17 नवंबर 2014

अस्पताल सरकारी, पैसा खा रहे प्राईवेट

एक शिशु देखने पर निजी चिकित्सक को दिये जा रहे 1000 रूपये, हर माह अस्पताल उठा रहा 60 हजार रूपये का खर्च
डबवाली (लहू की लौ) सिविल अस्पताल में नवजात शिशु की सुरक्षा के लिये कोई प्रबंध नहीं है। पिछले डेढ़ वर्ष से बाल रोग विशेषज्ञ का पद रिक्त होने के कारण स्वास्थ्य विभाग निजी चिकित्सकों पर पैसा लुटा रहा है। एक बच्चे के जन्म के बाद सिविल अस्पताल में पहुंचने पर निजी चिकित्सक एक हजार रूपये वसूल करता है। यह कीमत बच्चे के चैकअप तक सीमित है। अगर नवजात शिशु को वह अपने निजी अस्पताल में एडमिट करता है, तो परिजनों की जेब ढीली होनी शुरू हो जाती है।
सिविल अस्पताल में हर माह करीब सौ से सवा सौ डिलीवरी होती हैं। प्रतिदिन डिलीवरी की एवरेज 4 की बैठती है। लेकिन डिलीवरी के बाद बच्चे को होने वाली बीमारियों से बचाव के लिये कोई प्रबंध नहीं है। डेढ़ वर्ष पूर्व सिविल अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ ने नौकरी छोड़कर प्राईवेट प्रेक्टिस शुरू कर दी थी। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने उनकी जगह बाल रोग विशेषज्ञ नियुक्त नहीं किया। तत्कालीन सरकार ने डबवाली के सरकारी अस्पताल में डिलीवरी की अच्छी एवरेज को देखते हुये वार्मर, फोटो थेरेपी जैसा सामान उपलब्ध करवाया था। जिनके प्रयोग से जन्म के बाद शिशुओं को होने वाली विभिन्न तरह की बीमारियों से बचाया जा सके। लेकिन बाल रोग विशेषज्ञ के लिये जरूरी साजो सामान अस्पताल के स्टोर रूम में पड़ा धूल फांक रहा है।
तीन निजी चिकित्सकों से है गठबंधन
सिविल अस्पताल ने शहर के तीन निजी चिकित्सकों से गठजोड़ कर रखा है। डिलीवरी होने के बाद करीब पचास फीसदी मामलों में तीनों चिकित्सकों में से किसी एक को सिविल अस्पताल में बुलाया जाता है। निजी चिकित्सक बच्चे की जांच करते हैं। इसकी एवज में सरकार चिकित्सक को एक हजार रूपये देती है। अगर बच्चा गंभीर हो और सिविल अस्पताल में इलाज संभव न हो तो निजी चिकित्सक उसे अपने अस्पताल में लेजाते हैं। जिसका खर्च सरकार नहीं, बच्चे के परिजनों को भुगतना पड़ता है। जिसका सरकारी स्तर पर कोई कंट्रोल नहीं होता।
आशा वर्कर का बच्चा अभी भी निजी अस्पताल में
बाल रोग विशेषज्ञ न होने के कारण शनिवार को गांव सुकेराखेड़ा की आशा वर्कर के एंबुलैंस में जन्में बच्चे को समय पर चिकित्सीय सुविधा न मिलने के कारण इंफेक्शन का शिकार होना पड़ा था। रविवार को भी बच्चा निजी अस्पताल में उपचार पर रहा। निजी अस्पताल के चिकित्सक का कहना है कि बच्चे की स्थिति में सुधार आ रहा है।
एक ऑप्शन यह भी
निजी चिकित्सक के कहने पर अगर परिजन अपने बच्चे को निजी अस्पताल में नहीं लेजाना चाहते तो सिविल अस्पताल से बच्चे को 60 किलोमीटर दूर सिरसा के सामान्य अस्पताल में बने नीकू (न्यू बोर्न केयर यूनिट) के लिये रैफर कर दिया जाता है।
यह बोले एसएमओ
बाल रोग विशेषज्ञ न होने से नवजात की सही संभाल के लिये निजी चिकित्सक को बुलाना पड़ता है। करीब 50 फीसदी मामलों में निजी चिकित्सक सिविल अस्पताल में आते हैं। एक बच्चे के पीछे चिकित्सक को एक हजार रूपये दिये जाते हैं। जिसे स्वास्थ्य विभाग चुकाता है। बाल रोग विशेषज्ञ की मांग हर माह रिपोर्ट भेजकर की जाती है।
-एमके भादू, एसएमओ, सिविल अस्पताल, डबवाली

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