24 मार्च 2011

गरीबी ने खेत में फेंकवा दिए थे कलेजे के टुकड़े


डबवाली (लहू की लौ) गरीबी इतनी नामुराद चीज है कि अपने जिगर के टुकड़ों को भी बाहर फेंककर मरने के लिए छोड़ सकती है। इसका रहस्योद्घटन गांव चौटाला में दो अबोध बालिकाओं को बेहोशी की हालत में खेत में फेंकने वाली दो महिलाओं की गिरफ्तारी के बाद पुलिस पूछताछ के दौरान हुआ है।
अबोध बालिकाओं को बेहोशी की हालत में खेत में फेंकने की आरोपी मां और नानी को चौटाला पुलिस ने गिरफ्तार करके मंगलवार को उपमण्डल न्यायिक दण्डाधिकारी महावीर सिंह की अदालत में पेश किया। अदालत ने आरोपी महिलाओं को सात दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश दिए।
चौटाला पुलिस चौकी प्रभारी एसआई जीत सिंह कुंडू ने बताया कि ओमप्रकाश (35) पुत्र रामकुमार निवासी चौटाला ने लीलाधर पुत्र गंगाजल बिश्नोई से 5वें हिस्से पर जमीन खेती के लिए ली हुई है। उसके तीन बेटियां ज्योति (6), गीता (4), गुनगुन (2) हैं। 23 दिसम्बर 2010 को उसकी पत्नी सुमन (32) रजामंदी से बच्चों सहित मायके हनुमानगढ़ चली गई थी। 11 मार्च को ओमप्रकाश की पत्नी सुमन तथा सास प्रेमा देवी थ्री व्हीलर में आईं और उसकी दो बेटियां को खेत में फेंक गईं। ओमप्रकाश ने अपनी पुत्रियां गीता और गुनगुन को बेहोशी की हालत में खेत में पाया और इलाज के लिए चौटाला के सरकारी अस्पताल में दाखिल करवाया। पुलिस ने ओमप्रकाश की शिकायत पर दफा 317/34 आईपीसी के तहत अपने बच्चों को त्याग देने के आरोप में शिकायतकर्ता की पत्नी सुमन और सास प्रेमा देवी पत्नी ओमप्रकाश निवासी हनुमानगढ़ के खिलाफ केस दर्ज करके कार्रवाई शुरू कर दी थी। चौकी प्रभारी के अनुसार आरोपी सुमन तथा प्रेमा देवी को हनुमानगढ़ से पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस के समक्ष दोनों आरोपियों ने स्वीकार किया कि उन्होंने 11 मार्च को चौटाला रकबा के खेत में गीता और गुनगुन को भूखी-प्यासी हालत में फेंक दिया था। इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि ओमप्रकाश सुमन को तंग और परेशानी करता था। गरीबी के चलते वह अपनी इन दो बेटियों को पालने में अक्षम थी। जिसके चलते उन्होंने यह अपराध किया।

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