27 जुलाई 2011

सरकार पर भड़के लोग स्कूल पहुंचे


डबवाली (लहू की लौ) जरूरतमंद विद्यार्थियों को सरकार द्वारा दिए जानी वाली छात्रवृत्ति, वर्दियां और साईकिल आज तक नहीं मिले। वे पिछले छह माह से इसके लिए अपने अध्यापकों के चक्कर काट रहे हैं। सोमवार को बच्चों के अभिभावकों का धैर्य जवाब दे गया। आक्रोशित अभिभावक कलोनी रोड़ पर स्थित राजकीय मिडिल स्कूल में जमा हो गए। मुख्याध्यापक को खूब खरी-खोटी सुनाकर अपना गुस्सा निकाला।
एससी, बीसी (ए) तथा बीपीएल कार्ड धारक परिवारों के बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रेरित करने के लिए सरकार ने मंथली एलाऊंस तथा वन टाईम एलाऊंस के नाम से दो योजनाएं क्रियान्वित की हुई हैं। जिस मकसद से इनको लागू किया गया था, वह मात्र कागजों में धूल फांक रहा है। सितंबर 2010 से स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहे उपरोक्त वर्गों के विद्यार्थियों के बैंक एकाऊंट में एक फूटी कोड़ी भी जमा नहीं हुई है। दूसरा दूर स्थित मोहल्लों से आने वाले बच्चों के साईकिल के लिए फार्म भरे होने के बावजूद भी उन्हें साईकिल मुहैया नहीं करवाई गई है। जिससे बच्चों के अभिभावकों में सरकार के प्रति रोष भड़क रहा है।
गुस्साए अभिभावक सोमवार को राजकीय मिडिल स्कूल में जमा हो गए। वहां मुख्याध्यापक सरदूल सिंह को खूब-खरी खोटी सुनाई। बच्चों के अभिभावक शीतल कुमार, गणेश कुमार, तुला राम, सर्वजीत सिंह, कृष्णा, बग्घा सिंह, मनदीप कौर, चरणजीत कौर, सुखप्रीत कौर ने बताया कि वे मेहनत-मजदूरी करके अपना तथा अपने परिवार का पेट पालते हैं। साल 2008 से चली आ रही उपरोक्त सरकारी योजनाओं का उनके बच्चे फायदा उठा रहे हैं। लेकिन साल 2010 के सितंबर माह से इन योजनाओं को ब्रेक लगे हुए हैं। जिससे उनके बच्चे वर्दी तथा स्टेशनरी को तरस रहे हैं। वे जब भी स्कूल में आते हैं तो मुख्याध्यापक उन्हें आश्वासन की टॉफी देकर वापिस लौटा देते हैं।
मुख्याध्यापक सरदूल सिंह ने बताया कि सितंबर 2010 से उपरोक्त योजनाओं के अंतर्गत उनके पास पैसे नहीं आए हैं। जब पैसे आ जाएंगे तो फोरी तौर पर बच्चों के बैंक एकाऊंटस में डलवा दिए जाएंगे। बच्चों को साईकिल देने के लिए उन्होंने डिमांड शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों के पास भेजी थी। लेकिन सर्वे होने के बावजूद भी साईकिल नहीं मिले। वे अपने उच्च अधिकारियों से इस बारे में अनुरोध करेंगे।

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