25 मई 2020

खुदा का कौन सा बंदा था, दो जून की रोटी दे आंखों में आंसू ले गया....



जींद से पंजाब जा रहे मजदूर परिवारों को एक-दूसरे की सीमा में खदेडऩे तक सीमित रही हरियाणा-पंजाब पुलिस


डबवाली (लहू की लौ)हरियाणा पुलिस ने पशुओं की तरह खदेड़ दिया तो कुछ माह की बेटी को उठाए वो तेजी से रेलवे लाइन क्रॉस करके पंजाब सीमा की ओर जा रही थी। उसके पीछे-पीछे कुछ बच्चे, महिलाएं चल रही थीं। बच्चों, महिलाओं, पुरुषों समेत वे कुल 32 लोग थे। सभी की मंजिल एक थी जिला फिरोजपुर के गुरुहरसहाय कस्बे का गांव फतेहगढ़ गहरी। पंजाब सीमा में पुलिस नाके पर पहुंचे तो वापिस जाने के लिए कह दिया। वापिस आए तो पुलिस ने हरियाणा सीमा में घुसने से रोक दिया। पूरी रात खुले आसमान तले बीती, रविवार को तापमान बढ़ गया तो किलियांवाली में कस्सी किनारे शरण ली। दोपहर बाद करीब 1 बजे गुरुहरसहाय से परिजनों ने भेजी दो गाडिय़ां मजदूरों को लेकर चोर रास्तों से वापिस रवाना हो गईं।
लाइव रिपोर्ट :
शनिवार, शाम 7.30 बजे
शाम करीब 6 बजे जींद से 32 लोग डबवाली पहुंचे थे। इस समय डबवाली पुलिस की पीसीआर पूछताछ कर रही है। गोपी, रवि, अरविंद का कहना है कि वे जींद से सटे एक गांव में नाली बनाने का कार्य कर रहे थे। ठेकेदार ने कार्य बंद करके वापिस जाने के लिए कह दिया। वे जींद लघुसचिवालय गए, वहां से भगा दिए गए। मेडिकल करवाने के लिए गए तो वहां से निकाल दिए गए। पैदल निकले तो पुलिस वालों ने मार भगाया। आज सुबह 3 बजे दो पिकअप गाडिय़ों में चले तो अब यहां पहुंचे हैं। गाड़ी चालकों ने उनसे 10 हजार रुपये किराया वसूल किया है। अब उनके पास बहुत कम राशि शेष रह गई है। प्रशासन को सूचित करने की बजाए, पुलिस इन्हें पशुओं की तरह खदेडऩा उचित समझ रही है। पीसीआर पर तैनात दोनों पुलिसकर्मियों का कहना है कि नजदीक ही पंजाब सीमा शुरु हो जाएगी। आप हमारे साथ आओ, हमारी बात हो गई है पंजाब पुलिस से, वे आपको जाने देंगे। पुलिस की बात सुनकर मजदूर पंजाब सीमा की ओर कूच कर गए।
रात : 9.00 बजे
हरियाणा सीमा से खदेडऩे के बाद प्रवासी मजदूर फंस गए हैं, क्योंकि पंजाब पुलिस नाका क्रॉस करने नहीं दे रही। वापिस जाते हैं तो हरियाणा पुलिस घुसने नहीं दे रही। जबकि प्रवासी मजदूरों के लिए प्रबंध करने पर दोनों राज्यों की पुलिस चुप्पी साधे हुए है। बच्चे भूख के मारे तड़प रहे हैं। रात करीब 10 बजे रेलवे स्टेशन पर सीबीएस राजीव शर्मा, एएनएम सुदेश रानी के सहयोग से संस्था अपने ने चावल-दाल का लंगर पहुंचाया है। महिलाओं के अनुसार उन लोगों ने सुबह 7 बजे के बाद भोजन खाया है। संस्था सदस्यों ने पांच महिलाओं तथा बच्चों के पैर नंगे देखकर चप्पल पहनाई है।
रविवार, सुबह 11.30 बजे
नेशनल हाईवे किनारे रात बीताने के बाद रविवार को ये लोग लिंक रोड पर माइनर किनारे पेड़ों की छाया में आ गए हैं। संस्था अपने तथा निरंकारी मिशन के सदस्य दाल-रोटी का लंगर लेकर पहुंचे हैं। बच्चों को रोटी खाते देख समाजसेवियों की आंखे भर आई हैं। ऐसा नज़ारा देखकर शायर की पंक्तियां याद आती हैं कि 'मेरी भूख को वो पन्नी में भरकर दे गया, चार रोटी के साथ सब्जी भी दे गया। मैं नहीं जानता खुदा का कौन सा बंदा था, दो जून की रोटी दे आंखों में आंसू ले गया....Ó। दोपहर बाद करीब 1 बजे मजदूरों के परिजनों ने दो वाहन भेजे हैं। जिसमें वे अपने गंतव्य की ओर रवाना हो गए हैं।

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