10 दिसंबर 2014

बच्चे पूछेंगे, आपके घर में डस्टबिन है

डबवाली (लहू की लौ) अब बच्चे अपने माता-पिता को बताएंगे कि डस्टबिन क्यों जरूरी है। अपने आस-पास के क्षेत्र में सर्वे भी करेंगे कि डस्टबिन रखा है या नहीं। कड़ी दर कड़ी चलने वाले इस कार्यक्रम में हस्ताक्षर अभियान के साथ-साथ रैलियां भी आयोजित होंगी। जिसका दारोमदार भी बच्चों पर ही होगा। बच्चों को स्वच्छता की शिक्षा देने के साथ-साथ स्वच्छता अभियान को आगे बढ़ाने के लिये नगर परिषद उपरोक्त कदम उठाने जा रही है। मंगलवार को शिक्षण संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करके योजना को अमलीजामा पहनाने के प्रयास शुरू हुये।
यूं चलेगा अभियान
बैठक की अध्यक्षता नप सचिव ऋषिकेश चौधरी ने की। जिसमें सीनेटरी इंस्पेक्टर अविनाश सिंगला, शशिकांत शर्मा, जितेंद्र शर्मा, शगुन सिंह, राजसिंह मान, डिंपल मिढ़ा ने भाग लिया। सचिव ने शिक्षण संस्थानों के प्रतिनिधियों के आगे स्वच्छता अभियान को आगे बढ़ाने संबंधी सुझाव मांगे। प्रतिनिधियों ने कहा कि बच्चों के जरिये अभियान को आगे बढ़ाने का तरीका सही रहेगा। सभी स्कूल बच्चों के जरिये सर्वे करेंगे कि कितने घरों में डस्टबिन हैं। बच्चों को यह भी बताना होगा कि आखिर डस्टबिन क्यों नहीं है? इसके अतिरिक्त एक बच्चे को दस घर दिये जाएंगे, ताकि वे उन घरों की रिपोर्ट दे सकें। अगले चरण में बच्चों को शपथपत्र दिया जायेगा, जिस पर वे अपने माता-पिता तथा संबंधित व्यक्तियों के हस्ताक्षर करवाएंगे। इस शपथपत्र में संबंधित व्यक्ति को स्वच्छता के लिये प्रतिबद्ध किया जायेगा। अंतिम चरण में रैलियां निकाली जाएंगी।
डस्टबिन में ही डाला जाये कूड़ा
बैठक में सीनेटरी इंस्पेक्टर ने आंकड़े प्रस्तुत करते हुये कहा कि शहर में रोजाना करीब 60 टन कूड़ा उठ रहा है। नप के पास 70 मुलाजिम हैं। जिन्हें अब केवल कूड़ा उठाने पर लगाया जायेगा। लोगों में नप डस्टबिन में कूड़ा डालने की आदत पैदा हो, इसलिये उपरोक्त अभियान की शुरूआत की जायेगी।
कर्मचारियों का करवाया जायेगा मैडीकल
एक सवाल के जवाब में सचिव ऋषिकेश चौधरी ने कहा कि नप कर्मचारियों का मैडीकल परीक्षण करवाया जायेगा। उन्हें मास्क तथा दस्ताने दिये जाएंगे। ताकि वे गंदगी से होने वाली बीमारियों से बचे रहें। इसके लिये बुधवार को सभी कर्मचारियों की बैठक बुलाई गई है। बैठक में शिक्षण संस्थानों के मुखियों ने शहर में अवारा पशुओं का मुद्दा भी उठाया।

कोई टिप्पणी नहीं: