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Lahoo Ki Lau

युवा दिलों की धड़कन, जन जागृति का दर्पण, निष्पक्ष एवं निर्भिक समाचार पत्र

17 सितंबर 2011

शादी का जोड़ा ले प्रेमी संग भागी दुल्हन


डबवाली (लहू की लौ) शादी से एक रात पहले ही दुल्हन अपने प्रेमी संग घर से फरार हो गई। वह अपने साथ शादी के गहनों के साथ-साथ अपनी बहनों के जेवरात तथा नकदी भी उड़ा ले गई। दुल्हन के परिजनों ने इसकी शिकायत पुलिस में की है।
वार्ड नं. 6 की कबीर बस्ती निवासी 18 वर्षीय मोनिका (बदला हुआ नाम) के नई अनाज मण्डी रोड़ पर रहने वाले प्रवीण नामक युवक से पिछले दो सालों से प्रेम प्रसंग चल रहा था। मोनिका के परिजनों को इसकी भनक लग गई। उन्होंने उसकी शादी हनुमानगढ़ के रहने वाले एक युवक से तय कर दी। शनिवार को हनुमानगढ़ से बारात ने आना था। दूसरी ओर इस शादी से मोनिका खुश नहीं थी। वह प्रवीण को अपने पति के रूप में देखना चाहती थी।
गुरूवार रात मोनिका ने परिजनों के लिए चाय तैयार की। मौका पर इस चाय में नशे की गोलियां मिला दी। नशा मिली चाय पीते ही परिजन बेहोश हो गए। परिजनों के बेहोश होते ही अवसर पाकर मोनिका ने संदूक का ताला तोड़ा और उसमें से शादी के गहने, बहनों के गहने, शादी का जोड़ा, बहनों के पर्स से हजारों रूपए की नकदी चुराकर फरार हो गई। शुक्रवार सुबह मोनिका की माता ने अपनी बेटी को चारपाई से गायब पाया। उसकी काफी खोजबीन की। लेकिन वह कहीं नहीं मिली। उसने घर के बाकी सदस्यों को उठाया। सुबह से लेकर दोपहर तक काफी खोजबीन के बाद मोनिका का कहीं पता नहीं लग पाया।
पहले प्रेमी से मिली थी
गुरूवार शाम को मोनिका रामलीला के बहाने अपने प्रेमी से मिलने के लिए गई थी। बाद में रात करीब 10.30 बजे अपने परिजनों को स्वादिष्ट चाय बनाकर देने की बात कहकर नशे की गोलियों का चूरा बनाकर चाय में डाल दिया और यह चाय अपने परिजनों को पिला दी।
रेलगाड़ी पर फरार होने का संदेह
घर से युवती के भागने के बाद परिजनों ने चौकीदारों से संपर्क साधा। चौकीदारों ने बताया कि रात को तीन युवकों के साथ एक युवती रेलवे स्टेशन की ओर जाती देखी थी। परिजनों ने पुलिस को दी शिकायत में मोनिका के गाड़ी से फरार होने का संदेह जताया है।
शिकायत आई
शहर थाना के प्रभारी इंस्पेक्टर महा सिंह रंगा ने बताया कि पुलिस के पास शिकायत आई है। फिलहाल मामले की जांच की जा रही है।

चौटाला में हजारों बेघर


मकानों, दुकानों के साथ-साथ सरकारी संपत्ति को नुक्सान
डबवाली (लहू की लौ) गांव चौटाला में बरसाती पानी ने हजारों लोगों को घर से बेघर कर दिया। मकान, दुकान गिरने के साथ-साथ सरकारी कार्यालयों की दीवारें भी गिर गई। वहीं चौटाला डिस्ट्रीब्यूटरी के साथ-साथ कब्रों में बरसाती पानी निकालने की योजना भी धरी की धरी रह गई। अब प्रशासन की ओर से गांव की काफी भूमि को जोहड़ की शक्ल देकर पानी निकाला जा रहा है।
गांव चौटाला में जमा करीब पांच फुट बरसाती पानी को निकालने के लिए प्रशासन ने ढाई किलोमीटर दूर स्थित चौटाला डिस्ट्रीब्यूटरी में पानी डालने की योजना बनाई थी। इसके लिए चार जेसीबी के साथ खाल का निर्माण कार्य शुरू कर दिया था। लेकिन डिस्ट्रीब्यूटरी गांव से करीब 12 फुट ऊंची होने के कारण पानी उसमें नहीं डाला जा सका। इस दौरान पानी निकालने के लिए लगाए गए छह पंप सैटों में से एक पंप सैट खराब हो गया। प्रशासन ने अपनी योजना को बदलते हुए पुन: बरसाती पानी को निकालने के प्रयास शुरू किए। शमशान भूमि के साथ लगती कब्रों वाली जमीन पर प्रशासन ने पानी छोडऩे का प्रयास किया। लेकिन ग्रामीणों के भारी विरोध के चलते ऐसा मुनासिब न हो सका। आखिर में गुरूवार देर रात को गांव की चारा मण्डी के पास स्थित जमीन तथा गांव के साथ लगती करीब दस एकड़ भूमि पर छह पंप सैटो की सहायता से पानी निकालने का प्रयास शुरू हुआ। दूसरी ओर बरसाती पानी के कारण करीब एक हजार घर गिर गए हैं। लोग अपने घर से बेघर हो गए हैं। कुछ लोगों ने अपने सगे संबंधियों के यहां शरण ले ली है। अधिकतर लोग गांव से बाहर ऊंची जगह पर तंबू लगाकर गांव से पानी निकलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
गांव के पटवारी दलीप सिंह ने बताया कि बरसाती पानी के कारण गांव में काफी नुक्सान हुआ है। मकान गिरने संबंधी करीब 500 शिकायतें उनके पास दर्ज हो चुकी हैं। इसके अतिरिक्त एक हजार घरों तथा दुकानों के साथ-साथ अस्पताल, सरकारी स्कूल, वाटर वक्र्स, पटवार खाना को भी भारी क्षति पहुंची हैं। सरकारी विभागों के कार्यालयों की दीवारें गिर गई हैं। पानी निकलने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
शुक्रवार को मुख्यमंत्री के पूर्व ओएसडी डॉ. केवी सिंह, एसडीएम डॉ. मुनीश नागपाल,  तहसीलदार डबवाली राजेंद्र कुमार, बीडीपीओ सतीन्द्र सिवाच, सिंचाई विभाग के एक्सीयन बीके जग्गा, एएई आरएस लुहान, सिंचाई विभाग की टेक्निकल विंग के एसडीओ एसएन गर्ग ने गांव का दौरा किया। इन लोगों ने ग्रामीणों की समस्याएं जानी।
एसडीएम डॉ. मुनीश नागपाल ने बताया कि गांव से पानी निकालने के लिए चार पंप सैटों के अतिरिक्त दो वीटी पंप लगाए गए हैं। इन पंपों की सहायता से करीब ढाई फुट पानी कम हुआ है। सभी गिरदावरों को गांव में हुए नुक्सान का सर्वे करवाने के आदेश दे दिए गए हैं। तहसीलदार राजेंद्र कुमार तथा बीडीपीओ सतीन्द्र सिवाच पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए हैं।

चौटाला में हालात खराब


गांव अबूबशहर, सुकेराखेड़ा में भी स्थिति भयानक
डबवाली (लहू की लौ) पिछले पांच दिनों से हो रही बारिश ने गांव चौटाला, अबूबशहर तथा सुकेराखेड़ा में कोहराम मचा दिया है। इन गांवों में बाढ़ जैसी स्थिति हो गई है। प्रशासन ने तीनों गांवों में रेड अलर्ट जारी करते हुए स्वास्थ्य विभाग, सिंचाई विभाग की टीमें लगा दी हैं। पानी को राजस्थान कैनाल तथा पास से गुजरने वाली डिस्ट्रीब्यूटरियों में डाला जा रहा है।
पूर्व उपप्रधानमंत्री चौ. देवीलाल तथा पूर्व उप मुख्यमंत्री चौ. ओमप्रकाश चौटाला के गांव की गलियों में पांच-पांच फुट तक पानी भरा है। करीब एक हजार घर गिरने की कगार पर आ खड़े हुए हैं। बाजार में स्थित दुकानों में घुसे पानी से 50 दुकानों पर संकट मंडराने लगा है। वहीं इन दुकानों में रखा सामान खराब हो गया है। सरकारी स्कूलों में तीन दिन का अवकाश घोषित कर दिया गया है। बाजार के निकट स्थित वाटर वक्र्स में पानी घुसने से चारों ओर पानी के लिए हाहाकार मची हुई है। गांव के पूर्व सरपंच तथा स्वतंत्रता सेनानी खूब राम जाखड़ के बेटे 70 वर्षीय दुलीचंद, ग्रामीण 65 वर्षीय रणजीत सिंह ने बताया कि उन्होंने अपनी जिन्दगी में गांव चौटाला में ऐसा पहली बार देखा है। लोग घरों की छतों पर बैठकर दिन काटने को मजबूर हो रहे हैं। गांव में बीमारी फैलने का भय सताने लगा है। ग्रामीणों के अनुसार अगर बारिश ज्यों ही चलती रही और पानी निकासी का कोई प्रबंध न हुआ तो गांव का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।
गुरूवार को गांव के हालतों का जायजा लेने के लिए एसडीएम डॉ. मुनीश नागपाल, तहसीलदार डबवाली राजेंद्र कुमार, बीडीपीओ डबवाली सतीन्द्र सिवाच, सिंचाई विभाग के एक्सीयन विजय जग्गा, एएई आरएस लुहान, सिंचाई विभाग की टेक्निकल विंग के एसडीओ एसएन गर्ग पहुंचे। ग्रामीणों के साथ इन लोगों ने ट्रेक्टर पर चढ़कर हालात देखे। अधिकारियों ने देखा कि पानी निकालने के लिए गौशाला के निकट बनाई गई जगह भी छोटी पड़ गई। पानी ओवरफ्लो होकर गौशाला में घुसना शुरू हो गया था। पानी को निकालने के लिए शमशान भूमि के निकट कब्रों वाली जगह का चुनाव किया गया। लेकिन ग्रामीणों के विरोध के चलते योजना सिरे नहीं चढ़ पाई। बाद में गौशाला से लेकर चौटाला डिस्ट्रीब्यूटरी तक जेसीबी मशीन की सहायता से खाल का निर्माण करवाकर पानी डालने की योजना बनाई गई। जिस पर कार्य आरंभ हुआ।
पटवारी दलीप सिंह ने बताया कि गांव चौटाला में 4 से 5 फुट पानी जमा है। इससे करीब एक हजार घर गिरने की कगार पर पहुंच गए हैं। बाजार में 50 के करीब दुकानें भी प्रभावित हुई हैं।
गांव अबूबशहर में निचली बस्तियों में पानी जमा हो जाने से लोगों ने अपना बसेरा राजस्थान कैनाल की पटरी पर बसा लिया है। गांव में करीब पांच सौ घर प्रभावित हुए हैं। गांव की गलियों में लगभग चार फुट पानी दौड़ रहा है। संगरिया मार्ग पर पानी आने के कारण हालत और भी खराब हो गए।
सुकेराखेड़ा में 100 घर गिरे
पिछले पांच दिनों से हो रही बरसात से गांव सुकेराखेड़ा पानी से लबालब हो गया है। गांव को जाने वाले सभी मार्ग बंद होने से ग्रामीणों को भारी परेशान का सामना करना पड़ रहा है। गांव की गलियों में जमा चार-चार फुट पानी की निकासी के लिए गुरूवार को ग्रामीण बीडीपीओ से मिले।
गांव के सरपंच रामसरूप, प्रेमचंद, रामकुमार, भीम सैन, वीरपाल, धर्मपाल, मोहन लाल, पृथ्वी राज ने बताया कि पानी की निकासी न होने की वजह से गांव के करीब सौ घर गिर गए हैं। अन्य घरों में भी दरारें आ गई हैं। गांव में पानी निकालने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।
एसडीएम डबवाली डॉ. मुनीश नागपाल ने बताया कि उन्होंने आज गांव चौटाला, अबूबशहर, सुकेराखेड़ा का दौरा किया था। वहां के ग्रामीणों से मुलाकात करके उनकी समस्या जानी। उन्होंने बताया कि गांव चौटाला में चार जेसीबी की मदद से गौशाला से डिस्ट्रीब्यूटी तक खाल का निर्माण करके पानी निकालने की योजना तैयार पर कार्य शुरू कर दिया गया है। पानी निकालने के लिए छह पंपों की व्यवस्था कर दी गई है। तीनों गांवों के ग्रामीणों की स्वास्थ्य की दृष्टि से एसएमओ को जरूरी हिदायतें दी गई हैं। पशुओं के स्वास्थ्य का भी खास ख्याल रखा जा रहा है।

हरियाली स्कीम में घपले का अंदेशा!


डबवाली (लहू की लौ) गांवों को हरा-भरा रखने के लिए सरकार की ओर से साल 2004 में शुरू की गई हरियाली स्कीम में घपलेबाजी का आंदेशा हुआ है। गांव मौजगढ़ के एक व्यक्ति ने अन्ना हजारे की राह पर चलते हुए आरटीआई के तहत अपने गांव की पंचायत से हरियाली योजना की जानकारी मांगी। अपनी जानकारी में पंचायत सीधे तौर पर फंसती हुई प्रतीत होती है।
गांव मौजगढ़ निवासी अमरीक बिश्नोई ने 19 मई 2011 को आरटीआई के तहत खण्ड विकास एवं पंचायत अधिकारी, डबवाली से आरटीआई के जरिए गांव में हरियाली योजना के संदर्भ में जानकारी मांगी। जिसमें उन्हें गांव की पंचायत के जरिए जानकारी मिली कि साल 2004 से शुरू हुई इस योजना के तहत गांव में अब तक 23 लाख रूपए का कार्य हुआ है। जिसमें से अण्डरग्राऊंड पाईप लाईन पर 2 लाख 99 हजार 415 रूपए, यूजीपीएल के तहत 8 लाख 1 हजार 482 रूपए, खाल निर्माण पर 8 लाख 19 हजार 183 रूपए तथा पौधारोण पर 3 लाख 89 हजार 746 रूपए का खर्चा दिखाया गया।
बिश्नोई ने गांव में हुए पौधारोपण को मुद्दा बनाते हुए पुन: आरटीआई लगाई। पंचायत ने उन्हें जवाब भेजा कि उसके कार्यकाल में हरियाली स्कीम के तहत 390931 रूपए खर्च किए गए हैं। जिसमें से ट्री गार्ड पर 130020 रूपए, पौधों पर 120250 रूपए के साथ-साथ 2526 रूपए का विविध खर्चा दर्शाया गया है। यही नहीं 1 लाख 18 हजार 950 रूपए की राशि मजदूरी पर खर्च दिखाई गई है।
अमरीक बिश्नोई के अनुसार अपने जवाब में पंचायत ने गांव के शमशान घाट, स्कूल, वाटर वक्र्स के साथ-साथ गांव में विभिन्न जगहों पर पौधारोपण का जिक्र किया है। इन सभी जगहों पर लगभग 600 खड्डे खोदकर पौधारोपण किया गया है। जिसमें तीन प्रकार के पौधे लगाए गए हैं। लगभग 78 ट्री गार्ड लगाए गए हैं।
बिश्नोई के अनुसार उपरोक्त सभी कार्य पर करीब एक लाख रूपए की राशि खर्च बैठती है। लेकिन पंचायत ने करीब चार लाख रूपए खर्च दिखाए हैं। चूंकि जिन पौधों को लगाया दिखाया गया है, उनकी कीमत 20 रूपए से लेकर 120 रूपए तक है। जबकि ट्री गार्ड की कीमत 500 रूपए प्रति गार्ड है। वहीं खड्डा खोदने की मजदूरी मात्र 10 रूपए दी गई है। ऐसे में पंचायत शक के घेरे में नजर आती है।
इधर खण्ड विकास एवं पंचायत अधिकारी कार्यालय के एसईपीओ रामप्रकाश ग्रोवर ने बताया कि अमरीक सिंह बिश्नोई ने आरटीआई के तहत आधी-अधूरी जानकारी देने की शिकायत उनके पास की थी। शिकायत के आधार पर वे गांव मौजगढ़ में गए थे। लेकिन पंचायत सचिव मौके पर उपस्थित नहीं हो सका। सचिव से रिकॉर्ड मिलते ही मामले की जांच करवाई जाएगी।

नेताओं वाला जिला आज भी पिछड़ा!



डीडी गोयल
093567-22045

जिला सिरसा ने हरियाणा प्रदेश के साथ-साथ देश को एक से एक कद्दावर नेता दिया। लेकिन इन 
नेताओं ने अपनी राजनीति चमकाई। विकास की एक ईंट भी जिला पर नहीं लगाई। यह हम नहीं कह रहे क्रिड की रिपोर्ट कह रही है। जिला के सभी गांव तथा शहर चीख-चीख कर विकास की मांग कर रहे हैं।
डबवाली। जिस जिले ने देश और प्रदेश की राजनीति को नई दिशा और दशा दी हो वह जिला पिछड़ा कहलाता होगा, ऐसा न ही किसी ने सोचा और समझा होगा। लेकिन यह सच है कि जिला सिरसा को प्रदेश में महेंद्रगढ़ के बाद सबसे पिछड़ा जिला घोषित करार दिया गया है। इसलिए इस जिले में अधिकतर कार्य पिछड़े क्षेत्रों के लिए बनी योजना बीआरजीएफ के तहत किया जाता है। सैन्टर ऑफ रिसर्च इन रूरल एण्ड इंडस्ट्रीयल डिवेलप्मेंट (क्रिड) ने इस बार के सर्वे में कई अहम मुद्दों को जन्म दिया है।
जिला सिरसा ने देश को चौ. देवीलाल सरीखे उपप्रधानमंत्री, चौ. ओमप्रकाश चौटाला जैसा मुख्यमंत्री, लक्ष्मण दास अरोड़ा के रूप में उद्योग मंत्री, वेदपाल नेहरा के रूप में सिंचाई मंत्री, गोपाल काण्डा के रूप में शहरी निकाय मंत्री दिया है। यूं कहें कि राजनीति  रूपी बाग का हर वो फूल दिया है, जो एक बाग की सुंदरता के लिए आवश्यक होता है। जिसके बिना बाग का अर्थ शेष नहीं रह जाता। लेकिन जिसने ये फूल दिए वहां की धरा आज भी बंजर है। शिक्षा, पानी, स्वास्थ्य सुविधाओं से महरूम चली आ रही है। क्रिड संस्था के प्लानिंग ऑफिसरों द्वारा किए गए सर्वे में कई हैरानीजनक बाते सामने आई हैं। जिससे जिला सिरसा के राजनीतिकों के साथ-साथ समय-समय पर आई विभिन्न पार्टियों की सरकारें कटघरे में खड़ी प्रतीत होती हैं।
केंद्र सरकार ने करीब पांच वर्षों से जिला सिरसा को पिछड़ा जिला घोषित किया हुआ है। समय-समय पर क्रिड संस्था इसका सर्वे करने के लिए यहां आती है। इस संस्था के प्लानिंग अधिकारियों की रिपोर्ट पर ही विकास कार्य अंजाम दिए जाते हैं। इस बार भी यहां सर्वे हुआ है। देखने में आया है कि जिला सिरसा में स्वास्थ्य सुविधाएं नगण्य के सामान हैं। चूंकि 30-30 किलोमीटर के दायरे में सब सैन्टर स्थापित हैं। जिससे इतनी दूर तक जाने में ग्रामीणों को दिक्कत आती है। या यूं कहे कि अभी तक जिला के प्रत्येक गांव या फिर पांच किलोमीटर की दूरी पर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध नहीं है। एक एएनएम के कंधों पर छह-छह डिलीवरी हट का बोझ है। ऐसे में महिला की सुरक्षित प्रसूति की बात कैसे की जा सकती है। छोटे बच्चों को अक्षर ज्ञान देने के लिए आंगनवाड़ी न के बराबर हैं। अगर कहीं हैं तो वे शमशान घाट में। जिससे  ग्रामीण वहां पर जाने से घबराते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में खुले सरकारी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आने वाले बच्चों के लिए स्वच्छ पीने का पानी उपलब्ध नहीं है। युवतियां शिक्षा के मामले में लड़कों से पिछड़ी हुई हैं। लड़कियों को घरों से बाहर न निकलने देना और स्त्रियों में जागरूकता की कमी इसका सबसे बड़ा कारण है।
क्रिड के सर्वे में यह भी आया है कि जिला के विभिन्न खण्ड़ों के अधिकतर गांवों में लोगों को पीने का पानी नहीं मिल पाता। वहां का अधिकतर भूमिगत जल खारा हो गया है। इसके चलते लोग मोल में पानी लेकर पीते हैं।  गांवों में स्वच्छता अभियान की कमी भी जाहिर हुई है। शहरों में अधिकतर पीने के पानी तथा सीवरेज व्यवस्था की प्रॉब्लम बनी हुई है। सीवरेज व्यवस्था ठप रहने से गंदा पानी सड़कों पर है और लोग बीमार पड़ रहे हैं।
क्रिड की जिला को-ऑर्डिनेटर प्रदीप कुमारी ने उपरोक्त पुष्टि करते हुए बताया कि सर्वे कंपलीट हो गया है। जिला के सभी गांवों का दौरा करने के बाद प्लानिंग ऑफिसर ने अपनी-अपनी रिपोर्ट सौंपी है। जिला सिरसा शिक्षा, स्वास्थ्य तथा पेयजल व्यवस्था में काफी पिछड़ा हुआ है। साल 2006-07 में जिला सिरसा को बीआरजीएफ योजना के तहत डाला गया था। उस समय से लेकर अब तक स्वच्छता अभियान में कामयाबी मिली है। लेकिन अभी भी कुछ अहम बिन्दू हैं, जिन पर तत्परता से काम किया जाना जरूरी है। गांवों तथा शहरों में पीने के पानी की काफी किल्लत है, अगर पानी आता है तो वह भी गंदा। लोगों ने आरओ सिस्टम लगवाए जाने की मांग की है, ताकि बीमारियों से बचा जा सकें। इस रिपोर्ट को क्रिड उपायुक्त सिरसा को सौंपेगी, ताकि जिला के विकास की योजनाएं तैयार हो सकें।
यहां विशेषकर उल्लेखनीय है कि जिस जिला ने उपरोक्त कद्दावर नेता इस देश और प्रदेश को दिए हों, उस जिला में उपरोक्त समस्याओं का अम्बार कैसे लग गया? क्या सरकारों ने जिला को विकास के लिए फण्ड नहीं दिए? क्या हमने अपना प्रतिनिधि चुनने में गलती की? क्या हमारा प्रतिनिधि हमारे विश्वास पर खरा नहीं उतरा? क्रिड संस्था के सर्वे ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। आखिर नेताओं का जिला पिछड़ा कैसे हो सकता है?

ऐसी मिसाल कहीं नहीं


सत्तर साल से बाबा रामदेव मंदिर के लिए परंपरा निभा रहा है डबवाली का रैगर समाज
डबवाली (लहू की लौ) बात सुनने में अटपटी लगे। लेकिन है सच। ऐसा सच जिस पर सरलता से यकीन नहीं किया जा सकता हो। रैगर समाज के शहर में करीब एक हजार घर हैं। इन घरों में जब भी सुख-दु:ख का कोई कार्यक्रम होता है, उससे पूर्व बाबा रामदेव के मंदिर का भाग निकाला जाता है। ऐसा पिछले सत्तर सालों से चल रहा है। डबवाली का रैगर समाज इसे रसम मानकर निभाता है।
न्यू बस स्टैण्ड रोड़ पर स्थित बाबा रामदेव के मंदिर की स्थापना विक्रमी संवत 1988 के दरमियान हुई थी। उस दौरान बाबा रामदेव के भक्त गीगा राम मंदिर वाली जगह आए। उन्होंने दो ईंट खड़ी करके ध्यान लगाया और वहां पर बाबा रामदेव मंदिर बनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया। लोगों को उनकी बात पर यकीन नहीं हुआ। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, लोगों का विश्वास मजबूत होता गया। विक्रमी संवत 1989 में दो ईंटे कमरे में तबदील हो गई। जिसके ऊपर गुम्बद बनाया गया और कलश लगाए गए।   मंदिर में सुबह-शाम को दो समय आरती होने लगी। मंदिर के विकास का जिम्मा रैगर समाज ने अपने हाथों में लिया। इसके लिए चौधरी रामलाल,  त्रिलोक चंद सकरवाल, प्रभाती राम धोलपुरिया, कान्हा राम तथा मंगला राम ने बाबा रामदेव सेवक संस्था का निर्माण किया।
मंदिर के ठीक सामने रहने वाले नपा डबवाली के पूर्व अध्यक्ष 81 वर्षीय चौधरी रामलाल बताते हैं कि इसी दौरान रैगर समाज से संबंध रखने वाले मुकंदा राम ने मंदिर के साथ लगती एक बिसवा जमीन मंदिर को दान कर दी। उस समय रैगर समाज के करीब 400 घर थे। प्रत्येक घर खुशी-गमी के मौके पर मंदिर को दान दिया जाने लगा। इसी दान के सहारे उन्होंने जमीन पर दुकानें काट दी। दुकानों के निर्माण के बाद आने वाली आमदन से मंदिर के पुजारी तथा वहां रूकने वाले संत-फकीर के भोजन की व्यवस्था होने लगी।
खुशी का मौका हो या फिर गम का मौका रैगर समाज के लोगों ने इन दोनों अवसरों पर मंदिर को दान देने की रसम अपना ली। धीरे-धीरे मंदिर की मान्यता बढऩे लगी। साल में दो बार मेला भरने लगा। इस मेले में आने वाले लोगों की मनोकामना पूर्ण होने लगी। जिससे गली, मोहल्ले फिर शहर के लोग मंदिर में आने लगे। लेकिन सत्तर साल पहले रैगर समाज में शुरू हुई परंपरा आज भी कायम है। घर में छोटा सा कार्यक्रम होने पर भी मंदिर को दान देना नहीं भूलते।
बन गई परंपरा
मंदिर को संभाल रहे बाबा रामदेव सेवा मण्डल के अध्यक्ष प्रेम कनवाडिय़ा तथा सदस्य कृष्ण खटनावलिया ने बताया कि वे पीढ़ी दर पीढ़ी इस परंपरा का निर्वाह करते आ रहे हैं। उनके बुजुर्गों से उन्हें इस रसम की जानकारी मिली है। समाज के जिस भी घर में कोई कार्यक्रम होता है, उसी समय मंदिर के विकास के लिए परिवार खुद ब खुद दान देने की रसम निभाता है। उन्होंने बताया कि यह समाज के लोगों का सहयोग तथा बाबा रामदेव की कृपा है, जो एक कमरे का मंदिर विशाल मंदिर में परिवर्तित हो गया है और साथ में धर्मशाला बन गई है।

शहर का छोरा पीयू अध्यक्ष


अन्ना हजारे से खासे प्रभावित हैं अध्यक्ष पुष्पिंद्र सिंह उर्फ मन्नु
डबवाली (लहू की लौ) पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) चण्डीगढ़ छात्र कौंसिल के नए सरदार बने डबवाली के पुष्पिंद्र सिंह उर्फ मन्नु सक्रिय राजनीति में आकर अपना भाग्य आजमाना चाहते हैं। उनका कहना है कि सिस्टम को खराब कहने मात्र से समस्या का समाधान होने वाला नहीं। अगर युवा सच में इस सिस्टम को बदलना चाहते हैं तो उन्हें सिस्टम में आना होगा। समाजसेवी अन्ना हजारे के मार्ग पर चलकर सिस्टम को बदला जा सकता है।
मन्नु शनिवार को इस संवाददाता से मोबाइल पर बातचीत कर रहे थे। पीयू में एलएलबी द्वितीय वर्ष के इस छात्र ने कहा कि वे जन लोकपाल बिल के लिए संघर्षरत अन्ना हजारे के साथ हैं। 74 वर्षीय हजारे को देश के युवा तारणहार समझने लगे हैं। वह तथा उनका संगठन स्टूडेंट ऑर्गेनाईजेशन ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी (सोपू) तथा सहयोगी संगठन स्टूडेंट ऑर्गेनाईजेशन ऑफ इंडिया (सोई) उनके साथ है। अन्ना हजारे उनके पसंदीदा चेहरे हैं। उनके मकसद को अपना मानकर वे सक्रिय राजनीति में हाथ अजमाएंगे। जब उनसे उनके राजनीतिक कैरियर शुरू करने की जगह के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि वे अभी एलएलबी कर रहे हैं, डेढ़ वर्ष बाद उनकी एलएलबी कंप्लीट हो जाएगी। साथ में ज्यूडीशियल तथा आईएएस की भी तैयारी कर रहे हैं। डबवाली आने के बारे में पूछे जाने पर पुष्पिंद्र ने कहा कि मंगलवार को वे अपने पद की शपथ ग्रहण करेंगे। उसके बाद जल्द ही डबवाली आएंगे।
पीयू का अध्यक्ष बनने पर पुष्पिंद्र उर्फ मन्नु डबवाली के वार्ड नं. 1 की हरमेल पेंटर वाली गली में स्थित उनके घर पर खुशी का आलम है। उनकी 83 साल की दादी ज्ञानवती तथा 64 वर्षीय माता चन्द्र उषा शर्मा तथा चाचा केशव शर्मा फूले नहीं समा रहे। मन्नु के डबवाली आगमन पर जश्न मनाने की तैयारियां कर रहे हैं।
कैसे बने सरताज
पुष्पिंद्र की सफलता के पीछे डबवाली में रह रहे उनके चाचा केशव शर्मा पूर्व चेयरमैन, नपा डबवाली का अहम रोल है। पीयू छात्र कौंसिल चुनाव से पूर्व पुष्पिंद्र की एक लम्बी बातचीत अपने चाचा से हुई थी। इस बातचीत के दौरान भतीजे ने अपने चाचा को बताया था कि उसके साथी उसे चुनाव में खड़ा करना चाहते हैं। क्या वह चुनाव में खड़ा हो जाए? शर्मा ने सहमति जताते हुए उसे चुनाव लडऩे की सलाह दी। शुक्रवार को पीयू का अध्यक्ष बनने के बाद सबसे पहली कॉल उन्होंने अपने चाचा केशव शर्मा को की।
करीब 15 साल पूर्व पुष्पिंद्र के पिता एसएस टीचर सुभाष शर्मा का आकस्मिक निधन हो गया था। उस समय मन्नु मात्र 9 साल के थे। उनकी माता एसएस टीचर चन्द्र उषा शर्मा ने उसकी परवरिश उसे पढ़ाया। मन्नु की दो बहनें मनीषा तथा संचिला विवाहिता हैं। मन्नु ने मण्डी किलियांवाली स्थित बाल मंदिर सीनियर सैकेण्डरी स्कूल से 12वीं की। उसके बाद बीए का प्रथम वर्ष गुरूनानक कॉलेज में पास किया। डीएवी कॉलेज चण्डीगढ़ से ग्रेजुएट की। लॉनड्रा कॉलेज, मोहाली से एमबीए कंपलीट की। अब पंजाब यूनिवर्सिटी में एलएलबी द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रहा है।
पीयू के नए सरताज की दादी 83 वर्षीय ज्ञानवती ने कहा कि उन्हें बहुत खुशी महसूस हो रही है। मेरी तो अपने गुरू साहिबान से यही बिनती है कि उसका पोता मन्नु यूं ही आगे बढ़ता रहे।
मन्नु की माता चन्द्र उषा शर्मा ने कहा कि एमबीए पास करने के बाद उसके पास जॉब की ऑफर आई थी। लेकिन उसने उसे ठुकरा दिया। एमबीए के साथ एलएलबी करके बढिय़ा जॉब मिलने के आसार ज्यादा हैं। इसलिए उन्होंने अपने बेटे को उसकी एलएलबी में एडमिशन दिलाया। अब वह सक्रिय राजनीति में जाना चाहता है, उसकी तमन्ना है कि वह बुलंदियों को छुए।
अर्जुन की जीत में द्रोणाचार्य सरीखी भूमिका अदा करने वाले मन्नु के चाचा नपा डबवाली के पूर्व प्रधान तथा वरच्युस क्लब इंडिया के संस्थापक केशव शर्मा ने बताया कि पीयू छात्र कौंसिल चुनाव में उसके भतीजे की जीत एक रिकॉर्ड है। इस चुनाव में पुष्पिंद्र उर्फ मन्नु को 3730 वोट हासिल हुई थीं। मन्नु 1001 वोट से चुनाव जीतने में कामयाब रहा। मन्नु ने उनका सिर फक्र से ऊंचा कर दिया है।

अस्पताल में नर्सों का हंगामा, जमकर गाली-गलौज


डबवाली (लहू की लौ) सरकारी अस्पताल की दो स्टाफ नर्सों में चल रही खुन्नस शुक्रवार को बड़ा रूप ले गई। एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाती हुई दोनों आमने-सामने हो गई। वहां जमकर गाली-गलौज हुआ। नर्सों ने पूरा अस्पताल सिर पर उठा लिया। उनका तमाशा देने के लिए अस्पताल के मरीज मौका पर जुट गए। बाद में अस्पताल के चिकित्सकों ने बीच में पड़कर दोनों का राजीनामा करा दिया।
अस्पताल में कार्यरत एक नर्स अपनी सहयोगी नर्स के चरित्र पर शक करती है। कुछ दिन पहले इस नर्स ने सहयोगी नर्स पर आरोप जड़ दिया। इस बात पर दोनों में काफी गर्मा-सर्दी हुई। लेकिन उस समय मामला ठंडा पड़ गया। शुक्रवार को दोनों की अलग-अलग डयूटी थी। एक की डयूटी एम्बुलैंस तथा दूसरी की लेबर रूम में थी। लेकिन लेबर रूम के सामान का चार्ज एम्बुलैंस डयूटी कर रही नर्स के पास था। लेबर रूम में कार्यरत नर्स के पास डिलीवरी आई हुई थी। डिलीवरी करने के लिए उसे ग्लबज की जरूरत थी। इसलिए उसने एम्बुलैंस डयूटी कर रही नर्स को सामान निकालने के लिए कहा। लेकिन वह उस पर बिफर पड़ी। उसे खूब बुरा-भला कहा। थप्पड़ मारकर दीवार के साथ लगा देने की धमकी दे डाली। पीडि़त नर्स ने अस्पताल के कार्यकारी एसएमओ डॉ. एमके भादू, डॉ. बलेश बांसल के साथ-साथ अपने परिजनों को मौका पर बुला लिया। नर्स के परिजनों को देखकर दूसरी नर्स ने बवाल खड़ा कर दिया।
मारपीट का आरोप लगाते हुए यह नर्स एमएलआर कटवाने पर अड़ गई। इधर स्टाफ नर्सों के बीच हुए घमासान को देखने के लिए मरीजों की भारी भीड़ जुट गई। नर्सों का तमाशा करीब एक घंटा तक चलता रहा। जिससे मरीजों को काफी मुश्किल आई। बाद में मौका पर पहुंचे चिकित्सक ने नर्सों को समझाया-बुझाया तथा उनका दायित्व याद दिलाया। चिकित्सकों के अनुरोध पर एक नर्स ने झुकते हुए दूसरी को सॉरी बोल दिया। जिससे मामला निबट गया। बताते हैं कि इस मामले के बाद अस्पताल प्रशासन ने लेबर रूम के सामान का चार्ज संबंधित नर्स से छीन लिया है।
अस्पताल के कार्यकारी एसएमओ डॉ. एमके भादू ने बताया कि सामान निकालने को लेकर स्टाफ नर्सों में मनमुटाव हुआ था। दोनों को समझा-बुझाकर शांत कर दिया गया है।

तीन विभाग उठाएंगे घपले से पर्दा!


डबवाली-संगरिया मार्ग की जांच का पहला चरण खत्म
डबवाली (लहू की लौ) हरियाणा की राजनीति में सबसे ऊंचे पायदान पर गिने जाने वाले गांव चौटाला की ओर जाता डबवाली-संगरिया मार्ग अपने सूरत-ए-हाल के कारण हमेशा चर्चा का विषय रहा है। आरोप है कि विपक्ष के नेता पूर्व मुख्यमंत्री चौ. ओमप्रकाश चौटाला के गृह क्षेत्र तक जाने के कारण सरकार ने इस मार्ग की सुध नहीं ली। व्यापारिक तथा सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण इस मार्ग की मुरम्मत के नाम पर सरकार के अधिकारियों तथा कर्मचारियों ने अपनी जेबें भरी। क्या वाकई मुरम्मत के नाम आई राशि में गड़बड़झाला हुआ है, इसकी जांच सरकार के तीन विभाग मिलकर कर रहे हैं। जांच का पहला चरण पूरा हो गया है।
साल 2004-05 से पूर्व डबवाली-संगरिया मार्ग जीआरआईएफ (गर्वमेंट रिजर्व इंजीनियरिंग फोर्स) के हवाले था। इंडियन नेशनल लोकदल के सुप्रीमों चौ. ओमप्रकाश चौटाला ने अपनी सरकार के दौरान मार्ग  की खराब हालत को देखते हुए जीआरआईएफ से इस रोड़ को बीएण्डआर के हवाले करवा दिया था। जिससे यह रोड़ एमडीआर (मेजर डिस्ट्रिक रोड़) बन गई।  इनेलो की सरकार के समय आखिरी बार 2004-05 में इसकी मुरम्मत की गई। रोड़ की दशा सुधारने के लिए 20 एमएम की प्री मिक्स कारपेट की तह बिछाई गई। उसके बाद इस रोड़ की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया। हालांकि इस रोड़ की मुरम्मत करने के लिए लाखों रूपए कागजों में जारी हुए। बताते हैं कि सड़क पर बने खड्ढों को भरने के लिए विभिन्न चरणों में प्रयोग हुई राशि करोड़ों में बैठती है। अक्टूबर 2010 में देश की राजधानी दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए क्वींस ऑफ बैटन 26 सितंबर 2010 को इसी मार्ग से निकली थी। आगमन के लिए विभाग ने करीब 25 लाख रूपए की राशि रोड़ की दशा सुधारने पर खर्च कर दी थी। लेकिन वर्तमान समय में सड़क पर खड्ढें ज्यों के त्यों हैं।
जिला परिषद सिरसा के चेयरमैन डॉ. सीता राम ने खड्ढे भरने में हुए गोलमाल का मुद्दा उठाया और इसकी जांच की मांग की। उनकी मांग पर जांच शुरू हुई है। जांच का जिम्मा एसडीएम डबवाली डॉ. मुनीश नागपाल के कंधों पर है। नागपाल ने रोड़ की इंक्वायरी के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। जिसमें नगर सुधार मण्डल के एमई रमेश कंबोज, बीडीपीओ डबवाली सतीन्द्र सिवाच तथा एसडीओ मार्किटिंग बोर्ड भूप सिंह शामिल हैं। इस कमेटी का अध्यक्ष बीडीपीओ को बनाया गया है। जांच शुरू हो चुकी है। जांच का पहला चरण पूरा हो चुका है। जिसके तहत पूरे रोड़ की वीडियोग्राफी करवाई गई है। दूसरा चरण आरंभ हो गया है। एक एसडीओ, एक एमई तथा सात जेई पर आधारित टीम ने लोक निर्माण विभाग भवन एवं पथ से जीरो से 31.52 किलोमीटर तक लम्बी इस रोड़ को रिकॉर्ड तलब करके इसे कई भागों में विभाजित किया है। बड़ी बारीकी से प्रत्येक एंगल से जांच की जा रही है। रिकॉर्ड के अनुसार बताए गए पेच वर्क को मापा जा रहा है।
रोड़ की जांच के लिए बनी तीन सदस्यीय कमेटी के अध्यक्ष बीडीपीओ सतीन्द्र सिवाच ने बताया कि वीडियोग्राफी होने से जांच का प्रथम चरण पूरा हो गया है। एक एसडीओ, एक एमई तथा सात जेई पर आधारित टीम ने द्वितीय चरण का कार्य शुरू कर दिया है। अगले सप्ताह तक जांच पूरी होने की उम्मीद है।
पीडब्ल्यूडी बीएण्डआर सिरसा के एक्सीयन एमएस सांगवान ने बताया कि विभाग की ओर से जांच में पूरा सहयोग दिया जा रहा है। जांच कमेटी द्वारा समय-समय पर मांगे जा रहे रिकॉर्ड को उपलब्ध करवाया जा रहा है।

मृतक के ब्यान लेने के लिए चक्कर लगाती रही पुलिस!


डबवाली (लहू की लौ) दुर्घटना में युवक की मौत होने के बाद युवक के परिजन बिना पोस्टमार्टम करवाए ही शव को गांव ले गए।  यह शव सरकारी एम्बुलैंस में डबवाली लाया जा रहा था। हालांकि दुर्घटना की एमएलआर पुलिस के पास आई थी। पुलिस अभी तक युवक का ब्यान दर्ज करने के लिए अस्पतालों के चक्कर लगा रही है।
गांव भारूखेड़ा के पास बुधवार सुबह एक ट्रेक्टर-ट्राली पलटने के कारण गांव डबवाली का टीटू नामक 26 वर्षीय युवक घायल हो गया था। जिसे उपचार के लिए डबवाली के सरकारी अस्पताल में लाया गया। वहां प्राथमिक उपचार के बाद चिकित्सक ने उसे सिरसा रैफर कर दिया। सरकारी अस्पताल का एम्बुलैंस चालक कृष्ण घायल के परिजनों के अनुरोध पर उसे इलाज के लिए बठिंडा ले गया। लेकिन जख्मों का ताप न सहते हुए चिकित्सक ने बीच रास्ते में ही दम तोड़ दिया। बठिंडा के एक निजी अस्पताल के चिकित्सक ने टीटू को मृत घोषित कर दिया।
पुलिस के पास दुर्घटना की एमएलआर पहुंचने के कारण चौटाला पुलिस घायल के ब्यान दर्ज करने के लिए बुधवार शाम को डबवाली पहुंची। लेकिन पता चला कि घायल को यहां से सिरसा रैफर कर दिया गया है। गुरूवार को पुन: पुलिस सिरसा गई लेकिन वहां भी उन्हें कोई नहीं मिला। पुलिस पूरा दिन घायल के ब्यान दर्ज करने के लिए अस्पतालों के चक्कर लगाती रही।
सरकारी अस्पताल की एम्बुलैंस के चालक कृष्ण कुमार ने बताया कि वह शव को लेकर वापिस डबवाली आ रहा था। लेकिन मृतक के परिजनों ने उस पर गांव डबवाली में चलने का दबाव डाला। वह अकेला था। दूसरा परिजन पोस्टमार्टम नहीं करवाना चाहते थे। इसी के चलते वह शव को मृतक के घर पर छोड़ आया।
मामले की जांच कर रहे चौटाला पुलिस चौकी के एएसआई रोशन लाल ने बताया कि उनके पास गांव भारूखेड़ा के पास टीटू के घायल होने की सूचना आई थी। वे ब्यान दर्ज करने के लिए डबवाली के सरकारी अस्पताल तथा सिरसा के सामान्य अस्पताल में गए थे। लेकिन उन्हें वहां टीटू नहीं मिला। पुलिस के पास अभी उसकी मौत की कोई जानकारी नहीं है। मृतक गांव डबवाली का बताया जाता है। इसी के चलते गांव डबवाली में उसके परिजनों से संपर्क साधने का प्रयास किया जा रहा है।
राजकीय अस्पताल डबवाली के चिकित्सक डॉ. सरवन बांसल ने बताया कि उनके पास टीटू नाम का घायल आया था। उपचार के बाद उसे सिरसा रैफर कर दिया गया था। उसकी मौत के बाद परिजन पोस्टमार्टम करवाने की बजाए अपनी मर्जी से उसे बीच रास्ते में अपने गांव ले गए।

।शराबी कर्मचारी सस्पेंड!


डबवाली (लहू की लौ) लालपरी के नशे में धुत्त होकर गोदाम में हंगामा खड़ा करने के आरोप में हरियाणा स्टेट वेयर हाऊसिंग कारपोरेशन के चार कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया है।
चौटाला रोड़ पर स्थित कारपोरेशन के लाल गोदाम में कुछ दिन पूर्व शराब के नशे में चूर होकर कर्मचारियों ने खूब उत्पात मचाया था। गोदाम के चौकीदार ने जब इन्हें रोका तो ये लोग उससे भी भिड़ गए। चौकीदार विजय कुमार ने उपरोक्त कर्मचारियों की शिकायत कारपोरेशन के एमडी को करके गोदाम में चल रही अनुशासनहीनता से परिचित करवाया था। चौकीदार की शिकायत पर मामले की जांच आरंभ हुई। एमडी ने जांच का जिम्मा जिला प्रबंधक एसके सिंगल को दिया। कुछ रोज पहले एसके सिंगल मामले की जांच करने के लिए डबवाली पहुंचे। इस दौरान उन्होंने स्टाफ से बातचीत की और उनके ब्यान कलमबद्ध किए। अपनी जांच रिपोर्ट एमडी कृष्ण कुमार ढुल को सौंप दी। जांच रिपोर्ट के आधार पर एमडी ने चार कर्मचारियों को गोदाम में शराब पीकर हुडदंग करने का दोषी मनाते हुए सस्पेंड कर दिया।
हरियाणा स्टेट वेयर हाऊसिंग कारपोरेशन के जिला प्रबंधक एसके सिंगल ने बताया कि विभाग को गोदाम कीपर श्री भगवान, गोदाम कीपर सतिंद्र लुहान, एससीएस रामचन्द्र तथा जीएसडब्ल्यू मोहन के खिलाफ शराब पीकर गोदाम में बवाल खड़ा करने की शिकायत मिली थी। विभाग के मैनेजिंग डायरेक्टर कृष्ण कुमार ढुल के आदेश पर उन्होंने मामले की जांच की थी। उन्होंने डबवाली आकर स्टाफ से मामले के संबंध में पूछताछ की थी। शिकायत बिल्कुल सही पाई गई थी। उन्होंने जांच रिपोर्ट एमडी को सौंप दी थी। इसी रिपोर्ट के आधार पर एमडी ने अंडर रूल 7.2 ऑफ सीएसआर वोल्यूम-1, पार्ट-1 (मेन रूल) के तहत कार्रवाई करते हुए उपरोक्त चारों को सस्पेंड किया है

स्टॉक में भर दी दूसरी एजेंसी की गेहूं!


डबवाली (लहू की लौ) हरियाणा स्टेट वेयर हाऊसिंग कारपोरेशन का गांव शेरगढ़ स्थित गोदाम विवादों में गिर गया है। गोदाम में तैनात होमगार्ड जवान का आरोप है कि गोदाम कीपर ने उससे गाली-गलौज करके जबर्दस्ती गेहूं के बैग स्टॉक में लगवाए हैं। जबकि गोदाम कीपर होमगार्ड जवानों को चोर बता रहा है। कारपोरेशन के जिला प्रबंधक ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। वहीं पुलिस ने भी अपने स्तर पर जांच आरंभ कर दी है।
कारपोरेशन के गांव शेरगढ़ स्थित गोदाम में तैनात होमगार्ड जवान कृष्ण कुमार ने गुरूवार को शहर पुलिस को दिए ब्यान में कहा है कि बुधवार शाम को गोदाम का कीपर सतिंद्र लुहान एक ट्रेक्टर पर गेहूं के 14 बैग भरकर वहां पहुंचा। उसने लुहान से गेट पास की मांग की। लेकिन उसने गेट पास नहीं दिखाया और जबर्दस्ती बैग को वहां उतार दिया। अपने मोबाइल के जरिए इसकी सूचना मैनेजर पीके गुप्ता को देनी चाही, लेकिन लुहान ने उसका मोबाइल छीनकर धरती पर पटककर तोड़ दिया। लुहान के चले जाने के बाद उसने एक अन्य मोबाइल से उपरोक्त बात मैनेजर को बताई। मैनेजर ने मामले की शिकायत पुलिस में करने की बात कही। अन्यथा उसके खिलाफ कार्रवाई करने की चेतावनी दी। जवान के अनुसार मंगलवार को मैनेजर पीके गुप्ता सहित कारपोरेशन के अन्य कर्मचारियों ने गोदाम में पड़े गेहूं के बैग की गिनती की थी। एक स्टॉक में 14 बैग कम मिले थे। विभागीय कार्रवाई से बचने के लिए गोदाम कीपर ने बुधवार शाम को ही बाहर से बैग लाकर स्टॉक पूरा कर दिया।
इधर गोदाम कीपर सतिंद्र लुहान ने बताया कि गोदाम में पड़ी गेहूं की रखवाली की जिम्मा होमगार्ड जवानों पर होता है। होमगार्ड जवानों की उपस्थिति में 14 बैग गायब हुए हैं। इसके लिए वे ही जिम्मेवार हैं। विभाग को कोई नुक्सान न पहुंचे, इसके लिए उसने अपनी ओर से गेहूं के चौदह बैग को स्टॉक में रखवाया।
दोनों पक्ष अपनी-अपनी बात रखकर अपने कत्र्तव्य की इतिश्री कर रहे हैं। लेकिन सच यह है कि स्टॉक पूरा करने के लिए खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के 14 बैग का सहारा लिया गया है। आखिर खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के बैग गोदाम कीपर सतिंद्र लुहान के पास आए कहां से? स्टॉक में से बैग कहां गायब हो गए, उनको कौन ले गया? इन सवालों ने उक्त खरीद एजेंसी अधिकारियों की नींद हराम कर दी है। यह मामला सामने आने के बाद विभाग में हड़कंप मच गया है। इस संवाददाता से बातचीत करते हुए कारपोरेशन के जिला प्रबंधक एसके सिंगल ने बताया कि खरीद सीजन में एजेंसियां एक-दूसरे के बारदाना का प्रयोग कर लेती हैं। लेकिन वर्तमान समय में खरीद न होने के बावजूद स्टॉक को पूरा करने के लिए खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के 14 बैग का प्रयोग गंभीर मामला है। वे इसकी जांच करवाएंगे। दोषी पाए जाने वाले अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ विभाग कार्रवाई की जाएगी।
थाना शहर प्रभारी इंस्पेक्टर महा सिंह रंगा ने बताया कि दोनों पक्षों के ब्यान कलमबद्ध किए गए हैं। अपने ब्यानों में दोनों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए हैं। लेकिन गोदाम कीपर सतिंद्र लुहान ने स्टॉक को पूरा करने के लिए 14 बैग वहां रखे। इससे पूर्व स्टॉक में से 14 बैग कहां से गायब हुए, इसकी जांच तो संबंधित विभाग ही करेगा। अगर विभाग उनके पास शिकायत करता है तो दोषी के खिलाफ मामला दर्ज करके कार्रवाई की जाएगी।

कम्युनिस्ट लहर के स्तम्भ रहे हरि राम गोयल का शरीर पंच तत्वों में विलीन


डबवाली (लहू की लौ) दैनिक लहू की लौ के सम्पादक जयमुनी गोयल तथा प्रबंधक राजीव गोयल के पिता कामरेड श्री हरिराम गोयल का मंगलवार की रात को 12 बजे हृदय गति रूकने से अचानक निधन हो गया। उन्हें उपचार के लिए मंगलवार शाम को एक निजी अस्पताल में लेजाया गया था। वे 80 वर्ष के थे। उनके पार्थिव शरीर को डबवाली के रामबाग में बुधवार दोपहर को उनके बड़े पौत्र डीडी गोयल ने मुखाग्नि देकर पंच तत्वों में विलीन किया। इस मौके पर नगर के अनेक गणमान्य व्यक्ति, समाजसेवी संस्थाओं के प्रमुख तथा राजनीतिक पार्टियों के नेता उपस्थित थे।
कामरेड हरि राम गोयल को संघर्षमयी जीवन विरासत में मिला था। उनके पिता श्री राम लाल गोयल स्वतंत्रता संग्राम के समय प्रजा मंडल लहर के दौरान लम्बे समय तक फिरंगियों की कैद में रहे। जब हरि राम गोयल ने जवानी संभाली तो वे अपने पिता के नक्शे कदमों पर चलते हुए आजाद देश में काले अंग्रेजों के खिलाफ खुलकर मैदान में आए। उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। तेजा सिंह स्वतंत्र तथा शहीद ए आजम सरदार भगत सिंह के साथी टिका राम सुखन के साथ लम्बे समय तक देश की आजादी के बाद कम्युनिस्ट लहर में काम किया। वे पार्टी की कालाबाजारी के खिलाफ मुहिम के दौरान डबवाली में सक्रिय रूप से शामिल हुए। किसानों और मजदूरों के लिए उन्होंने कई जखीरेबाजों से जखीरे निकलवाकर नियंत्रित मूल्य पर बंटवाए।
उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए भी देश की आजादी के बाद जेल काटी। सरकार को उन्हें बिना शर्त रिहा करना पड़ा था।
इस मौके पर जयमुनी गोयल ने बताया कि शोक प्रकट करने आने वाले महानुभावों के लिए जीटी रोड़, नगर सुधार मण्डल पार्क के सामने स्थित निवास स्थान रखा गया है।

23 अगस्त 2011

सुनवाई न होने पर सीवरेज में घुस गए दुकानदार


विभाग, प्रशासन तथा राजनेता न आए काम
डबवाली (लहू की लौ) दो माह पहले जनस्वास्थ्य विभाग को शिकायत दी, लेकिन नतीजा जीरो। फिर प्रशासन को शिकायत की, लेकिन नतीजा जीरो। फिर सत्ता पक्ष से जुड़े एक राजनेता को शिकायत की, लेकिन नतीजा जीरो। जब कहीं सुनवाई ही नहीं तो ये विभाग, प्रशासन या राजनेता क्यूं हैं? यह कहना है दो माह से सीवरेज खुलवाने सुचारू करवाने के लिए धक्के खा रहे मेन बाजार के दुकानदारों का।
गोल बाजार से गांधी चौक तक के सीवरेज पिछले काफी अरसे से बंद हैं। मामूली बरसात से दुकानों के आगे पानी जमा है। मच्छर पनपने के कारण दुकानदार मलेरिया की जद में हैं। सीवरेज खुलवाने के लिए दुकानदारों ने इसकी शिकायत कई मर्तबा जनस्वास्थ्य विभाग, एसडीएम तथा सत्ता पक्ष के एक लीडर से की। फिर अपनी ओर से भी निजी व्यक्तियों का बंदोबस्त करके सीवरेज खुलवाने का प्रयास किया। लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। उधर बाजार के दो युवक केशव तथा सुनील बीमार पड़ गए। दोनों को मलेरिया हो गया। सोमवार को दुकानदार राम डायर तथा बबली बारबर ने सीवरेज के ढक्कन उठा दिए और खुद सीवरेज में घुस गए। इन लोगों ने बांस भी चलाई। लेकिन बुरी तरह से बंद सीवरेज नहीं खुल सके। मजबूरन दुकानदारों को दुकानों के आगे खड़ा गंदा पानी बाल्टियों के जरिए निकालना पड़ा।
दुकानदार रविंद्र मिढ़ा, गौत्तम मिढ़ा, राम डायर, बबली बारबर, जोनी, अशोक डायर, धीरा आदि ने बताया कि शिकायत किए को उन्हें दो माह बीत चुके हैं। लेकिन उनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं है। जिसके चलते उन्हें उपरोक्त कदम उठाना पड़ा। तीन घंटे के प्रयास के बावजूद उन्हें सफलता नहीं मिली। जिसके कारण बाल्टियों में गंदा पानी इक्ट्ठा करके उन्हें निकालना पड़ा।
एसडीएम डॉ. मुनीश नागपाल ने बताया कि काफी समय पहले दुकानदारों की शिकायत उनके पास आई थी। जनस्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को समस्या के समाधान के आदेश दिए गए थे। कर्मचारियों ने कार्य करने में कोताही बरती है। जिससे मजबूर होकर दुकानदारों को उक्त कदम उठाना पड़ा। संबंधित विभाग से कार्य में कोताही बरतने का जवाब मांगा जाएगा। एसडीएम के अनुसार मंगलवार को सीवरेज व्यवस्था दुरूस्त हो जाएगी।

गांव की अपनी अदालत



-दोषी पाए जाने पर ना होगी अपील, ना होगी दलील, गांव के सामने मिलेगा दण्ड
-टीचर अगर लेट आया तो पूरे दिन की लगेगी गैर हाजिरी, लड़कियों को जल्दी होगी छुट्टी

डबवाली (लहू की लौ) यदि गुरू लेट आएंगे तो स्कूल पढऩे आने वाले बच्चों पर नियंत्रण कैसे रहेगा? विद्यालय में कर्मचारियों द्वारा जाम छलकाए जाएंगे तो इसका बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ेगा? स्कूल के गेट पर खड़े होकर सरेआम युवक मोबाइल पर भद्दे गाने लगाकर लड़कियों पर फब्तियां कसेंगे, तो लड़कियां स्कूल कैसे आ पाएंगी? अगर दोबारा किसी ने ऐसी गलती की तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा। यह किसी हिन्दी फीचर फिल्म में बॉबी देओल का डाईलॉग नहीं। बल्कि गांव मसीतां में शुरू हुई 'अदालतÓ  का फरमान है।
पिछले काफी समय से गांव मसीतां का माहौल ठीक नहीं था। गांव में सरकार की ओर से एक हाई स्कूल तथा दो प्राथमिक विद्यालय खोले गए हैं। लेकिन हाई स्कूल में पिछले काफी समय से अव्यवस्था का माहौल चल रहा है। गांव मौजिज व्यक्तियों ने इसकी शिकायत गांव की पंचायत तक पहुंचाई। पंचायत को अपनी शिकायत में कहा कि हाई स्कूल में तैनात कर्मचारी शराब के नशे में धुत्त रहते हैं। स्टाफ के सदस्य दो-दो घंटा लेट पहुंचते हैं। जिससे विद्यालय का अनुशासन भंग हो रहा है। बिगड़ैल युवा स्कूल के बाहर आकर मोबाइल से गंदे गाने बजाते हैं। आती-जाती लड़कियों पर फब्तियां कसते हैं। पंचायत ने गांव में मुनादी करवाकर ग्रामीणों को 'अदालतÓ में पहुंचने का आह्वान किया। अदालत का स्थान हाई स्कूल रखा गया। पूरे गांव के साथ-साथ तीनों स्कूलों के स्टाफ को वहां आमंत्रित किया गया।
शनिवार को गांव के सरपंच शिवराज सिंह की अध्यक्षता में 'अदालतÓ बैठी। जिसमें जिला परिषद के जोन नं. 6 के सदस्य के प्रतिनिधि सर्वजीत सिंह, मैम्बर जसवंत सिंह, मेजर सिंह, दर्शन सिंह, शमशेर सिंह, पप्पू सिंह मंचासीन हुए। इस मौके पर पूरा गांव उपस्थित था। 'अदालतÓ के अध्यक्ष ने गांव के लोगों से राय जानी। दो घंटे चली इस 'अदालतÓ में छह बिन्दुओं का एक प्रस्ताव पारित किया गया। जिसे पढ़कर सभी को सुनाया गया।
गांव के सरपंच शिवराज सिंह ने बताया कि उन्हें उपरोक्त संदर्भ में शिकायत मिली थी। ग्रामीणों की 'अदालतÓ लगने से पूर्व गांव में मुनादी करवाई गई थी। पहली दफा अपराध होने के कारण आरोपियों को माफी दी गई। लेकिन अब गांव में नियम बना दिए गए हैं। समय पर स्कूल न आने वाले टीचर के पूरे दिन की गैर हाजिरी लगेगी, विद्यालयों में लड़कियों को पंद्रह मिनट पहले छुट्टी दी जाएगी, मिड-डे मील चैक किया जाएगा, नशे में धुत्त मिलने वाले कर्मचारी या फिर स्कूल के बाहर मोबाइल पर गाना बजाते पकड़े जाने वाले युवक को पंचायत अपने तरीके से 'अदालतÓ लगाकर पूरे गांव के सामने आरोपी को दण्ड देगी। इस मसले को थाने या फिर संबंधित विभाग में नहीं लेजाया जाएगा। ऐसा गांव के बिगड़ते-माहौल को सुधारने के लिए किया गया है।

सिपाही बनाने का झांसा देकर साढ़े 9 लाख ठगे


डबवाली (लहू की लौ) सिपाही की नौकरी दिलाने का झांसा देकर एक व्यक्ति से साढ़े 9 लाख रूपये की ठगी मारने के आरोप में डबवाली के तीन लोगों के खिलाफ थाना लम्बी पुलिस ने मामला दर्ज करके शनिवार को दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है जबकि मुख्य आरोपी की तालाश जारी है।
गांव भीटीवाला के शिवकरण सिंह पुत्र जसकौर सिंह ने लम्बी पुलिस में शिकायत करके आरोप लगाया कि एक वर्ष पूर्व बादल के दशमेश गल्र्ज कॉलेज में कंटीन का ठेका लेने वाले और स्कूल बस मालिक डबवाली निवासी जग्गी से उसकी मुलाकात हुई तो जग्गी ने उसे बताया कि उसकी पंजाब सरकार में अच्छी पहुंच है और उसे पंजाब सरकार में कोई काम हो तो वह करवा सकता है। इस प्रकार की बातें करके जग्गी ने उसे अपने जाल में फंसा लिया। वह जग्गी की बातों मेें आकर अपने भतीजे निर्भय सिंह भीटीवाला तथा रिश्तेदार गुरमीत सिंह माऊआना को सिपाही भर्ती करवाने के लिए डबवाली में मिला। जग्गी के साथ दोनों को सिपाही भर्ती करवाने की एवज में साढ़े 9 लाख रूपया देना तय हो गया।
शिवकरण के अनुसार तय राशि अदा करने के लिए उसने जग्गी को गांव भीटीवाला में बुला लिया। इस समय उसके साथ जग्गी की मां मलकीत कौर तथा दोस्त गुलशन कुमार उनके गांव पहुंचे। वहां पर उन्होंने साढ़े 9 लाख रूपये इन तीनों को सौंप दिये। लेकिन जब उसके भतीजे और रिश्तेदार को जग्गी भर्ती नहीं करवा सका तो उसने अपनी राशि वापिस मांगी। इस संबंध में कई बार पंचायत भी हुईं। लेकिन जग्गी ने राशि देने से साफ इंकार कर दिया। जांच अधिकारी तथा किलियांवाली चौकी प्रभारी एएसआई मोहन लाल ने बताया कि शिकायतकर्ता की शिकायत पर उपरोक्त आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने धारा 406/420/120बी आईपीसी के तहत 15 अगस्त को केस दर्ज करके जांच का काम उन्हें सौंप दिया था। मुखबरी के आधार पर आरोपियों में से मलकीत कौर (55) पत्नी अमरजीत सिंह निवासी वार्ड नं. 3, गली सतनाम कौर एमसी वाली, डबवाली तथा गुलशन कुमार (30) पुत्र शगन लाल निवासी पुराना हनुमान मंदिर वाली गली को वाटर वक्र्स रोड़, किलियांवाली से शनिवार को गिरफ्तार कर, एसडीजेएम मलोट कंवलजीत सिंह की अदालत में पेश करके मुख्य आरोपी जगजीत सिंह जग्गी का पता लगाने तथा ऐंठी गई राशि बरामद करने के लिए तीन दिन का पुलिस रिमांड लिया है।

सड़कों पर हजारों बाल अन्ना


डबवाली (लहू की लौ) दिन शनिवार, सुबह के 9 बजे। डबवाली सिटी का गांधी चौक इंकबाल जिन्दाबाद के नारों से गूंज उठा। यह शंखनाद करने वाले  कोई ओर नहीं बल्कि सिटी के विभिन्न स्कूलों के हजारों बच्चे थे। जो अन्ना हजारे के समर्थन में बाजार में निकले थे।
उनके हाथों में तिरंगा, सिर पर तिरंगी टोपी और मुंह से देश भक्ति के जज्बे के साथ भारत माता की जय, वंदे मात्रम के साथ-साथ सरकारी लोकपाल धोखा है, जागो जनता मौका है, अन्ना की लहर है, भ्रष्टाचार पर कहर है, क्रप्शन गो बैक, शहीदो हम शर्मिंदा है, भ्रष्टाचार जिंदा है के नारे निकल रहे थे। भ्रष्टाचार के खिलाफ दिल्ली में अनशन पर चल रहे अन्ना हजारे के समर्थन में शहर के नवप्रगति सीनियर सैकेण्डरी स्कूल, खालसा सीनियर सैकेण्डरी स्कूल, नेहरू सीनियर सैकेण्डरी स्कूल, हरियाणा पब्लिक स्कूल, एमएम कॉन्वेंट स्कूल, बाबू नानक चंद मैमोरियल बाल मंदिर सीनियर सैकेण्डरी स्कूल, श्री अरोड़वंश आदर्श स्कूल, राजा राम कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, चिल्ड्रन मैमोरियल डीएवी स्कूल, सतलुज पब्लिक स्कूल के 3000 बच्चों का हजूम शनिवार सुबह 9 बजे जन लोकपाल बिल संघर्ष समिति के बैनर तले गांधी चौक पर इक्ट्ठा हुआ। गांधी चौक से अन्ना के समर्थन में मुख्य बाजार, वैद्य राम दियाल चौक, पुरानी अनाज मण्डी, सब्जी मण्डी, गुरूद्वारा कलगीधर सिंह सभा, परशुराम चौक से होते हुए शहीद भगत सिंह चौक पर पहुंचे। इस दौरान बच्चों ने हाथों में तख्तियां थामी हुई थी। उमड़े जनसैलाब से शहर अन्नामय हो गया। बच्चों का भ्रष्टाचार के खिलाफ हौसला देखकर दुकानदार भी उनकी आवाज में आवाज मिलाकर जन लोकपाल बिल को पास करवाने के लिए उठ खड़े हुए।
बच्चों के साथ-साथ संबंधित स्कूलों के अध्यापक भी इस जागरूक रैली में शामिल हुए। संघर्ष समिति के जयमुनी गोयल, वेदप्रकाश भारती, सतीश जग्गा, वियोगी हरि शर्मा, हरिंद्र सिंह, सर्वजीत सिंह, सतपाल जग्गा, रामलाल बागड़ी, विनोद नीलू, सुरेंद्र बर्तन वाला, अशोक पाहूजा, मनी राम अबूबशहर आदि उपस्थित थे।

डॉक्टर, वट इज दिस!


स्वास्थ्य मंत्री राव नरेंद्र सिंह अचानक सरकारी अस्पताल पहुंचे, सफाई व्यवस्था पर जताया असंतोष, बाकी सब ओके
डबवाली (लहू की लौ) मैं स्वास्थ्य मंत्री हूं, आपकी तकलीफा जानने के लिए यहां आया हूं। आप क्या तकलीफ लेकर अस्पताल आए हैं? जिस बीमारी के लिए आप आए हैं, उसका डॉक्टर यहां है?  यहां के डॉक्टर आपसे कैसा व्यवहार करते हैं? क्या आपको मेडिसन अस्पताल से उपलब्ध करवाई जाती है?
ये तमाम सवाल प्रदेश के हेल्थ मिनिस्टर राव नरेन्द्र सिंह के हैं, जो उन्होंने डबवाली के सरकारी अस्पताल में इलाज करवाने आए मरीजों से किए। मरीजों ने बताया कि यहां उनके साथ सही व्यवहार होता है। लेकिन नेत्र, हड्डी रोग विशेषज्ञ तथा फिजिशयन न होने के कारण उन्हें बिना इलाज ही घर लौटना पड़ता है। उपरोक्त तीनों विशेषज्ञों की अस्पताल में नियुक्ति की जाए। मंत्री ने कहा कि आप चिंता न करें, इसकी जल्द नियुक्ति की जाएगी।
मंत्री जी शनिवार सुबह करीब 11.00 बजे अपनी लाल बत्ती वाली गाड़ी से सरकारी अस्पताल में पहुंचे थे। अपने आगमन की किसी को भनक तक नहीं लगने दी। मरीजों से बातचीत करने के बाद अपने दो बॉडीगार्ड के साथ अस्पताल के भीतर चले गए। वहां कर्मचारियों से पूछा कि इस अस्पताल के एसएमओ कौन हैं? जवाब मिला एसएमओ तो रिटायर हो गए हैं, उनका कार्य डॉ. एमके भादू देख रहे हैं। मंत्री जी के आने की सूचना पाकर डॉ. भादू भी अपने रूम से निकल आए। वे उनके साथ इमरजेंसी रूम में गए। इधर-उधर नजर घुमाई। कमजोर सफाई व्यवस्था पर एतराज जताया।
पहली मंजिल की सीढिय़ां चढ़ते-चढ़ते उनकी नजर दीवारों पर थूके तलब के निशान पर गई। ब्लड स्टोरेज सैंटर, इसी मंजिल पर स्थापित वार्ड रूम का निरीक्षण किया। इस रूम के पहले बैड पर आराम कर रहे व्यक्ति से पूछा क्या तकलीफ है। साहब! मुझे कुछ नहीं हुआ, मैं तो अपने मरीज के साथ आया हूं। दूसरे बैड पर पड़े मरीज का हाल जाना। तीसरे बैड पर लेटे एक व्यक्ति से मंत्री जी ने सवाल दोहराया, आपको क्या तकलीफ है? लेटा व्यक्ति बोला, साहब! मैं तो मरीज के साथ आया हूं। मंत्री जी बोल उठे डॉ. साहब यह अस्पताल है या रेस्ट हाऊस। इसी रूम के चौथे व पांचवे बैड को चैक किया। बैड पर बिछे गद्दे को फटा पाकर डॉ. साहब की ओर इशारा करके कहा वट इज दिस? इस प्रकार का ढंग नहीं चलेगा। अपनी व्यवस्था सुधारिए, वरना आप पर कार्यवाही होगी।
इसी दौरान वहां पर स्टाफ नर्स कंचन शर्मा आ धमकी। उसने मंत्री से कहा कि मुझे अस्पताल का इंचार्ज प्रताडि़त करता है। इस  संबंध में उसने उच्च अधिकारियों को शिकायत की थी। जिससे ईष्र्या करते हुए उसका रिकॉर्ड रूम रीढ़ की हड्डी की सर्जरी के बावजूद तीसरी मंजिल पर शिफ्ट कर दिया गया है। मंत्री जी मुझे मेरी अलमारी नीचे चाहिए। मौका पर उपस्थित डॉ. एमके भादू ने मंत्री को अपना स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि स्टाफ नर्स कंचन शर्मा समय पर डयूटी नहीं देती। शिकायत की जांच तहसीलदार के पास विचाराधीन है। 23 अगस्त को शिकायत की जांच तिथि रखी गई है। मंत्री ने दोनों की बात सुनने पर कहा कि स्वास्थ्य विभाग में कोताही किसी भी हालत में स्वीकार नहीं है। यदि आपके (स्टाफ नर्स) साथ गलत हुआ है, तो इसकी जांच करवाकर उसे न्याय दिया जाएगा।
चण्डीगढ़ जाकर देखूंगा
मैंने आज अस्पताल परिसर का निरीक्षण किया, अस्पताल का कार्य काफी संतोषजनक है। लेकिन सफाई व्यवस्था का बुरा हाल है। डॉ. एमके भादू को एक सप्ताह के भीतर सफाई व्यवस्था सुधारने के लिए कहा गया है। इस समय प्रदेश में ही नहीं, पूरे देश में चिकित्सकों का टोटा है। डब्बावाली के लोग भाग्यशाली हैं, जिन्हें सरकार ने छह मेडिकल ऑफिसर दे रखे हैं। डॉक्टर का पेशा देश सेवा जैसा है। मौजूदा समय में सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर की कमी का कारण देश में बन रहे प्राईवेट फाईव स्टार होटलों जैसे अस्पतालों में डॉक्टरों का जाना है। वहां पर उन्हें वेतन भी ज्यादा मिलता है। मैंने स्वास्थ्य मंत्री का कार्यभार संभालने के बाद 373 नए डॉक्टरों की इंटरव्यू कॉल की। जिसमें से 200 के करीब डॉक्टर प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में नियुक्त कर दिए गए हैं। कन्या भ्रूण हत्या महापाप है। इससे इंसान की जाति के खत्म होने का खतरा पैदा हो गया है। सरकार ने इस पर नकेल कसने के लिए योजनाएं लागू की हैं। सरकार के साथ-साथ एनजीओ तथा अन्य समाजसेवी संस्थाओं को भी आगे आकर सहयोग करना चाहिए। सरकार ने फूड एण्ड ड्रग विभाग की स्थापना करके नशे को रोकने और मिलावटी पदार्थ पर अंकुश लगाने का प्रयास किया है। स्वास्थ्य मंत्री राव नरेंद्र सिंह ने उक्त शब्द पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 1995 के अग्निकांड पीडि़तों के लिए डबवाली के सिविल अस्पताल में बर्न यूनिट स्थापित किए जाने की जानकारी उसे नहीं है। वे चण्डीगढ़ जाते ही अग्निकांड पीडि़तों के संदर्भ में की गई सरकारी घोषणाओं की फाईल तलब करेंगे। बाद में इस संबंध में कदम उठाएंगे। डबवाली अस्पताल से संबंधित अन्य समस्याओं के समाधान के लिए उन्होंने कार्यकारी एसएमओ को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं।

14 अगस्त 2011

गरीबों के लिए नहीं है जमीन


डीडी गोयल
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डबवाली। उपमण्डल में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले करीब पंद्रह सौ परिवारों को महात्मा गांधी बस्ती योजना के तहत सौ-सौ गज का प्लाट नहीं मिलेगा। जबकि ये सभी परिवार खण्ड विकास एवं पंचायत कार्यालय द्वारा पात्र ठहराए गए हैं।
गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले लोगों के सिर पर छत मुहैया करने के लिए सरकार की ओर से चलाई जा रही योजना उपमण्डल के तीन गांवों में नहीं चल पा रही है। योजना के तहत संबंधित गांव की पंचायत पंचायत तथा खण्ड विकास एवं पंचायत अधिकारी कार्यालय द्वारा गांव अबूबशहर में 179, लोहगढ़ में 228 तथा मोड़ी में 80 गरीब परिवारों को सौ-सौ गज का प्लाट देना तय किया गया था। इन गांवों में गरीबों के लिए बनने वाली कलोनियों के नक्शे तक बना डाले गए थे। लेकिन जब लोगों को जमीन आवंटित करने करने के लिए उपरोक्त गांवों में पंचायती जमीन की निशानदेही की गई तो जगह नदारद पाई गई। कलोनियों के लिए बनाए गए नक्शे के अनुसार गांव अबूबशहर में पात्र परिवारों को प्लाट देने के लिए छह एकड़ दो कैनाल, लोहगढ़ में पांच एकड़ छह कैनाल तथा गांव मोड़ी में दो एकड़ पांच कैनाल भूमि की जरूरत है। लेकिन इन तीनों गांवों की पंचायत के पास गरीबों को देने के लिए महज सौ गज भूमि भी नहीं है। ऐसे में इन गांवों के गरीबों को पात्र होने के बावजूद प्लाट मुहैया नहीं हो सकेंगे।
उधर हरियाणा सरकार ने 15 अगस्त से पूर्व योजना के सौ फीसदी पूरा होने का लक्ष्य रखा था। उपरोक्त तीन गांवों के अतिरिक्त उपमण्डल के गांव गंगा के 516 तथा गांव कालूआना के 363 पात्र परिवारों को भी 15 अगस्त से पूर्व प्लाट आवंटित नहीं किए जा सकेंगे। चूंकि दोनों गांवों में प्लाट वितरण का विवाद अदालत में विचाराधीन है। इस प्रकार करीब पंद्रह सौ गरीब परिवारों को प्लाटों का आवंटन नहीं हो सकेगा।
खण्ड विकास एवं पंचायत कार्यालय डबवाली के एसईपीओ रामप्रकाश ग्रोवर के अनुसार गांव अबूबशहर, लोहगढ़ तथा मोड़ी की पंचायतों के पास जमीन न होने की वजह से गरीबों को सौ-सौ गज के प्लाट मुहैया नहीं करवाए जा सकेंगे। इन गांवों में जगह एक्वायर करने के लिए सरकार को लिखा गया है। गांव गंगा में प्लाट वितरण का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। जबकि गांव कालूआना की पंचायत ने कलोनी के लिए बनाए गए नक्शे के अनुसार जमीन मुहैया नहीं करवाई। दूसरा यह मामला भी अदालत में विचाराधीन है। जिसके चलते उपरोक्त गांवों के अतिरिक्त इन दो गांवों में भी गरीबों को प्लाट वितरित नहीं किए जा सकते।

स्कीम डाल देते थे वारदात को अंजाम


डबवाली (लहू की लौ) सिटी पुलिस ने चैन स्नेचर गिरोह का पर्दाफाश किया है। गिरोह के तीन सदस्यों को काबू करने में सफलता अर्जित की है। आरोपियों ने डबवाली शहर तथा ऐलनाबाद में चैन स्नेचिंग की वारदातों को अंजाम देने की बात कबूली है। तीनों को शनिवार को अदालत में पेश किया गया। अदालत ने आरोपियों को तीन दिन के पुलिस रिमांड पर भेजने के आदेश दिए।
शहर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर महा सिंह रंगा ने बताया कि चैन स्नेचिंग की घटनाओं में बढ़ौतरी की वजह से पुलिस दिन-रात गश्त कर रही थी और मुखबरी लगाई हुई थी। शुक्रवार रात को पुलिस को मुखबरी मिली कि चैन स्नेचर गिरोह के तीन सदस्य बठिंडा रोड़ पर घूम रहे हैं। एसआई घड़सा राम ने मौका पर पहुंचकर युवकों को दबोच लिया। पकड़े गए युवकों ने अपनी पहचान कृष्ण उर्फ नत्थू राम पुत्र दर्शन सोनी निवासी कलोनी रोड़, डबवाली, विजय उर्फ गुरदीप पुत्र मुखलाल निवासी देसूजोधा, मनजीत पुत्र जगजीत निवासी नरसिंह कलोनी के रूप में करवाई है।
थाना प्रभारी के अनुसार पकड़े गए युवकों ने डबवाली तथा ऐलनाबाद में चैन स्नेचिंग की वारदातों को कबूला है। वारदात को अंजाम देने के लिए आरोपी दो बाईक का इस्तेमाल किया करते थे।
कैसे बना गैंग
नत्थू इन्वर्टर बैटरी का कार्य जानता है। जबकि गुरदीप की शहर के जीटी रोड़ पर कमानी की दुकान थी। आज कल पंजाब में ग्रिल बनाने का कार्य सीख रहा है। जबकि तीसरा आरोपी मनजीत जीपों पर इंजन रखने का कार्य करता है। शहर के जीटी रोड़ पर कार्यरत ये तीनों कुछ समय पहले इक्ट्ठे हुए और जल्द अमीर बनने की चाह में चैन स्नेचिंग की वारदात को अंजाम देने लगे। ये लोग चैन झपटने की वारदात को स्कीम का नाम दिया करते थे। गिरफ्तार करने के बाद जब पुलिस ने वारदातों के संदर्भ में पूछताछ की तो तीनों आरोपी बार-बार 'असीं थोडिय़ां स्कीमां ही पाईयां ने सानूं माफ कर दोÓ कहते रहे।
इंस्पेक्टर महा सिंह ने बताया कि पकड़े गए आरोपियों को शनिवार को उपमण्डल न्यायिक दण्डाधिकारी डॉ. अतुल मडिया की अदालत में पेश किया गया। अदालत ने आरोपियों को तीन दिन के पुलिस रिमांड पर भेजने के आदेश दिए। रिमांड के दौरान पुलिस बाईक तथा छीनी गई सोने की चैन बरामद करने का प्रयास करेगी।