08 सितंबर 2009

किसानों को नई हिदायतें

हिसार (लहू की लौ) चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए रबी फसलों की बिजाई के आगामी मौसम के मध्य नजऱ अति महत्वपूर्ण हिदायतें जारी की हैं ताकि कृषि कार्यों में उपयोग करके किसान सूखे के कारण खरीफ फसलों से हुए कम उत्पादन की भरपाई कर सकें।
विश्वविद्यालय के एक प्रवक्ता ने आज यह जानकारी देते हुए बताया कि आमतौर पर उन्नत बीजों व मंहगी रासायनिक खादों व दवाओं के प्रयोग के बावजूद किसान भरपूर पैदावार प्राप्त नहीं कर पाते। इसका मुख्य कारण उन्होंने कृषि मृदा की घटती हुई ताकत बताया है। उन्होंने कहा है कि जमीन की ताकत बढ़ाने, उचित नमी बनाए रखने तथा मृदा संरक्षण के लिए इसमें कार्बनिक (जीवांश) व अकार्बनिक पोषक तत्वों का संतुलन बहुत जरूरी है। परंतु अधिकांश किसान रासायनिक खादों व जहरीली कीटनाशक दवाओं का बिना वैज्ञानिक मार्गदर्शन के अंधाधुंध प्रयोग करते हैं, जिसके कारण कृषि भूमि में जीवाणुओं की भारी कमी हुई है, जो उर्वरा शक्ति खत्म होने का मुख्य कारण है।
विश्वविद्यालय के मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय मेंं स्थापित उक्त विभाग ने अलग-अलग फसलों के लिए उपयुक्त सूक्ष्म जीवाणुओं की खोज की है। इन जीवाणुओं से फसल की उत्पादन वृद्धि में काफी सफलता मिलती है। सूक्ष्मजीव विज्ञान विभाग में भारी मात्रा में जीवाणु खाद तैयार की जाती है जिसे किसान विश्वविद्यालय के राजगढ़ रोड स्थित किसान सेवा केन्द्र से भी प्राप्त कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में आगामी सप्ताह आयोजित किए जाने वाले फार्म दर्शन मेले में भी जीवाणु खाद बिक्री के लिए उपलब्ध करवाई जाएगी। इसके अलावा, एक एकड़ में 10 रूपए का एजोटीका एवं 10 रूपए का फास्फोटीका लगाकर किसान उचित लाभ उठा सकते हैं। यह टीके वातावरण से नत्रजन एकत्रित करके पौधों को देते हैं जिससे जीवाणु पौधे के फुटाव में मदद मिलती है तथा फफूंदी एवं दूसरी बीमारियों से लडऩे की क्षमता बढ़ती है।
उन्होंने अनाज की फसलों, फलों, फूलों व सब्जियों के लिए एजोटाबैक्टर का टीका तथा दलहनी फसलों के लिए राइजोबियम का टीका तैयार किया है। उन्होंने बताया कि राइजोटीका बरसीम, मटर व चने की फसल पर प्रयोग किया जा सकता है। उन्होंने किसानों से तोरिया व सरसों की बिजाई एजोटाबैक्टर व फास्फोटीका से बीज उपचार करने को कहा है। बीज उपचार से किसानों को यूरिया व सिंगल सुपर फास्फेट का प्रयोग बहुत कम करना पड़ेगा और ऊपर से 5 से 10 प्रतिशत तक फसल उत्पादन में वृद्धि प्राप्त की जा सकेगी। इसके प्रयोग बारे उन्होंने खास जानकारी दी है कि अन्न की फसलों में 10 किलो बीज तक 50 मि.मी. जीवाणु खाद काफी है जबकि सरसों में प्रति एकड़ 50 मिली लीटर दोनों तरह के जीवाणु का प्रयोग जरूरी है।

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