29 जून 2011

कच्चे मार्ग से संगरिया से लाया गया चूरा पोस्त पकड़ा


डबवाली (लहू की लौ) रोड़ी क्षेत्र में सप्लाई करने के लिए लेजाए जा रहे 24 किलो 200 ग्राम चूरा पोस्त सहित थाना सदर पुलिस ने एक व्यक्ति को काबू किया है। जबकि उसके दो साथी भागने में कामयाब रहे। ये लोग चूरा पोस्त को राजस्थान के संगरिया से खरीदकर कच्चे रास्ते के जरिए गांव अबूबशहर पहुंचे थे। यहां बस पकडऩे के लिए नहर की पटरी के किनारे बैठ गए।
सोमवार शाम को थाना सदर पुलिस के एएसआई आत्मा राम, एएसआई बलवंत सिंह, सिपाही रणजीत सिंह, चालक भूप सिंह गश्त पर थे। इस दल की नजर गांव अबूबशहर क्षेत्र में राजस्थान कैनाल की पटरी पर प्लास्टिक के गट्टे के ऊपर बैठे तीन लोगों पर पड़ी। इन लोगों पर संदेह होने के कारण पुलिस ने गाड़ी उनकी ओर कर ली। पुलिस को अपनी ओर आता देख तीनों गट्टे को वहीं छोड़कर भागने लगे। पीछा करते हुए पुलिस ने एक व्यक्ति को पकड़ लिया। जबकि उसके दो साथी भागने में कामयाब रहे। एएसआई आत्मा राम ने बताया कि तालाशी लेने पर पुलिस को गट्टे चूरा पोस्त बरामद हुआ। जोकि तोल करने पर 24 किलो 200 ग्राम था। पकड़े गए आरोपी ने अपनी पहचान बंदरपत्ती रोड़ी निवासी पप्पू (40) पुत्र राम लाल के रूप में करवाई।
एएसआई आत्मा राम के अनुसार पूछताछ करने पर आरोपी पप्पू ने पुलिस को बताया कि वह पिछले दस सालों से एरिया में चूरा पोस्त तस्करी का धंधा करता है और इसे खाता भी है। सोमवार को वह गांव के ही पृथ्वी सिंह तथा गुरनाम सिंह के साथ संगरिया से 800 रूपए प्रति किलोग्राम चूरा पोस्त खरीदकर वापिस रोड़ी जा रहा था। संगरिया से अबूबशहर तक वे लोग कच्चे रास्ते होते हुए पैदल पहुंचे। उसने यह भी बताया कि उन्होंने इसे 1000 से लेकर 1200 रूपए तक आगे सप्लाई करना था।
जांच अधिकारी एएसआई आत्मा राम ने यह भी बताया कि पड़ौसी राज्य पंजाब में नशा तस्करी के आरोप में पप्पू पर कई मामले दर्ज हैं। उनके अनुसार पप्पू, फरार हुए पृथ्वी सिंह तथा गुरनाम सिंह पर मामला दर्ज कर लिया गया है। फरार हुए आरोपियों को शीघ्र काबू कर लिया जाएगा। चूरा पोस्त तस्करी में पकड़े गए पप्पू को मंगलवार को चीफ ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट सिरसा एनके सिंघल की अदालत में पेश किया गया। अदालत ने आरोपी को 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश दिए।

बेटे के लिए मां बनी मजदूर


कुदरत से संघर्षरत पिता ने इलाज के लिए सबकुछ लुटाया
डबवाली (लहू की लौ) अपने कलेजे के टुकड़े को बचाने के लिए माता-पिता कुदरत से लड़ रहा है। इस लड़ाई में विजय पाने के लिए मां ने मजदूर बनना स्वीकार किया और पिता ने इलाज पर अपना सबकुछ लूटा दिया।
गांव अलीकां का रहने वाला जसप्रीत उर्फ जसकरण सिंह दिहाड़ीदार मजदूर है। उसके दो बेटे संदीप (15), कुलदीप (13) तथा एक बेटी (11) है। करीब पांच साल पूर्व वह अपने बड़े बेटे संदीप के साथ ट्रेक्टर पर गांव लौट रहा था। रास्ते में अचानक ट्रेक्टर पलट गया। जिससे संदीप बुरी तरह से घायल हो गया। पांच साल बीतने के बावजूद आज भी संदीप बिस्तर पर पड़ा है। उसके मूत्रमार्ग वाली नली सिकुड़ गई थी। मूत्र करने के लिए वह नली का सहारा ले रहा है। यह नली हर पंद्रह दिनों बाद बदली जाती है, जिस पर करीब 500 रूपए की लागत आती है। यही नहीं इन पांच सालों के दौरान जसप्रीत अपने बेटे को इलाज के लिए डबवाली के साथ-साथ पड़ौसी राज्य राजस्थान के शहर बीकानेर के निजी अस्पतालों में ले जा चुका है। लेकिन संदीप की हालत में कोई सुधार नहीं है।
बिस्तर पर पड़े बेटे की चिंता मजदूरी करके पेट पालने वाले जसप्रीत को खाई जा रही है। रिश्तेदारों, गांव वालों से इक्ट्ठी हुई राशि को वह खर्च कर चुका है। यही नहीं अपने बेटे के लिए वह एक भैंस तथा चार बकरी भी बेच चुका है। बीकानेर से डॉक्टर ने जवाब दे दिया। लेकिन जसप्रीत हार मानने वालों में से नहीं। उसे उम्मीद है कि उसका बेटा संदीप अच्छा-भला होगा। इसी उम्मीद के साथ वह कुदरत से लड़ रहा है।
उम्मीद को जिंदा रखे हुए गांव अलीकां का जसप्रीत उर्फ जसकरण मंगलवार को सरकारी अस्पताल में पहुंचा तथा चिकित्सकों से अपने बेटे के जीवन की गुहार लगाई। कार्यकारी एसएमओ डॉ. एमके भादू ने सहायता के आवेदन को उपमण्डलाधीश डॉ. मुनीश नागपाल के पास भेज दिया। उपमण्डलाधीश ने इस संदर्भ में डॉ. एमके भादू को रिपोर्ट करने के निर्देश दिए।
अपने घायल बेटे की तस्वीर सीने से लगाए जसप्रीत ने बताया कि वह अपने बेटे के लिए हर कुर्बानी देने को तैयार है। हालांकि इलाज करवाने में आए खर्च के बाद उसकी धर्मपत्नी सुखजीत कौर मजदूरी करने के लिए मजबूर होगी गई है। लेकिन उसने उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा है। उसका मन और दिल कहता है कि मेरा संदीप जरूर ठीक होगा।
कार्यकारी एसएमओ डॉ. एमके भादू ने बताया कि उन्होंने संदीप की बीमारी से संबंधित रिपोर्टों का अध्ययन किया है। अध्ययन के दौरान उन्हें मालूम हुआ है कि संदीप की मूत्र नाली सिकुड़ गई है। जिसका इलाज मेडिकल कॉलेज स्तर के अस्पताल में सर्जरी से संभव है। यह सुविधा डबवाली अस्पताल में उपलब्ध नहीं है, इसलिए उन्होंने राय दी है कि संदीप का इलाज रोहतक मेडिकल कॉलेज से करवाया जाए।
उपमण्डलाधीश डॉ. मुनीश नागपाल ने बताया कि प्रशासन द्वारा 15 वर्षीय संदीप की जिन्दगी बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। इसके लिए उन्होंने उपायुक्त सिरसा से अनुमति भी मांगी है। अनुमति मिलते ही संदीप को इलाज के लिए अच्छे अस्पताल में लेजाया जाएगा। अस्पताल तक लेजाने के लिए एम्बुलैंस की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जाएगी।