19 मार्च 2010

बस मालिक और उसके बेटे की पिटाई करने पर कांग्रेसियों ने थाना पर दिया धरना

डबवाली (लहू की लौ) यहां के बस स्टैंड के बाहर एक प्राईवेट बस के मालिक और उसके बेटे को एक एएसआई द्वारा बिना किसी कारण के पीटने के आरोप में बुधवार रात को कांग्रेस कार्यकत्र्ताओं ने शहरी कांग्रेस प्रधान नवरतन बांसल के नेतृत्व में धरना दे दिया तथा उस पर कार्यवाही का आश्वासन मिलने के बाद ही धरना छोड़ा।

शहर कांग्रेस प्रधान नवरतन बांसल के अनुसार बुधवार शाम को कर्म सिंह और उसका बेटा अपनी हनुमानगढ़ जाने वाली बस की देखभाल के लिए बस अड्डा पर आये थे और जैसे ही बस को हनुमानगढ़ के लिए रवाना करने लगे तो उस में एक शराबी सवार हो गया। जिसे उन्होंने ले जाने से इंकार कर दिया। इतनी देर में वहां पर एएसआई मनफूल सिंह आ धमका जो कि शराब के नशे में धुत्त था। उसने आन देखा न तान और कर्मसिंह को पीटने लगा। जब उसके बेटे ने उसे इस हरकत से रोका तो वह उस पर भी टूट पड़ा।
बताते है कि बाद में उन दोनो को थाने ले गया। वहां भी उनसे बदतमीजी से पेश आया। हालांकि थाना प्रभारी के रूप में कार्यरत एसआई कृष्ण लाल ने भी उसे समझाया कि यह शरीफ आदमी है और तूं इसे क्यों यहां लाया है। इसकी जानकारी पा कर मौका पर शहरी कांग्रेस प्रधान नवरतन बांसल के नेतृत्व में करीब 30 कांग्रेसी वहां पहुंच गये और उन्होंने एएसआई की डाक्टरी करवाने तथा उसके खिलाफ बिना किसी वजह के बस मालिक और उसके बेटे को पीटने के आरोप में केस दर्ज करने की बात कही। कर्म सिंह ने पुलिस को लिखित शिकायत करके न्याय की गुहार लगाई। इस पर मौका पर डीएसपी बाबू लाल भी पहुंच गये और उन्होंने स्थिति को देखते हुए एएसआई मनफूल सिंह के खिलाफ कार्यवाही करने के निर्देश दिये। एसपी सिरसा के आदेश पर उसे तत्काल प्रभाव से निलिम्बत करने के आदेश भी उन्होंने जारी किये। लेकिन थाना शहर से आरोपी एएसआई डीएसपी के आने की सूचना पाकर पहले ही फरार हो चुका था। शराबी पुलिस कर्मी द्वारा बिना किसी कारण के एक बस अपरेटर की पिटाई किये जाने से लोगो में पुलिस के खिलाफ गहर रोष व्याप्त है। डीएसपी बाबू लाल ने बताया कि उन्हें इस संदर्भ में शिकायत मिली थी और उन्होंने अपने उच्च अधिकारियों को एएसआई के निलम्बन की सिफारिश की है।

अंग्रेजों के खेल को पदमश्री क्यों!

डबवाली (लहू की लौ) कबड्डी में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कई स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन करने वाले कर्नाटक के बीसी सुरेश ने खिलाडिय़ों की पीड़ा को जाहिर करते हुए कहा कि कितनी बड़ी विडम्बना है कि भारतीय खेल कबड्डी, हॉकी में स्वर्ण पदक पाने वालों को केवल अर्जुन अवार्ड पर ही संतोष करने को मजबूर किया जाता है, जबकि अंग्रेजों के खेल क्रिकेट में पचासा ठोकने वाले को पदमश्री पुरस्कार से नवाजा जाता है।
वे वीरवार को जोधपुर में सम्पन्न एक कबड्डी टूर्नामेंट जीतकर वापिस कर्नाटक लौटते समय डबवाली में सतनाम सिंह नामधारी के निवास स्थान पर कुछ समय रूके थे और इसी दौरान पत्रकारों से रूबरू हुए। उन्होंने कबड्डी में भारतीय खिलाडिय़ों द्वारा बटोरी की गई प्रशंसा का व्यख्यान करते हुए कहा कि वे 1990 में कबड्डी के अन्तर्राष्ट्रीय खेल के मैदान में उतरे थे। सन् 2002 में कोरिया में हुई 14वें एशियन खेल में उसे भारत की ओर से कबड्डी खेलने का मौका मिला। जिसमें भारतीय टीम ने विजयश्री पाई और इसके बाद 2003 में मलेशिया में सम्पन्न हुई एशियन चैम्पियनशिप में भारतीय कबड्डी टीम ने फिर विजय गाथा दोहराई। वर्ष 2004 में मुम्बई में हुए कबड्डी के पहले वल्र्ड कप में भी भारत ने अपना परचम लहराया। इसके बाद वर्ष 2006 में उनकी उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें भारत की कबड्डी टीम के कप्तान पद पर सुशोभित होने का मौका मिला। उनकी कप्तानी में वर्ष 2006 में इरान में सम्पन्न हुई एशियन चैम्पियनशिप में टीम स्वर्ण पदक जीतकर वापिस लौटी।
बीसी सुरेश ने बताया कि अब तक वे अन्तर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में 6 बार गोल्ड मैडल तथा नेशनल चैम्पियनशिप में 8 बार गोल्ड मैडल प्राप्त कर चुके हैं। उन्होंने खिलाडिय़ों की टीस को पत्रकारों को अनुभव करवाते हुए कहा कि भारतीय खेलों में जो जगह कबड्डी को मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिली। जिसके कारण भारत का यह मूल खेल आज क्रिकेट के मुकाबले में फिसड्डी बना दिया गया है। जबकि उत्तर भारत में अभी भी कबड्डी का क्रेज है और उत्तर भारत की सरकारें कबड्डी खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित करती हैं, इसके विपरीत दक्षिण भारत में कबड्डी को दोयम दर्जे का खेल समझा जाता है।
उन्होंने बताया कि दक्षिण में कबड्डी के प्रति लोगों में उत्साह पैदा हो और अच्छे खिलाड़ी बाहर जाकर देश का नाम रोशन करें, इसके लिए उन्होंने कर्नाटक में बीसी रमेश के नाम तले एक अकादमी की स्थापना की है। वर्ष 2009 में उन्हें स्टेट बैेंक ऑफ मैसूर ने डिप्टी मैनेजर के पद पर सम्मान देकर जो उसके लिए किया अब वह इसके अहसान के रूप में बैंक की ओर से कबड्डी खेल भी रहा है तथा साथ में कबड्डी का प्रशिक्षण भी अपने साथी खिलाडिय़ों को दे रहा है।

कीड़ेमार दवा मिले होने के संदेह में पेयजल आपूर्ति रूकवाई

डबवाली (लहू की लौ) गांव सुकेराखेड़ा में गांव के वाटर वक्र्स की डिग्गी के पानी में कीड़ेमार दवा मिले होने की आशंका को लेकर बवाल उठ खड़ा हो गया। जिसके चलते फिलहाल जनस्वास्थ्य विभाग ने पेयजल की आपूर्ति रोक दी है।
गांव सुकेराखेड़ा की सरपंच पार्वती देवी के पति ओमप्रकाश ने बताया कि नरेगा के तहत गांव के वाटर वक्र्स के पास खाल सफाई का काम चल रहा है। बुधवार शाम को करीब 5 बजे नरेगा मजदूरों ने वाटर वक्र्स की डिग्गी से एक व्यक्ति को कीड़ेमार दवाई के ड्रम से पानी लेजाते हुए देख लिया। इसकी सूचना उन्होंने उसे दी और उसने तत्काल इसकी सूचना पुलिस को दे दी। मौका पर पुलिस ने पहुंचकर पानी की आपूर्ति रूकवा दी। इधर इसकी सूचना पाकर वीरवार को गांव के पूर्व सरपंच पवन मैहता, तोता राम, गगनदीप, मदन लाल, साहब राम मौका पर पहुंचे और उन्होंने मौके की नजाकत को देखते हुए इसकी सूचना जनस्वास्थ्य विभाग के सुपरवाईजर गणेशी लाल चौटाला को दी। गणेशी लाल ने मौका पर पहुंचकर ग्रामीणों को आश्वासन दिलाया कि पानी के सैम्पल लेकर टैस्ट के लिए प्रयोगशाला में भेजे जाएंगे। जब तक प्रशासनिक अधिकारी पेयजल आपूर्ति के आदेश नहीं देते, तब तक गांव में पेयजल की आपूर्ति जनहित में रोके रखी जाएगी। गणेशी लाल ने यह भी बताया कि अक्सर ग्रामीण बिजली न होने के कारण वाटर वक्र्स की डिग्गियों से पानी भरते रहते हैं। संभव है कि किसी ने डिग्गी से पानी भरा हो और मजदूरों को प्रयुक्त किया गया ड्रम कीड़ेमार दवाई का होने का संदेह हुआ हो।

उपकरण उठाने आया डॉक्टर बैंरग लौटा

डबवाली (लहू की लौ) यहां के सिविल अस्पताल से नेत्र रोग सम्बन्धी उपकरण स्थानांतरित करने के विरोध में इनेलो, हजकां और खेत मजदूर यूनियन के सैंकड़ों कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया और सामान उठाने से रोक दिया।
प्राप्त जानकारी अनुसार औढ़ां के सीएचसी से आंख रोग विशेषज्ञ डॉ. सुमित जैन डबवाली के सिविल अस्पताल में पड़े आंख रोग जांच के उपकरणों को उठवाने के लिए निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं हरियाणा, पंचकूला के आदेश पर आये थे। लेकिन इसकी भनक इनेलो के रणवीर राणा, टेकचन्द छाबड़ा, गुरजीत सिंह, शिवजी राम बागड़ी, अमरनाथ बागड़ी, हजकां के कृष्ण लोहमरोड़, सुल्तान सिंह बैनीवाल, निर्मल सिंह धारणियां, खेत मजदूर यूनियन के कामरेड गणपत राम, मण्डी मजदूर यूनियन के विक्की चोरा, विजय खनगवाल को मिली तो वे अस्पताल में इक्ट्ठे हो गये और उन्होंने उपकरणों से भरी गाड़ी को रोक लिया और उसके आगे धरना पर बैठ गये तथा हरियाणा सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए इनेलो नेता रणवीर राणा तथा हजकां नेता कृष्ण कुमार लोहमरोड़ ने डबवाली के सिविल अस्पताल को रैफर अस्पताल की संज्ञा देते हुए कहा कि अगर हरियाणा सरकार ने डबवाली के प्रति अपनी नीति को नहीं बदला तो यहां के लोग सरकार के खिलाफ जोरदार आंदोलन चलाने को बाध्य होंगे।
इन नेताओं ने कहा कि सरकार को चाहिए कि डबवाली के सिविल अस्पताल में आंख रोग विशेषज्ञ, बर्न स्पैशलिस्ट, हड्डी रोग विशेषज्ञ, महिला रोग विशेषज्ञ नियुक्त किये जायें। इन नेताओं ने आशंका प्रकट की कि सरकार धीरे-धीरे डबवाली में विकास के लिए बनाये गये कार्यालयों को यहां से समाप्त करके बाहर स्थानांतरित कर रही है। कुछ वर्ष पूर्व कांग्रेस सरकार ने आते ही जनस्वास्थ्य विभाग के एक्सीयन कार्यालय को बाहर स्थानांतरित कर दिया। अब अस्पताल को स्थानांतरित करने की योजना बनाकर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने की नीति पर चल रही है। उन्होंने आगाह किया कि डबवाली के लोग लावारिस नहीं है। वे अपना अधिकार लेना जानते हैं।
इस मौके पर लोगों के विरोध के चलते एसएमओ को स्थानांतरित किया जा रहा सामान वापिस अस्पताल में रखना पड़ा।
एसएमओ डॉ. विनोद कुमार महिपाल से जब इस संदर्भ में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सामान को अस्थाई रूप से उच्च अधिकारियों के आदेश पर भेजा जा रहा था और सरकार को डबवाली के सिविल अस्पताल में नेत्र रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति के लिए लिखा जा चुका है और विशेषज्ञ की नियुक्ति होते ही इस सामान को वापिस लाया जाना था।
इधर लोगों के सिविल अस्पताल में इक्ट्ठा होने की सूचना पाकर एसआई कृष्ण लाल परदेसी तथा एएसआई कैलाश चन्द्र अपने दलबल सहित मौका पर पहुंचे।

60 वर्षीय दूल्हे से ठगी

नई नवेली दुल्हन व बिचोलन ने हजारों रूपये व जेवरात उड़ाये
डबवाली (लहू की लौ) 60 वर्षीय एक बूढ़े को अपनी उम्र से करीब आधी उम्र की महिला से शादी रचाना उस समय महंगा पड़ा, जब वह शादी रचाकर उससे हजारों रूपये की नकदी और सामान उड़ा ले गई।

ऐलनाबाद निवासी 60 वर्षीय गुरदीप सिंह पुत्र चरण सिंह ने बताया कि उसके कोई औलाद नहीं है। औलाद प्राप्ति के मोह में उसने अपनी पत्नी की सहमति से अन्य के साथ शादी रचाने का मन बनाया। इसके लिए उसने गांव के ही शेरा नामक एक व्यक्ति से सम्पर्क किया। शेरा ने उसकी बातचीत गांव नरसिंह कलोनी निवासी गुड्डी नामक एक महिला से करवाई और उसे उसकी होने वाली दुल्हन भी दिखाई गई। पीडि़त ने बताया कि 24-25 फरवरी की शाम को अचानक अमरजीत कौर निवासी चकेरियां हाल नरसिंह कलोनी अपनी साथी गुड्डी के साथ अचानक उसके निवास पर पहुंची और खुद को शगुन के रूप में 10,000 रूपये की राशि व हजारों रूपये के जेवरात डलवाकर लौट आई।
पीडि़त गुरदीप सिंह के अनुसार 3 मार्च को उसकी शादी तय हो गई। लेकिन तय शादी पर अमरजीत कौर ने एक अन्य लड़की रानी को उसके साथ दुल्हन के रूप में भेज दिया। लेकिन 5 मार्च को रानी नामक महिला अपने मायके चकेरियां जाने के बहाने 10 हजार रूपये की नकदी व घर में पड़े सूट उड़ा ले गई और वापिस नहीं लौटी। रानी नामक यह महिला अमरजीत कौर को अपनी मां बताती थी।
इधर आरोपी अमरजीत कौर ने बताया कि यह सब नरसिंह कलोनी में रहने वाली गुड्डी नामक महिला का किया धरा है। उसके अनुसार कुछ दिन पूर्व गुड्डी ने उसे अपने घर बुलाया और उसकी भेंट गांव मल्लेकां के शेरा नामक एक व्यक्ति से करवाई। वे लोग आपस में किसी व्यक्ति से बड़ी ठगी मारने की बात कर रहे थे। अमरजीत कौर के अनुसार योजना के मुताबिक गुड्डी व शेरा नामक व्यक्ति ने नरसिंह कलोनी में (गुड्डी के निवास स्थान पर) उसे दुल्हन के रूप में पेश कर दिया। लेकिन बाद में उसने रानी निवासी चकेरियां को मल्लेकां निवासी गुरदीप सिंह की दुल्हन के रूप में पेश करके उसे उसके साथ भेज दिया।
उपरोक्त घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए गांव नरसिंह कलोनी के सरपंच जसपाल सिंह ने बताया कि पीडि़त गांव मल्लेकां निवासी गुरदीप सिंह ने ठगी की शिकायत उससे की। जिस पर उन्होंने तत्काल पंचायत बुलाकर इस मामले को रखा। इस मौके पर गांव नरसिंह कलोनी की पंचायत के सदस्य जसपाल सिंह, तेजा सिंह, मनजीत कौर, महिन्द्र कौर सहित मेघराज पटवारी भी उपस्थित थे। सम्बन्धित पक्षों के ब्यान जाने गये। दूल्हे गुरदीप सिंह से ठगी होने की बात सामने आई। सरपंच के मुताबिक उपरोक्त महिलाओं ने दूल्हे से करीब 40 हजार रूपये की नकदी, जेवरात व सामान आदि ठगा है।