मडिया ने प्रथम नवरात्र को मातृशक्ति दिवस के रूप में मनाते हुए बुधवार को कोर्ट परिसर में कन्या भ्रूण हत्या पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए कहे।
उन्होंने कहा कि दहेज प्रताडऩा के अधिकतर मामलों में कहानी मामूली लड़ाई-झगड़े या फिर सास-बहू के बीच झगड़े की होती है। जिसे दहेज प्रताडऩा का रंग देकर पेश किया जाता है। जबकि असल मामले सामने नहीं आते। न तो वे पंचायत में पहुंचते हैं और न ही थाना, कचहरी में। ऐसे मामलों में पीडि़ता स्वयं जल जाती है या फिर जला दी जाती है। मडिया के अनुसार कन्या भ्रूण हत्या कोई समस्या नहीं है, अपितु समस्याओं की जननी है। कन्या भ्रूण हत्या और घरेलू हिंसा के पीछे महिला खुद जिम्मेवार है। जब तक महिला अपनी भूमिका तय नहीं करती, तब तक यह कलंक समाज पर लगा रहेगा। इस प्रकार के किसी मामले में निर्णय सुना देने या इसके खिलाफ कानून बना देने से काम नहीं चलने वाला। लोगों की सोच में परिवर्तन करके ही इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
सरकारी अस्पताल के कार्यकारी एसएमओ डॉ. एमके भादू ने सेमिनार को अपनी कविता प्यार की संजीव कहानी होती है बेटी, चंद दिनों में बेगानी होती है बेटी...के माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों को बताया। स्वास्थ्य कर्मी मंजू बाला ने मां-बेटी पर आधारित कविता मैं गर्भ से बोल रही हूं, अच्छी मम्मी-प्यारी मम्मी..., राज वर्मा ने हो गई है हैवानियत की तन्हां और कोई बोले न बोले मेरी आवाज बाकी है...से अपने विचार प्रकट किए। अधिवक्ता कुलवंत सिधू ने अपने गीत टोटे करके कतल कातों करदी मां... तथा अधिवक्ता एसके गर्ग ने घरेलू हिंसा से स्त्रियों की सुरक्षा अधिनियम 2005 का विस्तार पूर्वक उल्लेख लिया। बाल कलाकार लक्की वधवा ने स्वयं रचित गीत धीयां जन्मियां ते गुड़ भी ना बंडेआ, बेआही तो क्यों रोया बाबुला....के जरिए सेमिनार में उपस्थित लोगों की आंखें नम कर दी। राजकीय महाविद्यालय की प्राध्यापिका शन्नो आर्य ने मैं नदी हूं, मुझे मेरा हुनर मालूम है, जिस तरफ भी जाऊंगी रास्ता हो जाएगा... जैसी पंक्तियों के माध्यम से भारतीय समाज में नारी की दशा और संघर्ष की कहानी ब्यां की। इस मौके पर अधिवक्ता एससी शर्मा तथा प्राध्यापिका पूनम वधवा ने भी अपने विचार रखे। मंच का संचालन अधिवक्ता गंगा बिशन गोयल ने बखूबी निभाया।
इससे पूर्व सेमिनार का शुभारंभ अंकिता मडिया ने कन्या भ्रूण हत्या पर स्लोगन लिखित बोर्डों से पर्दा हटाकर किया। इस अवसर पर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र दंदीवाल, कुलदीप सिंह सिधू, बलजीत सिंह, वाईके शर्मा, कुलवीर पासी, राजेश यादव, धर्मवीर कुलडिया आदि उपस्थित थे।

कहां गए 455 पेंशनर?



जून में बंटी पेंशन में हुई गड़बड़ी, फिनो कंपनी के उच्च अधिकारियों को है सब पता
डीडी गोयल (80597-33000)
डबवाली। हरियाणा सरकार की वृद्धावस्था सम्मान भत्ता योजना जैसी वेल्फेयर स्कीम को निजी बैंकों ने अपनी बिजनेस स्कीम बना डाला है। वृद्धों को मनमर्जी की पेंशन देकर लिस्टों पर उनके अंगूठे लगवाए जा रहे हैं। यही नहीं सरकार की ओर से जारी हुई पांच माह की पेंशन के बावजूद एक-दो माह की पेंशन राशि देकर कत्र्तव्य से इतिश्री की जा रही है। योजना का लाभ उठा रहे शहर के करीब 455 लोगों को लिस्ट से गायब दिखाया गया है। पूरे मामले की जांच करने के लिए सरकार ने अगस्त माह की पेंशन पुरानी पद्धति के अनुसार करवाने का निर्णय लिया है। प्रदेश में हुए पेंशन घोटालों के बाद सरकार ने पेंशनरों को बैंक खाता के जरिए पेंशन देने की योजना चलाई थी। इसका ठेका सरकार ने प्रदेश में एक्सीस तथा यूनियन बैंक को दिया। लेकिन बैंकों ने इसमें फिनो कंपनी को भी अपने साथ ले लिया। जिला सिरसा एक्सीस बैंक के तहत आया और सरकार की योजना पर कार्य शुरू हो गया। शहर डबवाली में 3739 पेंशनर हैं। फिनो कंपनी के कर्मचारियों की ओर से पेंशनरों की फोटोग्राफी की गई तथा स्मार्ट कार्ड बनाए गए। मात्र 3084 पेंशन धारकों के खाते खोलकर जून माह के दौरान पेंशन वितरण का कार्य शुरू कर दिया गया। लेकिन 655 पेंशन धारकों का कोई पता नहीं चल पाया। शहर के पार्षदों की मांग पर उपायुक्त ने पुन: फोटोग्राफी तथा स्मार्ट बनाने के आदेश दिए। यह कार्य दोबारा शुरू हुआ। जिसमें से करीब 200 पेंशनरों की जांच करके उनकी फोटोग्राफी की गई। लेकिन अब भी 455 के करीब पेंशन धारक स्मार्ट कार्ड के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं।
जून माह में बंटी पेंशन पर सवालिया निशान लगाते हुए वार्ड नं. 14 के पार्षद विनोद बांसल ने बताया कि जानकारी मिली है कि इस दौरान पेंशनरों को कम पेंशन दी गई और अधिक पेंशन पर अंगूठे लगवा लिए गए। जिसके चलते अब लोगों को दो या तीन माह की पेंशन दी जा रही है। वो भी बिना ब्याज के। वहीं फिनो कंपनी के कर्मचारी स्मार्ट कार्ड के लिए फोटोग्राफी करते समय लापरवाह रहे। जिसका नतीजा है कि शहर के करीब 455 लोग अब भी फोटोग्राफी के लिए भटक रहे हैं। वहीं बाद में चिन्हित हुए करीब 200 लोगों को अभी तक एक माह की पेंशन भी नसीब नहीं हुई है। बांसल के अनुसार घोटाले रोकने के लिए बनाई गई योजना में निजी बैंक घोटाला करते हुए प्रतीत हो रहे हैं और दोष सरकार पर लग रहा है।
फिनो कंपनी के जिला कोर्डिनेटर सुरेन्द्र कुमार ने बताया कि जून माह में कंपनी के पानीपत, सोनीपत तथा भिवानी से आए कर्मचारियों ने पेंशन वितरण किया था। उस समय हुए वितरण में गड़बड़ी सामने आई है। कंपनी इस मामले की जांच कर रही है। दोष सिद्ध होने पर संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि स्मार्ट कार्ड के लिए फोटोग्राफी संबंधी अधिकतर कार्य पूरा किया जा चुका है। शेष रह गए कार्य को जल्द पूरा किया जाएगा।
एक्सीस बैंक सिरसा के पेंशन मैनेजर सुमित कुमार ने बताया कि शहर डबवाली के 3084 पेंशनरों की पहचान करके पेंशन बांटी जा रही है। लेकिन ब्याज राशि काटकर दी जा रही है। उनके अनुसार इस राशि को पेंशनर के एकाऊंट में ही रखा जाएगा। पेंशन से वंचित रह रहे लोगों को जल्द पेंशन बांटी जाएगी। उनके अनुसार इस बार सरकार ने अगस्त माह की पेंशन पुरानी प्रक्रिया के अनुसार बांटने का निर्णय लिया है। इस दौरान पता चल जाएगा कि कौन सा पेंशनर कब से पेंशन से वंचित चला आ रहा है।

अदालत ने डेरा पर दिया ऐतिहासिक फैसला



डबवाली (लहू की लौ) अतिरिक्त सिविल जर्ज (वरिष्ठ मण्डल) डॉ. अतुल मडिया की अदालत ने मंगलवार को गांव बनवाला के गीता भवन के संचालन के संबंध में एक एतिहासिक फैसला सुनाते हुए इसके संचालन का अधिकार वादी चिमन लाल उर्फ चिमन प्रकाश को सौंपने के आदेश वर्तमान संचालकों को दिए।
27-9-2006 को चिमन लाल पुत्र रामरक्ख पुत्र अर्जुन चेला, रामप्रताप उर्फ रमप्रकाश पुत्र रामरक्ख पुत्र अर्जुन (चेला बसंत दास) निवासी बनवाला ने अदालत में एक वाद दायर करते हुए कहा कि वह रामप्रताप उर्फ रामप्रकाश पुत्र रामरक्खा निवासी रामपुरा बिश्नोईयां का असल भाई था। रामप्रताप उर्फ रामप्रकाश अविवाहित था। साल 1970 में साधु बन गया और गांव पन्नीवाला रूलदू जिला सिरसा के संत बसंत दास की सेवा करने लगा। संत बसंत दास का बड़ा डेरा वही संभाला करता था। डेरा में रहते हुए उसका भाई रामप्रताप देसी दवाई दिया करता था। जिसके चलते वह संत और वैद्य के नाम से क्षेत्र में प्रसिद्ध हो गया। संत बसंत दास ने रामप्रताप उर्फ रामप्रकाश को उसकी सेवा देखते हुए उसे अपना चेला बना लिया। लेकिन गांव बनवाला के लोग रामप्रकाश को गांव बनवाला में ले गए। रामप्रताप ने गांव वासियों के अनुरोध पर 1980 में लोगों की भलाई के लिए वहां रहना शुरू कर दिया। गांव बनवाला की पंचायत ने 43 कैनाल 16 मरले भूमि रामप्रकाश को गीता भवन बनाने के लिए दी। लेकिन रामप्रकाश ने इस भूमि में से 10 कैनाल भूमि पर गीता भवन का निर्माण कार्य शुरू कर दिया। गीता भवन पर रामप्रकाश ने देसी दवाईयों से प्राप्त आय को खर्च किया।
चिमन प्रकाश के अनुसार वह भी अविवाहित था। रामप्रकाश ने उससे कहा कि वह संत बन जाए और बिना स्वार्थ और बिना भेदभाव के लोगों की सहायता करे। जिस पर 1981 में संत रामप्रकाश ने उसे अपना चेला बना लिया और वह उसके साथ गांव बनवाला के डेरा में रहकर सेवा व संभाल करने लगा। 29 अप्रैल 2006 को संत रामप्रकाश की मौत हो गई। इसके बाद कुछ लोगों ने 29 मई 2006 को मुन्ना पुत्र ओमप्रकाश निवासी हम्मुसर (तहसील रतनगढ़) जिला चुरू हाल आबाद गीता भवन निवासी पन्नीवाला, अमरो पुत्री करतार सिंह निवासी लोको तहसील व जिला मोगा हाल आबाद गीता भवन, गांव बनवाला तहसील डबवाली, आनंद सिंह पुत्र सज्जन सिंह निवासी ओटू (रानियां) सिरसा को गीता भवन का संचालन संभाल दिया। जबकि ये लोग कभी भी संत रामप्रकाश के चेले नहीं थे और न ही उसकी सेवा व संभाल करते थे।
अदालत से वादी ने गुहार लगाई कि रामप्रकाश की अस्टीम कार, ट्रेक्टर और बीस बोर बंदूक का वारिस है और साथ में गीता भवन के संचालन तथा डेरा के संचालन का हकदार है। उसे उसका हक दिलाया जाए। अदालत के समक्ष वादी ने अपने सभी सबूत भी प्रस्तुत किए।
अदालत में मुन्ना ने स्वीकार किया कि संत रामप्रकाश को मुखाग्नि चिमन प्रकाश ने दी थी और वही उसकी सेवा करता था। 29-5-2006 को गांव की पंचायत ने उसे गीता भवन और डेरा का संचालन का कार्य सौंप दिया।
अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने और दोनों पक्षों के वकीलों के तर्क-वितर्क सुनने के बाद निर्णय सुनाया कि रामप्रकाश का वारिस चिमन प्रकाश है और अस्टीम कार, बीस बोर की बंदूक का मालिक भी वह है तथा गीता भवन और डेरा के संचालन का हकदार भी है। अदालत ने प्रतिवादियों को आदेश दिए कि तीन माह के भीतर गीता भवन और डेरा का संचालन वादी चिमन प्रकाश को सौंप दे।
इस मामले में 37 पृष्ठों का एतिहासिक फैसला सुनाते हुए डॉ. अतुल मडिया, अतिरिक्त सिविज जज (वरिष्ठ मण्डल) की अदालत ने हिन्दू धर्म की पवित्र पुस्तक श्री मद्भागवत गीता के अध्याय 18 के श्लोक नं. 2 का उल्लेख करते हुए सन्यास के बारे में कहा कि ईष्ट की प्राप्ति और निष्ट की निवृत्ति के लिए जो कर्म किए जाते हैं, उनके त्याग करने का नाम सन्यास है। फल न चाहकर कत्र्तव्य-कर्मो को करते रहने का नाम त्याग है। इस सन्यास धर्म की पालना के कारण चिमन प्रकाश अपने गुरू संत रामप्रकाश का वारिस है।

आढ़तियों को पंजाब से ऑफर


डबवाली (लहू की लौ) मार्किट फीस में कटौती की मांग को लेकर प्रदेश का व्यापारी संघर्षरत है। सरकार उनकी मांगों की ओर कोई ध्यान नहीं दे रही। लेकिन पड़ौसी राज्य इस गोल्डन चांस को किसी भी कीमत पर हाथ से नहीं निकलने दे रहे। तीन राज्यों की त्रिवेणी डबवाली में बैठे व्यापारियों को पंजाब में बिजनेस सेट करने की ऑफर मिली है। वहीं व्यापारियों के साथ लेबर ने भी पंजाब के जिला श्री मुक्तसर साहिब की मण्डी किलियांवाली में जाने की इच्छा जता दी है। इधर इससे पूर्व ही किसान अपनी उपज लेकर पंजाब में दाखिल हो रहे हैं।
डबवाली में 150 आढ़ती, पांच जीनिंग मिल, पंद्रह ब्रोकर तथा पांच हजार मजदूर हैं। डबवाली क्षेत्र को कपास-नरमा के उत्पादन के मामले में जिला सिरसा का हार्ट कहा जाता है। सीजन शुरू होने से पूर्व ही व्यापारी मार्किट फीस में कमी की मांग को लेकर आंदोलन की राह पर चल रहे हैं। आढ़तियों की मांग है कि पड़ौसी राज्य पंजाब तथा राजस्थान में मार्किट फीस हरियाणा की तुलना में कम है। जिससे किसान को उसकी उपज का उचित भाव मिलने के साथ-साथ व्यापारी वर्ग पर भी अनावश्यक दबाव नहीं पड़ता। लेकिन व्यापारियों की मांग सरकार के कानों तक नहीं पहुंच रही हैं। पड़ौसी राज्य पंजाब के मार्किटिंग बोर्ड के अधिकारियों ने इसे उचित अवसर समझते हुए डबवाली के व्यापारियों को पंजाब में व्यापार करने की ऑफर दी है। इस संबंधी साथ लगते जिला श्री मुक्तसर साहिब की मण्डी किलियांवाली के सुपरवाईजर की कॉल कच्चा आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष हरबिलास निरंकारी के पास आई है। मण्डी सुपरवाईजर ने हरियाणा के आढ़तियों को लाईसेंस लेने के साथ-साथ व्यापार करने की खुली अनुमति दी है।
कच्चा आढ़तिया एसोसिएशन के अध्यक्ष हरबिलास निरंकारी ने उपरोक्त पुष्टि करते हुए बताया कि मार्किटिंग बोर्ड, पंजाब के ऑफर पर व्यापारियों ने मंथन शुरू कर दिया है। उनके अनुसार काफी समय से हरियाणा का व्यापारी अपने उचित हकों के लिए लड़ाई लड़ रहा है। लेकिन प्रदेश की हुड्डा सरकार व्यापारी को दबाने पर तुली हुई है। पंजाब के ऑफर को व्यापारी गंभीरता से ले रहे हैं। इस मुद्दे पर सभी व्यापारी एकजुट हैं। अगर सरकार उनकी आवाज को इसी तरह कुचलती गई तो वे निश्चित तौर पर ही पंजाब में पलायन कर जाएंगे।
किसान बलदेव सिंह, सुखपाल सिंह, जगसीर सिंह ने बताया कि वे नरमा लेकर अनाज मण्डी में आए थे। लेकिन कोई व्यापारी उनका नरमा खरीदने को तैयार नहीं हुआ। इसके लिए उन्हें मजबूरन पंजाब का रूख करना पड़ा।
हरियाणा मण्डी मजदूर यूनियन की शाखा डबवाली के अध्यक्ष विक्की चोरा तथा सदस्य किशोरी लाल के अनुसार डबवाली का व्यापारी नरमा-कपास की खरीद नहीं कर रहा। जिसके चलते अनाज मण्डी में लेबर को कार्य नहीं मिल रहा। ऐसे हालातों में उनके पास पेट भरने के लिए  किलियांवाली की अनाज मण्डी में पलायन ही एक रास्ता है। वे जल्द ही यूनियन की बैठक बुलाकर इस बारे में निर्णय लेंगे।
मार्किट कमेटी डबवाली के सचिव चरण सिंह गिल ने कहा कि आढ़तियों को समझाने के प्रयास चल रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही मण्डी में कपास-नरमा की खरीद आरंभ होगी।

गंदे पेयजल पर हंगामा


डबवाली (लहू की लौ) गंदे पेयजल की आपूर्ति से गुस्साए शहर के छह वार्डों के लोगों ने सोमवार को पब्लिक हेल्थ कार्यालय पहुंचकर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। गंदे पानी की भरी बोतलों को कार्यालय में बनी पेयजल टंकी में उडेल दिया। कर्मचारियों को बाहर निकालकर कार्यालय पर ताला जड़ दिया। एसडीई से दो दिन में व्यवस्था बदलने का आश्वासन पाने के बाद लोग शांत होकर घरों को वापिस लौटे।
पिछले काफी दिनों से शहर में गंदे पेयजल की आपूर्ति हो रही है। प्रशासन को बार-बार शिकायत करने के बावजूद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही। शहर के लोग 500 रूपए प्रति कैंटर के हिसाब से पानी लेकर पी रहे हैं। सोमवार को शहर के छह वार्डों के लोग अपने हाथों में गंदे पानी की बोतलें उठाए हुए पब्लिक हेल्थ कार्यालय के सामने आ खड़े हुए। ये लोग नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन करने लगे। महिलाओं ने जमकर पिट सियापा किया। आक्रोशित लोगों ने कर्मचारियों को बाहर निकालकर कार्यालय पर ताला डाल दिया और धरना देकर बैठ गए।
वार्ड नं. 9 के निवासी हनुमान दास, अर्जुन कुमार, डॉ. रामकुमार, राकेश, जसवंत राय, गिरीश मिढ़ा, बनारसी दास, बाबू राम, बाल मुकंद ने बताया कि पानी का एक कैंटर मुश्किल से पांच दिन निकालता है। यही नहीं गंदे पेयजल की वजह से लोग बीमार पड़ रहे हैं। क्षेत्र में बीमारी फैलने की आशंका बढ़ गई है। गंदे पानी की समस्या को लेकर वे कई बार कार्यालय के चक्कर काट चुके हैं। रजिस्टर में अक्सर अपनी शिकायत दर्ज करवाते हैं, लेकिन कोई कर्मचारी उनके क्षेत्र में नहीं जाता। ऊपर से रजिस्टर में कंप्लेंट अटैंड लिखकर कर्मचारी अपने कत्र्तव्य की इतिश्री कर रहे हैं।
वार्ड नं. 5 निवासी तारा चन्द, भोली महंत, मूर्ति देवी, कृष्णा, शिमला देवी, भतेरी देवी, वार्ड ं. 11 के निवासी हरदयाल मैहता, कुंदन लाल, वार्ड नं. 14 निवासी कांता रानी, गुड्डी, सुक्खनी, कमला देवी, रामप्यारी, वार्ड नं. 15 निवासी वेदप्रकाश, पप्पू, बिट्टू, सुरेश कुमार, वार्ड नं. 19 के पार्षद सुरेंद्र छिन्दा, जिले सिंह, साधु सिंह गिल, सुमित भारती, लाभ सिंह, भगत सिंह ने बताया कि वे कई दफा गंदे पेयजल की आपूर्ति तथा सीवरेज चॉक की शिकायत जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ प्रशासन तक पहुंचा चुके हैं। लेकिन आज तक किसी अधिकारी ने इस ओर जिम्मेवारी से कार्य नहीं किया।
मौके पर मौजूद कर्मचारियों ने आक्रोशित लोगों को समझाने का बहुत प्रयास किया। लेकिन गुस्साए लोगों ने गंदे पानी से भरी बोतलें कार्यालय में लगे वाटर फिल्टर की टंकी में उड़ेल दीं। बाद में क्लर्क राय चन्द ने प्रदर्शन कर रहे लोगों की बात मोबाइल से एसडीई जेएस मोर से करवाई। मोर ने दो दिन के भीतर समस्या के हल का आश्वासन देकर आक्रोशित लोगों को शांत किया।
पब्लिक हेल्थ के कार्यकारी एसडीई जेएस मोर के अनुसार डबवाली में चल रही पेयजल दिक्कत के संदर्भ में उन्होंने एक्सीयन आरके शर्मा को अवगत करवा दिया है। मोर के अनुसार यह समस्या नहर बंदी के कारण सामने आई है। एक्सीयन ने नहरी विभाग पंजाब के अधिकारियों से बात की है। नहर में पानी पंजाब के रोपड़ से छोड़ दिया गया है। दो-तीन दिन में पानी आ जाएगा। उनके अनुसार पेयजल आपूर्ति में गंदा पानी कहां से मिक्स हो रहा है, ऐसे स्थानों को ट्रेस करके उसका हल किया जाएगा।

ऐसा सम्मान नहीं भूलेंगे मन्नु


डबवाली (लहू की लौ) पंजाब यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट कौंसिल के नवनियुक्त अध्यक्ष पुष्पिंद्र शर्मा मन्नु का डबवाली पहुंचने पर जोरदार स्वागत किया गया। नगर की विभिन्न संस्थाओं ने रविवार रात को कम्युनिटी हाल में समारोह आयोजित करके उन्हें सम्मानित किया गया।
समारोह में सांसद डॉ. अशोक तंवर मुख्यातिथि के तौर पर शरीक हुए। जबकि अध्यक्षता सीएम के पूर्व ओएसडी डॉ. केवी सिंह ने की। इस मौके पर दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष अजय चिकारा विशेष तौर पर उपस्थित हुए। समारोह का शुभारंभ गोपाल मंगल ने इतनी शक्ति हमें दे न दाता... के माध्यम से किया। नवप्रगति सीनियर सैकेण्डरी स्कूल के विद्यार्थियों ने मंच पर जपुजी साहिब के बाद पंजाबी भाषा की वर्तमान दशा पर आधारित कोरियोग्राफी सोहने देश पंजाब तो मैं सदके जावां...प्रस्तुत की। गुरूनानक कॉलेज के छात्रों ने कोरियोग्राफी देस होया परदेस... के जरिए मौजूदा समय की सबसे गंभीर सामाजिक समस्या नशे पर चोट की। राजकीय महाविद्यालय की बीए तृतीय वर्ष के छात्र लवनीश मित्तल ने अपनी जादुई ट्रिक के जरिए लोगों को दांतों तले अंगुली दबाने पर मजबूर कर दिया। सांसद अशोक तंवर द्वारा निकाले गए ताश के एक पत्ते को फोटोग्राफी कर रहे मनप्रीत सिंह की जेब से निकालकर सबको हैरत में डाल दिया। एनपीएस की छात्रा जपिंद्र गिन्नी तथा अंजना ने अपनी कविताओं के जरिए श्रोताओं का दिल जीत लिया।
सांसद डॉ. अशोक तंवर ने कहा कि देश की राजनीति में उत्तर भारत के युवा खासी भूमिका निभा रहे हैं। उत्तर भारत को मिनी इंडिया की संज्ञा देते हुए कहा कि हरियाणा के दो युवा देश की प्रमुख पंजाब यूनिवर्सिटी चण्डीगढ़ तथा दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली की छात्र कौंसिल के अध्यक्ष हैं। जो दर्शाता है कि भविष्य में देश की राजनीति हरियाणा के युवाओं पर आधारित होगी। उन्होंने युवाओं को सक्रिय रूप से राजनीति में भाग लेने का आह्वान किया।
इस अवसर पर पंजाब यूनिवर्सिटी चण्डीगढ़ की स्टूडेंट कौंसिल के अध्यक्ष पुष्पिंद्र शर्मा मन्नु ने कहा कि जब भी वे इस क्षेत्र में आते हैं तो कॉलेज छात्रों को नशे की जद्द में पाते हैं। नशे के कारण इस क्षेत्र का एजूकेशन स्तर निरंतर गिर रहा है। नशे की बुराई सदा के लिए खत्म करने का वे प्रयास करेंगे।
दिल्ली यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष अजय चिकारा ने कहा कि भारत आज विश्व शक्ति बनने की ओर अग्रसर है। लेकिन इसकी नींव बना युवा वर्ग नशे की वजह से खोखला हो रहा है। माता-पिता अपने थोड़े से प्रयास से अपने बच्चे के साथ-साथ देश को बचाने में अग्रणी साबित हो सकते हैं।
संस्थाओं ने किया सम्मानित
मन्नु को सीनियर सिटीजन वेल्फेयर एसोसिएशन, आर्य समाज, जगदम्बा वेल्फेयर क्लब, स्वर्णकार संघ, ऑल इंडिया वेश्य फेडरेशन, क्लॉथ मर्चेंट एसोसिएशन, सतगुरू राम सिंह जल सेवा समिति, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, कच्चा आढ़तिया एसोसिएशन, बार एसोसिएशन, लॉयंस क्लब सुप्रीम, लायन क्लब अक्स, हरियाणा प्रदेश व्यापार मण्डल, युवा हरियाणा प्रदेश व्यापार मण्डल, ब्राह्मण सभा, अग्रवाल सभा, शू एण्ड जनरल मर्चेंट एसोसिएशन, केमिस्ट एसोसिएशन, वरच्युस क्लब इंडिया, स्टूडेंट ऑफ डिग्री कॉलेज ने सम्मानित किया। मंच का संचालन वेद भारती ने बखूबी किया। इस मौके पर डॉ. आरएस अग्निहोत्री, संदीप चौधरी एडवोकेट रणजीत सिंह, इन्द्रजीत सिंह, केशव शर्मा, पार्षद विनोद बांसल, जगदीप सूर्या, प्रवीण सिंगला नीटा, सुदर्शन मित्तल, तेलू राम बांसल, प्रविंद्र अरोड़ा, गुरूनानक कॉलेज किलियांवाली की प्राचार्या डॉ. इंदिरा अरोड़ा, राजेश हाकू, जितेंद्र खैरा, पवन गर्ग, इन्द्र जैन, जगसीर मिठड़ी, मनवीर मान, विजय सहारण, विक्की बांसल, पवन  उदानियां उपस्थित थे।

फर्जी रिकॉर्ड के जरिए बना नंबरदार


डबवाली कोर्ट के आदेश पर मामला दर्ज, चौटाला पुलिस करेगी जांच
डबवाली (लहू की लौ) थाना सदर पुलिस ने उपमण्डल न्यायिक दण्डाधिकारी डबवाली की अदालत के आदेश पर पटवारी से मिल कर धोखादेही से नम्बरदार बनने के आरोप में गांव सुखेराखेड़ा के एक व्यक्ति तथा संबंधित पटवारी के खिलाफ धारा 420/467/468/471 आईपीसी के तहत केस दर्ज करके जांच का काम एएसआई सतपाल सिंह को सौंप दिया है।
गांव सुखेराखेड़ा के कृष्ण लाल पुत्र गोमाराम ने रमेश कुमार पुत्र शंकर दास पुत्र तीर्थ दास निवासी मकान नम्बर 277, वार्ड नं. 12 कलोनी रोड़, मंडी डबवाली तथा दलीप सिंह माल पटवारी हल्का सुखेराखेड़ा के खिलाफ अदालत में याचिका दायर करके अदालत से कहा कि गांव सुखेराखेड़ा तहसील डबवाली जिला सिरसा में सामान्य वर्ग का नम्बरदार नियुक्त करने के लिए तहसीलदार डबवाली ने सुखेराखेड़ा का स्थाई निवासी होने के आवदेन पत्र मांगे थे। उसने सुखेराखेड़ा का स्थाई निवासी होने के कारण गांव सुखेराखेड़ा का सामान्य वर्ग का नम्बरदार बनने के लिए  आवेदन पत्र दिया था। आरोपी रमेश कुमार  ने भी गांव सुखेराखेड़ा का सामान्य  वर्ग का नम्बरदार बनने के लिए आवेदन पत्र दिया। आरोपी ने माल पटवारी हल्का सुखेराखेड़ा से मिलकर खुद को लाभ पहुंचाने के लिए जानबूझकर डबवाली के स्थाई निवासी होने का राशन कार्ड और गलत तौर पर झूठा व फर्जी रिकार्ड तैयार कर, 15 साल से गांव सुखेराखेड़ा का स्थाई निवासी होने का हलफिया ब्यान देकर प्रमाण पत्र जारी करवा लिया।
याचिका में शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि रमेश कुमार की रिहायश कभी भी गांव सुखेराखेड़ा में नहीं रही है और न ही उसका गांव सुखेराखेड़ा में राशन कार्ड बना है। याची ने अपनी याचिका में यह भी आरोप लगाया है कि रमेश कुमार ने माल पटवारी से मिलकर अपनी जन्म तिथि 17-5-1951 होते हुए भी उसके स्थान पर अपनी जन्म तिथि 17-5-1953 दर्ज करवा कर रिपोर्ट तहसीलदार डबवाली  के पेश करवा दी। याची के अनुसार आरोपी ने 18-6-2009 को दो रिपोर्ट जारी करवा कर तहसीलदार डबवाली के पेश करवा दी, एक रिपोर्ट में रमेश की जायदाद 4 एकड़ व दूसरी रिपोर्ट में रमेश कुमार की जायदाद 6 एकड़ एक कनाल एक मरला दिखा रखी है।
शिकायतकर्ता के अनुसार आरोपी रमेश कुमार ने माल पटवारी दलीप सिंह से मिलकर खुद को आदेश दिनांक 12-8-2011 को आयुक्त हिसार मण्डल से गांव सुकेराखेड़ा का नम्बरदार नियुक्त करवा लिया है। जबकि दिनांक 12-10-2010 को तहसीलदार डबवाली ने उसको नम्बरदार नियुक्त करने की सिफारिश उपमण्डलाधिकारी नागरिक डबवाली को भेजी थी। लेकिन उपमण्डल अधिकारी नागरिक ने मिशल को रिमाण्ड करते हुए दोबारा समायत करके रिपोर्ट जारी करने का आदेश        दिया। जिस पर तहसीलदार डबवाली ने दोबारा मुद्दई के पक्ष में सामान्य वर्ग का नम्बरदार नियुक्त करने की सिफारिश की।
याची के अनुसार                        उपमण्डल  अधिकारी नागरिक डबवाली ने आरोपी रमेश कुमार  को नम्बरदार नियुक्त करने की सिफारिश करते हुए मिशल जिला  कलैक्टर सिरसा के पास भेज दी। जिला कलैक्टर ने मिशल को   तहसीलदार के रिमांड दिनांक  18-5-2011 को कर दिया। लेकिन रमेश कुमार ने जिला कलैक्टर के फैसला के खिलाफ  अपील आयुक्त हिसार मण्डल हिसार के कर दी। न्यायालय  एमपी बंसल आयुक्त हिसार मण्डल हिसार ने अपने फैसले में दिनांक 12.8.2011 के अनुसार रमेश कुमार आरोपी को गांव सुखेराखेड़ा का नम्बरदार नियुक्त कर दिया।
याची ने आरोप लगाया कि आरोपी रमेश कुमार, आरोपी दलीप कुमार के साथ साजबाज होकर व गलत तौर पर फर्जी व जाली रिकॉर्ड तैयार करके नंबरदार नियुक्त हुआ है। अदालत ने याची की याचिका पर सुनवाई करते हुए दफा 156 (3) आईपीसी के तहत केस को पुलिस को भेजकर आरोपियों के खिलाफ धोखादेही का केस दर्ज करके जांच करने के आदेश दिए हैं।
थाना सदर प्रभारी एसआई रतन सिंह ने बताया कि अदालत के आदेश पर मामला दर्ज करके जांच का कार्य चौटाला पुलिस चौकी के एएसआई सतपाल सिंह को सौंप दिया है।

22 सितंबर 2011

बेवफाई पर ट्रेन के आगे लेटी


दोनों ने खाई थी साथ मरने की सौगंध, फोन करने के बावजूद नहीं पहुंचा प्रेमी
डबवाली (लहू की लौ) आशिक के फोन न उठाने पर गुस्से में आई प्रेमिका गाड़ी के आगे आकर अपनी दोनों टांगें कटवा बैठी। दोनों में करीब बीस बरस से प्रेम चल रहा था। गंभीर हालत में उसे बठिंडा के एक अस्पताल में एडमिट करवाया गया है।
बुधवार को बठिंडा से कंटेनर लोड़ किए मालगाड़ी डबवाली के लिए आ रही थी। जिसे संत राम चला था। जबकि गाड़ी पर एएलपी के तौर पर पंकज कुमार तथा गार्ड के रूप में सीता राम नियुक्त थे। सुबह करीब 7.30 बजे जस्सी बागवाली के निकट खेतों की ओर से आई एक महिला अचानक पटरी पर लेट गई। यह देखकर संत राम ने अचानक ब्रेक लगा दी। लेकिन रूकते-रूकते गाड़ी उसकी टांगों को काट गई। गाड़ी करीब आधा घण्टा वहीं रूकी रही। तीनों ने बड़ी मुश्किल से महिला को बाहर निकाला। महिला की गंभीर हालत को देखते हुए उसे उपचार के लिए डबवाली के रेलवे स्टेशन पर ले आए। यहां से डबवाली जन सहारा सेवा संस्था के सदस्यों ने उसे उपचार के लिए सरकारी अस्पताल में पहुंचाया। प्राथमिक उपचार के बाद चिकित्सक ने उसे सिरसा रैफर कर दिया। लेकिन उसके परिजन उसे बेहतर इलाज के लिए बठिंडा ले गए।
सरकारी अस्पताल में घायल महिला ने अपनी पहचान 35 वर्षीय अमरजीत कौर निवासी जस्सी बागवाली के रूप में करवाते हुए बताया कि वह पंजाब के गांव नगला की रहने वाली है। उसकी शादी 1989 में जस्सी बागवाली (जिला बठिंडा) निवासी धन्ना राम के साथ हुई थी। उसके दो बेटे जसविंद्र सिंह तथा हरविंद्र हैं। करीब बीस साल पहले उसका गांव जस्सी बागवाली के गुलाब सिंह नामक व्यक्ति से प्रेम हो गया। गुलाब भी शादीशुदा है। उनके प्रेम प्रसंगों के बारे में दोनों परिवारों को पता है। जिसके चलते दोनों के घरों में क्लेश रहने लगा।
महिला के अनुसार वे दोनों अलग-अलग नहीं रहना चाहते थे। इसी के चलते गुलाब ने उसे डबवाली में किराए पर कमरा लेकर दे दिया। यहां वह दो साल रही। डेढ़ माह पूर्व ही वह गांव जस्सी बागवाली लौटी थी। लेकिन गुलाब के घर में क्लेश फिर भी कम नहीं हुआ। चार दिन पूर्व गुलाब ने उसकी सौगंध खाते हुए साथ-साथ मरने का वचन किया था। साथ-साथ मरने के लिए दोनों ने बुधवार सुबह का समय रखा। वह सुबह 6.30 बजे गुलाब के खेत में पहुंच गई। लेकिन गुलाब नहीं आया। उसने कई दफा उसका फोन मिलाया। लेकिन उसने अपना मोबाइल नहीं उठाया। आखिर में मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया। प्रेमी की इस बेवफाई के कारण वह मरने के लिए रेल पटरी पर लेट गई।
मालगाड़ी के एएलपी पंकज कुमार ने बताया कि गाड़ी को देखकर महिला तेजी से खेतों से निकलकर पटरी पर लेट गई। उन्होंने गाड़ी के ब्रेक लगा दिए। लेकिन फिर भी गाड़ी के कुछ डिब्बे उसकी टांगों से गुजर गए।
जीआरपी बठिंडा के प्रभारी एसआई कर्म सिंह ने बताया कि उपरोक्त मामले की जानकारी उन्हें मिली है। घायल अमरजीत कौर बठिंडा के एक अस्पताल में उपचाराधीन है। उसके ब्यानों के आधार पर आगामी कार्रवाई की जाएगी।
मुझे अंधे प्रेम की सजा मिली
मेरी शादी पंद्रह साल की उम्र में कर दी गई थी। दो बेटों की मां होने के बावजूद उसने गुलाब से मुहब्बत की। उसने बीस साल तक उसकी हर बात मानी। उसकी बात का पलट कर जवाब तक नहीं दिया। रामां मण्डी में मनमीत ब्यूटी पार्लर चलाया। गुलाब की खातिर वह भी छोड़ दिया। उसके प्यार पर अपना परिवार तक कुर्बान कर दिया। उसके कहने पर मरने के लिए राजी हुई। लेकिन कसम देकर वह नहीं आया। मेरे अंधे प्यार की सजा मुझे मेरे परिवार से बिछुड़कर तथा दोनों टांगें कटवाकर मिली है। -अमरजीत कौर

गंदे पानी की आपूर्ति पर बिफरी महिलाएं, दो दिन की अल्टीमेटम


डबवाली (लहू की लौ) शहर के सीवरेज का गंदा पानी निकालने के लिए जनस्वास्थ्य विभाग को जमीन नहीं मिल रही है। वहीं पाईपों में रूका गंदा पानी पेयजल आपूर्ति के समय घरों में सप्लाई हो रहा है। शहर में लोग बीमार पडऩे लगे हैं। वहीं लोगों में विरोध के स्वर भी गूंजने लगे हैं। बुधवार को दिन उगते ही महिलाएं विभाग के कार्यालय पहुंची। महिलाओं ने जमकर बवाल काटा। वहां उपस्थित कनिष्ठ अभियंता को दो दिन के भीतर समस्या का हल करने की चेतावनी दे डाली है। शहर के सीवरेज का गंदा पानी निकालने के लिए डिस्पोजल की भूमि छोटी पड़ गई है। जिसके चलते तीन दिनों से सीवरेज का पानी पाईपों में जमा है। पाईपें धीरे-धीरे भर रही हैं। वहीं नहरबंदी के कारण पानी की समस्या भी गहरा गई है। टयूब्बैल के पानी को स्टॉक किए गए पानी के साथ मिलाकर पेयजल आपूर्ति की जा रही है। लेकिन आपूर्ति में सीवरेज का गंदा पानी मिक्स होकर घरों तक पहुंच रहा है। जिससे लोग बीमार पड़ रहे हैं। बुधवार को शहर के पुराना हनुमान मंदिर क्षेत्र की महिलाएं जनस्वास्थ्य विभाग के कार्यालय में पहुंची। मौका पर उपस्थित कनिष्ठ अभियंता सतपाल रोज को खूब खरी-खोटी सुनाई। प्रवीण रानी, आशा रानी, अंजू, संतोष देवी, पूजा, किरण, रीना, सीमा ने बताया कि उनके क्षेत्र में पेयजल की आपूर्ति नहीं हो रही है। लेकिन जब भी पानी आता है तो सीवरेज युक्त पानी। यह पिछले चार साल से हो रहा है। वे कई बार विभाग को लिखित शिकायत दर्ज करवा चुकी है। लेकिन आज तक उनकी समस्या का हल नहीं हुआ। अब तो हालात और भी गंभीर हो गए हैं। पिछले कुछ दिनों से बदबूदार काला पानी उनके घरों में आ रहा है। परिवार के सदस्य बीमार पड़ रहे हैं। क्षेत्र में ऐसा कोई घर नहीं, जिसका सदस्य उल्टी, दस्त रोग का शिकार न हो।
इन महिलाओं ने कनिष्ठ अभियंता को दो दिन के भीतर समस्या का हल करके स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति करवाने की चेतावनी दी। महिलाओं के अनुसार अगर दो दिन के भीतर उनकी समस्या का समाधान नहीं होता तो वे कार्यालय का घेराव करने को बाध्य होंगी।
जनस्वास्थ्य विभाग के कनिष्ठ अभियंता सतपाल रोज ने बताया कि पंजाब में नहरबंदी चल रही है। नहरों में पानी आने में कुछ दिन लगेंगे। स्टॉक किए गए पानी तथा टयूब्बैल के पानी को मिलाकर शहर के लोगों को पेयजल आपूर्ति की जा रही है। उन्होंने स्वीकार किया कि सीवरेज का पानी निकालने के लिए विभाग के पास जमीन नहीं है। जिसके चलते पानी पाईपों में रूका पड़ा है। कुछ जगहों पर यह पानी मिक्स होकर घरों में आ रहा है। ऐसी जगहों को चिन्हित करके ठीक किया जा रहा है।

पत्नी सहित चार पर मामला दर्ज


मास्टर गुरमीत सिंह आत्महत्या प्रकरण, विसरा की रिपोर्ट के लिए रिमाईंडर भेजा
डबवाली (लहू की लौ) एसएस मास्टर गुरमीत सिंह को आत्महत्या के लिए मजबूर करने के आरोप में शहर पुलिस ने तीन माह बाद चार जनों पर दफा 306 के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास तेज कर दिए हैं। वहीं विसरे की रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए पुलिस ने संबंधित लैब को दूसरी दफा रिमाईंडर भेजा है।
डीएसपी बाबू लाल ने बताया कि गांव कालझराणी के सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले एसएस मास्टर गुरमीत सिंह का शव संदिग्ध परिस्थितियों में 15 जून को अलीकां रोड़ पर खेतों में पड़ा मिला था। इसकी जांच का जिम्मा शहर थाना प्रभारी डबवाली महा सिंह रंगा को सौंपा। करीब दो माह तक चली जांच के बाद शहर प्रभारी ने अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी। रिपोर्ट में शहर प्रभारी महा सिंह रंगा ने कहा है कि गुरमीत सिंह की शादी अबूबशहर की राजेंद्र कौर के साथ हुई थी। इस दौरान राजेंद्र कौर का परिवार डबवाली के प्रेमनगर में आ बसा। शादी के कुछ देर बाद ही वह गुरमीत पर डबवाली में रहने का दबाव डालने लगी। लेकिन गुरमीत अपने माता-पिता तथा भाई-बहनों के साथ रहने का इच्छुक था। लेकिन राजेंद्र कौर ने गुरमीत तथा उसके परिजनों पर दहेज प्रताडऩा का आरोप लगाकर मामला दर्ज करवा दिया। अपने परिवार को बचाने के लिए गुरमीत डबवाली बसने पर राजी हो गया। जिसके तुरंत बाद राजेंद्र कौर ने केस वापिस ले लिया।
रिपोर्ट के अनुसार मास्टर अपने ससुराल घर के नजदीक प्रेमनगर में ही मकान बनाकर रहने लगा। इस मकान पर उसने पैसा लगाया। लेकिन राजेंद्र कौर ने मकान अपने नाम करवा लिया। गुरमीत गांव कालझराणी में रहकर अपने माता-पिता की सेवा करने के साथ-साथ भाई-बहनों को पढ़ाना-लिखाना चाहता था। लेकिन यह बात उसके ससुरालियों को अखरती थी। 15 जून 2011 से पूर्व मृतक ने एक प्लॉट का सौदा किया था। वह प्लॉट को अपने नाम करवाना चाहता था। लेकिन उसकी पत्नी राजेंद्र कौर तथा सास जसपाल कौर प्लाट को अपने नाम करवाना चाहती थी। इसके लिए ससुराली उसे मानसिक रूप से प्रताडि़त करने लगे। ससुरालियों द्वारा मजबूर करने पर ही गुरमीत ने आत्महत्या की। डीएसपी के अनुसार जांच रिपोर्ट के आधार पर मृतक गुरमीत सिंह की पत्नी राजेंद्र कौर, सास जसपाल कौर, ससुर बलवीर सिंह तथा साले बेअंत सिंह के खिलाफ मामला दर्ज करके आगामी कार्रवाई शुरू कर दी गई है। डीएसपी के अनुसार विसरे की रिपोर्ट के लिए पहले भी रोहतक तथा करनाल स्थित लैबों को लिखा गया था। अब पुन: रिमाईंडर निकाला गया है।

डीएपी खाद को लेकर किसानों ने काटा बवाल


डबवाली (लहू की लौ) नई अनाज मण्डी स्थित हैफेड की सोसाईटी पर डीएपी खाद को लेकर हुई किसानों तथा सोसाईटी अधिकारी में हुई मारपीट के बाद सोसाईटी पर पुलिस तैनात कर दी गई है। किसानों में खाद के वितरण को लेकर हैफेड के खिलाफ गहरा रोष पाया जा रहा है। वहीं उपमण्डलाधीश ने नंबर सिस्टम लागू करते हुए खाद वितरण के आदेश जारी किए हैं।
खाद लेने के लिए गांव बिज्जूवाली, अहमदपुर दारेवाला, गंगा, जण्डवाला बिश्नोईयां, सुकेराखेड़ा, नुहियांवाली के किसान बुधवार सुबह 5 बजे से सोसाईटी के आगे जमा थे। करीब 10 बजे सोसाईटी के अधिकारियों ने पुलिस सुरक्षा के बीच खाद वितरित करने का फरमान सुना दिया। सुबह से खाद की इंतजार में बैठे किसान भड़क उठे। सैंकड़ों किसान उपमण्डलाधीश डॉ. मुनीश नागपाल के कार्यालय में पहुंचे। यहां जमकर बवाल काटा। उपमण्डलाधीश के समक्ष खाद वितरण में बरती जा रही लापरवाही का जिक्र किया।
किसान जयदयाल नंबरदार, रामप्रताप, प्रेम कुमार, बलविंद्र सिंह सरपंच, मक्खन लाल, चमकौर सिंह, सुखवंत सिंह, हरनेक सिंह, गुलाब सिंह, आसा राम, नेकी राम ने बताया कि प्रति राशन कार्ड पर पांच बैग डीएपी खाद देने का प्रावधान है। लेकिन लाईन में लगे होने के बावजूद खाद उपलब्ध नहीं करवाई जा रही। बल्कि खाद को ब्लैक के जरिए चोरी मोरी से बेचा जा रहा है। किसानों के अनुसार गांवों में सोसाईटियां बनी हुई है। वहां खाद न देकर किसान को 25-30 किलोमीटर दूर डबवाली में खाद देने का आश्वासन दिया जाता है। लेकिन इसके बावजूद भी खाद मुहैया नहीं करवाई जाती। वे पिछले दो दिनों से लाईन में लगकर खाद मिलने का इंतजार कर रहे हैं। उपमण्डलाधीश ने किसानों को समय पर खाद उपलब्ध करवाने का आश्वासन देकर शांत किया।
उपमण्डलाधीश डॉ. मुनीश नागपाल ने बताया कि डीएपी खाद लेने के लिए लाईन में लगने वाले प्रत्येक किसान को नंबर लिखी पर्ची दी जाएगी। इस नंबर के आधार पर ही किसान को खाद दी जाएगी। प्रति राशन कार्ड के आधार पर पांच बैग डीएपी देने के निर्देश दिए गए हैं। मंगलवार देर शाम को किसानों और सोसाईटी अधिकारी लीलाधर के बीच हुई मारपीट के बाद कानून व्यवस्था को देखते हुए सोसाईटी पर पुलिस तैनात कर दी गई है।

प्रशासन ने हटाया अतिक्रमण


डबवाली (लहू की लौ) बुधवार को नगरपालिका ने अतिक्रमण के खिलाफ अभियान छेड़ते हुए कलोनी रोड़ और मुख्य बाजार में पालिका की जमीन पर पड़ा दुकानदारों का सामान कब्जे में ले लिया। दोपहर को उपमंडलाधीश डॉ. मुनीष नागपाल ने  नगरपालिका अधिकारियों की अपने कार्यालय में बैठक ली। उन्हें उपायुक्त सिरसा से आये आपात आदेशों से अवगत करवाया। जिसमेें कहा गया कि पालिका अतिक्रमण के खिलाफ अभियान छेड़ कर 26 सितम्बर को होने वाली बैठक में इस संबंधी रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
बैठक के बाद नगरपालिका सचिव राजा राम भुक्कल के नेतृत्व में पालिका अभियन्ता फूल सिंह, भवन अभियन्ता सुमित ढांडा, सैनेटरी इंस्पेक्टर अविनाश सिंगला ने एसआई घड़सा राम के साथ कलोनी रोड़ से अतिक्रमण के खिलाफ अभियान शुरू किया। यह अभियान मुख्य बाजार तक चला। अभियान शाम को 3.30 पर शुरू हुआ और 5 बजे तक जारी रहा। कलोनी रोड़ तथा मेन बाजार से अतिक्रमण स्थल पर रखे गये सामान को दो ट्रालियों में भर कर पालिका में ले जाया गया।

लसाड़ा ने बढ़ाई दिलों की धड़कनें


डबवाली (लहू की लौ) पंजाब-हरियाणा को बाढ़ से बचाने के लिए बना लसाड़ा नाला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। बेमौसमी बरसात, फैक्ट्रियों तथा सीवरेज के गंदे पानी से लबालब हुआ नाला टूट की कगार पर पहुंच गया है। पानी ओवरफ्लो होकर सड़क पर आ गया है। नैशनल हाईवे नं. 64 के साथ-साथ नाले से दो किलोमीटर दूर स्थित बठिंडा-बीकानेर रेलमार्ग कभी भी बंद हो सकते हैं। पंजाब ड्रेनज विभाग ने नाले पर चौकसी कड़ी कर दी है। वहीं नाला के उफनते ही हरियाणा-पंजाब की राजनीति भी उफनने की संभावना बन गई है।
साल 1963 में भारत सरकार ने लसाड़ा नाले का निर्माण संयुक्त पंजाब में करवाया था। जिसका मुख्य उद्देश्य बरसात के समय आने वाली बाढ़ से मुक्ति दिलाना था। ताकि फालतू पानी को नाले की मदद से राजस्थान के सूखाग्रस्त इलाके में छोड़ा जा सके। यह नाला पंजाब के जिला लुधियाना के गांव तमोट से चलकर लुधियाना, बरनाला, संगरूर, बठिंडा तथा हरियाणा के जिला सिरसा से होता हुआ राज्य के अंतिम छोर पर राजस्थान सीमा के निकट खत्म होता है। नाला करीब 255 किलोमीटर लम्बा है। जिसका 200 किलोमीटर क्षेत्र पंजाब में तथा 55 किलोमीटर क्षेत्र हरियाणा में आता है।
साल 1992 की हरियाणा सरकार ने अपने क्षेत्र में इस नाले को बंद करके जमीन किसानों को वापिस दे दी। लेकिन अधिक बरसात, फैक्ट्रियों तथा सीवरेज के गंदे पानी से यह नाला हर साल उफनता है। नाले के उफनते ही डबवाली-बठिंडा मार्ग पर आने वाले गांवों में रहने वाले लोगों के दिलों की धड़कन तेज हो जाती है। इस बार बेमौसमी बरसात के कारण पानी खतरे के निशान से भी ऊंचा चला गया है। डबवाली से महज सात किलोमीटर दूर स्थित गांव पथराला के निकट पानी डबवाली-बठिंडा मार्ग के नजदीक जा लगा है। वहीं यहां से रेलमार्ग की दूरी भी महज दो किलोमीटर है।
सूचना पाकर पंजाब डे्रनज विभाग मानसा के एक्सीयन विजय गर्ग ने स्थिति का जायजा लिया। इस मौके पर गांव पथराला, डूमवाली, कुटी, चकरूलदू सिंह वाला, जस्सी बागवाली, गुरथरी, मशाना, धुनेवाला, शेरगढ़, कोटफत्ता के ग्रामीणों ने ड्रेनेज को हरियाणा क्षेत्र में खोलने की मांग की। ग्रामीणों के अनुसार अगर हरियाणा अपने क्षेत्र में ड्रेन को नहीं खोलता तो इसके लिए पंजाब सरकार को इसका हल ढूंढऩा ही होगा। गांव पथराला के सरपंच लुधर सिंह, बाबा जीवन सिंह स्पोट्र्स क्लब के उपप्रधान अवतार सिंह, राम सिंह, सुक्खा ने बताया कि डे्रन से पानी बाहर बह रहा है। एक आध-बारिश से पानी गांव में घुस सकता है। पंचायत ने अपने तौर पर गांव की ओर मिट्टी से भरे बैग लगाकर बांध को ऊंचा और मजबूत कर दिया है। ऐसे में पानी डबवाली-बठिंडा मार्ग पर जाएगा। सरपंच के अनुसार वे कई दफा ड्रेनेज विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखकर ड्रेनेज का स्थाई हल निकालने की गुहार लगा चुके हैं। लेकिन कोई परिणाम नहीं निकल रहे।
पंजाब डे्रनज विभाग मण्डल मानसा के अभियंता विजय गर्ग ने बताया कि विभाग लसाड़ा नाला पर लगातार नजर बनाए हुए है। पीछे से पानी कम करवा दिया गया है। हरियाणा में पड़ते नाले को खुलवाने के लिए वे कई दफा अपने उच्च अधिकारियों के साथ-साथ मुख्य सचिव, पंजाब को पत्र लिख चुके हैं। लेकिन पत्र घूम कर पुन: उनके पास आ जाता है। यह मामला सीएम टू सीएम है। उन्होंने स्वीकार किया कि अगर इस समस्या का जल्द कोई हल न सुझाया गया तो आने वाले समय में काफी नुक्सान उठाना पड़ सकता है। इस मसले पर वे दोबारा अपने उच्च अधिकारियों को लेटर लिखकर गंभीर होती स्थिति के बारे में अवगत करवाएंगे।

साहब! ससुर के साथ भाग आई मेरी बहू


डबवाली (लहू की लौ) शहर पुलिस में दर्ज हुए दहेज प्रताडऩा के एक मामले पर बवाल खड़ा हो गया है। आरोप है कि शिकायतकात्री अपने ससुर के साथ भागकर डबवाली में बस गई। अपने ससुरालियों की जमीन हथियाने के मकसद से उपरोक्त केस दर्ज करवा दिया। डीएसपी डबवाली मामले की जांच कर रहे हैं।
डबवाली की अग्रवाल धर्मशाला के नजदीक रहने वाली सोनू रानी ने बठिंडा जिला की संगत मण्डी के निवासी अपने पति जनकराज, जेठ राजेन्द्र कुमार, सास कौशल्या देवी, ननद उषा पर दहेज में दो लाख रूपए मांगने का आरोप लगाते हुए अदालत में इस्तगासा दायर किया। इस्तगासा पर सुनवाई करते हुए अदालत ने दफा 156 (3) सीआरपीसी के तहत पुलिस को मामला दर्ज करके जांच करने के आदेश दिए। अदालत के आदेश पर पुलिस ने उपरोक्त चारों के खिलाफ दफा 498/406/323 के तहत मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी।
मामले की जांच डीएसपी बाबू लाल ने अपने हाथों में लेते हुए दोनों पक्षों को मंगलवार को अपने कार्यालय में तलब किया। संगत मण्डी निवासी कौशल्या देवी तथा उसकी बेटी उषा जांच में शामिल होने के लिए आई। 65 वर्षीय कौशल्या देवी पत्नी वेदप्रकाश ने बताया कि उसकी छोटे बेटे जनकराज की शादी साल 2005 में डबवाली निवासी सोनू रानी के साथ हुई थी। उनके दो बच्चे पांच वर्षीय गरिमा तथा तीन वर्षीय धु्रव हैं। कौशल्या देवी ने मामले को झूठा बताते हुए आरोप लगाया कि पांच माह पूर्व उसकी बहू अपने ससुर वेदप्रकाश के साथ घर से हजारों रूपए तथा सामान लेकर फरार हो गई। जिसकी शिकायत उन्होंने थाना संगत में दर्ज करवा रखी है। उसने  यह भी आरोप लगाया कि गांव फुल्लो मिट्ठी में पड़ी उनकी पांच बीघा जमीन को सोनू ने अपने नाम करवा लिया। अब वह अपने ससुर के साथ मिलकर संगत मण्डी में स्थित उनके घर को अपने नाम करवाना चाहती है।
डीएसपी बाबू लाल ने बताया कि बीती 15 सितंबर को सोनू की शिकायत पर शहर पुलिस ने संगत मण्डी के जनकराज, कौशल्या देवी, राजेन्द्र तथा उषा रानी के खिलाफ मामला दर्ज किया था। कौशल्या देवी ने अपना पक्ष रखते हुए उपरोक्त बात का जिक्र किया है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है। जांच में दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

हैफेड सोसाईटी में किसानों और अधिकारियों में मारपीट


डबवाली (लहू की लौ) अभी बिजाई का सीजन भी नहीं है, लेकिन इसके बावजूद डीएपी खाद लेने के लिए किसानों की लम्बी लाईने सहकारी समितियों के समक्ष लगी हुई हैं। खाद को लेकर सहकारी समितियों के अधिकारियों तथा किसानों के बीच झगड़े भी हो रहे हैं।
मंगलवार को गांव बिज्जूवाली के बुधराम, दारेवाला के नुपा राम, गोदीकां के कुलदीप सिंह, उग्रसैन, गोरीशंकर, सुरिंद्र, अबूबशहर के काला लहोरिया, राजा सिधू, गुरजीत सिंह लहोरिया भी खाद लेने के लिए डबवाली की अनाज मण्डी में स्थित सहकारी समिति हैफेड में आए हुए थे। इन किसानों के अनुसार वे लोग लाईन में लगे हुए थे। लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें खाद नहीं दी गई। बल्कि झगड़ा करके उन्हें हैफेड की सोसाईटी से बाहर निकाल दिया गया। इन किसानों ने आरोप लगाया कि सोसाईटी के मैनेजर लीलाधर ने उनके कपड़े भी फाड़ डाले।
हैफेड के मैनेजर लीलाधर ने आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि जो भी किसान लाईन में लगा, उसे खाद मिल रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों ने उससे गाली-गलौज। उनके अनुसार किसानों को संबंधित पैक्स में ही खाद उपलब्ध करवाई जा रही है। लेकिन पैक्स से एडवाईस बनाने के लिए कहा गया है। जिस पैक्स की एडवाईस उनके पास आती है, उन्हें खाद भिजवाई जा रही है। उनके अनुसार डबवाली पैक्स से संबंधित डबवाली, सांवतखेड़ा और नीलियांवाली में आज खाद उपलब्ध करवा दी गई है। जबकि बुधवार को शेरगढ़, खुईयां और अबूबशहर में भी खाद उपलब्ध करवा दी जाएगी।
लीलाधर के अनुसार बिजाई का मौसम नहीं है। 15 अक्टूबर से बिजाई शुरू होनी है। लेकिन इसके बावजूद किसान डीएपी लेने के लिए सोसाईटियों पर आने शुरू हो गए हैं। उनके अनुसार इसका कारण डीएपी के रेट भविष्य में बढऩे की संभावना है। इसलिए किसान चाहते हैं कि अभी से ही खाद खरीद ली जाए। उनके अनुसार इस समय डबवाली हल्का में एक लाख छब्बीस हजार बैग खाद के पड़े हैं। खाद की कमी नहीं है। उनके अनुसार इनमें से 47 हजार बैग पुराने रेट 600 रूपए प्रति बैग के हिसाब से उपलब्ध करवाए जाने हैं। इसके अतिरिक्त बैग बढ़े हुए रेटों पर दिए जाएंगे।

छित्तर-परेड़ से बचने के लिए चोर ने रख ली पिस्तौल


 डबवाली (लहू की लौ) नशा करके चोरी करते पकड़े जाने पर लोगों की खातिरदारी सह चुके एक युवक ने नजायज तरीके से देसी पिस्तौल खरीद ली। ताकि पकड़े जाने की सूरत में लोगों को डरा कर फरार हो सके।
शहर पुलिस ने रविवार को 32 बोर पिस्तौल तथा एक जिन्दा कारतूस के साथ गांव पक्काकलां के 21 वर्षीय छिन्दा को काबू किया था। सोमवार को उपमण्डल न्यायिक दण्डाधिकारी डॉ. अतुल मडिय़ा की अदालत में पेश करके एक दिन के रिमांड पर ले लिया। रिमांड के दौरान पुलिस ने पिस्तौल सप्लायर का पता जानने का प्रयास किया। शहर पुलिस के प्रभारी महा सिंह रंगा ने बताया कि छिन्दा की निशानदेही पर पुलिस ने हनुमानगढ़ की सुरेशिया बस्ती तथा संगरिया के रेलवे स्टेशन के ईर्द-गिर्द कई जगह रेड़ की। लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।
थाना प्रभारी के अनुसार छिन्दा शहर में चोरी के एक मामले में आरोपी है। वहीं नशा करके सामान चुरा लेजाना उसका पेशा है। अपनी गतिविधियों के चलते शहर में कई बार मार खा चुका है। लेकिन चोरी करते उसे कोई दिक्कत न आए और पकड़े जाने की सूरत में हथियार के बल पर फरार हो सके, इसके लिए उसने 32 बोर देसी पिस्तौल खरीद ली।
रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद मंगलवार को छिन्दा को उपमण्डल न्यायिक दण्डाधिकारी डॉ. अतुल मडिया की अदालत में पेश किया गया। अदालत ने आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश दिए।

18 सितंबर 2011

गंदा है, पर धंधा है


डबवाली (लहू की लौ) सिटी पुलिस के शिकंजे में आई लुटेरनों के हाथ काफी लम्बे हैं। उनके गैंग में अधिकतर महिलाएं हैं। वारदात को अंजाम देने के लिए किराए की गाड़ी करती हैं। गैंग का मुख्य निशाना धार्मिक स्थलों पर भरने वाले मेले होते हैं। महिलाओं ने इसे धंधा बना लिया है। जिन्हें कानून का भय तक नहीं है। कुछ दिन सलाखों के पीछे रहने के बाद कानून को धत्ता बताते हुए महिलाएं पुन: लूटपाट शुरू कर देती हैं।
सिटी पुलिस ने वार्ड नं. 7 की 65 वर्षीय कोशल्या देवी की शिनाख्त पर कोर्ट परिसर में दो महिलाओं को काबू किया था। महिलाओं ने 3 अगस्त 2011 की दोपहर को उपरोक्त वृद्धा को लूटा था। वृद्धा के पहनी सोने की चूडिय़ां और बालियां उताकर महिलाएं अपने साथियों समेत कार के जरिए फरार हो गई थीं। लेकिन बीती 14 सितंबर को पेशी भुगतने के लिए कोर्ट में आई महिलाओं को वृद्धा ने पहचानकर पुलिस के हवाले कर दिया था। पकड़ी गई महिलाओं ने अपनी पहचान अमरजीत कौर पत्नी करनैल सिंह, जैलो पत्नी हम्बी सिंह निवासी संगरूर के रूप में करवाई। पुलिस ने महिलाओं को अदालत में पेश करके तीन दिन का रिमांड प्राप्त किया। तीन दिन के रिमांड के दौरान महिलाओं की निशानदेही पर शहर पुलिस को सोने की दो चूडिय़ां तथा एक बाली बरामद हुई। वहीं पुलिस गैंग की तीसरी सदस्य अमरो पत्नी महेंद्र सिंह निवासी संगरूर को पकडऩे में भी कामयाब रही। महिलाओं ने अपने चौथी साथी महिला का नाम बिन्द्र कौर पत्नी लाल सिंह निवासी संगरूर बताया है। जबकि कार चालक की पहचान नाभा निवासी ईसर सिंह के रूप में करवाई है। पुलिस दोनों की तालाश में जुट गई है।
रिमांड के दौरान महिलाओं ने पुलिस के समक्ष कई अहम खुलासे किए हैं। जांच अधिकारी एएसआई रामनिवास ने बताया कि पुलिस पूछताछ के दौरान पता चला है कि गैंग काफी लम्बा है। लूटपाट का कार्य करते हुए इस गैंग को करीब बीस बरस हो गए हैं। गैंग में महिलाओं की संख्या अधिक है। पंजाब के संगरूर से संबंध रखने वाला गैंग पहले एकजुट था। लेकिन अब यह दो भागों में विभाजित हो गया है। यह गैंग पंजाब, हरियाणा, राजस्थान तथा हिमाचल प्रदेश में अपनी गतिविधियां चलता है। जिसका मुख्य लक्ष्य धार्मिक स्थलों पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम या मेले होते हैं। वारदात को अंजाम देने के लिए गैंग की सदस्य चार-पांच महिलाएं निकलती हैं। जो कार चालक को लालच देकर अपने साथ ले आती हैं।
जांच अधिकारी के अनुसार उपरोक्त चारों राज्यों में इस गैंग पर कई मुकद्दमें दर्ज हैं। लेकिन सलाखों से बाहर आने के बाद महिला सदस्य पुन: लूटपाट करनी शुरू कर देती हैं। गैंग ने इसे अपना प्रोफेशन बना लिया है। एएसआई रामनिवास के अनुसार लूटपाट करने के साथ-साथ गैंग पोस्त की तस्करी भी करता है।
जांच अधिकारी ने बताया कि रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद शनिवार को तीनों महिलाओं को उपमण्डल न्यायिक दण्डाधिकारी डॉ. अतुल मडिया की अदालत में पेश किया गया।  अदालत ने तीनों को बोस्र्टल जेल हिसार भेजने के आदेश दिए। उन्होंने यह भी बताया कि बचे दो आरोपी बिन्द्र कौर तथा ईसर सिंह भी जल्द पुलिस की गिरफ्त में होंगे।

17 सितंबर 2011

चण्डीगढ़ से आए फैक्स संदेश ने उड़ा दी नींद


दो पटवारियों तथा नायब तहसीलदार पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप, एसडीएम ने भेजे नोटिस
डबवाली (लहू की लौ) चण्डीगढ़ से फैक्स के माध्यम से आई एक शिकायत ने तहसील परिसर को हिलाकर रख दिया है। जिसमें दो पटवारियों के साथ-साथ नायब तहसीलदार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है। शिकायत भेजने वाले ने अपनी पहचान गांव डबवाली निवासी हरदयाल सिंह के रूप में करवाते हुए शिकायत सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नाम जारी की है। शिकायत के बाद डबवाली प्रशासन हरदयाल सिंह की खोज में निकल गया है। दो दिन की माथापच्ची के बाद भी प्रशासन के हाथ खाली हैं। वहीं एसडीएम ने शिकायत पर कार्रवाई करते हुए सुनवाई के लिए 20 सितंबर की तारीख मुकर्रर की है। शिकायतकर्ता की पहचान न होने की स्थिति में प्रशासन गांव डबवाली में रहने वाले हरदयाल सिंह नाम के सभी व्यक्तियों को नोटिस जारी करेगा।
बुधवार शाम को उपमण्डलाधीश डॉ. मुनीश नागपाल को फैक्स के जरिए चण्डीगढ़ से (फोन नं. 0172-3910148) एक शिकायत प्राप्त मिली। यह शिकायत प्रदेश के सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नाम  लिखी हुई है। साथ में शिकायत की एक कॉपी डीसी सिरसा को भेजने का भी जिक्र किया गया है। भेजने वाले ने अपनी पहचान गांव डबवाली निवासी हरदयाल सिंह के रूप में करवाई है। शिकायतकर्ता ने सीएम को लिखा है कि डबवाली तहसील में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार फैला हुआ है। आपके सिरसा आगमन के दौरान भी इस बात को आपके कानों तक पहुंचाया जा चुका है। लेकिन भ्रष्टाचार रूकने का नाम नहीं ले रहा। पटवारी अमी लाल, भूप सिंह तथा नायब तहसीलदार हरिओम बिश्नोई भ्रष्टाचार फैलाए हुए हैं। पटवारियों ने अपने आगे अस्सिटेंट पटवारी रखे हुए हैं, जो लोगों की जेबें खाली करवा लेते हैं। लगता है डबवाली तहसील के लिए एक और अन्ना हजारे की जरूरत है। अन्ना हजारे बने बिना तहसील में फैला भ्रष्टाचार खत्म नहीं किया जा सकता।
शिकायत के बाद तहसील परिसर में बवंडर खड़ा हो गया है। प्रशासनिक अधिकारी कई मर्तबा गांव डबवाली जाकर शिकायतकर्ता की खोज कर चुके हैं। हरदयाल सिंह नाम के व्यक्तियों के घरों के दरवाजे खटखटाकर शिकायत आपने भेजी है क्या, पूछ रहे हैं। लेकिन दो दिनों के बाद भी स्थिति ज्यों की त्यों हैं। मामले की जांच एसडीएम डॉ. मुनीश नागपाल खुद कर रहे हैं।
उपमण्डलाधीश डॉ. मुनीश नागपाल ने उपरोक्त शिकायत मिलने की पुष्टि करते हुए बताया कि शिकायत के आधार पर पटवारी अमी लाल, भूप सिंह तथा नायब तहसीलदार हरि ओम बिश्नोई को नोटिस भेजकर 20 सितंबर को अपना पक्ष रखने को कहा गया है। वहीं शिकायतकर्ता गांव डबवाली निवासी हरदयाल सिंह नामक व्यक्ति को भी अपना पक्ष रखने के लिए कहा जाएगा। लेकिन अपनी शिकायत में शिकायतकर्ता ने अपना पूरा पता नहीं लिखा है। अगर शिकायतकर्ता सामने नहीं आता तो ऐसे हालातों में प्रशासन गांव डबवाली के सभी हरदयाल सिंह नामक व्यक्तियों को नोटिस जारी करने की स्थिति में होगा।
इधर नायब तहसीलदार हरिओम बिश्नोई, पटवारी भूप सिंह तथा अमी लाल ने उपरोक्त शिकायत में लगाए गए आरोपों को निराधार करार दिया है। पटवारी भूप सिंह ने बताया कि वह शहर डबवाली का पटवारी है, न कि गांव डबवाली का।

तांबा चोर कानून के मास्टर


सुबह साढ़े 5 बजे थाना सदर पर पड़ी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की रेड़
डबवाली (लहू की लौ) ट्रांसफार्मरों से तांबा चोरी करने वाला गैंग कानूनी किताब का भी मास्टर है। पुलिस का शिकंजा कसता देख पंजाब एण्ड हरियाणा हाईकोर्ट का सहारा लेकर शिकंजे से बाहर निकलने का प्रयास कर रहा है। गुरूवार को सुबह 5.30 बजे हाईकोर्ट के वारंट ऑफिसर ने सदर पुलिस डबवाली में रेड़ की।
दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के मण्डल डबवाली के खेतों में लगे बिजली के करीब पचास ट्रांसफार्मर से तांबा और तेल चोरी हो चुका है। जिला की डबवाली, कालांवाली, रोड़ी तथा औढ़ां पुलिस ने अपना खुफिया तंत्र स्थापित करते हुए तांबा चोरी करने वाले गैंग के कुछ सदस्यों को काबू किया। उपरोक्त थानों की कार्यवाही के दौरान गैंग के आठ सदस्य पकड़े गए। पकड़े गए आरोपियों ने पुलिस पूछताछ के दौरान अपने साथियों की पहचान करवाते हुए गैंग के संबंध में अहम खुलासे किए। दूसरी ओर अपने पर पुलिस का शिकंजा कसता देख गैंग ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की शरण ली है। पुलिस पर नजायज हिरासत में रखने का आरोप लगाते हुए जस्टिस तेज प्रताप सिंह मान की अदालत में अर्जी दाखिल की। अर्जी पर कार्रवाई करते हुए जस्टिस ने हाईकोर्ट के वकील सुखविंद्र सिंह को वारंट ऑफिसर बनाकर भेजा। वारंट ऑफिसर ने गुरूवार को सुबह 5.30 बजे थाना सदर डबवाली में दस्तक दी। हाईकोर्ट की रेड़ से स्थानीय पुलिस के साथ-साथ जिला पुलिस में हड़कंप मच गया। लेकिन वारंट ऑफिसर को कोई सफलता नहीं मिली।
पुलिस से मिली जानकारी अनुसार पुलिस के हत्थे चढ़े इस गैंग में पंजाब, हरियाणा तथा राजस्थान के करीब 30 से 35 सदस्य हैं। सभी सदस्य एक समुदाय से संबंधित हैं और रिश्तेदार हैं। इनमें से कुछ बिजली के कार्य का काम जानते हैं। इस गैंग के पास पिकअप गाडिय़ां हैं। एक वारदात को 5 से 7 व्यक्ति अंजाम देते हैं। चोरी का माल बेचने के बाद मिले पैसों को आपस में मिल-बैठकर बांट लेते हैं। गैंग के कुछ सदस्य कानून के अच्छे जानकर हैं, तभी तो हाईकोर्ट को अपनी ढाल बनाकर पुलिस के कसते शिकंजे से बाहर निकलने का प्रयास कर रहे हैं।
डीएसपी बाबू लाल ने बताया कि उपरोक्त गैंग के सभी सदस्य बावरिया समाज से संबंध रखते हैं। ये लोग आपस में रिश्तेदार हैं। लेकिन अब उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली कहावत चरितार्थ कर रहे हैं। पुलिस कार्रवाई को प्रभावित करने की मंशा से पुलिस पर आरोप लगाकर हाईकोर्ट के जरिए रेड करवा रहे हैं। अब तक थाना सदर डबवाली में दो बार तथा रोड़ी थाना में एक बार रेड़ डलवा चुके हैं। लेकिन पुलिस अपने काम में पूरी पारदर्शिता बरत रही है। पकड़े गए ट्रांसफार्मर चोरों ने गैंग के बाकी सदस्यों की पहचान करवाई है। जिन्हें जल्द काबू कर लिया जाएगा। डीएसपी के अनुसार गैंग के बाकी सदस्यों के काबू में आते ही जिला के विभिन्न थानों में हुई ट्रांसफार्मर से तांबा और ऑयल चोरी की गुत्थियां सुलझ जाएंगी।

प्रेमिका से मांगे बीस लाख!



पांच माह पहले हुई थी लव मैरिज,युवती की शिकायत पर मामला दर्ज

डबवाली (लहू की लौ) कोर्ट मैरिज के जरिए विवाह बंधन में बंधे एक प्रेमी जोड़े पर चढ़ा प्यार का भूत पांच माह बाद उतर गया। प्रेमिका ने अपने प्रेमी तथा उसके परिवार वालों पर मारपीट करने के साथ-साथ दहेज के रूप में 20 लाख रूपए मांगने का सनसनीखेज आरोप लगाया है। युवती के ब्यान पर शहर पुलिस ने लड़के वालों पर मामला दर्ज करके अपनी कार्रवाई शुरू कर दी है।
कुछ समय पूर्व वार्ड नं. 15 में रहने वाले एक अग्रवाल परिवार से संबंध रखने वाली रजनी नामक युवती तथा वार्ड नं. 1 निवासी एक सुनार परिवार से संबंध रखने वाले चरणजीत नामक युवक में प्रेम संबंध थे। अप्रैल 2011 में अपने परिजनों को चकमा देकर प्रेमी जोड़ा घर से भाग गया। इस जोड़े ने चण्डीगढ़ हाईकोर्ट में शादी रचा ली। शादी के कुछ दिनों बाद अपनी मैरिज का सबूत लेकर यह जोड़ा अचानक शहर थाना में पहुंचा और पुलिस प्रोटेक्शन की मांग की। सूचना पाकर दोनों के परिजन भी थाना में आ गए। दोनों परिवारों में काफी खटपट हुई। लेकिन रजनी अपने माता-पिता के खिलाफ ब्यान देकर अपने पति चरणजीत के साथ चलती बनी।
मामले की जांच कर रहे शहर थाना पुलिस के एएसआई रामनिवास ने बताया कि पुलिस को दी शिकायत में रजनी ने कहा है कि उसकी चरणजीत के साथ लव मैरिज हुई थी। मैरिज के कुछ देर बाद ही चरणजीत तथा उसके परिजनों ने दहेज के लिए उससे मारपीट करनी शुरू कर दी। उससे दहेज के रूप में 20 लाख रूपए की मांग की। लेकिन जब उसने लव मैरिज का वास्ता दिया तो उसे जान से मारने की धमकी दी गई। एएसआई के अनुसार ससुरालियों की मारपीट से बचती हुई रजनी शहर थाना पहुंची। रजनी के उपरोक्त ब्यान के आधार पर उसके पति चरणजीत, सास, ससुर तथा देवर के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

मास्टर गुरमीत को आत्महत्या के लिए ससुरालियों ने किया मजबूर


लम्बे इंतजार के बाद जांच अधिकारी ने डीएसपी को सौंपी जांच रिपोर्ट
डबवाली (लहू की लौ) एसएस मास्टर गुरमीत सिंह की संदिग्ध मौत पर बना सस्पेंस शहर थाना प्रभारी की रिपोर्ट ने हटा दिया है। डीएसपी को सौंपी अपनी जांच रिपोर्ट में जांच अधिकार ने साफ कर दिया है कि गुरमीत को आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया। यह काम किसी ओर ने नहीं बल्कि उसकी पत्नी तथा ससुरालियों ने मिलकर किया। रिपोर्ट के आधार पर शहर पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने की अनुमति मांगी है।
गांव कालझराणी के सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले एसएस मास्टर गुरमीत सिंह का शव संदिग्ध परिस्थितियों में 15 जून को अलीकां रोड़ पर खेतों में पड़ा मिला था। मास्टर के परिजनों ने जांच की मांग को लेकर एसपी से मुख्यमंत्री तक का दरवाजा खटखटाया। एसपी सिरसा सत्येंद्र गुप्ता ने जांच का जिम्मा शहर थाना प्रभारी डबवाली महा सिंह रंगा को सौंपा।
करीब दो माह तक चली जांच के बाद शहर प्रभारी ने डीएसपी बाबू लाल को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी है। जांच रिपोर्ट में करीब 150 पन्ने हैं। जिसमें मृतक से जुड़े कई दस्तावेज भी संलग्न हैं। रिपोर्ट में शहर प्रभारी महा सिंह रंगा ने कहा है कि गुरमीत सिंह की शादी अबूबशहर की राजेंद्र कौर के साथ हुई थी। इस दौरान राजेंद्र कौर का परिवार डबवाली के प्रेमनगर में आ बसा। शादी के कुछ देर बाद ही वह गुरमीत पर डबवाली में रहने का दबाव डालने लगी। लेकिन गुरमीत अपने माता-पिता तथा भाई-बहनों के साथ रहने का इच्छुक था। लेकिन राजेंद्र कौर ने गुरमीत तथा उसके परिजनों पर दहेज प्रताडऩा का आरोप लगाकर मामला दर्ज करवा दिया। अपने परिवार को बचाने के लिए गुरमीत डबवाली बसने पर राजी हो गया। जिसके तुरंत बाद राजेंद्र कौर ने केस वापिस ले लिया।
रिपोर्ट के अनुसार मास्टर अपने ससुराल घर के नजदीक प्रेमनगर में ही मकान बनाकर रहने लगा। इस मकान पर उसने पैसा लगाया। लेकिन राजेंद्र कौर ने मकान अपने नाम करवा लिया। गुरमीत गांव कालझराणी में रहकर अपने माता-पिता की सेवा करने के साथ-साथ भाई-बहनों को पढ़ाना-लिखाना चाहता था। लेकिन यह बात उसके ससुरालियों को अखरती थी। 15 जून 2011 से पूर्व मृतक ने एक प्लॉट का सौदा किया था। वह प्लॉट को अपने नाम करवाना चाहता था। लेकिन उसकी पत्नी राजेंद्र कौर तथा सास जसपाल कौर प्लाट को अपने नाम करवाना चाहती थी। इसके लिए ससुराली उसे मानसिक रूप से प्रताडि़त करने लगे। ससुरालियों द्वारा मजबूर करने पर ही गुरमीत ने आत्महत्या की। अपनी रिपोर्ट के साथ जांच अधिकारी ने मास्टर गुरमीत से जुड़े दस्तावेज संलग्न किए हैं। दस्तावेजों में उसके घर के कागजात, पर्सनल डायरी, बैंक डिटेल, पिता मोहर सिंह के साथ-साथ रूपचंद, सुखदेव सिंह तथा राजेंद्र कौर के ब्यानों की कॉपी   शामिल है।
डीएसपी बाबू लाल ने उपरोक्त पुष्टि करते हुए बताया कि जांच अधिकारी शहर थाना प्रभारी महा सिंह रंगा की जांच रिपोर्ट उन्हें मिली है। जिसमें मास्टर गुरमीत को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोपी उसकी पत्नी राजेंद्र कौर, सास जसपाल कौर, ससुर बलवीर सिंह तथा साले बेअंत सिंह को ठहराया है। जांच अधिकारी ने उपरोक्त चारों पर दफा 306/34आईपीसी के तहत मुकद्दमा दर्ज करके कार्रवाई करने की अनुमति मांगी है। रिपोर्ट को आवश्यक कार्रवाई के लिए एसपी सिरसा सत्येंद्र गुप्ता के पास भेजा जाएगा। डीएसपी के अनुसार जांच के दौरान यह तो रहस्य खुला है कि गुरमीत को ससुरालियों ने आत्महत्या के लिए मजबूर किया। लेकिन उसने आत्महत्या किस वस्तु से की इसका खुलासा अभी नहीं हुआ है। विसरे की रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।

चौटाला रोड़ का निर्माण शुरू


दो चरणों में होगा निर्माण, पहले चरण पर खर्च होंगे 1135 लाख
डबवाली (लहू की लौ) गुरूवार से डबवाली-संगरिया मार्ग का निर्माण कार्य शुरू हुआ। कार्य शुरू करने से पूर्व ठेकेदार ने विधि-विधान से पूजा अर्चना की। लड्डू बांटकर पीडब्ल्यूडी के एक्सीयन की देखरेख में कार्य शुरू करवाया। लेकिन 31 किलोमीटर इस रोड़ के निर्माण को सरकार ने दो भागों में विभाजित करके लोगों की मुश्किलों को बढ़ा दिया है। चूंकि द्वितीय चरण के लिए विभाग की ओर से भेजी गई योजना पर सरकार ने मुहर नहीं लगाई है। हालांकि डबवाली-संगरिया रोड़ का निर्माण काफी समय से राजनीतिक हल्कों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस रोड़ को लेकर हरियाणा विधानसभा में सियासत कई मर्तबा गर्माई। विपक्ष ने इसे क्षेत्रीय राजनीति का मुद्दा बनाते हुए कई बार सीएम भूपिंद्र सिंह हुड्डा पर तीर चलाए। लेकिन इस मुद्दे पर गुरूवार को विराम लग गया। फर्म मै. रमेश चन्द्र, सिरसा के मालिक अमित चावला ने डबवाली पहुंचकर इसका निर्माण शुरू करवाया। इस मौके पर पीडब्ल्यूडी बीएण्डआर के एक्सीयन एमएस सांगवान, जेई प्रेम कुमार सहित विभाग के कई अधिकारी मौजूद थे।
एक्सीयन एमएस सांगवान ने बताया कि सड़क का निर्माण दो चरणों में किया जाएगा। प्रथम चरण में 2.15 किलोमीटर से लेकर 13 किलोमीटर तक निर्माण कार्य किया जाएगा। जिसमें 9 किलोमीटर तक सड़क को सात मीटर से 10 मीटर तक चौड़ा बनाया जाएगा। उससे आगे वल्र्ड लाईफ का क्षेत्र होने के कारण 13 किलोमीटर तक सड़क को 7 मीटर चौड़ा रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि इस कार्य पर 1135 लाख रूपए की राशि खर्च आएगी। उनके अनुसार ठेकेदार ने उपरोक्त चरण का कार्य एक साल के भीतर पूरा करना है। लेकिन उनकी कोशिश रहेगी यह कार्य अप्रैल 2012 तक पूरा हो जाए। एक्सीयन के अनुसार द्वितीय चरण के तहत गोल चौक (0) से लेकर 2.15 किलोमीटर तथा 13 से 31 किलोमीटर तक  सड़क निर्माण का अस्टीमेट बनाकर सरकार के पास भेजा गया है। इस पर करीब साढ़े 23 करोड़ की राशि खर्च की जाएगी। सरकार से द्वितीय चरण के निर्माण की मंजूरी मिलते ही निर्माण कार्य के लिए विभाग अपनी आगामी प्रक्रिया शुरू कर देगा।
ठेकेदार अमित चावला के अनुसार इस रोड़ का निर्माण कार्य जल्द पूरा करना उनकी प्राथमिकता रहेगी, ताकि लोगों को परेशानी न आए।

स्टूडेंटस ने किया कक्षाओं का बहिष्कार


डबवाली (लहू की लौ) गुरूनानक कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एण्ड टेक्नॉलोजी डूमवाली में बुधवार को खूब हंगामा हुआ। कॉलेज में नियुक्त क्लर्क का विरोध जताते हुए स्टूडेंटस ने कक्षाओं का बहिष्कार कर दिया। स्टूडेंटस ने नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। क्लर्क को कॉलेज से बाहर निकालकर गेट पर ताला जड़ दिया। दोपहर करीब 12 बजे तक चले हंगामे के बीच क्लर्क को हटाए जाने का आश्वासन पाकर स्टूडेंटस ने अपना आंदोलन वापिस लिया। इधर कॉलेज के चतुर्थश्रेणी कर्मी भी क्लर्क के विरोध में आंदोलन में सम्मलित दिखे।
बुधवार को हर रोज की तरह कॉलेज ओपन हुआ। अचानक काफी संख्या में स्टूडेंटस कॉलेज परिसर में जमा हो गए। कॉलेज में नियुक्त क्लर्क कम एकाऊंटैंट अमन के विरोध में नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन करने लगे। लेक्चरार बोर्ड पर क्लर्क के खिलाफ नारे लिखकर कॉलेज गेट पर लगा दिया। कुछ देर बाद अमन कॉलेज पहुंचा। लेकिन एमबीए, बीबीए, बीसीए, एमएससी (आईटी), बीएससी (एफटी) स्टूडेंटस ने उन्हें कॉलेज से बाहर निकालकर मेन गेट पर ताला जड़ दिया और कक्षाओं का बहिष्कार कर दिया। सूचना पाकर मौका पर आए कॉलेज प्रबंधक समिति के नीरज जिन्दल ने विद्यार्थियों को समझाया-बुझाया। उनसे आश्वासन पाकर छात्र शांत हुए और कक्षाओं में लौट गए।
स्टूडेंट ब्रह्मपाल, कुलजीत, जसप्रीत, प्रिंस, नीरज ने बताया कि कॉलेज में कार्यरत क्लर्क अमन स्टूडेंटस तथा गुरूओं के रिश्तों में खटास पैदा कर रहा है। अक्सर तरह-तरह की बातें बनाकर स्टाफ सदस्यों तथा छात्राओं का जीना दूभर कर दिया है। क्लर्क के कारण बीते दिवस कम्युनिकेशन ट्रेड की इंस्ट्रक्टर कॉलेज छोडऩे को बाध्य हो गई हैं। जब छात्राओं ने इसका कारण जाना तो उन्होंने क्लर्क को इसके लिए दोषी ठहराया। इसलिए उनसे रहा नहीं गया और आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया।
कॉलेज प्रबंधक समिति के नीरज जिन्दल ने बताया कि विद्यार्थियों की मांग पर क्लर्क कम एकाऊंटैंट अमन को हटा दिया गया है।

वृद्धा ने पकड़वाई लुटेरन


डबवाली (लहू की लौ) 65 साल की एक बुजुर्ग महिला को लूटना लुटेरा गैंग के लिए महंगा पड़ गया। कोर्ट परिसर में एक मामले में पेशी भुगतने आई दो लुटेरन को वृद्धा ने पहचान कर पुलिस के हवाले कर दिया। करीब डेढ़ माह पूर्व कार सवार पांच जनों ने वृद्धा को अपना निशाना बनाया था। पकड़ी गई महिलाओं की पहचान अमरजीत कौर पत्नी करनैल सिंह व जैलो पत्नी हम्बी सिंह निवासी वार्ड नं. 21, रामनगर बस्ती, सगरूर (पंजाब)के रूप में हुई। पूछताछ के दौरान पुलिस ने महिलाओं के तीन अन्य साथियों की भी पहचान कर ली है। जिनमें दो महिलाएं तथा एक पुरूष शामिल है। पुलिस ने बुधवार को दोनों महिलाओं को उपमण्डल न्यायिक दण्डाधिकारी डॉ. अतुल मडिया की अदालत में पेश करके तीन दिन का पुलिस रिमांड हासिल कर लिया।
मामले की विस्तार से जानकारी देते हुए शहर डबवाली थाना के प्रभारी इंस्पेक्टर महा सिंह रंगा ने बताया कि बीती 3 अगस्त को शहर डबवाली के वार्ड नं. 7 निवासी कोशल्या देवी चौटाला रोड़ पर एक बैंक मेें गई थी और जब वापिस आ रही थी तो उपरोक्त आरोपियों ने उसे कार में बैठा लिया और शहर से बाहर गांव जोगेवाला रोड़ पर सुनसान स्थान पर ले जा कर उसके कानों की बालियां और बाजू में पहने दो कड़े छीन लिए। वृद्धा को वहीं उतारकर से फरार हो गए। इस संबंध में कोशल्या देवी की शिकायत पर भारतीय दण्ड संहिता की दफा 356, 379 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई।
यूं पकड़ी गईं आरोपी
वृद्धा कौशल्या देवी का बेटा डबवाली कोर्ट परिसर में चाय की दुकान चलाता है। मंगलवार को वह दुकान पर गई हुई थी। इसी दौरान आरोपी महिलाएं एक मामले में पेश होने के लिए कोर्ट में आई हुई थी। महिला ने दोनों को पहचान लिया। इसकी सूचना शहर पुलिस को दे दी। पुलिस ने बिना मौका गंवाए दोनों महिलाओं को काबू कर लिया। आरोपी पंजाब के संगरूर से हैं। जो डबवाली से करीब 160 किलोमीटर दूर है। थाना प्रभारी के अनुसार इतनी दूर से केवल डबवाली में ही नहीं बल्कि रास्ते में भी यह गिरोह लोगों को निशाना बनाता होगा। रिमांड के दौरान पंजाब, हरियाणा तथा अन्य प्रांतों में हुई विभिन्न छीनाझपटी की वारदाते सुलझने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। उन्होने बताया की घटना के बाकी तीन आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस की एक टीम पंजाब के सगरूर क्षेत्र में जाएगी।
लुटेरन की पहचान के लिए पहुंची शामो देवी
इस गिरोह का निशाना विशेषकर वृद्ध महिलाएं ही बनती थी। बीते दिनों गांव चौटाला के बस अड्डा  के निकट गांव सिंघेवाला की 65 वर्षीय शामो देवी के कानों में पहनी दो बालियां कार सवार चार महिलाएं उतार ले गई थीं। शहर पुलिस की गिरफ्त में आई दो लुटेरन की पहचान के लिए वृद्धा बुधवार को शहर थाना में पहुंची। लेकिन वृद्धा ने दोनों की पहचान अपने साथ घटित वारदात में शामिल महिलाओं के रूप में नहीं की। पुलिस ने आशंका जाहिर की है कि गिरोह में काफी संख्या में महिलाएं तथा पुरूष शामिल हो सकते हैं। फिलहाल मामले की जांच की जा रही है। पुलिस ने सारा ध्यान संगरूर स्थित सांसी बस्ती पर केंद्रित कर लिया है।

चौटाला में 300 प्रभावित मकानों की पहचान, सर्वे जारी


डबवाली (लहू की लौ) बरसात से बुरी तरह से प्रभावित गांव चौटाला के ग्रामीणों का कहना है कि जब उनके गांव में प्रशासन आ जाता है, तो आसमान से पानी की एक बूंद भी नहीं गिरती। इसे संयोग कहें या कुछ ओर। लेकिन यही सच है। जितनी बार भी गांव में बाढ़ जैसी स्थिति बनी है, उस समय प्रशासन के पहुंचने के बाद बरसात नहीं हुई। पिछले पांच दिनों से प्रशासन ने गांव में तंबू गाड़े हुए हैं। बेमौसमी बरसात से हुए नुक्सान का आंकलन किया जा रहा है। अब तक करीब 300 घर बरसात से प्रभावित मिले हैं। यह सर्वे करीब सप्ताह भर तक चलेगा। वहीं चौटाला पुलिस चौकी की लेटरिंग और बाथरूम जमीन में धंसने की वजह से पुलिसकर्मी मुसीबत में फंस गए हैं।
लगातार पांच दिनों से हुई बरसात से गांव में भारी क्षति हुई। चार पंप सैट तथा दो वीटी पंप की मदद से गांव की गलियों में भरे पांच-पांच फुट पानी को गौशाला, चारा मण्डी तथा अन्य जमीन पर जोहड़ बनाकर निकाला गया। सबसे दिलचस्प पहलू यह रहा कि गांव चौटाला से जुड़ी राजनीतिक हस्तियों ने अपने गांव को बचाने के लिए प्रयास किए। जिला परिषद के चेयरमैन डॉ. सीता राम, मुख्यमंत्री के पूर्व ओएसडी डॉ. केवी सिंह तथा कांग्रेस नेता रणजीत सिंह मौके पर पहुंचे। इन नेताओं के समक्ष ग्रामीणों ने गांव में बोर स्थापित करवाने की मांग की। ग्रामीणों की मांग पर नेताओं ने बोर स्थापित करने की घोषणा की। वहीं सिंचाई विभाग की ओर से खोदे गए जोहड़ों को और गहरा किया जा रहा है, ताकि बारिश आने की स्थिति में गांव को डूबने से बचाया जा सके।
उपमण्डलाधीश डॉ. मुनीश नागपाल ने बताया कि गांव चौटाला की गलियों से पानी पूरी तरह निकल चुका है। जोहड़ों को दो से तीन फुट गहरा किया जा रहा है। कानूनगो हरजंट सिंह, पटवारी दलीप कुमार, शिवप्रकाश, पंचायत सदस्य आत्मप्रकाश, रामकुमार, रामप्रताप, रणधीर तथा हरी राम गांव में हुए नुक्सान का आंकलन कर रहे हैं। मंगलवार तक हुए सर्वे में करीब 300 घर प्रभावित मिले हैं। पूरा कंपलीट सर्वे होने में कुछ दिन और लग सकते हैं। आवश्यक कार्रवाई के लिए सर्वे रिपोर्ट को सरकार के पास भेजा जाएगा।
उधर गांव चौटाला में बनी पुलिस चौकी के लेटरिंग और बाथरूम धंस गए हैं। जिसकी वजह से पुलिस कर्मियों को काफी मुश्किल पेश आ रही है। चौकी में बंद पड़ी लेटरिंग को पुन: खोला जा रहा है।
इधर ग्रामीण आश्चर्यजनक बात बता रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गांव चौटाला में जब भी कभी मुसीबत आती है, तो प्रशासन के आने के बाद हल हो जाती है। जब से प्रशासनिक अधिकारी उनके गांव में आए हैं, तब से बरसात की एक बूंद भी गांव में नहीं गिरी।

बेमौसमी बरसात से 60 फीसदी कॉटन खत्म


डबवाली (लहू की लौ) मौसम के बदले मिजाज ने कॉटन हार्ट डबवाली में छेद करते हुए किसानों को भारी हानि पहुंचाई है। बरसात से यहां टिण्डे गिरे, वहीं गर्मी बढ़ जाने से पौधे भी मुरझा गए। मोटे अनुमान के अनुसार मौसम के बदले इसे मिजाज ने 60 प्रतिशत कॉटन की फसल को नुक्सान पहुंचाया है।
कृषि उपमण्डल डबवाली के तहत 90 गांव आते हैं। इन गांवों में करीब 85 हजार हेक्टेयर में कॉटन की बिजाई की गई है। कॉटन के मामले में डबवाली उपमण्डल को जिला सिरसा का हार्ट कहा जाता है। पिछले काफी अरसे से इस उपमण्डल के किसानों के लिए सफेद सोना ही जीविका का मुख्य साधन है। लेकिन बे मौसमी बरसात ने सफेद सोना पैदा करने वाले किसानों के सपनों पर पानी फेर दिया है। किसान सर्वजीत सिंह, इन्द्र सैन, जोरावर सिंह, इकबाल सिंह ने बताया कि बरसात से पूर्व उनके खेतों में फसल बहुत अच्छी खड़ी थी। टिण्डे लग चुके थे। कुछ टिण्डे खिल भी रहे थे। लेकिन अचानक मौसम में परिवर्तन हुआ। बेमौसमी बरसात उनके खेतों में कहर बनकर बरपी। जिससे पौधे पर लगे टिण्डे गिर गए। बरसात के बाद अचानक तपिश बढ़ी। जिससे लहलहाते पौधे झुलस गए।
उपमण्डल कृषि अधिकारी कार्यालय के अधिकारियों ने बेमौसमी बरसात के बाद नब्बे गांवों में सर्वे किया। सर्वे में 60 प्रतिशत कॉटन की फसल को नुक्सान पहुंचने की बात सामने आई है।
इस बात की पुष्टि करते हुए एडीओ राधेश्याम ने बताया कि कॉटन बेल्ट कहे जाने वाले गांव अबूबशहर, तेजाखेड़ा, चौटाला, सुकेराखेड़ा, जण्डवाला बिश्नोईयां, आसाखेड़ा, सकताखेड़ा, लोहगढ़ में बरसात से भारी नुक्सान हुआ है। खेतों में जमा हुए बरसाती पानी के बाद अचानक तेज खिली धूप ने पौधे को झुलसाकर रख दिया है।

दिमागी बुखार तथा डेंगू के रोगी मिले


डबवाली (लहू की लौ) गांव खुईयांमलकाना में सबसे खतरनाक मलेरिया मिलने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। अस्पताल के कार्यकारी एसएमओ ने गांव में सर्वे के साथ-साथ फोगिंग करवाने के आदेश जारी किए हैं। वहीं शहर डबवाली के पब्लिक क्लब क्षेत्र में डेंगू का संभावित मरीज मिलने से लोगों में दहशत व्याप्त है।
गांव खुईयांमलकाना के 55 वर्षीय हरनेक पुत्र बीरबल सिंह को कुछ दिनों से बुखार चढ़ रहा था। सोमवार को उसे डबवाली के एक निजी अस्पताल में लाया गया। लेकिन उसकी हालत को गंभीर देखते हुए चिकित्सक ने उसे सरकारी अस्पताल में रैफर कर दिया। सरकारी अस्पताल में डॉ. भारत भूषण ने मरीज की रिपोर्ट देखी। जिसमें मलेरिया के साथ-साथ प्लेटलेटस की संख्या मात्र 27 हजार पाई गई। मरीज की गंभीर हालत को देखते हुए उन्होंने उसे तुरंत सिरसा रैफर कर दिया।
इधर वार्ड नं. 4 के पब्लिक क्लब क्षेत्र में मास्टर नत्थू राम अग्रवाल वाली गली में 25 वर्षीय युवक हरमन में डेंगू रोग के लक्षण पाए जाने के कारण उसे उपचार के लिए एक निजी अस्पताल में लाया गया। यहां से प्राथमिक उपचार के बाद सिरसा रैफर कर दिया गया। हरमन को दो दिन पूर्व बुखार हुआ था। उपचार के बाद भी उस पर कोई असर नहीं हुआ। रविवार को उसके परिजन उसे एक निजी अस्पताल में ले आए। यहां उसके ब्लड का टैस्ट किया गया। जांच में प्लेटलेटस कम पाए गए। उसकी हालत को देखते हुए उसे सिरसा रैफर कर दिया गया।
सरकारी अस्पताल के कार्यकारी एसएमओ डॉ. एमके भादू ने बताया कि उक्त दोनों मामले स्वास्थ्य विभाग के ध्यान में हैं। गांव खुईयांमलकाना के हरनेक सिंह को फाल्सीफार्म (सबसे खतरनाक मलेरिया) हुआ है। यह बुखार मच्छरों के काटने से होता है। यह बुखार ब्रेन पर प्रभाव डालता है। मंगलवार को गांव खुईयांमलकाना में सर्वे करवाया जाएगा। फाल्सीफार्म का रोगी मिलने के कारण वहां फोगिंग भी करवाई जाएगी। भादू के अनुसार शहर में मिले डेंगू के संभावित रोगी के घर सोमवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची थी। पब्लिक क्लब क्षेत्र में भी सर्वे करवाया जाएगा।

गेहूं गायब मामले में शक की सुई होमगार्ड जवानों पर


डबवाली (लहू की लौ) हरियाणा स्टेट वेयर हाऊसिंग कारपोरेशन के गांव शेरगढ़ स्थित गोदाम से गेहूं के 14 बैग गायब होने की जांच शुरू हो गई है। जांच का जिम्मा कारपोरेशन के जिला प्रबंधक ने अपने हाथों में लिया है। प्रबंधक ने गोदाम कीपर द्वारा स्टॉक में भरे गए गेहूं के बैग को कब्जे में लेकर जांच आगे बढ़ाई है। जिला प्रबंधक ने शक की सुई होमगार्ड जवानों की ओर कर दी है। जिससे मामला गंभीर होता जा रहा है।
31 अगस्त को गांव शेरगढ़ के गोदाम पर डयूटी कर रहे होमगार्ड जवान कृष्ण कुमार ने गोदाम कीपर सतिंद्र लुहान पर गाली-गलौज करके स्टॉक में जबर्दस्ती 14 बैग भरने का आरोप लगाया था। इसकी शिकायत होमगार्ड जवान ने पुलिस में की। पुलिस ने जवान तथा गोदाम कीपर के ब्यान कलमबद्ध करके अपनी कार्रवाई आगे बढ़ा दी। इस मामले में कारपोरेशन के जिला प्रबंधक एसके सिंघल ने कड़ा संज्ञान लिया है। उन्होंने मामले की जांच खुद करने का निर्णय लेते हुए स्टॉक में भरे गए 14 बैग को अवैध करार दिया है।
इस संवाददाता से बातचीत करते हुए हरियाणा स्टेट वेयर हाऊसिंग कारपोरेशन के जिला प्रबंधक एसके सिंघल ने बताया कि वे मामले की जांच कर रहे हैं। स्टॉक में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की मुहर लगे बारदाने में भरकर रखे गए गेहूं के बैग को अवैध घोषित किया है। जिला प्रबंधक ने खुलासा कि उनकी जांच के दौरान सामने आया है कि कारपोरेशन डबवाली के प्रबंधक पीके गुप्ता ने जुलाई 2011 में गांव शेरगढ़ गोदाम की फिजिकल वेरिफिकेशन की थी। लेकिन उसके बाद स्टॉक में से गेहूं के बैग कम हुए हैं। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि उपरोक्त गोदाम में होमगार्ड के जवान 24 घंटे डयूटी देते हैं।
एसके सिंघल ने बताया कि गोदाम कीपर सतिंद्र लुहान ने उनके समक्ष स्टॉक में 14 बैग भरने की बात स्वीकारी है। वह एक मामले में सस्पेंड हुआ है। अपना चार्ज अन्य कर्मचारी को देते समय उसने स्टॉक में से 14 बैग कम पाए थे। कार्रवाई से बचने के लिए उसने 14 बैग को स्टॉक में भर दिया। हैरानीजनक बात तो यह है कि होमगार्ड जवानों की उपस्थिति में 14 बैग कम कैसे हो गए।
जिला प्रबंधक के अनुसार कारपोरेशन के डबवाली प्रबंधक पीके गुप्ता फिलहाल छुट्टी पर चल रहे हैं। छुट्टी खत्म होने के बाद उनके ब्यान कलमबद्ध किए जाएंगे। इस मामले में होमगार्ड जवानों के ब्यान भी दर्ज किए जाएंगे। उपरोक्त दोनों पक्षों के ब्यान ही कार्रवाई का आधार बनेंगे। उच्च अधिकारियों के निर्देश पर जांच में दोषी पाए जाने वाले कर्मचारियों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

हरियाणा रोड़वेज ने किया चौटाला रोड़ का बहिष्कार!


डबवाली (लहू की लौ) बेमौसमी बरसात की मार झेल रहे डबवाली-संगरिया मार्ग पर पड़ते गांवों का शहर से संपर्क टूटता जा रहा है। अब अपनी दशा के लिए सुर्खियों में रहने वाली डबवाली-संगरिया रोड़ का हरियाणा रोड़वेज के साथ-साथ निजी बस ऑपरेटरों ने बहिष्कार कर दिया है। पिछले चार दिनों से एक-आध बस को छोड़कर कोई बस इस रोड़ से नहीं गुजरी है।
बेमौसमी बरसात ने यहां गांव चौटाला, अबूबशहर, सुकेराखेड़ा को डूबोकर रख दिया है। वहीं डबवाली-संगरिया मार्ग पर बड़े-बड़े खड्डे बन गए हैं। पांच दिनों की बारिश की वजह से छोटे खड्डों ने बड़ा रूप ले लिया है। जिसके चलते वाहन चालक इस रोड़ से गुजरने से कतराने लगे हैं। हरियाणा रोड़वेज तथा निजी बस ऑपरेटरों ने तो रोड़ का बहिष्कार करके अलग रोड़ से अपनी बसें गुजरानी शुरू कर दी हैं। ऐसे में पहले से बरसात की मार झेल रहे इस मार्ग के गांवों की स्थिति और भी दयनीय हो गई है। मार्ग पर स्थित गांव शेरगढ़, सकताखेड़ा, सुकेराखेड़ा, अबूबशहर, राजपुरा माजरा, तेजाखेड़ा सहित कई अन्य गांवों के ग्रामीण तथा छात्र परिवहन सेवा के अभाव से शहर से कट गए हैं। वहीं इस रोड़ पर डबवाली तथा राजस्थान से चलने वाली बसों का फेरा भी बढ़ गया है। यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचने में दिक्कत आ रही है। डबवाली से चलने वाली बस संगरिया पहुंचने के लिए 40 मिनट की बजाए दो घंटे लेने लगी है।
हरियाणा रोड़वेज सबडिपू डबवाली के प्रभारी विजय कुमार ने बताया कि डबवाली-संगरिया के बीच रोड़वेज के करीब 30 टाईम है। इसके अतिरिक्त राजस्थान रोड़वेज तथा निजी बसों का भी समय है। इस रोड़ पर खड्डों की वजह से रोड़वेज को भारी नुक्सान उठाना पड़ रहा है। कुछ दिन पूर्व आई बरसात से खड्डों का आकार बढ़ा दिया है। नुक्सान से बचने के लिए बसे गोरीवाला, आसाखेड़ा के मार्ग पर चलकर संगरिया पहुंच रही हैं। विजय कुमार के अनुसार 40 मिनट में संगरिया पहुंचने वाली बस दो से ढाई घंटे का समय ले रही है।
दि हरियाणा सहकारी परिवहन समितियां वेल्फेयर एसोसिएशन डबवाली के अध्यक्ष जगतार सिंह मिठड़ी ने बताया कि रोड़ की हालत को देखते हुए उस पर वाहन लेजाना खतरे से खाली नहीं है। ऑपरेटरों को भारी नुक्सान हो रहा है। जिसके चलते मजबूरीवश निजी बस ऑपरेटर मार्ग बदलकर गंतव्य तक पहुंच रहे हैं।

अस्पताल में मृत बच्चे को गर्भ में लिए तड़पती रही महिला


डबवाली (लहू की लौ) गर्भ में अपने मृत बच्चे को लिए एक मां सरकारी अस्पताल में तड़पती रही। लेकिन उसकी चीख-पुकार सुनने वाला कोई नहीं था। बच्चे को खो देने के बाद अपनी पत्नी को बचाने के लिए उसका पति अस्पताल के कर्मचारियों के आगे गिड़गिड़ाया, लेकिन उस पर किसी ने रहम नहीं किया। मामला उपमण्डलाधीश तक पहुंचने के बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया। महिला को गंभीर हालत में 40 घंटे बाद सिरसा रैफर कर दिया गया। यहां अभी अभी उसकी स्थिति गंभीर बनी हुई है। एसडीएम ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
चौटाला रोड़ पर स्थित हैफेड के गोदाम में चतुर्थश्रेणी कर्मी 35 वर्षीय सुभाष की 33 वर्षीय पत्नी गीता रानी को शुक्रवार सुबह 2 बजे प्रसव पीड़ा हुई। सुभाष सरकारी एम्बूलैंस के जरिए उसे सरकारी अस्पताल में ले गया। सुबह करीब पांच बजे अस्पताल के लेबर रूम में महिला चिकित्सक ने उसकी जांच की और बच्चे को मृत घोषित कर दिया। लेबर रूम में पड़ी गीता दर्द से तड़पती रही। सुभाष ने बताया कि उसके बच्चे की मौत हो गई। लेकिन अस्पताल प्रशासन ने उसकी पत्नी की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। लेबर रूम में पड़ी वह दर्द से कराह रही थी और खून बह रहा था। हर दो घंटे बाद वह अस्पताल के कर्मचारियों के आगे गुहार लगा रहा था। लेकिन किसी ने उसकी एक न सुनी। रात 8 बजे तक वह लेबर रूम में पड़ी रही।
सुभाष के अनुसार मिन्नत करने पर रात्रि करीब 9 बजे डयूटी पर आई दो नर्सों ने गीता को लेबर रूम से बाहर निकाला और वार्ड में शिफ्ट किया। यहां उसे ग्लूकोज चढ़ाया गया। उसने बार-बार मृत बच्चे को गीता के पेट से बाहर निकालने की बात कही। लेकिन उसे बताया गया कि ग्लूकोज के जरिए ही बच्चे को बाहर निकाला जा रहा है। रात्रि करीब 12 बजे ग्लकोज अचानक बंद हो गया। वह डॉक्टरों तथा कर्मचारियों को जगाने के लिए भागा। लेकिन उसकी मदद के लिए कोई नहीं आया।
शनिवार सुबह 5 बजे गीता की हालत गंभीर हो गई। लेकिन इसके बावजूद कोई चिकित्सक मौके पर नहीं पहुंचा। मामले को उपमण्डलाधीश डॉ. मुनीश नागपाल के संज्ञान में लाया गया। उनके आदेश पर स्वास्थ्य विभाग चेता। महिला को गंभीर अवस्था में सिरसा रैफर कर दिया गया।
सरकारी अस्पताल डबवाली के कार्यकारी एसएमओ डॉ. बलेश बांसल ने बताया कि शुक्रवार सुबह उनके पास उपरोक्त केस आया था। उस समय गीता प्लेसेंटा प्रिविया की हालत में थी। बच्चे की मौत हो चुकी थी। इसके बारे में परिजनों को अवगत करवाया दिया गया था। गर्भ में से बच्चे को बाहर निकालने के लिए महिला चिकित्सक द्वारा प्रयास किए गए थे। लेकिन ये प्रयास नाकाफी रहे। शनिवार सुबह ऑपरेशन के जरिए मृत बच्चे को बाहर निकालने के लिए गीता को सिरसा रैफर कर दिया गया। डॉ. बलेश बांसल ने स्वीकार किया कि इतनी देर तक मृत बच्चे के मां के गर्भ में रहने से इंफेक्शन हो सकती थी। जिसकी वजह से गीता की मौत हो सकती थी। फिलहाल उसे सिरसा रैफर कर दिया गया है।
उपमण्डलाधीश डॉ. मुनीश नागपाल ने बताया कि उपरोक्त मामला उनकी नोटिस में है। उन्होंने डॉ. एमके भादू को मामले की जांच के आदेश दिए हैं। दोषी पाए जाने वाले चिकित्सक या कर्मचारी के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

दबे-कुचले लोगों की आवाज थे हरी राम


शरीर से प्राण निकलने के बाद कोई भी रोए नहीं, किसी प्रकार का क्रियाक्रम न करवाया जाए, मेरे शरीर को सतलुज में बहा दिया जाए, ताकि मास को खाकर जीव तृप्त हो सकें। शरीर को जलाने से शरीर राख बन जाएगा और वह किसी काम नहीं आएगा। ये शब्द थे कामरेड हरी राम गोयल के। उनका मानना था कि शरीर से जब प्राण निकल जाते हैं तो आत्मा अपना चोला तुरंत बदल लेती है। इसलिए शरीर अगर जीवों के काम आ जाए, तो इससे बड़ा पुण्य कोई और नहीं हो सकता।
कामरेड हरी राम गोयल कम्युनिस्ट विचारों के होते हुए भी एक ऐसे संत थे, जो जीवन भर सामाजिक और राजनीतिक कुरीतियों के खिलाफ संघर्षरत रहे। दबे कुचले लोगों के अधिकारों के लिए लड़ते रहे। उनका जन्म पंजाब के धर्मकोट कस्बे में 1930 में लाला राम लाल गोयल के घर हुआ। वे भारतीय संस्कृति में उतना ही अटूट विश्वास रखते थे, जितना की कार्ल माक्र्स और लेनिन के कम्युनिस्ट विचारों में अपनी आस्था रखते थे। यहीं कारण था कि वे साम्यावादी नास्तिक विचारधारा के होते हुए भी ईश्वर में अटूट आस्था रखते थे। लेकिन वहमों-भ्रमों तथा अंधविश्वासों के घोर विरोधी थे। उनका मानना था कि यह शरीर ही सच्चा मंदिर है और इस शरीर से कमजोर और गरीब वर्गों की सेवा करना ही भगवान की पूजा करना है।
अपनी बाल्यवस्था में वे कुछ समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा में भी रहे। लेकिन जैसे ही उन्होंने अपनी जवानी को संभाला तो वे कम्युनिस्ट विचारधारा से भर गए। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। पार्टी के हर संघर्ष में अगली कतार में मिले। उनके पिता लाला राम लाल गोयल ने देश की आजादी के लिए प्रजामंडल लहर के दौरान एक साल की अंग्रेजों की जेल को हंसते हुए सहा। आजादी के बाद सरकार ने स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उन्हें ताम्र पत्र और पेंशन देने का अनुरोध किया। जिसे उन्होंने यह कहकर ठुकरा दिया कि वे किसी सम्मान या फिर राशि के लिए नहीं लड़ा, वे तो अपनी मां और अपनी माटी के लिए लड़ा है। इसलिए उसे आजादी की लड़ाई में किए गए कार्य की कीमत नहीं चाहिए। उन्हीं के नक्शे कदमों पर चलते हुए लाला हरी राम गोयल ने आजादी के बाद काले अंग्रेजों के खिलाफ चले संघर्ष में अहम भूमिका अदा की। कम्युनिस्ट विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए मजदूरों और किसानों के संगठनों में काम किया और उन्हें अपने अधिकारों की प्राप्ति के लिए जागरूक व संगठित भी किया। लेकिन इसकी एवज में कभी भी पार्टी में पद या फिर पुरस्कार की चाह नहीं की। लगभग 1956 में उन्होंने धर्मकोट को छोड़कर वर्तमान जिला सिरसा के गांव देसूजोधा को अपनी कर्म भूमि बनाया। गांव में रहकर कम्युनिस्ट विचारधारा को फैलाने का पूरा प्रयास किया। इस दौरान पार्टी के कई संघर्षों में ग्रामीणों को जोडऩे की भूमिका अदा की। लेकिन कुछ वर्षों के बाद डबवाली नगर में आ गए। इसके बाद अपनी मृत्यु तक डबवाली में ही अपनी कर्मभूमि बनाकर रहे।
पार्टी के आह्वान पर डबवाली में कई बड़े संघर्षों का नेतृत्व किया। जिसमें मजदूरों, किसानों और आम लोगों के लिए कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा चलाई गई जखीरा निकालो अभियान का नेतृत्व किया। वे अपने इरादे के पक्के थे और जो संकल्प धारण कर लेते उसे पूरा करके ही दम लेते। उन्होंने पार्टी में रहकर भी पार्टी नेताओं द्वारा कभी कभार अपनाई जाने वाली गलत नीतियों की भी मुखर होकर आलोचना की। उन्होंने कभी भी पार्टी के भीतर और पार्टी के बाहर अन्याय सहन नहीं किया। कामरेड हरी राम का स्वभाव मधुर था और व्यक्तित्व इतना आकर्षक की, जो भी कोई व्यक्ति उनके सानिध्य में आता, वह उन्हीं का बनकर रह जाता। उनकी ईमानदारी और स्वच्छ छवि के कारण उनके राजनीतिक विरोधी भी उनकी अक्सर प्रशंसा करते थे। उन्होंने व्यवसाय के रूप में आढ़ती से लेकर हैंडलूम तक का व्यवसाय किया। अपने व्यापार के दौरान उन्होंने बड़ी नजदीकी से एक किसान और मजदूर की पीड़ा को देखा था। यहीं कारण था कि वे दूसरों की पीड़ा को अच्छी प्रकार समझते थे। 30 अगस्त 2011, दिन मंगलवार की आधी रात को उन्होंने जिन्दगी और मौत के बीच संघर्ष करते हुए एक निजी अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली और इस नश्वर संसार को सदा के लिए अलविदा कह दिया। लोकलाज को देखते हुए गोयल के परिजनो और रिश्तेदारों ने उनकी इच्छा के विपरीत भारतीय संस्कृति के अनुरूप दाह संस्कार की पद्धति को अपनाया और उनकी अस्थियों को पावन गंगा में जल प्रवाहित किया। कामरेड हरी राम गोयल द्वारा किसान और मजदूर के लिए किए गए कार्यों को हमेशा याद रखा जाएगा और उन द्वारा अपनाए गए मार्ग को आगे बढ़ाने के लिए उनके पुत्र और पौत्र कृतसंकल्प हैं।

शादी का जोड़ा ले प्रेमी संग भागी दुल्हन


डबवाली (लहू की लौ) शादी से एक रात पहले ही दुल्हन अपने प्रेमी संग घर से फरार हो गई। वह अपने साथ शादी के गहनों के साथ-साथ अपनी बहनों के जेवरात तथा नकदी भी उड़ा ले गई। दुल्हन के परिजनों ने इसकी शिकायत पुलिस में की है।
वार्ड नं. 6 की कबीर बस्ती निवासी 18 वर्षीय मोनिका (बदला हुआ नाम) के नई अनाज मण्डी रोड़ पर रहने वाले प्रवीण नामक युवक से पिछले दो सालों से प्रेम प्रसंग चल रहा था। मोनिका के परिजनों को इसकी भनक लग गई। उन्होंने उसकी शादी हनुमानगढ़ के रहने वाले एक युवक से तय कर दी। शनिवार को हनुमानगढ़ से बारात ने आना था। दूसरी ओर इस शादी से मोनिका खुश नहीं थी। वह प्रवीण को अपने पति के रूप में देखना चाहती थी।
गुरूवार रात मोनिका ने परिजनों के लिए चाय तैयार की। मौका पर इस चाय में नशे की गोलियां मिला दी। नशा मिली चाय पीते ही परिजन बेहोश हो गए। परिजनों के बेहोश होते ही अवसर पाकर मोनिका ने संदूक का ताला तोड़ा और उसमें से शादी के गहने, बहनों के गहने, शादी का जोड़ा, बहनों के पर्स से हजारों रूपए की नकदी चुराकर फरार हो गई। शुक्रवार सुबह मोनिका की माता ने अपनी बेटी को चारपाई से गायब पाया। उसकी काफी खोजबीन की। लेकिन वह कहीं नहीं मिली। उसने घर के बाकी सदस्यों को उठाया। सुबह से लेकर दोपहर तक काफी खोजबीन के बाद मोनिका का कहीं पता नहीं लग पाया।
पहले प्रेमी से मिली थी
गुरूवार शाम को मोनिका रामलीला के बहाने अपने प्रेमी से मिलने के लिए गई थी। बाद में रात करीब 10.30 बजे अपने परिजनों को स्वादिष्ट चाय बनाकर देने की बात कहकर नशे की गोलियों का चूरा बनाकर चाय में डाल दिया और यह चाय अपने परिजनों को पिला दी।
रेलगाड़ी पर फरार होने का संदेह
घर से युवती के भागने के बाद परिजनों ने चौकीदारों से संपर्क साधा। चौकीदारों ने बताया कि रात को तीन युवकों के साथ एक युवती रेलवे स्टेशन की ओर जाती देखी थी। परिजनों ने पुलिस को दी शिकायत में मोनिका के गाड़ी से फरार होने का संदेह जताया है।
शिकायत आई
शहर थाना के प्रभारी इंस्पेक्टर महा सिंह रंगा ने बताया कि पुलिस के पास शिकायत आई है। फिलहाल मामले की जांच की जा रही है।

चौटाला में हजारों बेघर


मकानों, दुकानों के साथ-साथ सरकारी संपत्ति को नुक्सान
डबवाली (लहू की लौ) गांव चौटाला में बरसाती पानी ने हजारों लोगों को घर से बेघर कर दिया। मकान, दुकान गिरने के साथ-साथ सरकारी कार्यालयों की दीवारें भी गिर गई। वहीं चौटाला डिस्ट्रीब्यूटरी के साथ-साथ कब्रों में बरसाती पानी निकालने की योजना भी धरी की धरी रह गई। अब प्रशासन की ओर से गांव की काफी भूमि को जोहड़ की शक्ल देकर पानी निकाला जा रहा है।
गांव चौटाला में जमा करीब पांच फुट बरसाती पानी को निकालने के लिए प्रशासन ने ढाई किलोमीटर दूर स्थित चौटाला डिस्ट्रीब्यूटरी में पानी डालने की योजना बनाई थी। इसके लिए चार जेसीबी के साथ खाल का निर्माण कार्य शुरू कर दिया था। लेकिन डिस्ट्रीब्यूटरी गांव से करीब 12 फुट ऊंची होने के कारण पानी उसमें नहीं डाला जा सका। इस दौरान पानी निकालने के लिए लगाए गए छह पंप सैटों में से एक पंप सैट खराब हो गया। प्रशासन ने अपनी योजना को बदलते हुए पुन: बरसाती पानी को निकालने के प्रयास शुरू किए। शमशान भूमि के साथ लगती कब्रों वाली जमीन पर प्रशासन ने पानी छोडऩे का प्रयास किया। लेकिन ग्रामीणों के भारी विरोध के चलते ऐसा मुनासिब न हो सका। आखिर में गुरूवार देर रात को गांव की चारा मण्डी के पास स्थित जमीन तथा गांव के साथ लगती करीब दस एकड़ भूमि पर छह पंप सैटो की सहायता से पानी निकालने का प्रयास शुरू हुआ। दूसरी ओर बरसाती पानी के कारण करीब एक हजार घर गिर गए हैं। लोग अपने घर से बेघर हो गए हैं। कुछ लोगों ने अपने सगे संबंधियों के यहां शरण ले ली है। अधिकतर लोग गांव से बाहर ऊंची जगह पर तंबू लगाकर गांव से पानी निकलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
गांव के पटवारी दलीप सिंह ने बताया कि बरसाती पानी के कारण गांव में काफी नुक्सान हुआ है। मकान गिरने संबंधी करीब 500 शिकायतें उनके पास दर्ज हो चुकी हैं। इसके अतिरिक्त एक हजार घरों तथा दुकानों के साथ-साथ अस्पताल, सरकारी स्कूल, वाटर वक्र्स, पटवार खाना को भी भारी क्षति पहुंची हैं। सरकारी विभागों के कार्यालयों की दीवारें गिर गई हैं। पानी निकलने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
शुक्रवार को मुख्यमंत्री के पूर्व ओएसडी डॉ. केवी सिंह, एसडीएम डॉ. मुनीश नागपाल,  तहसीलदार डबवाली राजेंद्र कुमार, बीडीपीओ सतीन्द्र सिवाच, सिंचाई विभाग के एक्सीयन बीके जग्गा, एएई आरएस लुहान, सिंचाई विभाग की टेक्निकल विंग के एसडीओ एसएन गर्ग ने गांव का दौरा किया। इन लोगों ने ग्रामीणों की समस्याएं जानी।
एसडीएम डॉ. मुनीश नागपाल ने बताया कि गांव से पानी निकालने के लिए चार पंप सैटों के अतिरिक्त दो वीटी पंप लगाए गए हैं। इन पंपों की सहायता से करीब ढाई फुट पानी कम हुआ है। सभी गिरदावरों को गांव में हुए नुक्सान का सर्वे करवाने के आदेश दे दिए गए हैं। तहसीलदार राजेंद्र कुमार तथा बीडीपीओ सतीन्द्र सिवाच पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए हैं।

चौटाला में हालात खराब


गांव अबूबशहर, सुकेराखेड़ा में भी स्थिति भयानक
डबवाली (लहू की लौ) पिछले पांच दिनों से हो रही बारिश ने गांव चौटाला, अबूबशहर तथा सुकेराखेड़ा में कोहराम मचा दिया है। इन गांवों में बाढ़ जैसी स्थिति हो गई है। प्रशासन ने तीनों गांवों में रेड अलर्ट जारी करते हुए स्वास्थ्य विभाग, सिंचाई विभाग की टीमें लगा दी हैं। पानी को राजस्थान कैनाल तथा पास से गुजरने वाली डिस्ट्रीब्यूटरियों में डाला जा रहा है।
पूर्व उपप्रधानमंत्री चौ. देवीलाल तथा पूर्व उप मुख्यमंत्री चौ. ओमप्रकाश चौटाला के गांव की गलियों में पांच-पांच फुट तक पानी भरा है। करीब एक हजार घर गिरने की कगार पर आ खड़े हुए हैं। बाजार में स्थित दुकानों में घुसे पानी से 50 दुकानों पर संकट मंडराने लगा है। वहीं इन दुकानों में रखा सामान खराब हो गया है। सरकारी स्कूलों में तीन दिन का अवकाश घोषित कर दिया गया है। बाजार के निकट स्थित वाटर वक्र्स में पानी घुसने से चारों ओर पानी के लिए हाहाकार मची हुई है। गांव के पूर्व सरपंच तथा स्वतंत्रता सेनानी खूब राम जाखड़ के बेटे 70 वर्षीय दुलीचंद, ग्रामीण 65 वर्षीय रणजीत सिंह ने बताया कि उन्होंने अपनी जिन्दगी में गांव चौटाला में ऐसा पहली बार देखा है। लोग घरों की छतों पर बैठकर दिन काटने को मजबूर हो रहे हैं। गांव में बीमारी फैलने का भय सताने लगा है। ग्रामीणों के अनुसार अगर बारिश ज्यों ही चलती रही और पानी निकासी का कोई प्रबंध न हुआ तो गांव का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।
गुरूवार को गांव के हालतों का जायजा लेने के लिए एसडीएम डॉ. मुनीश नागपाल, तहसीलदार डबवाली राजेंद्र कुमार, बीडीपीओ डबवाली सतीन्द्र सिवाच, सिंचाई विभाग के एक्सीयन विजय जग्गा, एएई आरएस लुहान, सिंचाई विभाग की टेक्निकल विंग के एसडीओ एसएन गर्ग पहुंचे। ग्रामीणों के साथ इन लोगों ने ट्रेक्टर पर चढ़कर हालात देखे। अधिकारियों ने देखा कि पानी निकालने के लिए गौशाला के निकट बनाई गई जगह भी छोटी पड़ गई। पानी ओवरफ्लो होकर गौशाला में घुसना शुरू हो गया था। पानी को निकालने के लिए शमशान भूमि के निकट कब्रों वाली जगह का चुनाव किया गया। लेकिन ग्रामीणों के विरोध के चलते योजना सिरे नहीं चढ़ पाई। बाद में गौशाला से लेकर चौटाला डिस्ट्रीब्यूटरी तक जेसीबी मशीन की सहायता से खाल का निर्माण करवाकर पानी डालने की योजना बनाई गई। जिस पर कार्य आरंभ हुआ।
पटवारी दलीप सिंह ने बताया कि गांव चौटाला में 4 से 5 फुट पानी जमा है। इससे करीब एक हजार घर गिरने की कगार पर पहुंच गए हैं। बाजार में 50 के करीब दुकानें भी प्रभावित हुई हैं।
गांव अबूबशहर में निचली बस्तियों में पानी जमा हो जाने से लोगों ने अपना बसेरा राजस्थान कैनाल की पटरी पर बसा लिया है। गांव में करीब पांच सौ घर प्रभावित हुए हैं। गांव की गलियों में लगभग चार फुट पानी दौड़ रहा है। संगरिया मार्ग पर पानी आने के कारण हालत और भी खराब हो गए।
सुकेराखेड़ा में 100 घर गिरे
पिछले पांच दिनों से हो रही बरसात से गांव सुकेराखेड़ा पानी से लबालब हो गया है। गांव को जाने वाले सभी मार्ग बंद होने से ग्रामीणों को भारी परेशान का सामना करना पड़ रहा है। गांव की गलियों में जमा चार-चार फुट पानी की निकासी के लिए गुरूवार को ग्रामीण बीडीपीओ से मिले।
गांव के सरपंच रामसरूप, प्रेमचंद, रामकुमार, भीम सैन, वीरपाल, धर्मपाल, मोहन लाल, पृथ्वी राज ने बताया कि पानी की निकासी न होने की वजह से गांव के करीब सौ घर गिर गए हैं। अन्य घरों में भी दरारें आ गई हैं। गांव में पानी निकालने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।
एसडीएम डबवाली डॉ. मुनीश नागपाल ने बताया कि उन्होंने आज गांव चौटाला, अबूबशहर, सुकेराखेड़ा का दौरा किया था। वहां के ग्रामीणों से मुलाकात करके उनकी समस्या जानी। उन्होंने बताया कि गांव चौटाला में चार जेसीबी की मदद से गौशाला से डिस्ट्रीब्यूटी तक खाल का निर्माण करके पानी निकालने की योजना तैयार पर कार्य शुरू कर दिया गया है। पानी निकालने के लिए छह पंपों की व्यवस्था कर दी गई है। तीनों गांवों के ग्रामीणों की स्वास्थ्य की दृष्टि से एसएमओ को जरूरी हिदायतें दी गई हैं। पशुओं के स्वास्थ्य का भी खास ख्याल रखा जा रहा है।

हरियाली स्कीम में घपले का अंदेशा!


डबवाली (लहू की लौ) गांवों को हरा-भरा रखने के लिए सरकार की ओर से साल 2004 में शुरू की गई हरियाली स्कीम में घपलेबाजी का आंदेशा हुआ है। गांव मौजगढ़ के एक व्यक्ति ने अन्ना हजारे की राह पर चलते हुए आरटीआई के तहत अपने गांव की पंचायत से हरियाली योजना की जानकारी मांगी। अपनी जानकारी में पंचायत सीधे तौर पर फंसती हुई प्रतीत होती है।
गांव मौजगढ़ निवासी अमरीक बिश्नोई ने 19 मई 2011 को आरटीआई के तहत खण्ड विकास एवं पंचायत अधिकारी, डबवाली से आरटीआई के जरिए गांव में हरियाली योजना के संदर्भ में जानकारी मांगी। जिसमें उन्हें गांव की पंचायत के जरिए जानकारी मिली कि साल 2004 से शुरू हुई इस योजना के तहत गांव में अब तक 23 लाख रूपए का कार्य हुआ है। जिसमें से अण्डरग्राऊंड पाईप लाईन पर 2 लाख 99 हजार 415 रूपए, यूजीपीएल के तहत 8 लाख 1 हजार 482 रूपए, खाल निर्माण पर 8 लाख 19 हजार 183 रूपए तथा पौधारोण पर 3 लाख 89 हजार 746 रूपए का खर्चा दिखाया गया।
बिश्नोई ने गांव में हुए पौधारोपण को मुद्दा बनाते हुए पुन: आरटीआई लगाई। पंचायत ने उन्हें जवाब भेजा कि उसके कार्यकाल में हरियाली स्कीम के तहत 390931 रूपए खर्च किए गए हैं। जिसमें से ट्री गार्ड पर 130020 रूपए, पौधों पर 120250 रूपए के साथ-साथ 2526 रूपए का विविध खर्चा दर्शाया गया है। यही नहीं 1 लाख 18 हजार 950 रूपए की राशि मजदूरी पर खर्च दिखाई गई है।
अमरीक बिश्नोई के अनुसार अपने जवाब में पंचायत ने गांव के शमशान घाट, स्कूल, वाटर वक्र्स के साथ-साथ गांव में विभिन्न जगहों पर पौधारोपण का जिक्र किया है। इन सभी जगहों पर लगभग 600 खड्डे खोदकर पौधारोपण किया गया है। जिसमें तीन प्रकार के पौधे लगाए गए हैं। लगभग 78 ट्री गार्ड लगाए गए हैं।
बिश्नोई के अनुसार उपरोक्त सभी कार्य पर करीब एक लाख रूपए की राशि खर्च बैठती है। लेकिन पंचायत ने करीब चार लाख रूपए खर्च दिखाए हैं। चूंकि जिन पौधों को लगाया दिखाया गया है, उनकी कीमत 20 रूपए से लेकर 120 रूपए तक है। जबकि ट्री गार्ड की कीमत 500 रूपए प्रति गार्ड है। वहीं खड्डा खोदने की मजदूरी मात्र 10 रूपए दी गई है। ऐसे में पंचायत शक के घेरे में नजर आती है।
इधर खण्ड विकास एवं पंचायत अधिकारी कार्यालय के एसईपीओ रामप्रकाश ग्रोवर ने बताया कि अमरीक सिंह बिश्नोई ने आरटीआई के तहत आधी-अधूरी जानकारी देने की शिकायत उनके पास की थी। शिकायत के आधार पर वे गांव मौजगढ़ में गए थे। लेकिन पंचायत सचिव मौके पर उपस्थित नहीं हो सका। सचिव से रिकॉर्ड मिलते ही मामले की जांच करवाई जाएगी।

नेताओं वाला जिला आज भी पिछड़ा!



डीडी गोयल
093567-22045

जिला सिरसा ने हरियाणा प्रदेश के साथ-साथ देश को एक से एक कद्दावर नेता दिया। लेकिन इन 
नेताओं ने अपनी राजनीति चमकाई। विकास की एक ईंट भी जिला पर नहीं लगाई। यह हम नहीं कह रहे क्रिड की रिपोर्ट कह रही है। जिला के सभी गांव तथा शहर चीख-चीख कर विकास की मांग कर रहे हैं।
डबवाली। जिस जिले ने देश और प्रदेश की राजनीति को नई दिशा और दशा दी हो वह जिला पिछड़ा कहलाता होगा, ऐसा न ही किसी ने सोचा और समझा होगा। लेकिन यह सच है कि जिला सिरसा को प्रदेश में महेंद्रगढ़ के बाद सबसे पिछड़ा जिला घोषित करार दिया गया है। इसलिए इस जिले में अधिकतर कार्य पिछड़े क्षेत्रों के लिए बनी योजना बीआरजीएफ के तहत किया जाता है। सैन्टर ऑफ रिसर्च इन रूरल एण्ड इंडस्ट्रीयल डिवेलप्मेंट (क्रिड) ने इस बार के सर्वे में कई अहम मुद्दों को जन्म दिया है।
जिला सिरसा ने देश को चौ. देवीलाल सरीखे उपप्रधानमंत्री, चौ. ओमप्रकाश चौटाला जैसा मुख्यमंत्री, लक्ष्मण दास अरोड़ा के रूप में उद्योग मंत्री, वेदपाल नेहरा के रूप में सिंचाई मंत्री, गोपाल काण्डा के रूप में शहरी निकाय मंत्री दिया है। यूं कहें कि राजनीति  रूपी बाग का हर वो फूल दिया है, जो एक बाग की सुंदरता के लिए आवश्यक होता है। जिसके बिना बाग का अर्थ शेष नहीं रह जाता। लेकिन जिसने ये फूल दिए वहां की धरा आज भी बंजर है। शिक्षा, पानी, स्वास्थ्य सुविधाओं से महरूम चली आ रही है। क्रिड संस्था के प्लानिंग ऑफिसरों द्वारा किए गए सर्वे में कई हैरानीजनक बाते सामने आई हैं। जिससे जिला सिरसा के राजनीतिकों के साथ-साथ समय-समय पर आई विभिन्न पार्टियों की सरकारें कटघरे में खड़ी प्रतीत होती हैं।
केंद्र सरकार ने करीब पांच वर्षों से जिला सिरसा को पिछड़ा जिला घोषित किया हुआ है। समय-समय पर क्रिड संस्था इसका सर्वे करने के लिए यहां आती है। इस संस्था के प्लानिंग अधिकारियों की रिपोर्ट पर ही विकास कार्य अंजाम दिए जाते हैं। इस बार भी यहां सर्वे हुआ है। देखने में आया है कि जिला सिरसा में स्वास्थ्य सुविधाएं नगण्य के सामान हैं। चूंकि 30-30 किलोमीटर के दायरे में सब सैन्टर स्थापित हैं। जिससे इतनी दूर तक जाने में ग्रामीणों को दिक्कत आती है। या यूं कहे कि अभी तक जिला के प्रत्येक गांव या फिर पांच किलोमीटर की दूरी पर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध नहीं है। एक एएनएम के कंधों पर छह-छह डिलीवरी हट का बोझ है। ऐसे में महिला की सुरक्षित प्रसूति की बात कैसे की जा सकती है। छोटे बच्चों को अक्षर ज्ञान देने के लिए आंगनवाड़ी न के बराबर हैं। अगर कहीं हैं तो वे शमशान घाट में। जिससे  ग्रामीण वहां पर जाने से घबराते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में खुले सरकारी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आने वाले बच्चों के लिए स्वच्छ पीने का पानी उपलब्ध नहीं है। युवतियां शिक्षा के मामले में लड़कों से पिछड़ी हुई हैं। लड़कियों को घरों से बाहर न निकलने देना और स्त्रियों में जागरूकता की कमी इसका सबसे बड़ा कारण है।
क्रिड के सर्वे में यह भी आया है कि जिला के विभिन्न खण्ड़ों के अधिकतर गांवों में लोगों को पीने का पानी नहीं मिल पाता। वहां का अधिकतर भूमिगत जल खारा हो गया है। इसके चलते लोग मोल में पानी लेकर पीते हैं।  गांवों में स्वच्छता अभियान की कमी भी जाहिर हुई है। शहरों में अधिकतर पीने के पानी तथा सीवरेज व्यवस्था की प्रॉब्लम बनी हुई है। सीवरेज व्यवस्था ठप रहने से गंदा पानी सड़कों पर है और लोग बीमार पड़ रहे हैं।
क्रिड की जिला को-ऑर्डिनेटर प्रदीप कुमारी ने उपरोक्त पुष्टि करते हुए बताया कि सर्वे कंपलीट हो गया है। जिला के सभी गांवों का दौरा करने के बाद प्लानिंग ऑफिसर ने अपनी-अपनी रिपोर्ट सौंपी है। जिला सिरसा शिक्षा, स्वास्थ्य तथा पेयजल व्यवस्था में काफी पिछड़ा हुआ है। साल 2006-07 में जिला सिरसा को बीआरजीएफ योजना के तहत डाला गया था। उस समय से लेकर अब तक स्वच्छता अभियान में कामयाबी मिली है। लेकिन अभी भी कुछ अहम बिन्दू हैं, जिन पर तत्परता से काम किया जाना जरूरी है। गांवों तथा शहरों में पीने के पानी की काफी किल्लत है, अगर पानी आता है तो वह भी गंदा। लोगों ने आरओ सिस्टम लगवाए जाने की मांग की है, ताकि बीमारियों से बचा जा सकें। इस रिपोर्ट को क्रिड उपायुक्त सिरसा को सौंपेगी, ताकि जिला के विकास की योजनाएं तैयार हो सकें।
यहां विशेषकर उल्लेखनीय है कि जिस जिला ने उपरोक्त कद्दावर नेता इस देश और प्रदेश को दिए हों, उस जिला में उपरोक्त समस्याओं का अम्बार कैसे लग गया? क्या सरकारों ने जिला को विकास के लिए फण्ड नहीं दिए? क्या हमने अपना प्रतिनिधि चुनने में गलती की? क्या हमारा प्रतिनिधि हमारे विश्वास पर खरा नहीं उतरा? क्रिड संस्था के सर्वे ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। आखिर नेताओं का जिला पिछड़ा कैसे हो सकता है?

ऐसी मिसाल कहीं नहीं


सत्तर साल से बाबा रामदेव मंदिर के लिए परंपरा निभा रहा है डबवाली का रैगर समाज
डबवाली (लहू की लौ) बात सुनने में अटपटी लगे। लेकिन है सच। ऐसा सच जिस पर सरलता से यकीन नहीं किया जा सकता हो। रैगर समाज के शहर में करीब एक हजार घर हैं। इन घरों में जब भी सुख-दु:ख का कोई कार्यक्रम होता है, उससे पूर्व बाबा रामदेव के मंदिर का भाग निकाला जाता है। ऐसा पिछले सत्तर सालों से चल रहा है। डबवाली का रैगर समाज इसे रसम मानकर निभाता है।
न्यू बस स्टैण्ड रोड़ पर स्थित बाबा रामदेव के मंदिर की स्थापना विक्रमी संवत 1988 के दरमियान हुई थी। उस दौरान बाबा रामदेव के भक्त गीगा राम मंदिर वाली जगह आए। उन्होंने दो ईंट खड़ी करके ध्यान लगाया और वहां पर बाबा रामदेव मंदिर बनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया। लोगों को उनकी बात पर यकीन नहीं हुआ। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, लोगों का विश्वास मजबूत होता गया। विक्रमी संवत 1989 में दो ईंटे कमरे में तबदील हो गई। जिसके ऊपर गुम्बद बनाया गया और कलश लगाए गए।   मंदिर में सुबह-शाम को दो समय आरती होने लगी। मंदिर के विकास का जिम्मा रैगर समाज ने अपने हाथों में लिया। इसके लिए चौधरी रामलाल,  त्रिलोक चंद सकरवाल, प्रभाती राम धोलपुरिया, कान्हा राम तथा मंगला राम ने बाबा रामदेव सेवक संस्था का निर्माण किया।
मंदिर के ठीक सामने रहने वाले नपा डबवाली के पूर्व अध्यक्ष 81 वर्षीय चौधरी रामलाल बताते हैं कि इसी दौरान रैगर समाज से संबंध रखने वाले मुकंदा राम ने मंदिर के साथ लगती एक बिसवा जमीन मंदिर को दान कर दी। उस समय रैगर समाज के करीब 400 घर थे। प्रत्येक घर खुशी-गमी के मौके पर मंदिर को दान दिया जाने लगा। इसी दान के सहारे उन्होंने जमीन पर दुकानें काट दी। दुकानों के निर्माण के बाद आने वाली आमदन से मंदिर के पुजारी तथा वहां रूकने वाले संत-फकीर के भोजन की व्यवस्था होने लगी।
खुशी का मौका हो या फिर गम का मौका रैगर समाज के लोगों ने इन दोनों अवसरों पर मंदिर को दान देने की रसम अपना ली। धीरे-धीरे मंदिर की मान्यता बढऩे लगी। साल में दो बार मेला भरने लगा। इस मेले में आने वाले लोगों की मनोकामना पूर्ण होने लगी। जिससे गली, मोहल्ले फिर शहर के लोग मंदिर में आने लगे। लेकिन सत्तर साल पहले रैगर समाज में शुरू हुई परंपरा आज भी कायम है। घर में छोटा सा कार्यक्रम होने पर भी मंदिर को दान देना नहीं भूलते।
बन गई परंपरा
मंदिर को संभाल रहे बाबा रामदेव सेवा मण्डल के अध्यक्ष प्रेम कनवाडिय़ा तथा सदस्य कृष्ण खटनावलिया ने बताया कि वे पीढ़ी दर पीढ़ी इस परंपरा का निर्वाह करते आ रहे हैं। उनके बुजुर्गों से उन्हें इस रसम की जानकारी मिली है। समाज के जिस भी घर में कोई कार्यक्रम होता है, उसी समय मंदिर के विकास के लिए परिवार खुद ब खुद दान देने की रसम निभाता है। उन्होंने बताया कि यह समाज के लोगों का सहयोग तथा बाबा रामदेव की कृपा है, जो एक कमरे का मंदिर विशाल मंदिर में परिवर्तित हो गया है और साथ में धर्मशाला बन गई है।

शहर का छोरा पीयू अध्यक्ष


अन्ना हजारे से खासे प्रभावित हैं अध्यक्ष पुष्पिंद्र सिंह उर्फ मन्नु
डबवाली (लहू की लौ) पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) चण्डीगढ़ छात्र कौंसिल के नए सरदार बने डबवाली के पुष्पिंद्र सिंह उर्फ मन्नु सक्रिय राजनीति में आकर अपना भाग्य आजमाना चाहते हैं। उनका कहना है कि सिस्टम को खराब कहने मात्र से समस्या का समाधान होने वाला नहीं। अगर युवा सच में इस सिस्टम को बदलना चाहते हैं तो उन्हें सिस्टम में आना होगा। समाजसेवी अन्ना हजारे के मार्ग पर चलकर सिस्टम को बदला जा सकता है।
मन्नु शनिवार को इस संवाददाता से मोबाइल पर बातचीत कर रहे थे। पीयू में एलएलबी द्वितीय वर्ष के इस छात्र ने कहा कि वे जन लोकपाल बिल के लिए संघर्षरत अन्ना हजारे के साथ हैं। 74 वर्षीय हजारे को देश के युवा तारणहार समझने लगे हैं। वह तथा उनका संगठन स्टूडेंट ऑर्गेनाईजेशन ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी (सोपू) तथा सहयोगी संगठन स्टूडेंट ऑर्गेनाईजेशन ऑफ इंडिया (सोई) उनके साथ है। अन्ना हजारे उनके पसंदीदा चेहरे हैं। उनके मकसद को अपना मानकर वे सक्रिय राजनीति में हाथ अजमाएंगे। जब उनसे उनके राजनीतिक कैरियर शुरू करने की जगह के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि वे अभी एलएलबी कर रहे हैं, डेढ़ वर्ष बाद उनकी एलएलबी कंप्लीट हो जाएगी। साथ में ज्यूडीशियल तथा आईएएस की भी तैयारी कर रहे हैं। डबवाली आने के बारे में पूछे जाने पर पुष्पिंद्र ने कहा कि मंगलवार को वे अपने पद की शपथ ग्रहण करेंगे। उसके बाद जल्द ही डबवाली आएंगे।
पीयू का अध्यक्ष बनने पर पुष्पिंद्र उर्फ मन्नु डबवाली के वार्ड नं. 1 की हरमेल पेंटर वाली गली में स्थित उनके घर पर खुशी का आलम है। उनकी 83 साल की दादी ज्ञानवती तथा 64 वर्षीय माता चन्द्र उषा शर्मा तथा चाचा केशव शर्मा फूले नहीं समा रहे। मन्नु के डबवाली आगमन पर जश्न मनाने की तैयारियां कर रहे हैं।
कैसे बने सरताज
पुष्पिंद्र की सफलता के पीछे डबवाली में रह रहे उनके चाचा केशव शर्मा पूर्व चेयरमैन, नपा डबवाली का अहम रोल है। पीयू छात्र कौंसिल चुनाव से पूर्व पुष्पिंद्र की एक लम्बी बातचीत अपने चाचा से हुई थी। इस बातचीत के दौरान भतीजे ने अपने चाचा को बताया था कि उसके साथी उसे चुनाव में खड़ा करना चाहते हैं। क्या वह चुनाव में खड़ा हो जाए? शर्मा ने सहमति जताते हुए उसे चुनाव लडऩे की सलाह दी। शुक्रवार को पीयू का अध्यक्ष बनने के बाद सबसे पहली कॉल उन्होंने अपने चाचा केशव शर्मा को की।
करीब 15 साल पूर्व पुष्पिंद्र के पिता एसएस टीचर सुभाष शर्मा का आकस्मिक निधन हो गया था। उस समय मन्नु मात्र 9 साल के थे। उनकी माता एसएस टीचर चन्द्र उषा शर्मा ने उसकी परवरिश उसे पढ़ाया। मन्नु की दो बहनें मनीषा तथा संचिला विवाहिता हैं। मन्नु ने मण्डी किलियांवाली स्थित बाल मंदिर सीनियर सैकेण्डरी स्कूल से 12वीं की। उसके बाद बीए का प्रथम वर्ष गुरूनानक कॉलेज में पास किया। डीएवी कॉलेज चण्डीगढ़ से ग्रेजुएट की। लॉनड्रा कॉलेज, मोहाली से एमबीए कंपलीट की। अब पंजाब यूनिवर्सिटी में एलएलबी द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रहा है।
पीयू के नए सरताज की दादी 83 वर्षीय ज्ञानवती ने कहा कि उन्हें बहुत खुशी महसूस हो रही है। मेरी तो अपने गुरू साहिबान से यही बिनती है कि उसका पोता मन्नु यूं ही आगे बढ़ता रहे।
मन्नु की माता चन्द्र उषा शर्मा ने कहा कि एमबीए पास करने के बाद उसके पास जॉब की ऑफर आई थी। लेकिन उसने उसे ठुकरा दिया। एमबीए के साथ एलएलबी करके बढिय़ा जॉब मिलने के आसार ज्यादा हैं। इसलिए उन्होंने अपने बेटे को उसकी एलएलबी में एडमिशन दिलाया। अब वह सक्रिय राजनीति में जाना चाहता है, उसकी तमन्ना है कि वह बुलंदियों को छुए।
अर्जुन की जीत में द्रोणाचार्य सरीखी भूमिका अदा करने वाले मन्नु के चाचा नपा डबवाली के पूर्व प्रधान तथा वरच्युस क्लब इंडिया के संस्थापक केशव शर्मा ने बताया कि पीयू छात्र कौंसिल चुनाव में उसके भतीजे की जीत एक रिकॉर्ड है। इस चुनाव में पुष्पिंद्र उर्फ मन्नु को 3730 वोट हासिल हुई थीं। मन्नु 1001 वोट से चुनाव जीतने में कामयाब रहा। मन्नु ने उनका सिर फक्र से ऊंचा कर दिया है।