31 अगस्त 2010

18 वर्षों से कैद में हीरा

डबवाली (लहू की लौ) पिछले 18 वर्षों से जंजीरों में जकड़ा गांव पन्नीवाला रूलदू का हीरा अपनी चमक खो चुका है। तेज रफ्तार से दौड़ रही इस दुनियां से बेखबर होकर वह घर के एक कोने में कैदी की भांति जिंदगी जी रहा है।
गुरदीप उर्फ हीरा भाईयों में से सबसे छोटा है। उसकी उम्र 35 वर्ष हो चुकी है। बाल्यकाल से ही हीरा किसी से कुछ नहीं कहता था। स्कूल से वापिस घर आने के बाद वह गुमसुम सा घर के एक कोने में बैठा रहता। जैसे-तैसे उसने गांव के सरकारी स्कूल से पांचवी पास की। लेकिन 6वीं में प्रवेश पाते ही उसने स्कूल जाना छोड़ दिया। जवानी में पांव रखते ही उसे न जाने क्या हुआ वह घर के सदस्यों से बदसलूकी करने लगा। इसी दौरान हीरा के पिता कौर सिंह की हृदय घात से मौत हो गई। वे सिंचाई विभाग में कार्यरत थे। पिता की मौत के बाद हीरा और तनाव में रहने लगा। वह परिवार के सदस्यों से मारपीट भी करने लगा। बिना बताए वह घर से दूर जाने लगा। सूचना मिलने पर परिवार के सदस्य उसे ढूंढकर घर वापिस लाते। हीरा का चैकअप सिरसा और बठिंडा के डॉक्टरों को भी करवाया। डॉक्टरों की सलाह थी कि हीरा मानसिक रूप से बीमार है। उसे घर में ही रखें। हीरा की माता हरबंस कौर (65) निवासी पन्नीवाला रूलदू ने बताया कि उसके तीन बेटों में से हीरा सबसे छोटा है। उसका बड़ा बेटा कुलदीप टेलीफोन विभाग में कार्यरत था। 40 वर्ष की उम्र में उसकी मृत्यु हो गई। उसके पति कौर सिंह की मृत्यु के बाद उसकी जगह उसके मंझले बेटे सुखपाल उर्फ विजय को सिंचाई विभाग में नौकरी मिली। उसकी आशा थी कि हीरा भी पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बने। लेकिन भगवान को कुछ ओर ही मंजूर था। शारीरिक रूप से स्वस्थ होते हुए भी 18 वर्षों से अपने बेटे को जंजीरों में कैद देख रही है। वह देखने के सिवा करे तो क्या करे।
हरबंस कौर के अनुसार हीरा को सबकुछ ज्ञात है। वह भोजन, चाय आदि मांगकर लेता है।  यहां तक की बीडी पीने का भी शौकीन है। अक्सर अपने भाई से बीडी लेकर अपना शौक पूरा करता है। लेकिन जंजीर खोलते ही आपे से बाहर हो जाता है और मारने को दौड़ता है। उसकी तो बस यही अंतिम इच्छा है कि उसका बेटा सामान्य हो जाए।
इस संदर्भ में सरकारी अस्पताल के एसएमओ डॉ. विनोद महिपाल से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि अभी उनके सामने यह मामला आया है। हीरा की पूरी मदद की जाएगी। जिला सिरसा में कोई भी मनोरोग चिकित्सक नहीं है। इसके चलते हीरा को रोहतक में भेजा जाएगा। अस्पताल की ओर से रोहतक लेजाने के लिए उसे एम्बूलैंस उपलब्ध करवाई जाएगी।