24 नवंबर 2014

साहब! अपने पैसे लेते जाईये

डबवाली (लहू की लौ) कार्य करने के बाद रिव्यू लेना कोई एसडीएम सतीश कुमार से सीखे। बिना सुरक्षा बल, बिना किसी गाड़ी के पैदल ही बाजार में टहलना और फिर आम आदमी की तरह भीड़ के बीच में खड़े होकर समस्या जानना एसडीएम की आदतों में शुमार है। एसडीएम ने शनिवार शाम को भी कुछ ऐसा ही किया।
शाम करीब साढ़े 6 बजे एसडीएम सतीश कुमार टहलते हुये गौशाला के नजदीक पहुंचे। वहां रेहड़ी मालिकों के लिये व्यवस्था का निरीक्षण किया। उनकी तकलीफ जानने के लिये वे उनके बीच आ खड़े हुये। वे रेहड़ी मालिक सुर्जन सिंह के पास पहुंचे। उससे मटर का भाव पूछा एक किलोग्राम देने के लिये कहा। फिर ढाई सौ ग्राम हरी मिर्च खरीदी। सब्जी विक्रेता ने एसडीएम से 50 रूपये मांगे। एसडीएम ने उसे 90 रूपये रखने के लिये कहा। ऐसा करके एसडीएम सब्जी विक्रेता को तोल रहे थे। सब्जी लेकर वापिस जा रहे एसडीएम को आवाज लगाकर सुर्जन सिंह ने कहा कि साहब! अपने पैसे लेते जाईये। सब्जी विक्रेता ने 40 रूपये उन्हें वापिस दे दिये।
एसडीएम को पहचान लिया था
नई सब्जी मंडी में रेहड़ी मालिक बेशक एसडीएम को पहचानने में नाकाम रहे हों। कुर्सी छोड़ बिना टाई-वाई के पहुंचे एसडीएम सर्जुन सिंह की आंखों से नहीं बच पाये थे। इस सब्जी विक्रेता ने एसडीएम के सब्जी मंडी में घूमने की सूचना जैसे ही अपने साथियों को दी, तो रेहड़ी मालिकों ने एसडीएम को घेर लिया। एक-एक करके अपनी समस्या बताने लगे। सब्जी विक्रेता विनोद भुराडिय़ा ने कहा कि उनके एक बार कहने पर ही वे इस जगह पर शिफ्ट हुये हैं। अभी भी कुछ ऐसे रेहड़ी मालिक हैं, जो पुरानी जगह पर रेहड़ी लगाते हैं। जिससे उनका व्यापार चौपट हो रहा है। एक सब्जी विक्रेता ने बरामदों में लगने वाले सब्जी/फल को नई सब्जी मंडी में शिफ्ट करने की मांग की। एसडीएम ने सब्जी/फल विक्रेताओं की समस्याओं को सुनने के बाद हल करने का आश्वासन दिया।
आधा घंटा चला हंसी ठिठोली
दफ्तरी कामकाज निपटाकर सब्जी विक्रेताओं में पहुंचे एसडीएम ने करीब आधा घंटा तक हंसी ठिठोली की। उन्होंने सब्जी विक्रेताओं से पूछा आप यहां ठीक हो, या वहां ठीक थे। जिस पर सब्जी विक्रेताओं ने जगह मिलने पर खुशी जाहिर की। हंसी-ठिठोली में एसडीएम ने अपने दिल की बात भी कह दी। उन्होंने कहा कि मुख्य बाजार में आपकी वजह से यातायात में बाधा आती थी। अब वह खुला-खुला सा नजर आने लगा है। वाहन चालकों को कोई परेशानी नहीं। साथ में मुख्य बाजार सहित शहर में घूमने वाले सांड आप लोगों के पीछे-पीछे गौशाला तक पहुंच जाएंगे। जिससे शहर को अवारा सांडों से मुक्ति मिल जायेगी।

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