10 जून 2020

सीएम मनोहर लाल बोले-मैं धान का दुश्मन नहीं, मुझे पानी से प्यार


सीएम ने कहा-सिरसा जिला में 5573 किसानों ने धान की जगह दूसरी फसल उगाने पर जताई सहमति

सिरसा (लहू की लौ) मैं धान का दुश्मन नहीं, मुझे पानी से प्यार है। आने वाली पीढ़ी को विरासत में अगर पानी देना है, तो हमें आज संभलना होगा। जल सरंक्षण की दिशा में प्रदेश सरकार द्वारा गंभीरता से से प्रयास किए जा रहे हैं और कई कारगर योजनाएं क्रियान्वित की गई है। इसी कड़ी में मेरा पानी मेरी विरासत योजना का उद्देश्य किसानों को धान की बजाए दूसरी फसल लगाने के लिए प्रेरित करना है ताकि किसान फसल विविधिकरण की ओर अग्रसर होकर सरकार की जल बचाव मुहिम में अपना योगदान दें। ये बात मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मंगलवार को सिरसा के पंचायत भवन में सोशल डिस्टेंसिंग को अपनाते हुए सिरसा ब्लॉक के किसानों से सीधा संवाद करते हुए कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की मंशा किसानों पर योजना को थोपने की नहीं है, बल्कि भूमिगत पानी को बचाने की है, जिन क्षेत्रों में भूमिगत जल स्तर 40 मीटर से नीचे है, उन क्षेत्रों में किसानों से धान न लगाने का आह्ïवान किया जा रहा है, ताकि भविष्य में जल संकट उत्पन्न न हो और किसान की भूमि भी उपजाऊ बनी रहे। अब तक प्रदेश में योजना के तहत 55 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बजाए दूसरी फसल उगाने के लिए अपनी सहमति जताई है और जल बचाव मुहिम में किसान जुड़ रहे हैं।

5573 किसान दूसरी फसल उगाने के लिए तैयार
उन्होंने कहा कि सिरसा जिला में अब तक मेरा पानी-मेरी विरासत योजना में 5573 किसानों ने धान की जगह दूसरी फसल उगाने के लिए सहमति जताई है। किसान धान की अतिरिक्तकोई भी फसल या बागवानी अपना सकते हैं। इसके लिए सरकार द्वारा 7 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। इसमें 2 हजार रूपये रजिस्ट्रेशन करने के साथ ही किसान को दिए जाएंगे और शेष 5 हजार रूपये की राशि फसल तैयार होने पर ही दी जाएगी। बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में जहां पर विविधिकरण के अंतर्गत वैकल्पिक फसल लगाना संभव नहीं है। ऐसे किसान बासमती किस्म की सीधी बजाई (डीएसआर) कर सकते हैं। जो किसान फसल विविधिकरण करके कपास, मक्का व दलहन फसलों की बिजाई करेंगे। उन किसानों को फसलों की खरीद सरकार द्वारा निर्धारित मूल्यों पर की जाएगी। इसके अलावा जल बचाव मुहिम के तहत किसान टपका सिंचाई प्रणाली प्रयोग करें। किसानों को टपका सिंचाई विधि पर 85 फीसद अनुदान दिया जाएगा।

सुझाव पर मुख्यमंत्री ने बजाई ताली
किसानों से संवाद के दौरान जिला के हांडीखेड़ा गांव के किसान नेकी राम ने मेरा पानी-मेरी विरासत योजना को कारगर बताया और इस मुहिम में दूसरे किसानों को भी आगे आने को कहा। नेकी राम ने सुझाव दिया कि जल बचाना और भू-जल स्तर को ऊपर लाने के लिए रिचार्ज पद्घति पर गंभीरता से प्रयास किए जाने चाहिए, जिससे भविष्य में जल संकट न हो। इस पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने स्वयं ताली बजाकर उनके सुझाव का अभिनंदन किया। इस दौरान अन्य किसानों ने भी जल बचाव को लेकर अपने-अपने सुझाव दिए। मुख्यमंत्री  ने सभी के सुझावों को लेकर भविष्य में योजनाबद्घ तरीके से काम करने का आश्वासन दिया।

फिर शुरू की जाएगी राइस-सूट योजना
प्रदेश में राइस-सूट योजना फिर से शुरू की जाएगी। इसके तहत बरसाती मौसम में 20 एकड़ के किसान को नहर से स्पेशल मोगा दिया जाता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए आवेदन करने वाले सभी इच्छुक किसानों को इस योजना का लाभ दिया जाएगा। उन्होंने कृषि उपनिदेशक, बागवानी अधिकारी व अन्य संबंधित अधिकारियों को बाढ़ प्रभावित (डाकर) जमीन में डेमोस्ट्रेशन पार्क विकसित करवाने, नहरी पानी की चोरी रोकने, पानी का समान वितरण सुनिश्चित करने तथा योजना के संबंध में अधिक से अधिक किसानों को प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए।

सामाजिक संस्थाओं ने निभाई अहम् भूमिका
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में पूरे प्रदेश में प्रशासन के साथ-साथ सामाजिक संस्थाओं ने भी फ्रंट लाइन पर आकर अहम भूमिका निभाई है। इसी का परिणाम है कि आज प्रदेश में कोरोना काफी हद तक कंट्रोल में है। उन्होंने कहा कि कोरोना की इस लड़ाई को मिल जुलकर लडऩा है और इस पर विजय प्राप्त करनी है। जिस प्रकार लॉकडाउन के सभी चरणों में नागरिकों ने संयम का परिचय सहयोग किया है। उसी प्रकार अनलॉक के
दौरान भी सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए देश व प्रदेश कोरोनामुक्त करना है।

एसवाईएल व हांसी बुटाना नहर में पानी लाने के किए जा रहे गंभीर प्रयास 
पत्रकारवार्ता में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि सरकार द्वारा एसवाईएल नहर व हांसी-बुटाना नहर में पानी लाने के गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा उत्तराखंड में लखवार डैम व रेणुका बांध परियोजना सहित अन्य माध्यमों से पानी लाने की योजना प्रगति पर है। लेकिन फिलहाल हमें अपने पास उपलब्ध पानी के उचित इस्तेमाल की ओर ध्यान देना होगा। उन्होंने बताया कि प्रति किलोग्राम धान पैदा करने पर 4000 से 5000 लीटर पानी खर्च होता है जो पानी की बर्बादी का एक बड़ा कारण है। पिछली सरकारों द्वारा इस ओर ध्यान न दिए जाने के कारण आज हालत यह हो गई है कि अनेक स्थानों पर भूमिगत जलस्तर 200 फुट से भी गहराई पर चला गया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि वर्ष 2008 से भूजल स्तर निरन्तर नीचे जा रहा है और किसान को हर वर्ष बोर में नई पाइप डालनी पड़ती है। इस प्रकार पिछले दस साल में पानी 100 फुट नीचे चला गया है। संकट और न गहराए इसलिए मेरा पानी मेरी विरासत योजना के माध्यम से किसानों से अपील की गई है वे स्वेच्छा से जल बचाने की तरफ कदम बढ़ाए।

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