07 दिसंबर 2014

उन्नीस सालों में गाडिय़ां बढ़ीं आग बुझाने वाले हाथ नहीं

डबवाली (लहू की लौ) अग्निकांड के उन्नीस वर्षों बाद भले ही केंद्र तथा प्रदेश में सरकारें बदलती रही हों। लेकिन व्यवस्था में परिवर्तन नहीं हुआ। आज भी डबवाली के दमकल केंद्र में हालात वैसे ही हैं, जैसे वर्ष 1995 में थे। बेशक गाडिय़ों की संख्या बढ़ गई। किंतु आग बुझाने वाले हाथ नहीं बढ़े। आज भी त्रिवेणी शहर के लिये सरकार के वहीं नियम हैं, जो 23 दिसंबर 1995 में थे। नप के दमकल केंद्र में सरकार ने जो पद स्वीकृत किये हैं, वे एक गाड़ी के लिये भी पूरे नहीं बैठते। ऐसे में किराये के फायरमैन से गाड़ी चलाई जा रही है।
हरियाणा फायर सर्विस रूल के अनुसार एक गाड़ी पर एक कमांडर, एक चालक तथा चार फायरमैन होने चाहिये। वर्तमान समय में नप के दमकल केंद्र में रेगुलर स्टॉफ के साथ-साथ चार फायरमैन तथा तीन चालक डीसी रेट पर भर्ती हैं। इसके बावजूद भी तीन गाडिय़ों पर स्टॉफ पूरा नहीं होता। आग लगने की स्थिति में एक गाड़ी के साथ एक फायरमैन ही जा पाता है। ऐसे में पक्के तथा कच्चे कर्मचारियों को अतिरिक्त डयूटी देनी पड़ रही है। वहीं दो गाडिय़ों की स्थिति अच्छी नहीं है। दमकल केंद्र में जो गाडिय़ां हैं, उनमें से एक गाड़ी 13 साल पुरानी यानी 2001 मॉडल है। जबकि शेष दो गाडिय़ां 2007 तथा 2012 मॉडल हैं।
एक गाड़ी पर चाहिये छह लोग
हां यह सही है कि सर्विस रूल के अनुसार एक गाड़ी पर छह लोगों का स्टॉफ जरूरी है। सरकार ने एक गाड़ी का स्टॉफ स्वीकृत हुआ है। कई बार मांग करने के बाद अस्थाई नियुक्तियां की गई। इसके बावजूद भी कर्मचारी पूरे नहीं है। हर माह कर्मचारियों की डिमांड की जाती है। डबवाली में तंग बाजार तथा तंग गलियां हैं। आग लगने की स्थिति में वहां तक पहुंचने का कोई साधन नहीं है। दो छोटी गाडिय़ों की डिमांड की गई है।
-अमर सिंह, प्रभारी
दमकल केंद्र, डबवाली
अग्निश्मन विभाग के एकीकरण के प्रयास
दमकल केंद्र नगर परिषद से जुड़ा हुआ है। इसके एकीकरण के प्रयास चल रहे हैं। जिसको लेकर भर्ती का मामला खटाई में है। हर माह कर्मचारियों की रिपोर्ट सरकार के पास भेजी जाती है।
-ऋषिकेश चौधरी, सचिव
नगर परिषद, डबवाली

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