17 दिसंबर 2010

होया की ये नच्च दी, दी तेरी बांह फड लई...

डबवाली (लहू की लौ) गांव आसाखेड़ा के राजकीय मिडिल स्कूल में खण्ड स्तरीय ग्रामीण खेलकूद प्रतियोगिता से पूर्व गुरूवार को बीडीपीओ कार्यालय डबवाली द्वारा सांसद तथा मुख्यातिथि अशोक तंवर के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में खूब ठुमके लगे तथा द्विआर्थी गीतों पर बच्चों से नृत्य करवाया गया।
गांव आसाखेड़ा में गुरूवार को बीडीपीओ कार्यालय द्वारा खण्ड स्तरीय तीन दिवसीय ग्रामीण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इससे पूर्व इस प्रतियोगिता के मुख्यातिथि तथा सिरसा के सांसद अशोक तंवर के सम्मान में गाने-बजाने का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। अभी सांसद आए नहीं थे, लेकिन शिक्षा के इस मंदिर में बैठे दूसरी, तीसरी कक्षा के विद्यार्थियों, अध्यापिकाओं, ग्रामीणों को बांधकर रखने के लिए गाने-बजाने के कार्यक्रम में ऐसे द्विआर्थी रखे गए, जिनको सुनकर ग्रामीणों के सिर तो झुके ही साथ में अध्यापकों को भी शर्मसार होना पड़ा। इस मौके पर परोसे गए गीतों में होया की ये नच्च दी, दी तेरी बांह फड लई....., पट्टा ते हाथ मार के कहना गल सुन जा मुटियारे...., तेरा क्या होगा जानब ए आली......, छल्ला-छल्ला...., तेरा-तेरा सरूर..... शामिल थे।
इस संदर्भ में स्कूल के मुख्याध्यापक रमेश कुमार बांसल से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस प्रकार के कार्यक्रम की कोई जानकारी नहीं थी। बल्कि यह कार्यक्रम बीडीपीओ कार्यालय द्वारा अचानक ही प्रस्तुत किया गया। उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि इस प्रकार के गाने शिक्षा के मंदिर में नहीं बजाए जाने चाहिए थे। इसका प्रभाव बच्चों की कच्ची मानसिकता पर बुरा पड़ेगा। उसे भी गीत सुनकर इतनी शर्म आई कि उसे अपना सिर छुपाने के लिए इस कार्यक्रम को छोड़कर कार्यालय में आना पड़ा।
सांसद अशोक तंवर से पत्रकारों ने इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि यह घटना उसके आने से पूर्व हुई है, इस प्रकार के गीत स्कूल के मंच पर प्रस्तुत नहीं किए जाने चाहिए थे। इस बारे में कार्यक्रम के आयोजकों से पूछताछ की जाएगी।
उपरोक्त मामले के संबंध में बीडीपीओ राम सिंह ने कहा कि स्कूल में बजाए गए उपरोक्त गीत जायज हैं। इस प्रकार के गीत मनोरंजन के लिए गाए ही जाने चाहिए।

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