17 दिसंबर 2014

योग 100 वर्ष तक निरोग जीवन जीने की संजीवनी-गोपाल कृष्ण

डबवाली (लहू की लौ) हमारे ऋषि मुनियों की धरोहर योग ऐसी संजीवनी है जिसको अपनाकर   हम 100 वर्ष तक निरोग रहकर  जीवन जी सकते हैं।
वे मोबाईल पर इस संवाददाता से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि श्वास रूपी वायु हमारे शरीर की संजीवनी है। यहीं हमारी प्राण शक्ति है। क्योंकि मनुष्य बिना पीए कुछ दिनों तक जीवित रह सकता है। परन्तु बिन  श्वास के कुछ ही पलों में मृत्यु अवस्था में पहुंच जाता है। शरीर में श्वास का इतना महत्व होने पर भी हम श्वास क्रिया के सही उपयोग को नहीं समझ पायें हैं और अक्सर गलत  श्वास प्रक्रिया द्वारा रोग ग्रस्त हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि 90 प्रतिशत लोग हॉस्पिटल में इसलिए बीमार पड़े हैं कि उसका मूलभूत कारण सिर्फ गलत श्वास प्रणाली है। क्योंकि रक्त का एक-एक कण बिना हवा के हिल नहीं सकता। यदि हमारी श्वासन प्रणाली ठीक होगी तो हमारी प्राण ऊर्जा बढ़ेगी और हम रोगों के गिरफ्त में आने से बचेंगे। 
उन्होंने आगे बताया कि पहले की अपेक्षा योग की आज अधिक आवश्यकता है। पहले पर्यावरण, वातावरण, रहन-सहन सभी कुछ आज की अपेक्षा बहुत ही प्राकृतिक था।  परन्तु आज दूषित वातावरण, प्रदूषित पर्यावरण, फास्ट फूड, डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ, विटामिन और प्रोटीन रहित खानपान, बदलता परिवेश और विकृत मानसकिता इन सभी ने हमारे सम्पूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित किया है।
उन्होंने कहा कि योग महिलाओं, पुरूषों,बच्चों एवं वृद्धों व युवाओं के लिए आवश्यक है। योग प्राचीन भारतीय ऋषि मुनियों द्वारा अन्वेषित सुखी जीवन जीने की एक ऐसी श्रेष्ठ कला है जिसके द्वारा मनुष्य अंतिम क्षण तक  शरीर में अखण्ड स्वास्थ्य, इन्द्रियों में अखण्ड शक्ति, मन में अखण्ड आनन्द, बुद्धि में अखण्ड ज्ञान एवं अहम अखण्ड प्रेम पाकर  सदैव सुखी रह सकता है। अर्थात् योगाम्यास से शरीर से रोग, मन से चिंता,हृदय से भय एवं अहम् से वियोग की पीड़ा से मनुष्य अपने को सदैव के लिए मुक्त कर सकता है।
उन्होंने बताया कि वे 18 से 20 दिसम्बर तक डबवाली के महाराजा पैलेस में सुबह और सायं दो-दो घंटे योगासन, प्राणायाम, प्राकृतिक जीवन शैली पर साधकों को फ्री निरोग रहने के टिप्स देंगे और योग से संबंधित जिज्ञासाओं को शांत करने का प्रयास करेंगे।

कोई टिप्पणी नहीं: