17 दिसंबर 2010

होते हैं दीदार दाता, ओ मेरे करतार दाता

डबवाली (लहू की लौ) आर्य समाज के तत्वाधान में आयोजित वाॢषक उत्सव के अंतर्गत पांच दिवसीय सामवेदीय यज्ञ महोत्सव की सरिता में पारिवारिक कार्यक्रम गुरूवार को धर्मवीर के निवास पर वैदिक हवन यज्ञ के साथ प्रारम्भ हुआ। बाद में द्रोणस्थली आर्ष कन्या गुरूकुल की कन्याओं द्वारा ''होते हैं दीदार दाता, ओ मेरे करतार दाताÓÓ प्रस्तुत मधुर भजन ने समां बांध दिया। दिल्ली से विशेष तौर पर डबवाली पहुंचे राजवीर शास्त्री ने भी अपनी मधुर वाणी से ''पाएगा भगवान के दर्शन पाएगा, मन अपने को निर्मल करकेÓÓ द्वारा अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। आर्य जगत की विदूषी सुश्री डॉ. अन्नपूर्णा ने अपने आशीष वचनों के माध्यम से श्रोताओं को बुराई को छोडऩे तथा अच्छाई को धारण करने के लिए प्रेरित किया तथा भारतवर्ष के प्राचीनतम ग्रंथ वेदों के बताए मार्ग पर चलने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि महॢष देव दयानंद ने वेदों का प्रचार-प्रसार किया तथा हवन यज्ञ करने पर बल दिया।
इस अवसर पर सूत्रधार का दायित्व प्रचार मन्त्री डॉ. अशोक आर्य ने निभाया। इस मौके पर प्रधान एसके दुआ, कोषाध्यक्ष भारत मित्र छाबड़ा, महामन्त्री सुदेश आर्य, प्रदीप सुखीजा सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों सहित काफी संख्या में महिलाएं भी उपस्थित थी।

कोई टिप्पणी नहीं: