22 सितंबर 2011

लसाड़ा ने बढ़ाई दिलों की धड़कनें


डबवाली (लहू की लौ) पंजाब-हरियाणा को बाढ़ से बचाने के लिए बना लसाड़ा नाला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। बेमौसमी बरसात, फैक्ट्रियों तथा सीवरेज के गंदे पानी से लबालब हुआ नाला टूट की कगार पर पहुंच गया है। पानी ओवरफ्लो होकर सड़क पर आ गया है। नैशनल हाईवे नं. 64 के साथ-साथ नाले से दो किलोमीटर दूर स्थित बठिंडा-बीकानेर रेलमार्ग कभी भी बंद हो सकते हैं। पंजाब ड्रेनज विभाग ने नाले पर चौकसी कड़ी कर दी है। वहीं नाला के उफनते ही हरियाणा-पंजाब की राजनीति भी उफनने की संभावना बन गई है।
साल 1963 में भारत सरकार ने लसाड़ा नाले का निर्माण संयुक्त पंजाब में करवाया था। जिसका मुख्य उद्देश्य बरसात के समय आने वाली बाढ़ से मुक्ति दिलाना था। ताकि फालतू पानी को नाले की मदद से राजस्थान के सूखाग्रस्त इलाके में छोड़ा जा सके। यह नाला पंजाब के जिला लुधियाना के गांव तमोट से चलकर लुधियाना, बरनाला, संगरूर, बठिंडा तथा हरियाणा के जिला सिरसा से होता हुआ राज्य के अंतिम छोर पर राजस्थान सीमा के निकट खत्म होता है। नाला करीब 255 किलोमीटर लम्बा है। जिसका 200 किलोमीटर क्षेत्र पंजाब में तथा 55 किलोमीटर क्षेत्र हरियाणा में आता है।
साल 1992 की हरियाणा सरकार ने अपने क्षेत्र में इस नाले को बंद करके जमीन किसानों को वापिस दे दी। लेकिन अधिक बरसात, फैक्ट्रियों तथा सीवरेज के गंदे पानी से यह नाला हर साल उफनता है। नाले के उफनते ही डबवाली-बठिंडा मार्ग पर आने वाले गांवों में रहने वाले लोगों के दिलों की धड़कन तेज हो जाती है। इस बार बेमौसमी बरसात के कारण पानी खतरे के निशान से भी ऊंचा चला गया है। डबवाली से महज सात किलोमीटर दूर स्थित गांव पथराला के निकट पानी डबवाली-बठिंडा मार्ग के नजदीक जा लगा है। वहीं यहां से रेलमार्ग की दूरी भी महज दो किलोमीटर है।
सूचना पाकर पंजाब डे्रनज विभाग मानसा के एक्सीयन विजय गर्ग ने स्थिति का जायजा लिया। इस मौके पर गांव पथराला, डूमवाली, कुटी, चकरूलदू सिंह वाला, जस्सी बागवाली, गुरथरी, मशाना, धुनेवाला, शेरगढ़, कोटफत्ता के ग्रामीणों ने ड्रेनेज को हरियाणा क्षेत्र में खोलने की मांग की। ग्रामीणों के अनुसार अगर हरियाणा अपने क्षेत्र में ड्रेन को नहीं खोलता तो इसके लिए पंजाब सरकार को इसका हल ढूंढऩा ही होगा। गांव पथराला के सरपंच लुधर सिंह, बाबा जीवन सिंह स्पोट्र्स क्लब के उपप्रधान अवतार सिंह, राम सिंह, सुक्खा ने बताया कि डे्रन से पानी बाहर बह रहा है। एक आध-बारिश से पानी गांव में घुस सकता है। पंचायत ने अपने तौर पर गांव की ओर मिट्टी से भरे बैग लगाकर बांध को ऊंचा और मजबूत कर दिया है। ऐसे में पानी डबवाली-बठिंडा मार्ग पर जाएगा। सरपंच के अनुसार वे कई दफा ड्रेनेज विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखकर ड्रेनेज का स्थाई हल निकालने की गुहार लगा चुके हैं। लेकिन कोई परिणाम नहीं निकल रहे।
पंजाब डे्रनज विभाग मण्डल मानसा के अभियंता विजय गर्ग ने बताया कि विभाग लसाड़ा नाला पर लगातार नजर बनाए हुए है। पीछे से पानी कम करवा दिया गया है। हरियाणा में पड़ते नाले को खुलवाने के लिए वे कई दफा अपने उच्च अधिकारियों के साथ-साथ मुख्य सचिव, पंजाब को पत्र लिख चुके हैं। लेकिन पत्र घूम कर पुन: उनके पास आ जाता है। यह मामला सीएम टू सीएम है। उन्होंने स्वीकार किया कि अगर इस समस्या का जल्द कोई हल न सुझाया गया तो आने वाले समय में काफी नुक्सान उठाना पड़ सकता है। इस मसले पर वे दोबारा अपने उच्च अधिकारियों को लेटर लिखकर गंभीर होती स्थिति के बारे में अवगत करवाएंगे।

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