27 जुलाई 2011

सरहद के जवानों की रक्षा की दुआ


कारगिल के शहीदों को समर्पित शुरू हुई यात्रा, पंद्रह सदस्य शामिल
डबवाली (लहू की लौ) बारह बरस बाद भी देश की आवाम के जेहन में कारगिल युद्ध की याद ताजा है। अपने से अधिक ऊंचाई में खड़े दहशतगर्दों को वापिस सीमा रेखा के बाहर निकालकर खोई हुई चौकियों पर फिर से तिरंगा लहराकर भारतीय सेना के जवानों ने नामुमकिन को मुमकिन बना दिया था। मंगलवार को पूरे मुल्क में कारगिल विजय दिवस मनाया गया। पूरे ऑपरेशन में शहीद हुए करीब 550 सेना अधिकारियों तथा कर्मचारियों को याद किया गया। डबवाली की जनता भी इसमें पीछे नहीं रही।
दहशतगर्द मुल्क की सीमा की ओर आंख उठाने की हिम्मत न कर सके। देश की सरहद पर अपनी जान दांव पर लगाए खड़े भारतीय सेना के जवानों की सुरक्षा की दुआ मांगने के लिए शहर के पंद्रह नौजवानों का एक दल बाईस दिनों की धार्मिक यात्रा पर निकला है। जिसका नेतृत्व शहर के राकेश, संजय, सुनील तथा चांदिया कर रहे हैं। यात्रा के दौरान दल कहीं भी अन्न ग्रहण नहीं करेगा। कारगिल विजय दिवस के अवसर पर मंगलवार को भारतीय सेना जिंदाबाद का उद्घोष करते हुए साईकिलों पर यह दल यात्रा पर रवाना हुआ।
यात्रा पर रवाना होने से पूर्व दल के सदस्य राकेश ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों से देश आतंकवादियों के निशाने पर चल रहा है। देश की जनता महफूज रहे सरहदों पर भारतीय सेना के जवान तैनात हैं। लेकिन उनकी सुरक्षा भी जरूरी है। केवल भगवान ही उनकी सुरक्षा तथा सहायता कर सकता है। इसके लिए उन्होंने यात्रा पर जाने का मन बनाया। यात्रा के लिए कारगिल विजय दिवस को सबसे अच्छा दिन माना। इस दौरान वे माता नैना देवी, चिन्तापूर्णी, कांगड़ा, ज्वाला जी, चामुंडा देवी और श्री वैष्णों माता के दर्शन करके भारतीय सेना के जवानों की सलामति के लिए दुआ करेंगे। यात्रा करीब बाईस दिनों की होगी। मार्ग में वे कहीं भी अन्न ग्रहण नहीं करेंगे। केवल पानी पर ही आश्रित रहेंगे। उनकी यह यात्रा कारगिल के शहीदों को समर्पित है।

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