10 दिसंबर 2014

आज तक राजकीय घोषित नहीं हुआ अग्निकांड स्मारक

-अग्निकांड पीडि़त उठा रहे हैं रखरखाव का खर्च
-बिजली का कनेक्शन कट चुका है, कुंडी के सहारे प्रयोग हो रही है बिजली

डबवाली (लहू की लौ) 23 दिसंबर 1995 को डबवाली में हुये अग्निकांड को विश्व की सबसे भयानक अग्नि त्रासदी माना गया है। अब तक केंद्र तथा हरियाणा सरकार ने इसे त्रासदी मानकर घटना स्थल को राजकीय स्मारक घोषित नहीं किया है। ऐसे में अग्निकांड पीडि़त संघ ही स्मारक के खर्चे वहन कर रहा है। सबसे खास बात यह है कि अग्निकांड का मुख्य कारण शॉर्ट सर्किट माना गया था। वैसे ही हालात अब भी अग्निकांड स्थल के हैं। कनेक्शन कटा होने पर अग्निकांड स्मारक की बिजली कुंडी पर चल रही है।
अग्निकांड स्मारक का सफर
अग्निकांड पीडि़त संघ की मांग पर वर्ष 2002 में सरकार ने करीब 9 लाख रूपये की लागत से दो कमरे खड़े किये थे। छह साल तक सरकार ने मुड़कर ने देखा। 2008 में करीब साढ़े बारह लाख रूपये की लागत से स्मारक का मुख्य गेट बनाया गया। अब उसमें करीब साढ़े 25 लाख रूपये की लागत से ई-लाईब्रेरी स्थापित की गई है। साथ में कुशलता विकास केंद्र चल रहा है। पूरा स्मारक करीब 110 गुणा 110 फुट जमीन पर बना हुआ है। लेकिन आज तक इस स्मारक को सरकार ने राजकीय स्मारक घोषित नहीं किया।
राजकीय स्मारक घोषित होने पर सरकार उठाती है खर्च
पिछले करीब उन्नीस वर्षों से बरसी पर राजनेताओं के आगे अग्निकांड पीडि़त संघ स्मारक को राष्ट्रीय या राजकीय स्मारक घोषित करने की मांग कर रहा है। पीडि़त संघ का कहना है कि स्मारक प्रेरणा का स्त्रोत बने, ताकि लापरवाही के चलते डबवाली अग्निकांड जैसी पुनरावृत्ति दोबारा न हो। लेकिन आज तक पीडि़तों की मांग पूरी नहीं हुई। कुछ समय पहले बिजली बिल न भरने के कारण स्मारक का कनेक्शन कट गया। जैसे ही स्मारक में कुशलता विकास केंद्र खुला, प्रशासन ने नया कनेक्शन जारी करवा लिया। तब से अब तक स्मारक में बिजली व्यवस्था कुंडी कनेक्शन के सहारे चल रही है। सवाल उठता है कि अग्निकांड स्मारक का खर्च कब तक अग्निकांड पीडि़त वहन करते रहेंगे।
अग्निकांड पीडि़त संघ के प्रवक्ता विनोद बांसल ने बताया कि अब तक स्मारक के रखरखाव पर पूरा खर्च अग्निकांड पीडि़त वहन करते आ रहे हैं। डबवाली अग्निकांड के शहीदों की याद में बने स्मारक को राष्ट्रीय या राजकीय स्मारक घोषित किया जाना चाहिये, ताकि सरकारी कंट्रोल में आने के बाद अच्छी तरह से स्मारक का रखरखाव हो सके।

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