26 सितंबर 2009

रिसालियाखेड़ा में निकली भव्य कलश यात्रा

बनवाला (जसवन्त जाखड़) गांव रिसालियाखेड़ा में श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के दौरान शुक्रवार को कलश यात्रा का आयोजन किया गया। रिसालियाखेड़ा में जलघर के निकट नवनिर्मित श्री विश्वकर्मा मंदिर में आयोजित कलश यात्रा में गांव की 51 महिलाओं व कन्याओं अपने सिर पर कलश धारण करके तथा हरियाणा गौशाला संघ के उपाध्यक्ष पतराम बरड़वा ने श्रीमद्भगवदगीता को अपने सिर पर धारण करके कलश यात्रा में भाग लिया। पतराम बरड़वा की अगुवानी में यह कलशयात्रा श्री विश्वकर्मा मंदिर से चलकर श्रीगौशाला में स्थित श्रीकृष्णजी मंदिर पहुंची तथा श्रीकृष्णजी मंदिर में पूजा अर्चना के उपरांत कलशयात्रा गांव की विभिन्न गलियों से होते हुए वापिस श्री विश्वकर्मा मंदिर पहुंचकर सम्पन्न हुई। कलश यात्रा में शामिल महिलाओं में विजय रानी, रजनी देवी, मंजू बाला गुड्डी रानी, मोनिका रानी, सीता देवी, मितूल रानी, सुलोचना देवी, ललिता रानी, ममता रानी, सुनीता देवी व राममूर्ति देवी सहित अन्य महिलाएं शामिल हुई। कलशयात्रा के उपरांत कथा वाचन के दौरान स्वामी सेवक राम शास्त्री ने आज श्रीकृष्णजी के जन्म से लेकर नंदबाबा के यहां उनके पालन पोषण तथा श्रीकृष्णजी द्वारा वृंदावन में की गई लीलाओं तक का वर्णन भक्तजनों को कह सुनाया। उन्होंने कहा कि सुख दुख आते जाते रहते हैं लेकिन माया के खेल निराले हैं परंतु माया के खेल से भी परे परमात्मा के मेल को माना गया है। उन्होंने कहा कि काम, क्रोध, लोभ, द्वेष, हिंसा, मतसर, अभिमान व ममत्व आदि दोष बड़े ही प्रबल हैं अत: इन सबका समूल नाश करने का प्रयत्न करो। उन्होंने कहा कि सत्संग व साधना के प्रभाव में कभी कभी मनुष्य अपने में इन दोषों का अभाव दिखाते हुए अपने धन, यौवन, रूप, पद, सम्मान, शक्ति, विद्या, बागीमता आदि पर इतराता है लेकिन इससे कुछ नहीं होता क्योंकि ये सब मौत का विकराल मुख देखते ही नष्ट हो जाएंगे। इस अवसर पर बड़ी संख्या में महिला पुरुष व बच्चे उपस्थित थे।

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