Adsense

Lahoo Ki Lau

युवा दिलों की धड़कन, जन जागृति का दर्पण, निष्पक्ष एवं निर्भिक समाचार पत्र

farmer लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
farmer लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

21 नवंबर 2024

किसान ने मानसिक परेशानी और आर्थिक तंगी के चलते की आत्महत्या


डबवाली (लहू की लौ) गांव सांवतखेड़ा में 51 वर्षीय किसान ने मानसिक परेशानी और आर्थिक तंगी के चलते अपने खेत में पेड़ से लटककर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने मृतक के बेटे के बयान के आधार पर इतफाकिया मौत की कार्रवाई करते हुए मृतक का पोस्टामार्टम करवाने के बाद शव को वारिसों को सौंप दिया है।

गांव सांवतखेड़ा निवासी खेम चन्द बिट्टू पुत्र जवाहर राम ने पुलिस को बताया कि उसके पिता जवाहर राम (51) पुत्र दारा राम काफी समय से परेशान चल रहे थे। उनकी मुख्य परेशानी खराब फसल, घर की आर्थिक स्थिति और बेटी की शादी की चिंता थी। इसके अलावा, कुछ समय पहले उसके ताया छनकू राम की मृत्यु हो गई थी, जिससे वे मानसिक रूप से और अधिक टूट गए थे। बिट्टू ने बताया कि बेटी की शादी और खराब फसल की वजह से उनके पिता अंदर ही अंदर घुटन महसूस करने लगे थे। डेढ़ एकड़ में बोई गई नरमा और ग्वार की फसल भी पूरी तरह खराब हो गई थी, जिससे उनकी परेशानी और बढ़ गई।

मंगलवार सुबह ग्रामीणों ने देखा कि जवाहर राम ने अपने पड़ोसी विजयपाल के खेत में लगे पेड़ से अपने गमछे का फंदा बनाकर फांसी लगा ली। इस घटना की सूचना ग्रामीणों ने तुरंत गांव के सरपंच और पुलिस को दी। सूचना मिलते ही देसूजोधा पुलिस चौकी के अधिकारी मौके पर पहुंचे और बिट्टू के बयान पर इसे इत्तेफाकिया मौत की कार्रवाई अमल में लायी गई।

11 जून 2020

भूजल रिचार्जिंग के लिए 1000 बोरवेलों का निर्माण करवाने की घोषणा

 चंडीगढ़ (लहू की लौ) हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किसानों के हितों और भावी पीढ़ी के लिए भू-जल संरक्षण के उद्देश्य से शुरू की गई योजना मेरा पानी मेरी विरासत के बारे में जानकारी देते हुए आज राज्य में भूजल रिचार्जिंग के लिए 1000 बोरवेलों का निर्माण करवाने की घोषणा की। इस  योजना की शुरुआत रतिया, इस्माइलाबाद और गुहला खंडों से की जाएगी।
इन योजनाओं की जानकारी मुख्यमंत्री ने आज यहां सैक्टर-3 स्थित हरियाणा निवास में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बुलाए गए एक पत्रकार सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए दी। इस मौके पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल भी मौजूद थे। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक बोरवेल पर लगभग 1.5 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है।  इस योजना के तहत 90 प्रतिशत खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाएगा और किसानों को केवल 10 प्रतिशत राशि का भुगतान करना पड़ेगा और बोरवेल बनाने के बाद इसे किसानों को सौंप दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि धान-बाहुल्य क्षेत्रों में भूजल स्तर 81 मीटर से नीचे चला गया है जोकि 10 साल पहले 40 से 50 मीटर हुआ करता था।
मनोहर लाल ने कहा कि मेरा पानी मेरी विरासत योजना को न केवल किसानों ने सराहा क्योंकि यह न केवल उनके हित में है बल्कि यह भावी पीढिय़ों के लिए भी लाभदायक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र के साथ-साथ कृषि भी हमारी अर्थव्यवस्था का एक प्राथमिक क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगभग 17 लाख किसान परिवारों की सहायता और आर्थिक विकास सरकार की जिम्मेवारी है और हम इसके लिए योजनाएं बना रहे हैं। विपक्षी पार्टियों ने अब तक किसानों को केवल राजनीतिक तौर पर इस्तेमाल करते हुए उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर किया है। उन्होंने कहा कि वे किसानों को अपना मित्र और भाई मानते हैं तथा किसान हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और सरकार की प्राथमिकता किसानों का हित और उनकी खुशहाली है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण की ''मेरा पानी-मेरी विरासत योजना का शुरू में विरोध हुआ। विपक्ष समेत कुछ लोग इस पर राजनीति कर रहे हैं, परंतु किसान इस योजना की गंभीरता को समझते हुए स्वेच्छा से आगे आ रहे हैं और अब तक 58,421 हैक्टेयर क्षेत्र में धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसलें उगाने के लिए लगभग 53,000 किसान अपना पंजीकरण करवा चुके हैं। उन्होंने कहा कि बजट भाषण में धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसलें उगाने के लिए 1,00,000 हैक्टेयर क्षेत्र का लक्ष्य रखा गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान भी अब समझ गए हैं कि जमीन के साथ ही पानी की अपनी विरासत भावी पीढ़ी को देकर जाएं।
मुख्यमंत्री ने विपक्ष को मेरा पानी मेरी विरासत योजना का विरोध करने पर कटाक्ष करते हुए कहा कि रतिया, इस्माइलाबाद और गुहला खंड घग्गर नदी के निकट होने के कारण बाढग़्रस्त क्षेत्र में आते हैं, इसलिए सरकार ने किसानों को कुछ छूट दी है। उन्होंने कहा कि किसान यदि इस योजना के तहत स्वयं को पंजीकृत करता है तो उनका प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का प्रीमियम भी सरकार द्वारा भरा जाएगा। इसके अलावा, राज्य सरकार किसानों को बागवानी को अपनाने के लिए भी 30 हजार रुपये प्रति एकड़ अनुदान राशि देगी।
मनोहर लाल ने कहा बेहतर जल प्रबंधन के चलते राजस्थान की सीमा से सटे दक्षिण हरियाणा के नांगल चौधरी, सतनाली व लोहारू जैसे क्षेत्रों में हम ऐसी-ऐसी टेलों तक पानी पहुंचाने में सफल रहे हैं, जहां पिछले 25-30 वर्षों से पानी नहीं पहुंचा था। उन्होंने कहा कि अब तक ऐसी 300 टेलों में से 293 टेलों में पानी पहुंचाया जा चुका है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पूरे नहरी तंत्र का जीर्णोद्धार तीन चरणों में किया जा रहा है। पश्चिमी-यमुना नहर के जीर्णोद्धार पर लगभग 2200 करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं और इसके दो चरणों का कार्य पूरा हो चुका है, जबकि वर्ष 2022 तक तीन चरणों का कार्य पूरा किया कर दिया जाएगा। इसी प्रकार, लखवार, किशाऊ व रेणुका बांधों से भी हरियाणा को 47 प्रतिशत पानी मिलेगा और इस प्रकार हरियाणा की पानी की क्षमता 17500 क्यूसिक से बढकऱ 23,500 क्यूसिक हो जाएगी और इस तरह प्रदेश को 6000 क्यूसिक अतिरिक्त पानी मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी प्रकार गन्ना उत्पादक किसानों को भी समृद्ध बनाने के लिए प्रदेश की 11 सहकारी चीनी मिलों और 3 प्राईवेट चीनी मिलों की पिराई क्षमता चरणबद्ध तरीके से बढ़ाई जा रही है। मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 2014 में सभी चीनी मिलों की पिराई क्षमता 24,800 टीसीडी थी, जो आने वाले वर्षों में बढ़कर 32,100 टीसीडी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में चीनी मिलों में चीनी रिकवरी 10 प्रतिशत हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि चीनी मिलों का बेहतर प्रबन्धन हो और यह लाभ में चलें, इसके लिए तीन चीनी मिलों के प्रबन्ध निदेशक आऊटसोर्सिंग पर लगाए जाएंगे, जिन्हें इस क्षेत्र में अनुभव हो।

07 जून 2020

शहीदी सदैव हमें जुल्म से लडऩे की प्रेरणा देगी

तीन साल पहले मध्यप्रदेश में मारे गए छह किसानों की याद में शहीदी दिवस मनाया
डबवाली(लहू की लौ)वर्ष 2017 में मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने शांतमयी तरीके से हक मांग रहे किसानों पर अंधाधुंध लाठीचार्ज तथा गोलियां चला दी थी। सरकार के इस बर्बरतापूर्ण अत्याचार से छह किसानों की जान चली गई थी, तो वहीं सैंकड़ों किसान घायल हुए थे। तीन साल पहले सरकार के अत्याचार में मारे गए किसानों को शहीद का दर्जा देते हुए राष्ट्रीय किसान संगठन ने शनिवार को डबवाली में शहीदी दिवस मनाया। किसानों ने दो मिनट का मौन रखते हुए शौक जताया और श्रद्धासुमन अर्पित किए। किसानों ने कहा कि मध्य प्रदेश के छह साथियों की शहीदी हमें जुल्म से लडऩे के लिए हमेशा प्रेरित करती रहेगी। साथ ही किसानों की मांगे न मानने पर सरकार के खिलाफ रोष प्रकट किया।
संगठन के प्रदेशाध्यक्ष जसवीर सिंह भाटी ने कहा कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी किसानों से वायदा करके सत्ता में आई थी। न तो सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू की न ही किसानों का कर्ज माफ किया। किसानों ने हक पाने के लिए आंदोलन शुरु किए तो सरकार ने आंदोलन को दबाने की कोशिशें शुरु कर दी। इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए सरकार ने छह किसानों को मौत के घाट उतार दिया था। इस मौके पर देवेंद्र भोभिया, लाभ सिंह मटदादू, वेदपाल डांगी, बलवीर सिंह चट्ठा, सुरेश पूनियां, राकेश नेहरा, मलकीत सिंह मौजूद थे।

06 जून 2020

चना किसानों से हो रहीं लूट-अभय सिंह

चंडीगढ़ (लहू की लौ) इनेलो नेता चौधरी अभय सिंह चौटाला ने बताया कि पिछले दिनों हिसार की मंडी में चना किसानों की लूट का मामला सामने आया कि सरकारी एजेंसी हैफेड द्वारा प्रति बोरी की तुलाई में करीब 5 किलो चने की ज्यादा की लूट की गई, इसमें करीब 250 रुपए प्रति बोरी किसानों को लूटा गया। दुर्भाग्य की बात तो ये है कि इस दौरान वहां जिला प्रशासन का कोई अधिकारी मौजूद नहीं था और किसानों को रातभर मंडियों में ही सोना पड़ा। किसानों से 100 रुपए आढ़त के नाम पर भी काटे गए जबकि सरकार पहले ही कह चुकी है कि चने की खरीद में किसान से कोई भी आढ़त का पैसा नहीं काटा जाएगा। इस दौरान किसानों ने मंडी प्रधान व सरकारी एजेंसी के अधिकारियों पर मिलीभगत का भी आरोप लगाया है। इससे साफ जाहिर होता है कि भाजपा-जजपा किसानों की आज तक की सबसे बड़ी अनेदखी करने वाली सरकार साबित हुई है।
उन्होंने कहा कि सरकारी एजेंसी द्वारा किसानों को लूटने का यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी धान, गेहूं और सरसों की फसलों को लेकर किसानों को लूटने के मामले प्रदेश की जनता के सामने उजागर हो चुके हैं। हिसार की मंडी में चने की फसल के लिए किसान पहले दर-दर भटकता रहा फिर जब तोलने का समय आया तो प्रत्येक कट्टे में सरकारी एजेंसी हैफेड द्वारा प्रति कट्टा पांच किलोग्राम अधिक तोला गया। किसानों द्वारा जब ये चोरी पकड़ी गई तो सरकार की पोल खुल गई।
इनेलो नेता ने सरकार के उस दावे को खोखला करार देते हुए कहा कि जो सरकार ग्रेड-1 धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1835 से 1887 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाने पर अपनी पीठ थपथपा रही है, वह तो मात्र 2.9 प्रतिशत की बढ़ौतरी है जबकि सरकार द्वारा दावा किया जा रहा है कि उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य 50 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। इनेलो नेता ने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार अपने आपको किसान हितैषी होने का ढिंढोरा पीट रही है।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के इस दौर में किसानों को किसी भी प्रकार की कोई राहत सरकार द्वारा नहीं दी गई है। ऊपर से मंडियों में किसानों को लूटने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। चने के दाने का साइज छोटा बताकर खरीद न करना किसानों को बेवजह परेशान किया जा रहा है। किसानों से करीब 300 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से लेकर खराब चने की खरीद का मामला भी सामने आया है जबकि जिस किसान का चना अच्छी गुणवत्ता का है उसका चना नहीं खरीदा जा रहा है। हद तो तब हो गई जब किसानों से खाने के 60 रुपए सरकार द्वारा वसूले गए। 

05 जून 2020

गेहूं उठान की जानकारी दिए बगैर बिल अप्रूव करता रहा इंस्पेक्टर, डीएफएससी ने नोटिस जारी कर जिम्मेवार ठहराया

निरीक्षक राजदीप के दायरे में आते हैं सात खरीद केंद्र, डीएफएससी ने नोटिस में माना-संबंधित निरीक्षक के कारण रुका भुगतान
डबवाली(लहू की लौ)कोरोना संकट के बीच गेहूं खरीद प्रक्रिया में उलझी रही तो अब व्यापारियों तथा किसानों को पेमेंट के लिए संबंधित खरीद एजेंसियों से जुड़े कर्मचारियों की लापरवाही की सजा भुगतनी पड़ रही है। डबवाली से जुड़े मामले में डीएफएससी सिरसा ने निरीक्षक राजदीप सिंह को नोटिस जारी किया है। नोटिस के मुताबिक संबंधित निरीक्षक आइ फार्मों की अप्रूवल तो दे देता था, लेकिन खरीद किए गए गेहूं के उठान बारे ऑनलाइन प्रमाण पत्र नहीं देता था। अधूरी जानकारी के कारण संबंधित के दायरे में आने वाले सात खरीद केंद्रों की पेमेंट का भुगतान नहीं हुआ है। डीएफएससी नीरज शर्मा ने राजदीप सिंह को उक्त केंद्रों के बकाया बिल, ऑनलाइन अप्रूव किए गए आइ फार्मों से संबंधित उठान के आंकड़े, बिल, गेहूं उठान की सूचना से संबंधित दस्तावेज उपलबध करवाने के आदेश दिए हैं।
यह है मामला
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग का निरीक्षक राजदीप सिंह डबवाली, लोहगढ़, देसूजोधा, राजा राम चिरंजी लाल, गणपति राइस मिल, ओल्ड हरियाणा कॉटन फैक्टरी, ओमप्रकाश बब्बर एंड संस, महावीर राइस मिल खरीद केंद्र में गेहूं खरीद कर रहा है। आढ़ती गेहूं खरीद के बाद आइ फार्म जमा करवाते थे, उसकी अप्रूवल दे देता। जबकि उठान बारे ऑनलाइन प्रमाण पत्र नहीं देता था। ऐसे में दस्तावेज अधूरे होने के कारण संबंधित आढ़ती तथा किसानों को भुगतान नहीं हो पाता था। डीएफससी ने नोटिस में लिखा है कि डबवाली मंडी का 26 मई, लोहगढ़ मंडी से संबंधित बिल 27 मई को सर्कल कार्यालय में जमा करवाया गया था। लेकिन गेहूं उठान का प्रमाण पत्र नहीं दिया गया। जबकि निरीक्षक प्रतिदिन दी जाने वाली रिपोर्ट में संपूर्ण खरीद का उठान दर्शाता रहा।

निरीक्षक को जिम्मेवार ठहराया गया है
नोटिस में डीएफससी ने कहा है कि निरीक्षक ने 18 मई के बाद के बिल सर्कल कार्यालय में जमा करवाए गए हैं। लेकिन सातों खरीद केंद्रों से संबंधित बकाया बिल अभी तक उपलब्ध नहीं करवाए जाने के कारण भुगतान नहीं हुआ है। इसके लिए संबंधित अधिकारी ने राजदीप सिंह को जिम्मेवार ठहराया है।

महकमें के एक निरीक्षक ने गेहूं खरीद संबंधी कागजात पूरे नहीं किए हैं। लेकिन नोटिस सभी निरीक्षकों को जारी कर दिया। मेरी कोई गलती नहीं है। क्योंकि मैंने पूरे दस्तावेज जमा करवाए हैं। आढ़तियों-किसानों की पेमेंट आ रही है। मैं नोटिस का जवाब दे दूंगा।
-राजदीप सिंह, निरीक्षक, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग, डबवाली

चौटाला में ओलावृष्टि से नरमा को नुकसान, किसानों ने मांगा मुआवजा

डबवाली(लहू की लौ)वीरवार शाम को गांव चौटाला में ओलावृष्टि से संगरिया रोड पर हनुमान मंदिर के पीछे स्थित खेतों में नरमा की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। किसानों ने विशेष गिरदावरी करवाकर मुआवजा मांगा है। किसान राजेश बिश्नोई, पवन कुमार, हनुमान, महावीर नैन, दलीप बिश्नोई ने बताया कि शाम को करीब 15 से 20 मिनट तक ओलावृष्टि हुई है। जिससे नरमा के पौधे की टहनी टूट गई है। फसल को करीब 100 फीसद नुकसान हुआ है। इस सम्बंध में उन्होंने प्रशासन को सूचित किया है। किसानों के अनुसार प्रति एकड़ खर्च करीब 6000 हुआ था, मेहनत अलग हुई थी। प्राथमिक नजर से फसल लगभग खराब हो चुकी है। किसानों के अनुसार पुन: खेत तैयार करने और नरमा बीजांत करने में काफी समय लगेगा। हालात इतने खराब हैं कि यह असम्भव प्रतीत होता है। किसानों के अनुसार ओलावृष्टि गांव के एक हिस्से में हुई,उसी क्षेत्र के खेत प्रभावित हुए।

03 जून 2020

टयूब्बैल कनेक्शन के लिए बिजली अधिकारी से मिले किसान

डबवाली(लहू की लौ)राष्ट्रीय किसान संगठन के बैनर तले डबवाली के किसान मंगलवार को दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के कार्यकारी अभियंता डीआर वर्मा से मिले। किसानों ने बिजली अधिकारी के समक्ष टयूब्बैल कनेक्शन में हो रही देरी, सूची मुताबिक कनेक्शन न मिलना, आठ घंटे खेत की बिजली अलग-अलग देना, बिजली सामान की लोडिंग, अनलोडिंग व वाहन का खर्च उपभोक्ताओं से वसूल करने जेसे मुद्दे उठाए। किसानों के साथ बैठक में वर्मा ने नया सर्कुलर जारीन होने की बात कही। वहीं हर संभव सहायता का भरोसा दिलाया। इस मौके पर जसवीर सिंह भाटी, मिट्ठू कंबोज, सुरेश पूनियां, राकेश नेहरा, देवेंद्र भोभियां, साहिब सिंह देसूजोधा, राम सिंह पन्नीवाला, सिकंदर सिंह देसू, तेजा सिंह, नायब सिंह मौजूद थे।

ओलावृष्टि से प्रभावित फसल का मुआवजा दे सरकार

डबवाली(लहू की लौ)हल्का डबवाली के विधायक अमित सिहाग ने तेज आंधी, बारिश के साथ हुई ओलावृष्टि से नरमा की फसल की बिजांत के हुए नुकसान की विशेष गिरदावरी करवा किसानों को मुआवजा देने की मांग हरियाणा सरकार से की है। विधायक ने मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों से बात कर कहा कि अभी तक किसानों को उनकी बेची गई फसल की अदायगी सरकार द्वारा नहीं की गई है जिसके चलते किसानों ने बड़ी मुश्किल से अपनी अगली फसल की बिजांत की है। अब तेज आंधी के साथ हुई औलावृष्टि के कारण हल्का डबवाली के अनेक गावों खास कर नया राजपुरा गांव में बिजांत का भारी नुकसान हुआ है। विधायक ने कहा कि सरकार को तुरंत विशेष गिरदावरी करवा कर नुकसान का आंकलन करवाना चाहिए और जल्द से जल्द हुए नुकसान का बनता मुआवजा देकर किसानों को राहत देने का काम करना चाहिए।

02 जून 2020

ओलावृष्टि से नरमा की फसल को 30 फीसद नुकसान

डबवाली(लहू की लौ)सोमवार को तेज आंधी के साथ बरसात आई और फिर ओलावृष्टि शुरु हो गई। चौटाला बेल्ट के कई गांवों में ओलावृष्टि का समाचार है। नया राजपुरा गांव में जबरदस्त ओलावृष्टि हुई बताई जाती है। करीब 1500 एकड़ में बिजांत नरमा की फसल बुरी तरह से प्रभावित हुई। किसान नेता मिट्ठू कंबोज के अनुसार ओलों का आकार काफी था। ओलों के कारण नरमा के छोटे-छोटे पौधे उखड़ गए तो बड़े पौधों को नुकसान पहुंचा। करीब 30 फीसद नरमा की फसल को नुकसान पहुंचा है। सरकार को तुरंत स्पैशल गिरदावरी करवाकर राहत देनी चाहिए। कंबोज के अनुसार सरकार के पास मेरी फसल, मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रकबा संबंधी पूरी जानकारी उपलब्ध है। ऐसे में सरकार को बिना आनाकानी किए मदद करनी चाहिए।

01 जून 2020

वेयर हाऊस के गोदाम में भीग गया 42.30 करोड़ रुपये का अनाज


मंडी में गेहूं भीगने पर आढ़ती जिम्मेवार था, अब गोदाम में गेहूं भीगने पर जिम्मेवार कौन?
डबवाली(लहू की लौ)बारिश में मंडियों में पड़ा अनाज खूब भीगा था। प्रबंधों को लेकर खूब शोर मचा था। आढ़ती जिम्मेवार ठहराए गए थे, अब जब गोदामों में भंडारित है तो अनाज को जान बूझकर भिगौया जा रहा है। सवाल उठता है कि क्या अब संबंधित खरीद एजेंसी क्या खुद को जिम्मेवार ठहरा पाएगी?
हरियाणा राज्य भंडारण निगम (वेयर हाऊस) का चौटाला हाईवे पर गांव शेरगढ़ के समीप स्थित गोदाम याद ही होगा। यहां कुछ दिन पहले संदिग्ध परिस्थितियों में आग लग गई थी। आग कैसे लगी, यह तो अभी तक पता नहीं चला। लेकिन रविवार शाम को आई बरसात में अनाज को जरुर भिगौया गया। इसके लिए संबंधित एजेंसी जिम्मेवार है। बताया जाता है कि भाटी प्लींथ नाम के इस गोदाम में अनाज के करीब साढ़े पांच लाख बोरे भंडारित हैं। सीधे शब्दों में कहें तो 185 स्टैग लगे हुए हैं। प्रत्येक स्टैग में करीब 3000 बोरे हैं। खास बात यह है कि समें से महज 44 स्टैग ढके हुए थे। शेष 141 स्टैग को ढकने के लिए तिरपाल का बंदोबस्त जरुर था, लेकिन स्टैग ढके नहीं हुए थे। ऐसे में करीब 4.23 लाख बैग भीग गए। भीगे अनाज की कीमत 42.30 करो

ड़ रुपये है।

अलर्ट के बावजूद भीगा अनाज
कह सकते हैं कि अलर्ट के बावजूद करोड़ों रुपये का अनाज भीग गया। चूंकि हरियाणा कृषि विभाग की ओर से मौसम संबंधी अलर्ट जारी किया हुआ है। उसी अनुसार प्रदेश के सभी विभाग अलर्ट है, सिर्फ खरीद एजेंसियों को छोड़कर। सवाल उठता है कि क्या हरियाणा राज्य भंडारण निगम के अधिकारी लापरवाह कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई करेंगे या फिर संदिग्ध मामला मानकर फाइल बंद कर देंगे।


गोदाम में गेहूं भंडारित करने का कार्य समाप्त हो गया है। स्टॉक की गिनती की जा रही थी। चूंकि 31 मई हो गई है, उच्च अधिकारियों को कागज पूरे करके जानकारी देनी है। इस वजह से कुछ स्टैग को ढका नहीं जा सका। अचानक बारिश आ गई, इसलिए भीग गए। स्टैग को हवा तथा धूप लगाने के बाद ढक दिया जाएगा।
-मैनेजर इंद्राज गुप्ता, 
हरियाणा राज्य भंडारण निगम डबवाली

मेरा पानी -मेरी विरासत, एक किलो चावल पैदा करने में 3 हजार लीटर पानी का दोहन-मुख्यमंत्री

फसल बोने के वक्त  पहली किस्त 2 हजार बाद में 5 हजार रूपए
चंडीगढ़(लहू की लौ)हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा है कि किसान धान की फसल लगाने की बजाए भूजल संरक्षण के दृष्टि
ïगत मक्का, तिलहन इत्यादि फसलों को लगाकर आने वाली पीढिय़ों के लिए विरासत में जलयुक्त भूमि देने का मार्ग प्रशस्त करें। 'मेरा पानी मेरी विरासत' योजना हरियाणा सरकार द्वारा इसी संदर्भ में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम हंै, जिसमें आम किसान स्वेच्छा से धान को त्यागकर दूसरी फसलें लेने के साथ-साथ हरियाणा सरकार से 7000 रूपए प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि लेने का हकदार भी होगा।
मुख्यमंत्री ने कैथल मेें किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश की ये सरकार राजनीतिक तौर पर न सोचकर इससे आगे की बात सोचती है ताकि आने वाले समय में प्राकृतिक वातावरण किसानों के लिए लम्बे समय तक बना रहे। उन्होंने कहा कि पानी का संकट गहरा है, कहीं पानी कम है तो कहीं ज्यादा है, कहीं सूखा है तो कहीं बाढ़ की स्थिति बनी रहती है। वातावरण के संतुलन व पेयजल के साथ सिंचाई हेतु भी पानी महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि पानी का कुशल प्रबंधन ही आने वाली फसलों को पानी युक्त भूमि विरासत में दे पाए, इसके लिए कम पानी में फसलों को लेना सबसे बड़ी पहल है और इसके लिए फव्वारा, टपका सिंचाई की तरफ भी प्रदेश आगे बढ़ा है। उन्होंने बताया कि गुमथला गढू में शुरू की गई एक परियोजना से फव्वारा सिंचाई के माध्यम से जो धान पैदा हुआ है वह आम तौर पर लगाए जाने वाले धान से कम नहीं है। इस बात पर पिहोवा क्षेत्र से आए किसानों ने भी सहमति व्यक्त की। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष जल ही जीवन योजना शुरू करने में कुछ बिलम्ब हुआ। इस वर्ष मेरा पानी मेरी विरासत योजना के संदर्भ में अपै्रल मास में ही इसे कार्य रूप देना प्रारम्भ कर दिया गया था ताकि किसान अपनी आने वाली पीढिय़ों के लिए सूखी जमीन छोडकऱ न जाए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2008 से भूजल स्तर निरन्तर नीचे जा रहा है और किसान को हर वर्ष बोर में नई पाईप डालनी पड़ती है। इस प्रकार पिछले दस साल में पानी 100 फुट नीचे चला गया है। संकट और न गहराए इसलिए मेरा पानी मेरी विरासत योजना के माध्यम से किसानों से अपील की गई है वे स्वेच्छा से जल बचाने की तरफ कदम बढ़ाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि  इस योजना के तहत चिन्हित आठ खंडो में जिनका भूजल स्तर 40 मीटर व उससे अधिक है, वहां के किसानों को पचास प्रतिशत वैकल्पिक फसलें लगाने की सलाह दी है । किसानो को  मक्का, कपास, बाजरा, दलहन, सब्जियां व फल की खेती धान के क्षेत्र में लगाने को कहा । दूसरी फसल लगाने के लिए किसानों को 7000 रूपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। दो ऐकड़ से कम भूमि वाले किसान अपनी इच्छा से कोई भी फसल लगा सकते है । उन्होंने कहा कि वैकल्पिक फसल उगाने पर ड्रिप सिंचाई के अंतर्गत 85 प्रतिशत अनुदान राशि की भी व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि धान की जगह मक्का, बाजरा, कपास व दाल उगाने पर फसल का बीमा सरकारी खर्च पर होगा और न्यूनतम सर्मथन मूल्य पर सरकारी खरीद की गारंटी भी है। उन्होंने कहा कि बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में किसान यदि चारे की बुआई करता है तो उसको प्रदेश सरकार खरीदेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा पिछले तीन साल में बाजरे व सरसों का एक-एक दाना खरीदा गया है। उन्होंने दोहराया कि मक्का लगाने वाले किसानों की शत-प्रतिशत खरीद सरकार करेगी।

पहली किस्त 2 हजार बाद में 5 हजार रूपए
मुख्यामंत्री ने कहा कि धान की जगह वैकल्पिक फसलें लगाने वालों को 7 हजार रूपए प्रति एकड़ मिलने के साथ-साथ प्रधानमंत्री फसल योजना का लाभ भी मिलेगा । उन्होंने कहा कि जो किसान सहमत हो, वह तुरन्त अपनी पंजीकरण करवा दें। फसल बोने के वक्त पहली किस्त के तौर पर 2 हजार रूपए तथा बाद में 5 हजार रूपए की राशि प्रदान की जाएगी। इन चिन्हित आठ खंडो के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में डी.एस. आर.  माध्यम से धान के विकल्प पर भी विचार किया जाएगा।

लॉकडाउन-4 खत्म, अनलोक-1 शुरू
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा कोरोना के चलते किसानों की फसल खरीदने के लिए वैकल्पिक खरीद केंद्र बनाए गए थे, ताकि किसी भी किसान को परेशानी न हो। उन्होंने कहा कि इस सीजन की किसानों की पेमैंट अगर बकाया है तो तुरंत संबंधित किसान को दिलवाना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन-4 खत्म हो गया है, स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा अब अनलोक-1 जारी किया गया है। जो व्यक्ति दिशा-निर्देशों की अवहेलना करेगा, उसके लिए जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है।

एक किलो चावल पैदा करने में 3 हजार लीटर पानी का दोहन होता है

मुख्यामंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार भविष्य को लेकर भी योजनाएं बना रही है। आने वाली पीढ़ी के लिए प्रकृति की अनमोल देन, जल को बचाना बहुत जरूरी है, जो पानी आज हमारे पास है, उसका हमें उचित इस्तेमाल करना है। उन्होंने कहा कि पानी को बचाने के लिए सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली बहुत लाभकारी है। उन्होंने कहा कि एक किलो चावल पैदा करने में 3 हजार लीटर पानी का दोहन होता है, इसलिए हमें अपने व आने वाली पीढ़ी हेतू जल बचाने के लिए फसल विविधिकरण को अपनाना होगा, जिससे अनमोल पानी की बचत होगी। उन्होंने कहा कि एक अपील के माध्यम से किसानों का आह्वान किया गया है कि धान की बजाए अन्य फसल लगाकर पानी की बचत करें।

28 मई 2020

27 साल पहले चौटाला के रास्ते गोरीवाला तक पहुंचा था टिड्डी दल, वापिस लौटने के सात दिन तक अंडे ढूंढ़ते रहे थे अफसर



अब फिर से दहशत में किसान तथा कृषि विभाग, 1993 में चकजालू, रामगढ़ तथा गोरीवाला में नहर किनारे पेड़ों पर बैठ गया था टिड्डी दल

डबवाली(लहू की लौ)किसानों के साथ-साथ कृषि विभाग को टिड्डी दल का डर सता रहा है। सभी की नजर राजस्थान सीमा पर लगी हुई है। राजस्थान के कृषि विभाग से लोकेशन जानने के बाद हरियाणा कृषि विभाग प्रबंध करने में जुटा हुआ है। बुधवार को सूचना मिली कि हनुमानगढ़ के गांव धौलीपाल के समीप पांच किलोमीटर लंबा झुंड नजर आया है। झुंड चार-पांच भागों में बंट गया है। एक झुंड ऐलनाबाद तो दूसरा झुंड पंजाब सीमा में प्रवेश कर सकता है। ऐसे में प्रशासनिक अमला ने ऐलनाबाद का रुख कर लिया। वहीं पंजाब तथा राजस्थान से सटे डबवाली इलाकों में चौकसी बढ़ा दी गई। चूंकि हवा के रुख के साथ ही टिड्डी दिशा बदलती है। कई हिस्सों में बंटने से यह ज्यादा खतरनाक हो गया है। बताया गया है कि किसान पानी के ड्रम भर सकें, इसलिए नहरी विभाग को माइनर में पानी छोडऩे के लिए कहा गया है। कृषि विभाग ने ब्लाक स्तरीय इंचार्ज लगाए हैं। डबवाली ब्लॉक का इंचार्ज एडीओ विशाल भादू को लगाया गया है। वहीं मंगलवार शाम तक राजस्थान से सटे गांव कालुआना तथा चौटाला में एसडीएम डॉ. विनेश कुमार ने किसानों के साथ बैठक करके जागरुक किया। इस मौके पर डीडीए बाबू लाल तथा अन्य कृषि अधिकारी मौजूद थे। बताया गया कि सूचना मिलने के 20 मिनट के भीतर संबंधित स्थल तक छिड़काव के लिए दवा उपलब्ध करवाई जाएगी।

रामगढ़, चकजालू तक पहुंच गई थी टिड्डी
कृषि विभाग से रिटायर्ड बीएओ सुरजीत सहारण ने अक्तूबर 1993 को याद करते हुए बताया कि शाम को सूचना मिली थी कि टिड्डी दल चौटाला सीमा से आएगा। हुआ भी ऐसा, गंगा होते हुए टिड्डी दल रामगढ़, चकजालू, गोरीवाला एरिया में पहुंच गया। अंधेरा हो गया था, इस वजह से नहर के किनारे पेड़ों पर बैठ गया। सूचना मिलने पर गंगा गांव में एसडीओ के साथ दो दर्जन एडीओ पहुंचे थे। स्प्रे के लिए दवा मंगवाई गई थी। हम सुबह की प्रतीक्षा कर रहे थे, जैसे ही सूर्योदय हुआ तो टिड्डी वापिस चौटाला से राजस्थान सीमा में चली गई। इसके बाद हम करीब एक हफ्ते तक टिड्डी के अंडे ढूंढ़ते रहे थे, लेकिन हमें कहीं नहीं मिले। उस समय करीब दो किलोमीटर लंबा झुंड था।

पहले गुलाबी, फिर ब्राऊन, तीसरी अवस्था में पीले रंग की हो जाती है टिड्डी
टिड्डी की तीन अवस्थाएं होती हैं। सबसे छोटे आकार की टिड्डी गुलाबी रंग की होती है। दूसरी अवस्था में इसका रंग ब्राऊन हो जाता है। व्यस्क टिड्डी पीले रंग की होती है। मादा टिड्डी की पहचान है कि उस पर काले धब्बे होंगे। चट्ठा गांव के खेतों में पांच माह पहले जो टिड्डी थी, वह दूसरी अवस्था की है। उसमें से कोई मादा नहीं थी। बताते हैं कि मादा टिड्डी जमीन पर बैठती है, अपने उदर भाग को जमीन की नमी तक 15 सेंटीमीटर तक लेजाकर अंडे देती है।


चौटाला गांव के किसान दया राम ऊलाणिया के अनुसार वर्ष 1993 का भयावह दौर याद आता है। वह 10वीं कक्षा में था। किसी ने शाम को टिड्डी दल देखा। जिसकी लंबाई कई किलोमीटर थी। विद्यालय से छुट्टी कर दी गई, ताकि टिड्डी दल से निपटा जा सकें। उस वक्त ग्रामीणों ने पुलिस चौकी का घेराव कर लिया था। तब जिला प्रशासन अलर्ट हुआ था। दल को देखा जरुर गया था। लेकिन नुकसान नहीं हुआ। संभव है कि हवा का रुख बदलने के कारण वह वापिस चला गया हो।

गेहूं के फाने जलाने पर पांच पर केस दर्ज

डबवाली(लहू की लौ)गोरीवाला पुलिस ने गंगा ढाणी निवासी देवीलाल की शिकायत पर गंगा गौशाला के प्रधान जगदीश समेत पांच जनों के खिलाफ गेहूं के फाने जलाने के आरोप में केस दर्ज किया है। शिकायतकर्ता के अनुसार उउसके गांव के खेत पड़ौसी जगदीश, उसके बेटे सुरेश, सुनील तथा पृथ्वी सिंह के बेटे परमीत, प्रवीण ने 23 मई की दोपहर को अपने ख्ेात में गेहूं के फाने जला दिए। जिससे उसके खेत में कपास की फसल जल गई। नहर के किनारे 2 एकड़ में आगजनी से वृक्षों व जीव जंतुओं को काफी नुकसान हुआ है। शिकायतकर्ता के अनुसार जगदीश गांव की गौशाला का प्रधान है। इसके बावजूद ऐसा घिनौना व गैर कानूनी कार्य किया। देवीलाल ने पुलिस को बयान दिया है कि उसने उपरोक्त लोगों को समझाया, लेकिन उसकी बात नहीं सुनी। वह हृदय रोगी है, इतना नुकसान नहीं झेल सकता। पुलिस ने उपरोक्त के खिलाफ केस दर्ज किया है।