08 सितंबर 2009

प्रत्याशी का चुनाव एजेण्ट बनने पर सरकारी कर्मचारी को खानी पड़ेगी जेल की हवा

डबवाली (लहू की लौ) हरियाणा सरकार ने अपने कर्मचारियों को स्पष्टï किया है कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी विधानसभा चुनावों के दौरान किसी प्रत्याशी के चुनाव एजेण्ट या मतदान एजेण्ट या गणना एजेण्ट के रूप में कार्य करता है, तो उसे कारावास, जिसकी अवधि तीन मास तक बढ़ाई जा सकती है, जुर्माना या दोनों सजा दी जा सकती हैं।
हरियाणा के मुख्य सचिव ने सभी विभागाध्यक्षों को सम्बोधित एक पत्र के माध्यम से उनका ध्यान राज्य के विधानसभा चुनावों के सम्बन्ध में सरकारी कर्मचारियों के आचरण की ओर आकर्षित किया है। उनका ध्यान विशेष रूप से जन प्रतिनिधि अधिनियम, 1951 की धारा 134 ए के प्रावधानों की ओर आकर्षित किया गया है, जिसमें चुनाव एजेण्ट , मतदान एजेण्ट या मतगणना ऐजण्ट के रूप में कार्य करने पर सरकारी कर्मचारी को दी जाने वाली सजा का उल्लेख है।
पत्र में आगे कहा गया है कि इन दिशा निर्देशों के किसी भी प्रकार के उल्लंघन को सरकार द्वारा गंभीर अनुशासनहीनता माना जाएगा। सरकारी कर्मचारियों को परामर्श दिया गया है कि संदेह की स्थिति में वे अपने वरिष्ठï अधिकारियों से परामर्श करने में हिचकिचाहट न करें। विधि प्रावधान जन प्रतिनिधि अधिनियम, 1951 की धारा 129 एवं 134 तथा सरकारी कर्मचारी (आचरण) नियम, 1966 के नियम 5 में विद्यमान हैं।
सरकारी कर्मचारियों को चुनावों के दौरान निष्पक्षता का रवैया अपनाना जरूरी है। वास्तव में, उन्हें निष्पक्ष रहना ही नहीं बल्कि निष्पक्ष दिखना भी चाहिए। उन्हें ऐसा इसलिए करना चाहिए ताकि उनकी निष्पक्षता के सम्बन्ध में जनसाधारण में विश्वास उत्पन्न हो सके, जिसका तात्पर्य है कि लोगों को ऐसा कोई भी संदेह नहीं होना चाहिए कि वे किसी पार्टी या प्रत्याशी के पक्ष में हैं। उदाहरण के तौर पर उन्हें किसी भी चुनाव अभियान या प्रचार में भाग नहीं लेना चाहिए और इस बात पर भी विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि किसी समूह या व्यक्ति की सहायता के लिए उनका नाम, पद या प्राधिकरण का उपयोग किसी अन्य के विरूद्घ न किया जाए।
किसी सार्वजनिक स्थल पर चुनाव बैठकें आयोजित करने के मामले में ऐसी बैठकें आयोजित करने की अनुमति प्रदान करने में राजनीतिक पार्टियों के बीच कोई भेदभाव नहीं किया जाना चहिए। यदि एक से अधिक पार्टियां एक ही स्थान पर, एक ही दिन और एक ही समय बैठकें आयोजित करने के लिए आवेदन करती हैं, तो पहले आवेदन करने वाली पार्टी को अधिमान दिया जाना चाहिए।
चुनाव के सम्बन्ध में निर्वाचन अधिकारी, सहायक निर्वाचन अधिकारी, पीठासीन अधिकारी एवं मतदान अधिकारी के रूप में अपना दायित्व निभाने वाले किसी भी व्यक्ति को अपना वोट डालनेे के अलावा प्रत्याशी के चुनाव से सम्बन्धित कोई भी अन्य कार्य करने की अनुमति नहीं होगी। न ही ऐसा कोई व्यक्ति या पुलिस बल का कोई सदस्य किसी व्यक्ति को चुनाव में मतदान करने के लिए मनाने या किसी व्यक्ति को मतदान न करने देने या किसी व्यक्ति के मतदान को किसी भी रूप में प्रभावित करने का प्रयास करेगा।
इन प्रावधानों का उल्लंघन दण्डनीय है, जिसके तहत छ: मास तक का कारावास या जुर्माना या दोनों सज़ा दी जा सकती हंै। दोबारा यदि कोई व्यक्ति बिना किसी उचित कारण के अपनी कार्रवाई या चुनावों के सम्बन्ध में अपने कार्यालय दायित्व का उल्लंघन करने के लिए दोषी है, तो उसे 500 रुपये तक के जुर्माने की सजा दी जा सकती है। सरकारी कर्मचारी (आचरण) नियम, 1966 के नियम 5 के खण्ड (4) के अनुसार कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी विधानमण्डल या स्थानीय प्राधिकरण के चुनाव में प्रचार या किसी भी रूप से हस्तक्षेप या अपने प्रभाव का उपयोग नहीं कर सकता या उसमें भाग नहीं ले सकता।
सरकारी कर्मचारी सभी ऐसे चुनावों में मतदान करने के लिए पात्र है, लेकिन जहां वह ऐसा करता है, वहां किसके पक्ष में मतदान करेगा या मतदान किया है, का कोई संकेत नहीं देगा।
केवल इस कारण से कि सरकारी कर्मचारी ने लागू नियम के तहत या द्वारा उसे दिए गए दायित्व को निभाते हुए चुनाव करवाने में अपनी मदद की है, को उस द्वारा उप-नियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया जाना नहीं माना जाएगा।

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