24 दिसंबर 2014

अग्निकांड पीडि़तों ने सीएम तथा पीएम को कोसा

दर्द सुनने नहीं आ सकते हमें ऐसे नेता नहीं चाहिये

डबवाली (लहू की लौ) डबवाली अग्निकांड की 19वीं बरसी पर नेता अग्निकांड पीडि़तों के निशाने पर रहे। श्रद्धांजलि सभा में पीडि़तों ने राजनीतिकों को जमकर कोसते हुये सवाल खड़े किये। सभा में बैठे इनेलो, कांग्रेस तथा भाजपा नेताओं से सीधा संवाद करते हुये पूछा घटना हो गई, कानून बन गये। क्या कभी कानूनों की पालना हुई? दूसरा सवाल किया कि अदालत से मुआवजा मिल गया, क्या पीडि़तों का दु:ख-दर्द जानने के लिये कोई नेता आया? राजनीतिकों से तीसरा सवाल पूछते हुये कहा कि 19 वर्षों से सरकारों ने नहीं सुनी, अब ओर कितना लंबा इंतजार करना पड़ेगा?। अग्निकांड पीडि़तों का दर्द जानने के बाद राजनीतिकों ने भी स्वीकारा कि जिस स्तर पर कार्य होने चाहिये थे, वे अभी तक नहीं हुये हैं। वे अग्निकांड पीडि़तों के लिये एकजुट होकर प्रयास करेंगे।
हमें ऐसा पीएम और सीएम नहीं चाहिये
अग्निकांड पीडि़तों ने कहा कि जो सरकारें उनका दर्द बांटने के लिये नहीं आ सकती। उनका दर्द सुनने के लिये तैयार नहीं। डबवाली अग्निकांड में कितने डॉक्टर, इंजीनियर, दुकानदार, शिक्षाविद्, बच्चों की मौत हुई, कोई यह जानने के लिये प्रयासरत नहीं। अग्निकांड पीडि़तों ने पीएम नरेंद्र मोदी तथा हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर पर अंगुली उठाते हुये कहा कि सिरसा की चुनावी जनसभा में पीएम डबवाली अग्निकांड का जिक्र करते हैं। वहीं सीएम भी सिरसा में कार्यकर्ता सम्मेलन में डबवाली अग्निकांड का जिक्र कर सकते हैं। लेकिन जब डबवाली आये तो अग्निकांड स्मारक पर दो मिनट के लिये रूकने का समय नहीं। अग्निकांड पीडि़तों का दर्द सुनने का समय नहीं। ऐसी सरकारों पर लानत है, हमें ऐसी सरकारें और नेता हरगिज नहीं चाहिये।
पीडि़तों को नौकरी क्यों नहीं
अग्निकांड पीडि़तों ने उन्नीस वर्ष पूर्व किया नौकरी का वायदा याद दिलाते हुये कहा कि पीडि़त परिवारों के बच्चों ने अपनी प्रतिभा के बल पर मुकाम हासिल किया है। अभी भी सुमन जैसे अग्निकांड पीडि़त बच्चे हैं, जिन्हें नौकरी की सख्त जरूरत है। उसे महज इसलिये नौकरी नहीं दी जा रही, चूंकि अग्निकांड में वह बदसूरत हो चुकी है। जबकि वह अच्छे अंकों के साथ बीएड कर चुकी है। सरकार को जल्द उसका इलाज करवाने के साथ-साथ उसे नौकरी देनी चाहिये।

मुआवजा मिलने में हुई देरी
23 दिसंबर 1995 को डबवाली अग्निकांड के समय मैं अहमदनगर में पढ़ाई कर रहा था। रात को लौटा तो टीवी ऑन करने पर पता चला कि डबवाली में हादसा हुआ है। देश की न्यायिक व्यवस्था के चलते पीडि़तों को मुआवजा मिलने में लंबा समय लग गया। अगर समय अनुसार मुआवजा मिल जाता तो पीडि़त इसका फायदा उठा सकते थे। सरकार के स्तर पर भी व्यवस्था करने में कुछ खामियां अवश्य रहीं। श्रद्धांजलि सभा में विधायिका नैना सिंह चौटाला ने आना था। लेकिन उनकी बुआ का आकस्मिक निधन हो गया।
-डॉ. सीता राम, वरिष्ठ इनेलो नेता


शासन-प्रशासन की मदद से पूरे करेंगे कार्य
23 दिसंबर 1995 का डबवाली अग्निकांड दिल दहला देने वाली घटना है। मैंने अपने परिवार के चार सदस्यों को खोया था। उस समय शहर वासियों ने जो एकजुटता दिखाई, वह काबिले तारीफ है। जो कार्य अधूरे रह गये हैं, हम शासन-प्रशासन की मदद से पूरे करेंगे। -डॉ. केवी सिंह, वरिष्ठ कांग्रेस नेता

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