30 नवंबर 2014

मजबूर किसान, मंडी में फेंक रहे नरमा

डबवाली (लहू की लौ) भाव को लेकर चल रही कशमश के बीच एक बार फिर नरमा की आवक ने गति पकड़ ली है। मजबूर किसान सरकारी मूल्य पर ही नरमा बेचने को मजबूर है। अकेले इस सप्ताह का आंकलन किया जाये तो अनाज मंडी में सीजन का सबसे अधिक नरमा बिकने के लिये पहुंचा। हालांकि आवक से अभी तक पिछले वर्ष का रिकॉर्ड नहीं टूटा है।
किसान हुये मजबूर
पिछले सीजन में 28 नवंबर तक 94 हजार 527 क्विंटल नरमा की आवक दर्ज की गई थी। अबकी बार 75 हजार 787 क्विंटल नरमा बिकने के लिये पहुंचा है। 4 से 6 नवंबर 2014 तक सीसीआई ने कंट्रोल रेट 3950 रूपये में करीब 200 गांठ नरमा की खरीद की थी। कम भाव के चलते किसानों ने मंडी से दूरी बना ली। नरमा का भाव न बढ़ता देख मजबूर किसान सफेद सोने को ओने-पोने दाम में बेचने को मजबूर हो गये हैं। पिछले एक हफ्ते में सीसीआई नरमा की खरीद कर रही है। 24 नवंबर को सीजन की सर्वाधिक 5354 क्विंटल नरमा की खरीद की गई। 24 से 28 नवंबर तक 1738 क्विंटल नरमा की खरीद की जा चुकी है। सीसीआई ने गुणवत्ता के आधार पर नरमा के दो भाव तय कर दिये हैं। नरमा 3915 तथा 3950 रूपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जा रहा है।

तारीख खरीद
5 नवंबर 1092
11 नवंबर 2270
12 नवंबर 1564
13 नवंबर 1815
ृ14 नवंबर 1506
17 नवंबर 2788
19 नवंबर 2675
20 नवंबर 2695
21 नवंबर 2318
22 नवंबर 1936
24 नवंबर 5354
25 नवंबर 3331
26 नवंबर 2714
27 नवंबर 3231
28 नवंबर 2904
    (क्विंटल में)

7 लाख का घाटा
इधर 4 नवंबर से मंडी में धान बिकने के लिये नहीं आ रही है। मार्किट कमेटी सीजन समाप्त मानकर चल रही है। कमेटी रिकॉर्ड पर नजर दौड़ाई जाये तो पिछले वर्ष 1 लाख 54 हजार 919 क्विंटल धान बिकने के लिये डबवाली की अनाज मंडी में पहुंचा था। जिससे मार्किट कमेटी को मार्किट फीस के रूप में 41 लाख 74 हजार 396 रूपये की आय हुई थी। इस वर्ष 1 लाख 21 हजार 847 क्विंटल रह गया है। जिससे मार्किट फीस के रूप में कमेटी को 34 लाख 12 हजार 40 रूपये प्राप्त हुये हैं। 7 लाख रूपये की मार्किट फीस कम हुई है।


यह बोले सचिव
किसान इस बात को समझ गये हैं कि नरमा का रेट बढऩे वाला नहीं। जिसके चलते वे तेजी से नरमा को मंडी में ला रहे हैं। पांच दिनों में करीब साढ़े सत्रह सौ क्विंटल नरमा खरीदा जा चुका है। कंट्रोल रेट पर सीसीआई ही खरीद कर रही है। करीब बीस दिनों से मंडी में धान नहीं पहुंचा है। काम कम पहुंचने के कारण पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार मार्किट कमेटी को घाटा सहना पड़ा है।
-हेतराम, सचिव मार्किट कमेटी, डबवाली

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