12 जून 2020

संस्कृत का पठन-पाठन सर्वाधिक उपयोगी है-शर्मा

चंडीगढ़ (लहू की लौ) हरियाणा संस्कृत अकादमी के निदेशक डॉ. सोमेश्वर दत्त शर्मा ने कहा कि आज के माहौल में संस्कृत का पठन-पाठन सर्वाधिक उपयोगी है क्योंकि कोरोना जैसी महामारी से बचने में सर्वाधिक उपयोगी संयम एवं अनुशासन की सीख संस्कृत ही दे सकती है। समय का फायदा उठाते हुए हमें चरक संहिता जैसे ग्रन्थ पढऩ़े चाहिए।
डॉ. सोमेश्वर दत्त शर्मा ने ये विचार गत दिवस हरियाणा संस्कृत अकादमी एवं श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र के संयुक्त तत्वावधान में 'संस्कृत, संस्कृति एवं स्वास्थ्य संरक्षणÓ विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संस्कृत वेबिनार संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि संस्कृत और संस्कृति भारत का गौरव व विरासत है। इन दोनों का संरक्षण करना प्रत्येक भारतीय का नैतिक कर्तव्य है।
वेबिनार संगोष्ठी का शुभारम्भ वैदिक मंगलाचरण से आचार्य नितिन प्रवक्ता आदर्श संस्कृत महाविद्यालय, अम्बाला छावनी द्वारा किया गया। इस वेबिनार संगोष्ठी में देश के अनेक प्रसिद्ध संस्कृत विद्वानों व शोधार्थियों ने भाग लिया।
संगोष्ठी के मुख्यातिथि डॉ. बलदेव धीमान, कुलपति श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र ने संबंधित विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि स्वास्थ्य के लिये सम्यक् कर्म करना नितान्त आवश्यक है जबकि संगोष्ठी में सारस्वत अतिथि के रूप में शामिल संस्कृत भारती उत्तर क्षेत्र के संगठन मंत्री श्री जय प्रकाश ने संस्कृत भाषा को अत्यन्त मधुर व सरलतम बताते हुए इसे जन-जन की भाषा बनाने की बात कही।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता डॉ. चित्तरंजन दयाल सिंह कौशल ने कहा कि संस्कृत भाषा भारत की आत्मा है। संस्कृत का ज्ञान प्रत्येक भारतीय के लिये अपरिहार्य है। इसके अतिरिक्त, इस अवसर पर फतेहाबाद के संजीव कुमार ने भी संबंधित विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।

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