11 दिसंबर 2014

चौटाला ने लॉलीपाप दिया, हुड्डा दयालु नहीं

पीडि़ता बोली 23 दिसंबर 1995 के अग्निकांड ने जख्म दिये, राजनीतिकों ने नमक छिड़का


डबवाली (लहू की लौ) 28 वर्षीय सुमन कौशल उन्नीस साल पहले अपनी मित्र सुनीता के साथ राजीव मैरिज पैलेस में आयोजित डीएवी स्कूल का वार्षिक कार्यक्रम देखने गई थी। खचाखच भरे पैलेस में दोनों को बैठने के लिये महज एक कुर्सी मिली। अभी आये को पांच से सात मिनट हुये थे कि स्टेज से घोषणा होने लगी कि कृपा बैठे रहो, आग पर काबू पा लिया जायेगा। पीछे मुड़कर देखा तो आग तेजी से उनकी ओर बढ़ रही थी। सुनीता भाग खड़ी हुई। सुमन खुद को संभालती, इससे पहले ही आग ने उसे पकड़ लिया। टूटी दीवार से निकलकर जल रही सुमन पैलेस से बाहर आई। जबकि उसकी मित्र की मौत हो गई। सौ फीसदी जल चुकी सुमन का आज भी क्रूर कांड पीछा नहीं छोड़ रहा। जबकि राजनीतिकों के आश्वासन नमक छिड़कने का काम कर रहे हैं।

किसी विद्यालय ने नहीं दिया एडमिशन
अग्निकांड के समय सुमन महज 9 वर्ष की थी। वह एक निजी स्कूल में 5वीं कक्षा में पढ़ती थी। 23 दिसंबर 1995 को दोपहर बाद साढ़े 12 बजे छुट्टी होने के बाद डीएवी स्कूल का वार्षिक कार्यक्रम देखने के लिये गई थी। अग्निकांड में बुरी तरह से झुलसने के बाद भी सुमन ने हिम्मत नहीं हारी। प्लास्टिक सर्जरी होने के बाद वह पुन: पढऩे के लिये डबवाली पहुंची सुमन को किसी भी निजी या सरकारी विद्यालय में एडमिशन नहीं मिला। रहम करने की अपेक्षा स्कूल प्रबंधकों ने उसके कुरूप चेहरे का हवाला देते हुये मजाक उड़ाया।
लड़कों के साथ बैठकर पढ़ी
6वीं से 10वीं प्राईवेट करने के बाद आखिरकार राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में उसे 11वीं कक्षा में दाखिला मिला। लड़कों के साथ बैठकर 11वीं तथा 12वीं की परीक्षा पास की। पिता दयानंद कौशल के सड़क दुर्घटना में घायल होने के बावजूद वर्ष 2007 में बीए क्लीयर की। 2008 में बीएड पास की। यहीं नहीं एचटेट की परीक्षा में 93 प्रतिशत अंक पाकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। पिछले छह वर्षों से सुमन नौकरी के लिये मारे-मारे फिर रही है। सुमन के अनुसार अग्निकांड पीडि़तों के आंसू पौंछने के लिये अग्निकांड स्मारक स्थल पर पहुंचे डबवाली के पूर्व विधायक अजय चौटाला के आगे मिन्नतें कर चुकी है। उस समय अजय चौटाला ने पांच अग्निकांड पीडि़तों को सिरसा स्थित संस्थान में नौकरी देने का वायदा किया था। जब वह संस्थान में नौकरीे के लिये पहुंची तो उसे नफरत भरी निगाह से देखा गया। उसे औढ़ां स्थित एक शिक्षण संस्थान में भेज दिया गया। संस्थान प्रबंधकों ने उसका मजाक उड़ाया। केवल 3000 रूपये प्रति माह देने की बात कही। जब अजय चौटाला के 12000 रूपये सेलरी का वायदा याद दिलाया तो यह बात चौटाला से लिखकर लाने को कहा।
पूर्व सीएम भूपिंद्र सिंह हुड्डा से तीन बार मिली
सुमन ने बताया कि बीएड तथा एचटेट करने के बाद वह नौकरी के लिये तीन बार पूर्व सीएम भूपिंद्र सिंह हुड्डा से मिली। अग्निकांड पीडि़तों से किया वायदा याद दिलाया। लेकिन हुड्डा ने उसका कागज पकडऩे के बाद यही कहा, देखेंगे। चौटाला ने नौकरी का लॉलीपाप दिया, हुड्डा दयालु नहीं। सुमन के अनुसार अग्निकांड को उन्नीस वर्ष बीत चुके हैं। इस दौरान इनेलो, कांग्रेस की सरकारें रही। लेकिन आज तक अग्निकांड पीडि़तों को नौकरी देने का वायदा पूरा नहीं हुआ। हां, इतने वर्षों में राजनीतिकों ने उनके जख्मों पर नमक छिड़कने का काम जरूर किया है। जिसे वे हमेशा याद रखेंगे।
दो बार किया एमए करने का प्रयास
सुमन के हौंसले बुलंद हैं। वह एमए करना चाहती है। इसके लिये दो बार फार्म भर चुकी है, खूब तैयारी भी की। लेकिन परीक्षाएं जून, जुलाई में होने के कारण वह परीक्षा केंद्र तक नहीं पहुंच पाई। चूंकि अग्निकांड में मिले घाव गर्मी में तकलीफदेय हो जाते हैं। जिसकी वजह से पूरी गर्मी सुमन घर की चारदीवारी में गुजारती है।
लोगों के कमेंट सताते हैं
सुमन के अनुसार वह अक्सर गली-मोहल्ले में निकलती है। लोग बिल्कुल पास आकर कहते हैं कि यह वही लड़की है जो अग्निकांड में आई थी। ऐसे कमेंट मुझे बहुत सताते हैं। लोग मेरे पास आने से पहले भी इस तरह के कमेंट कर सकते हैं। उन्नीस वर्षों से मिल रहे ऐसे कमेंटों ने विचलित कर रखा है।

नौकरी मिलने के बाद करूंगी शादी
मैं 100 फीसदी जली हुई हूं। माता-पिता उम्र का ख्याल करते हुये शादी करवाना चाहते हैं। मेरी भी जिद्द है कि जब तक अपने दम पर नौकरी नहीं लगूंगी तब तक शादी नहीं करूंगी। बेशक हमसफर अच्छा मिल जाये, लेकिन वर्तमान समय में खुद के पैरों पर खड़ा होना जरूरी है। -सुमन कौशल, अग्निकांड पीडि़ता

कोई टिप्पणी नहीं: