10 सितंबर 2009

मानचित्रीकरण के दिशा-निर्देश जारी

डबवाली (लहू की लौ) भारत के चुनाव आयोग ने स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए भेद्यता मानचित्रीकरण के कार्य तथा संवेदनशील मतदान केन्द्रों एवं संवेदनशील समूहों की पहचान करने बारे दिशा-निर्देश जारी किए हैं। हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी सज्जन सिंह ने आज यह जानकारी देते हुए बताया कि दिशा-निर्देशानुसार भेद्यता मानचित्रीकरण कार्य तीन चरणों में किया जाएगा, जिसमें ऐसे कमज़ोर गांवों, ढाणियों, मतदाता खण्डों की पहचान करना, जिन्हें धमकाये जाने का खतरा है; ऐसे लोगों की पहचान करना, जिन द्वारा मतदाताओं को धमकाकर उनके लिए खतरा उत्पन्न किए जाने की सम्भावना है; ऐसे लोगों के विरुद्ध बचावात्मक उपाय शुरू करना तथा की गई कार्यवाही की रिपोर्ट प्रेषित करना शामिल है। उन्होंने कहा कि सम्बन्धित निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव के लिए राजपत्र अधिसूचना के जारी होने से पहले प्रत्येक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के सम्बन्ध में इस कार्य का प्रथम चरण पूरा किया जाएगा। यदि किसी जिला या किसी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में किसी ऐसी संवेदनशील ढाणी या गांव की पहचान नहीं होती है, तो सम्बन्धित जिला चुनाव अधिकारी द्वारा थाना / खण्ड स्तर एवं उप-मण्डल स्तर पर क्षेत्रीय कार्यकत्र्ताओं से प्रमाण-पत्र लिया जाएगा तथा अन्त में मुख्य निर्वाचन अधिकारी को यह प्रमाण-पत्र प्रेषित करेगा कि उसके जिले में ऐसे किसी भी संवेदनशील गांव या ढाणी या मतदाता खण्ड उपलब्ध या पहचान नहीं की गई है। ऐसा प्रमाण-पत्र राजपत्र अधिसूचना जारी होने के तीन दिनों के भीतर भेजा जाएगा। चुनाव आयोग के उक्त दिशा-निर्देशों के अनुसार यदि निचले स्तर के अधिकारियों द्वारा ऐसे संवदेनशील गांवों या ढाणियों या मतदाता खण्डों की पहचान की जाती है, तो गांवों को संवेदनशील बनाने के लिए जि़म्मेवार लोगों की पहचान करने के द्वितीय चरण का कार्य मतदान केन्द्रवार किया जाएगा, जिसमें गांव एवं ढाणी का नाम, ऐसा करने वाले व्यक्तियों के नाम एवं पते आदि इंगित किए जाएंगे। परेशानी उत्पन्न करने वालों की पहचान का कार्य राजपत्र अधिसूचना जारी होने के पांच दिनों के भीतर पूरा किया जाएगा। इसके उपरान्त, पुलिस अधीक्षक एवं जिला मजिस्ट्रेट द्वारा हरसम्भव बचावात्मक उपाय शुरू किए जाएंगे, जिनमें आपराधिक प्रक्रिया संहिता तथा अन्य प्रासंगिक अधिनियमों की निवारक धाराओं का उपयोग शामिल हो सकता है। कमज़ोर समुदायों का मनोबल बढ़ाने के लिए वरिष्ठï अधिकारियों द्वारा दौरे किए जाएंगे तथा परेशानी उत्पन्न करने वालों को चेतावनी जारी की जाएगी कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से ढूंढा जाएगा। ये कार्रवाइयां विशेष ध्यान रखकर की जाएंगी। परेशानी उत्पन्न करने वाले व्यक्ति का पता लगाने तथा परेशानी में डालने वालों पर नजर रखा जाना सुनिश्चित करने के लिए थाना स्तर पर विशिष्टï अधिकारी पदनामित किए जाएंगे ताकि बेहतर कानून एवं व्यवस्था तथा शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित हो सकें। भेद्य मानचित्रीकरण दस्तावेज़ में प्रत्येक संवेदनशील स्थल के लिए जि़म्मेदार पुलिस अधिकारी के नाम के साथ उसका पदनाम तथा सम्पर्क नम्बर भी लिखा जाएगा। समुदायों में से सम्पर्क किए जाने वाले व्यक्तियों के नामों की भी पहचान की जाएगी तथा उनके सम्पर्क नम्बर, मोबाइल नम्बर, यदि कोई हैं, लिखे जाएं। यह कार्य पूरा होने के उपरान्त की गई कार्रवाई की रिपोर्ट जिला चुनाव अधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक को संयुक्त रूप से प्रेषित की जाएगी और यह रिपोर्ट मतदान के दिन से कम से कम पांच दिन पहले जमा कराई जाएगी। आयोग ने यह भी निर्देश दिए हैं कि पर्यवेक्षक के आने पर भेद्यता मानचित्रीकरण की स्थिति रिपोर्ट जिला चुनाव अधिकारी द्वारा उसे उपलब्ध करवाई जाएगी। उन्हें पहचान की गई संवेदनशील ढाणियों या गांवों की संख्या, परेशानी में डालने वालों के रूप में पहचान किए गए लोगों की संख्या तथा उस समय किए गए बचावात्मक एवं मनोबल बढ़ाने के लिए किए गए उपायों के बारे जानकारी दी जाएगी। की गई कार्रवाई की रिपोर्ट की एक प्रति पर्यवेक्षकों को भी उपलब्ध करवाई जाएगी। भारत के चुनाव आयोग के क्षेत्रीय अनुभागों द्वारा प्रत्येक पर्यवेक्षक से मतदान से कम से कम तीन दिन पहले भेद्य मानचित्रीकरण की स्थिति के बारे एक विशिष्टï एवं केन्द्रित रिपोर्ट ली जाएगी। संवेदनशील मतदान केन्द्रों, जिनके लिए कुछ अतिरिक्त उपाय किए जाने आवश्यक हैं, की पहचान करने के लिए मतदाता फोटो पहचान-पत्र वाले तथा बिना मतदाता फोटो पहचान-पत्र वाले मतदाताओं की संख्या का मतदान केन्द्रवार विश्लेषण किया जाएगा। प्राथमिकता प्रदान करने के लिए मतदान केन्द्रों को बिना मतदाता फोटो पहचान-पत्र वाले मतदाताओं की संख्या के आधार पर घटते क्रम में रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि आयोग ने हाल ही में गुमशुदा मतदाताओं का दो श्रेणियों, पारिवारिक सम्पर्क वाले गुमशुदा मतदाता एवं बिना पारिवारिक सम्पर्क वाले गुमशुदा मतदाता, में सर्वेक्षण करने के निर्देश दिए हैं। इन दो श्रेणियों में से बिना पारिवारिक सम्पर्क वाले गुमशुदा मतदाताओं से दुरुपयोग एवं अपराध की सम्भावना अधिक होती है। दूसरी श्रेणी में आने वाले मतदाताओं की संख्या का मतदान केन्द्रवार विश्लेषण किया जाएगा तथा ऐसे मतदान केन्द्रों की पहचान की जाएगी, जिसमें ऐसे मतदाताओं की संख्या अधिक है। इस कार्य के लिए, विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र औसत निकालने के लिए, बिना पारिवारिक सम्पर्क वाले ऐसे गुमशुदा मतदाताओं की कुल संख्या को कुल मतदान केन्द्रों की संख्या से विभाजित किया जाएगा। औसत से अधिक अन्तर के विश्लेषण से ऐसे मतदान केन्द्रों की पहचान हो सकेगी, जहां ऐसे मतदाताओं की संख्या अधिक है। चुनाव के दौरान जिला चुनाव अधिकारियों / निर्वाचन अधिकारियों को ऐसी ढाणियों, ढाबों एवं मतदाता खण्डों का भेद्य मानचित्रीकरण करने को कहा जाएगा, जिन्हें डराए या धमकाये जाने का खतरा है। मतदान केन्द्र, जिनमें संवेदनशील इलाकों की पहचान की गई है, को सूचीबद्ध किया जाएगा। गत आम चुनाव के सन्दर्भ में फार्म-20 में उपलब्ध मतदान केन्द्रवार चुनाव परिणामों का विश्लेषण किया जाएगा। सभी ऐसे मतदान केन्द्र, जहां मतदान की प्रतिशतता 75 प्रतिशत से अधिक है और जहां 75 प्रतिशत से अधिक वोट किसी एक प्रत्याशी के पक्ष में रिकॉर्ड किए गए हैं, की पहचान संवेदनशील मतदान केन्द्र के रूप में की जाएगी। गत चुनाव में चुनाव अनाचार के कारण जिन मतदान केन्द्रों में दोबारा मतदान करवाया गया तथा ऐसे मतदान केन्द्र, जहां किसी प्रकार की चुनावी हिंसा देखी गई है, की भी पहचान की जाएगी। जिला चुनाव अधिकारियों तथा निर्वाचन अधिकारियों द्वारा संवेदनशील मतदान केन्द्रों की अन्तिम पहचान करते हुए अतिरिक्त उपाय करने के लिए सभी उक्त तथ्यों को ध्यान में रखा जाएगा। उक्त दिशा-निर्देशानुसार संवेदनशील मतदान केन्द्रों की सूची को अन्तिम रूप देते समय भारत के चुनाव आयोग के पर्यवेक्षकों का परामर्श लिया जाएगा। संवेदनशील मतदान केन्द्रों के रूप में पहचान किए गए मतदान केन्द्रों में निम्न उपाय किए जाएंगे। इन उपायों में मतदान केन्द्रों की सुरक्षा के लिए केन्द्रीय पुलिस बल की उपस्थिति तथा मतदान केन्द्रों में डिजिटल कैमरा या वीडियो कैमरा लगाया जाना शामिल है। इसके अतिरिक्त, पीठासीन अधिकारी को विशेष रूप से निर्देश दिए जाएंगे कि मतदाता फोटो पहचान-पत्र या स्वीकृत पहचान दस्तावेज़, यदि कोई है, को उचित रूप से सत्यापित किया जाना तथा उसे फार्म 17-ए के रिमार्क कॉलम में अंकित किया जाना सुनिश्चित करे। ऐसे मतदान केन्द्रों की सूची केन्द्रीय पुलिस बल के कमाण्डिंग व सहायक कमाण्डिंग अधिकारियों को दी जाएगी ताकि वे भी ऐसे मतदान केन्द्रों पर नज़र रख सकें। मतदान केन्द्र के भीतर एक माइक्रो-ऑब्ज़र्वर को तैनात किया जाएगा। सभी सम्बन्धित लोगों को इस बारे सूचित किया जाएगा तथा जिला चुनाव अधिकारी द्वारा सभी पर्यवेक्षकों को परिपत्र की एक प्रति उपलब्ध करवाई जाएगी।

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