16 दिसंबर 2014

डबवाली अग्निकांड ने जख्म दिये, कंपनियों ने अपाहिज कह रूलाया

डबवाली (लहू की लौ) इस अग्निकांड पीडि़त की कहानी जानने के बाद आंखों से पानी टपकने लगता है। अग्निकांड में 85 फीसदी जलने के बावजूद नवगीत सेठी ने जो प्रतिभा दिखाई
है, वह मिसाल से कम नहीं। सरकार के साथ-साथ देश-विदेश की 42 नामी कंपनियों ने जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया। इस प्रतिभाशाली युवक को पल-पल रूलाया। लेकिन आंसू रूपी मोतियों को इस युवक ने माला में पिरो लिया। आज इंडियन ऑयल की पानीपत स्थित रिफाईनरी में बतौर सीनियर परचेजिंग अधिकारी कार्यरत है।
जब बड़े ने छोटे को बचाया
23 दिसंबर 1995 को नवगीत अपने बड़े भाई लवगीत के साथ अपने स्कूल के वार्षिक कार्यक्रम को देखने के लिये पहुंचा था। आग लगने पर लवगीत अपने छोटे भाई को बाहर लेकर आया। नवगीत पहला बच्चा था जो आग की लपटों से बचता बचाता बाहर लाया गया था। उस समय लवगीत चौथी तथा नवगीत तृतीय कक्षा में पढ़ता था। बाहर आने के बाद एक राहगीर की सहायता से अपने झुलसे भाई को अस्पताल में पहुंचाया। बाद में इसकी जानकारी अपने परिजनों को दी। गंभीर हालत में नवगीत को डीएमसी लुधियाना लेजाया गया। सिर, हाथ तथा शरीर का पिछला हिस्सा बुरी तरह से जलने के बावजूद नवगीत ने हिम्मत नहीं हारी।
मैकेनिकल इंजीनियर बना
उपचार से पीछा छुड़वाने के बाद नवगीत ने डबवाली के निजी स्कूलों से 12वीं पास की। दायं हाथ की अंगुलियां कटी होने के बावजूद भी बेहतरीन अंक लेकर उत्तीर्ण हुआ। बीटेक के लिये प्रवेश परीक्षा पास करने पर एक अवसर आया कि नवगीत हरियाणा के किसी भी संस्थान में दाखिला ले सकता था। लेकिन कंप्यूटर इंजीनियरिंग को दरकिनार करते हुये उसने मैकेनिकल इंजीनियरिंग के लिये हरियाणा के फरीदाबाद में स्थित एक संस्थान में एडमिशन लिया। 85 प्रतिशत जख्मों के साथ मैकेनिकल में वेल्डिंग ट्रेड अपनाई।
42 कंपनियों के बोल नमक से कम नहीं
कैंपस सिलेक्शन के दौरान 42 कंपनियां जॉब देने के लिये आई। परीक्षा में पास होने के बावजूद भी कंपनियों ने नवगीत की सिलेक्शन नहीं की। इंटरव्यू के दौरान अग्निकांड के जख्मों के आधार पर उसे अपाहिज करार देकर कंपनी उसे नौकरी देने से मना कर देती। जिसके बाद यह युवक खुद को अकेला महसूस कर बहुत रोता। उसे ऐसा महसूस होता कि कंपनियां उसके जख्मों पर नमक छिड़क रही हैं।
आप मुझे यहां भेज दो, पर पैकेज बढिय़ा हो
वर्ष 2010 में आखिर वह दिन आ ही गया, जिसका नवगीत बेसब्री से इंतजार कर रहा था। एमटेक के लिये गेट की परीक्षा पास करने के बाद आईआईटी बॉम्बे, दिल्ली तथा रूड़की से उसे एडमिशन का ऑफर मिला। आईआईटी दिल्ली में दाखिला लेने के ठीक तीन दिन बाद इंडियन ऑयल कंपनी कार्पोरेशन ने उसका सिलेक्शन कर लिया। इंटरव्यू के दौरान अधिकारियों ने उसे अंडमान निकोबार में भेजने की चेतावनी दी। जिस पर नवगीत ने कहा कि उसे यहां मर्जी भेज दो, लेकिन पैकेज अच्छा होना चाहिये। अग्निकांड पीडि़त का हौंसला देख कंपनी ने उसे गुवाहटी में ए ग्रेड अधिकारी बनाकर भेजा। छह माह की सर्विस की बाद उसे सीनियर परचेजिंग अधिकारी बनाकर कंपनी ने पानीपत स्थित रिफाईनरी में भेज दिया। पिछले चार वर्षों से नवगीत उपरोक्त रिफाईनरी में सालाना 12 लाख रूपये के पैकेज पर कार्यरत है।

मेरे बेटे ने हिम्मत नहीं हारी
अग्निकांड के समय नवगीत की उम्र महज 8 साल थी। अग्निकांड में मिले जख्मों के आधार पर मेरे बेटे नवगीत को कंपनियां अपाहिज समझती थी। टेस्ट में नंबर वन रहने वाले मेरे बेटे को इंटरव्यू में निकाल दिया जाता। जबकि अन्य बच्चों को नौकरी मिल जाती। यह बात उसे बहुत खटकती थी। नवगीत सिलेक्शन न होने पर बहुत रोता था। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। कंप्यूटर इंजीनियर बनने के लिये उन्होंने उस पर बहुत दबाव डाला। लेकिन एसी कमरों वाली आराम दायक ट्रेड अपनाने की बजाये उसने वेल्डिंग में जाना पसंद किया। अपनी प्रतिभा के बल पर आज इस मुकाम पर है।
-रमेश सेठी (नवगीत के पिता)

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