11 दिसंबर 2014

साहब, मैं जिंदा हूं

डबवाली (लहू की लौ) गांव नीलियांवाली का बुजुर्ग खुद को जिंदा साबित करने के लिये पिछले डेढ़ वर्ष से संघर्ष कर रहा है। लापरवाहों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर  सरकारी दफ्तरों की सीढिय़ां चढ़कर थक चुके इस बुजुर्ग ने इंसाफ पाने के लिये अदालत की शरण ली है। हजूरा सिंह ने बताया कि दिसंबर 2012 तक उसे निर्बाध रूप से पेंशन मिलती रही। वर्ष 2013 के जनवरी, फरवरी, मार्च तथा अप्रैल माह में उसे सरपंच ने पेंशन दी। मई माह की पेंशन लेने के लिये वह सरपंच के पास गया। उसे ज्ञात हुआ कि सरपंच की मिलीभगत से चार माह की पेंशन गायब की जा चुकी है। जब उसने इसकी आवाज उठाई तो सरपंच ने सितंबर 2013 को उसे मृत घोषित करके उसकी पेंशन बंद कर दी। उसने खुद को जिंदा साबित करने के लिये प्रशासनिक अधिकारियों के आगे फरियाद की। लेकिन किसी ने उसकी पुकार नहीं सुनी। हजूरा सिंह ने उपमंडल  न्यायिक दंडाधिकारी परवेश सिंगला की अदालत में याचिका डालकर गांव के सरपंच व जिला समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही किए जाने की मांग की है।

चल रही है पेंशन
करीब डेढ़ वर्ष पूर्व हजूरा सिंह पेंशन लेने के लिये नहीं आया था। जिस पर एबसेंट मार्क करके पेंशन को वापिस लौटा दिया गया। लेकिन कर्मचारियों की गलती के कारण एबसेंट की जगह मृत लिखा गया। जिससे पेंशन कट गई। गलती सुधारते हुये विभाग ने पुन: आवेदन करने पर हजूरा सिंह की पेंशन लगा दी। पिछले चार माह से वह पेंशन लेने नहीं आ रहा। पुरानी पेंशन मांग रहा है। -मुखपाल सिंह, सरपंच
गांव नीलियांवाली

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