16 नवंबर 2009

राहुल ने फिर खड़ी की द्रविड़ दीवार

अहमदाबाद। पहले टेस्ट के शुरुआती सत्र में श्रीलंकाई गेंदबाजों के ताबड़तोड़ चार झटकों के बाद राहुल द्रविड़ [नाबाद 177] ने पहले युवराज सिंह के साथ शतकीय फिर उसके बाद कप्तान धौनी [110] संग दोहरी शतकीय साझेदारी कर टीम इंडिया के लिए एक ऐसी दीवार खड़ी कर दी जिसे मेहमान टीम भेद पाने में नाकाम रही। पहले दिन का खेल खत्म होने तक भारत ने छह विकेट खोकर 385 रन बना लिए हैं।
पहला दिन पूरी तरह से द्रविड़ के नाम रहा। भारत को संकट से उबारने के बाद द्रविड़ ने करियर का 27वां शतक जमाया। इस शतकीय पारी में उन्होंने 26 चौके व एक छक्का ठोके। अपनी इस महान पारी के दौरान द्रविड़ ने 11 हजार रन का आंकड़ा छुआ। टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक रन बनाने वालों में द्रविड़ पांचवें स्थान पर पहुंच गए हैं। सचिन तेंदुलकर के बाद टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक रन बनाने वाले द्रविड़ दूसरे भारतीय बल्लेबाज हैं।
द्रविड़ के अलावा कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने भी संयम के साथ खेलते हुए करियर का दूसरा शानदार शतक लगाया। धौनी ने द्रविड़ के साथ छठे विकेट के लिए 224 रन जोड़कर विशाल स्कोर की ओर अग्रसर कर दिया। हालांकि वह थोड़े अनलकी रहे और खेल खत्म होने से दो ओवर पूर्व कैच आउट हो गए। धौनी ने 159 गेंदों में 10 चौके और एक छक्के की बदौलत 110 रन बनाए। 32 रन पर चार विकेट गिरने के बाद युवराज ने द्रविड़ का बखूबी साथ देते हुए टीम के लिए उपयोगी 68 रन का योगदान दिया। श्रीलंका के लिए चनक वेलगेदरा ने तीन विकेट चटकाए।
भारतीय टीम ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी का फैसला किया जिसे श्रीलंकाई गेंदबाज वेलगेदरा ने गलत साबित करते हुए मेजबान को जल्द शुरुआती झटके दे दिए। टीम के खाते में अभी 14 रन ही जुड़े थे कि उसे सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर के रूप में पहला झटका लगा। वह महज एक रन बनाकर वेलगेदरा की गेंद पर बोल्ड हो गए। गंभीर के पवेलियन लौटने के बाद वीरेद्र सहवाग भी ज्यादा देर तक क्रीज पर नहीं टिक सके और वह 16 रन बनाकर वेलगेदरा की गेंद पर एलबीडब्ल्यू हो गए।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 20 वर्ष पूरा करने वाले सचिन तेंदुलकर [4] ने मैदान पर आते ही वेलगेदरा की पहली ही गेंद को सीमा रेखा के पार पहुंचाकर दर्शकों को झूमने का मौका दिया लेकिन वह इसी ओवर की चौथी गेंद पर बोल्ड हो गए।
संकट में फंसी टीम को निकालने का जिम्मा अब द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण के कंधों पर था। श्रीलंकाई गेंदबाजों ने पिच से मिल रही स्विंग का पूरा फायदा उठाया और लक्ष्मण को बिना खाता खोले ही पवेलियन की राह दिखाते हुए टीम इंडिया की कमर तोड़ दी। हालांकि इसके बाद द्रविड़ ने युवराज के साथ मोर्चा संभालते हुए पांचवें विकेट के लिए 125 रन की जोड़ते हुए टीम को झटकों से उबारा। द्रविड़ ने 79 गेंदों पर पांच चौकों और एक छक्के की मदद से अर्धशतक जड़ा जबकि युवराज ने 77 गेंदों पर नौ चौके लगाकर पचासा ठोका। अर्धशतक जमाने के बाद युवी कुछ ज्यादा ही आक्रामक हो गए थे लेकिन मुरलीधरन ने उन्हें दिलशान के हाथों कैच कराकर अपनी टीम के लिए खतरनाक होती इस शतकीय साझेदारी को तोड़ा।

कोई टिप्पणी नहीं: