09 सितंबर 2009

डीएम ने की पैक्स घोटाले की जांच

औढ़ां (जितेन्द्र गर्ग) सहकारी समिति ओढ़ां में हुए लाखों रूपये के घोटाले के मामले में सिरसा सहकारी समिति के एडिशनल एमडी बलजीत सिंह जौहर मंगलवार को मामले की जांच करने के लिए ओढ़ां आए और समिति में एकत्र 4 दर्जन के लगभग किसानों से मिलकर उनकी शिकायतें सुनी तथा खाते चैक किए। गांव नुहियांवाली, ख्योवाली व ओढ़ां के किसानों लाधूराम, कुलदीप, कृष्णलाल, पिरथीराम, राजेंद्र, भागाराम कूकना, रामकुमार ज्याणी, छाजूराम व महेंद्र निमीवाल आदि ने कहा कि सहकारी समिति कर्मचारियों ने किसानों के नाम पर पैसे निकलवाए लेकिन उन्हें नहीं दिए। किसानों ने मांग की कि इस मामले में दोषी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें नौकरी से निकाला जाए। किसानों ने कहा उनके खातों में पैसे जमा करवाकर उनके खाते क्लीयर किए जाएं। किसानों ने एडिशनल एमडी बलजीत सिंह को चेतावनी देते हुए कहा कि दोषियों के खिलाफ 4 दिन के अंदर अंदर कार्रवाई करके उन्हें गिरफ्तार न किया गया तो वे ओढ़ां पैक्स का घेराव करेंगे। इस विषय में एमडी से बात किए जाने पर उन्होंने बताया कि किसानों के बयान दर्ज कर लिए गए हैं और इसकी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को दे दी जाएगी और जो कर्मचारी इस मामले में दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। उल्लेखनीय है कि किसानों के साथ हुए लाखों रुपए के घोटाले का पता चलने पर किसानों ने गत माह 19 अगस्त को किसानों ने किसान सभा के नेतृत्व में सहकारी समिति में प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की और कहा कि उनके साथ न्याय किया जाए। तब उच्चाधिकारियों ने सहकारी समिति ओढ़ां में पहुंचकर किसानों की बात सुनी और 4 कर्मचारियों को निलंबित किया। सहकारी समिति व पैक्स कर्मचारियों ने वर्ष के आरंभ में खाता धारकों के नाम पर फर्जी व्यक्तियों के नाम पैसा निकालकर लाखों रुपए का गबन किया। मार्च अप्रैल में जब रिकबरी का काम चला तो यह मामला प्रकाश में आया और इस पैसे की भरपाई के लिए दवाब बढ़ा तो पैक्स कर्मियों ने एक और घोटाले की योजना के तहत किसानों को लोन लेने के लिए उकसाया और कहा कि इस हेतु डिमांड भेजनी पड़ेगी। डिमांड भेजने के नाम पर पैक्स कर्मियों ने 31 किसानों से चैक बुक, पास बुक, रजिस्टर व अन्य कागजों पर साइन करवा लिए और शीघ्र लोन मंजूर होने की बात कही। काफी समय बाद जब किसान पैसा लेने बैंक गए तो पैक्स कर्मियों ने पैसा देने से इंकार करते हुए सबूत के तौर पर उनके हस्ताक्षर दिखाए और कहा कि पैसा आप ले चुके हैं। इस प्रकार 31 किसानों के साथ 18 लाख रुपए के गबन के बाद किसानों की समझ में आया कि उनके साथ धोखा हुआ है।

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