05 दिसंबर 2010

यहां तो एमबीए पास भी अनपढ़!

डबवाली (लहू की लौ) देश में शिक्षण संस्थान कुकरमुत्ते की तरह खुल रहे हैं। एक-दूसरे से आगे बढऩे की होड़ में बच्चों को नए-नवेले ढंग से प्रशिक्षण देने का नाटक भी करते हैं। किताबी कीड़ा बनाने की अपेक्षा इनके पास कुछ भी नहीं है। इन संस्थानों से उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बावजूद कागज के सर्टिफिकेट के सिवाए कुछ हासिल नहीं होता। लेकिन जिन्दगी में सबसे जरूरी सामान्य ज्ञान से छात्र वंचित रह जाता है। ऐसा ही कुछ डबवाली में देखने को मिला।
डबवाली प्रशासन ने नगरपालिका तथा फायर ब्रिगेड में खाली चले आ रहे पदों को भरने के लिए डेली वेज पर कर्मचारी नियुक्त करने के लिए गुरूवार शाम को इंटरव्यू रखा हुआ था। इंटरव्यू नगरपालिका फायर ब्रिगेड में ड्राईवर के तीन पदों, फायर मैन के चार पदों, नगरपालिका कार्यालय डबवाली में क्लर्क के दो पदों, कम्प्यूटर ऑपरेटर के एक तथा ट्रेक्टर ड्राईवर के दो पदों के लिए था। इन पदों के लिए इंटरव्यू देने के लिए करीब 70 जनों ने आवेदन किया। जिसमें ड्राईवर पद के लिए चार, फायर मैन के लिए 7, क्लर्क के लिए 45, कम्प्यूटर ऑपरेटर के लिए 10 तथा ट्रेक्टर ड्राईवर के लिए पांच उम्मीदवार शामिल थे। उक्त पदों के लिए शैक्षणिक योग्यता न्यूनतम 10वीं पास निर्धारित की गई थी।
सबसे दिलचस्प पहलू यह रहा है कि इंटरव्यू में 10वीं पास से लेकर एमबीए किए हुए युवाओं ने भाग लिया। कम्प्यूटर का ज्ञान रखने वाले बीसीए, पीजीडीसीए अथवा डिग्री धारकों ने भी हिस्सा लिया। इंटरव्यू पर उपमण्डलाधीश डॉ. मुनीश नागपाल ने खास नजर रखी। वे खुद मौका पर आए। इस दौरान प्रत्येक उम्मीदवार को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका दिया गया। ड्राईवर और फायर मैन पद के आवेदकों का इंटरव्यू फायर ब्रिगेड कार्यालय के पास लिया गया। इस मौके पर उपमण्डलाधीश ने संबंधित कार्यालय के स्टाफ के अतिरिक्त हरियाणा रोड़वेज उपडिपू डबवाली के कर्मचारी बलवान सिंह को भी बुलाया। मौका पर तैनात कर्मचारियों ने उपमण्डलाधीश की देखरेख में प्रत्येक आवेदनकर्ता को बारीकी से जांचा-परखा।
इसके उपरांत क्लर्क तथा कम्प्यूटर ऑपरेटर की इंटरव्यू का जिम्मा उपमण्डलाधीश डॉ. मुनीश नागपाल ने खुद संभाला। लेकिन वे उस समय हैरान रह गए, जब उनके द्वारा पूछे गए सामान्य ज्ञान के प्रश्नों का उत्तर नौकरी पाने आए एमबीए पास युवक भी नहीं दे पाए। 10वीं, 12वीं, बीए, बीएससी, एमए, एमएससी, एमबीए पास इन छात्रों के पास केवल कागज का सर्टिफिकेट जरूर था।
पूछा गया था कि हरियाणा का मुख्यमंत्री कौन है, जवाब मिला गोपाल काण्डा। पूछा गया भारत देश का राष्ट्रपति कौन है, जवाब आया मनमोहन सिंह। पूछा गया श्रीलकां की राजधानी कौन सी है, जवाब मिला भोपाल। पूछा गया डबवाली में अग्निकांड कब हुआ, किसी भी आवेदनकर्ता के पास कोई जवाब नहीं। पूछा गया हरियाणा प्रदेश में जिले कितने हैं, कोई बोला 10, तो कोई 12। पूछा गया भूटान क्या है, जवाब मिला नेपाल की राजधानी। इस तरह के अनगिनत सामान्य ज्ञान से संबंधित सवाल पूछे गए लेकिन रिजल्ट शून्य ही रहा।
यहां तक की बीसीए या फिर पीजीडीसीए की डिग्री अपने हाथ में लिए युवकों को भी कम्प्यूटर पर डाटा एंट्री करना तक नहीं आया। यह सब देख रहे उपमण्डलाधीश एवं अन्य प्रशासनिक कर्मचारियों के होश फख्ता हो गए। चूंकि किताबी ज्ञान से भरे युवकों के दिमाग प्रेक्टिल तथा सामान्य ज्ञान में फेल हो गए। उल्लेखनीय है कि डबवाली प्रशासन ने रिक्त पदों को भरने के लिए जिला सिरसा के उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी थी।
गौरतलब है कि जिला में दे दनादन शिक्षण संस्थान खुल रहे हैं। छात्र-छात्राएं इन शिक्षण संस्थानों से शिक्षा प्राप्त करके कागजी सर्टिफिकेट तो प्राप्त कर रहे हैं। साथ में अपने भविष्य की नींव भी खोखली कर रहे हैं। चूंकि बिना किसी विशेष तजुर्बे के चलने वाले इन संस्थाओं में केवल किताबी ज्ञान ही दिया जाता है।

पूर्व सरपंच को पीटा, बंधक बनाया

डबवाली (लहू की लौ) गांव पन्नीवाला मोरिकां के पूर्व सरपंच को शुक्रवार अल सुबह रंजिशन कुछ लोगों ने बंधक बना लिया और मारपीट की।
डबवाली के सरकारी अस्पताल में उपचाराधीन गांव पन्नीवाला मोरिकां के पूर्व सरपंच हरबंस सिंह (60) ने बताया कि वह गांव के निकट स्थित ढाणी में रहता है। शुक्रवार सुबह करीब एक बजे वह लघुशंका के लिए उठा था। अचानक प्रेमी उर्फ चिडिय़ा, निन्द्र सिंह पुत्र प्रेमी, चरणजीत पुत्र दर्शन सिंह, मक्खन सिंह पुत्र दर्शन सिंह निवासीगण पन्नीवाला मोरिकां ने उस पर तेजधार हथियारों से हमला कर दिया और चोटें मारी। बाद में उसे उसके घर में बांध दिया। वह जैसे-तैसे बंधन से मुक्त होकर अस्पताल में पहुंचा।
अकेला था पूर्व सरपंच
हरबंस सिंह ने बताया कि शुक्रवार अल सुबह वह अपनी मां गुरदेव कौर (90) के साथ घर पर अकेला था। उसकी धर्मपत्नी मनजीत कौर, बेटा नेमपाल सिंह और पुत्रवधू अमरजीत कौर पंजाब के गांव बरगाड़ी (कोटकपूरा) में एक शोकसभा में भाग लेने के लिए गए हुए थे। घर पर उसे अकेला पाकर आरोपियों ने उस पर हमला बोला।
अहसान का बदला चुकाया
पूर्व सरपंच हरबंस के अनुसार प्रेमी उर्फ चिडिय़ा उसकी पुत्रवधू का दूर का रिश्तेदार है। प्रेमी गांव खुईयांमलकाना में रहता था। गांव खुईयांमलकाना में रहते हुए उसने अपनी 20 एकड़ जमीन बेच दी और स्वयं घर पर रहने लगा। चार साल पूर्व प्रेमी ने गांव पन्नीवाला मोरिकां में रहने की इच्छा जाहिर की। पूर्व सरपंच के अनुसार उसने अपनी जमीन के नजदीक सात एकड़ जमीन प्रेमी को दिलाई।  जिसके प्रेमी ने तीस लाख रूपए चुकाए। इसके अतिरिक्त अपनी जमीन में से एक कैनाल भूमि उसे रहने के लिए दी। लेकिन प्रेमी ने एक कैनाल जमीन के साथ-साथ उसकी ढाई मरले भूमि भी हथिया ली।
यूं पैदा हुई रंजिश
हरबंस सिंह के मुताबिक इस भूमि के बदले प्रेमी उर्फ चिडिया ने उसे केवल 65 हजार रूपए दिए। जब वह उससे ढ़ाई मरले भूमि खाली करने के लिए कहता, वह उसे आंखे दिखाता। पिछले करीब एक साल से इसी मामले को लेकर उनमें तकरार चली आ रही है। इसी रंजिश के चलते शुक्रवार को आरोपियों ने उस पर हमला करके मारपीट की तथा उसे बंधक बनाए रखा।

रोल माडल की भूमिका में आएं एडवोकेट-जस्टिस

डबवाली (लहू की लौ) हरियाणा एवं पंजाब हाईकोर्ट के जस्टिस आलोक सिंह शुक्रवार को डबवाली कोर्ट परिसर में पहुंचे। यहां उपमण्डल न्यायिक दण्डाधिकारी महावीर सिंह, उपमण्डल न्यायिक दण्डाधिकारी (प्रथम श्रेणी) अमरजीत सिंह, उपमण्डलाधीश डॉ. मुनीश नागपाल, थाना शहर प्रभारी इंस्पेक्टर बलवंत जस्सू, बार एसोसिएशन डबवाली के अध्यक्ष एसके गर्ग तथा बार सदस्यों ने उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया।
जस्टिस आलोक सिंह जिला सिरसा के अपने भ्रमण के दूसरे दिन सेशन जज सिरसा डॉ. शिवा वर्मा के साथ डबवाली पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कोर्ट परिसर का निरीक्षण किया। उन्होंने पौधारोपण भी किया। बाद में बार रूम में अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। जस्टिस आलोक सिंह ने कहा कि जस्टिस को बार जन्म देती है। बार जस्टिस की मां और जननी है। अधिवक्ताओं को रोल मॉडल की भूमिका निभानी चाहिए। चूंकि समाज बड़ी उम्मीद लेकर उनके पास आता है। जस्टिस ने चेताया कि वकील की उन्नति में शॉर्ट कट कोई जरिया नहीं है, इसलिए हार्ड वर्क करके आगे बढऩा चाहिए।
इस मौके पर बार एसोसिएशन ने जस्टिस आलोक सिंह से डबवाली कोर्ट परिसर में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, सब जेल बनाए जाने तथा कोर्ट परिसर में एसबीआई की ब्रांच खोले जाने की मांग की। मांगों के संबंध में जस्टिस आलोक ने कहा कि वे बार की मांगों को कमेटी के समक्ष रखेंगे और इसे हर हाल में पूरा करवाने का प्रयास करेंगे।
इस मौके पर एडवोकेट सुभाष चन्द्र गुप्ता, एससी शर्मा ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर बार के सभी सदस्य उपस्थित थे। मंच का संचालन एडवोकेट कुलवंत सिंह सिधू ने किया।