Adsense
Lahoo Ki Lau
29 दिसंबर 2014
24 दिसंबर 2014
अग्निकांड पीडि़तों ने सीएम तथा पीएम को कोसा
दर्द सुनने नहीं आ सकते हमें ऐसे नेता नहीं चाहिये
डबवाली (लहू की लौ) डबवाली अग्निकांड की 19वीं बरसी पर नेता अग्निकांड पीडि़तों के निशाने पर रहे। श्रद्धांजलि सभा में पीडि़तों ने राजनीतिकों को जमकर कोसते हुये सवाल खड़े किये। सभा में बैठे इनेलो, कांग्रेस तथा भाजपा नेताओं से सीधा संवाद करते हुये पूछा घटना हो गई, कानून बन गये। क्या कभी कानूनों की पालना हुई? दूसरा सवाल किया कि अदालत से मुआवजा मिल गया, क्या पीडि़तों का दु:ख-दर्द जानने के लिये कोई नेता आया? राजनीतिकों से तीसरा सवाल पूछते हुये कहा कि 19 वर्षों से सरकारों ने नहीं सुनी, अब ओर कितना लंबा इंतजार करना पड़ेगा?। अग्निकांड पीडि़तों का दर्द जानने के बाद राजनीतिकों ने भी स्वीकारा कि जिस स्तर पर कार्य होने चाहिये थे, वे अभी तक नहीं हुये हैं। वे अग्निकांड पीडि़तों के लिये एकजुट होकर प्रयास करेंगे।
हमें ऐसा पीएम और सीएम नहीं चाहिये
अग्निकांड पीडि़तों ने कहा कि जो सरकारें उनका दर्द बांटने के लिये नहीं आ सकती। उनका दर्द सुनने के लिये तैयार नहीं। डबवाली अग्निकांड में कितने डॉक्टर, इंजीनियर, दुकानदार, शिक्षाविद्, बच्चों की मौत हुई, कोई यह जानने के लिये प्रयासरत नहीं। अग्निकांड पीडि़तों ने पीएम नरेंद्र मोदी तथा हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर पर अंगुली उठाते हुये कहा कि सिरसा की चुनावी जनसभा में पीएम डबवाली अग्निकांड का जिक्र करते हैं। वहीं सीएम भी सिरसा में कार्यकर्ता सम्मेलन में डबवाली अग्निकांड का जिक्र कर सकते हैं। लेकिन जब डबवाली आये तो अग्निकांड स्मारक पर दो मिनट के लिये रूकने का समय नहीं। अग्निकांड पीडि़तों का दर्द सुनने का समय नहीं। ऐसी सरकारों पर लानत है, हमें ऐसी सरकारें और नेता हरगिज नहीं चाहिये।
पीडि़तों को नौकरी क्यों नहीं
अग्निकांड पीडि़तों ने उन्नीस वर्ष पूर्व किया नौकरी का वायदा याद दिलाते हुये कहा कि पीडि़त परिवारों के बच्चों ने अपनी प्रतिभा के बल पर मुकाम हासिल किया है। अभी भी सुमन जैसे अग्निकांड पीडि़त बच्चे हैं, जिन्हें नौकरी की सख्त जरूरत है। उसे महज इसलिये नौकरी नहीं दी जा रही, चूंकि अग्निकांड में वह बदसूरत हो चुकी है। जबकि वह अच्छे अंकों के साथ बीएड कर चुकी है। सरकार को जल्द उसका इलाज करवाने के साथ-साथ उसे नौकरी देनी चाहिये।
मुआवजा मिलने में हुई देरी
23 दिसंबर 1995 को डबवाली अग्निकांड के समय मैं अहमदनगर में पढ़ाई कर रहा था। रात को लौटा तो टीवी ऑन करने पर पता चला कि डबवाली में हादसा हुआ है। देश की न्यायिक व्यवस्था के चलते पीडि़तों को मुआवजा मिलने में लंबा समय लग गया। अगर समय अनुसार मुआवजा मिल जाता तो पीडि़त इसका फायदा उठा सकते थे। सरकार के स्तर पर भी व्यवस्था करने में कुछ खामियां अवश्य रहीं। श्रद्धांजलि सभा में विधायिका नैना सिंह चौटाला ने आना था। लेकिन उनकी बुआ का आकस्मिक निधन हो गया।
-डॉ. सीता राम, वरिष्ठ इनेलो नेता
शासन-प्रशासन की मदद से पूरे करेंगे कार्य
23 दिसंबर 1995 का डबवाली अग्निकांड दिल दहला देने वाली घटना है। मैंने अपने परिवार के चार सदस्यों को खोया था। उस समय शहर वासियों ने जो एकजुटता दिखाई, वह काबिले तारीफ है। जो कार्य अधूरे रह गये हैं, हम शासन-प्रशासन की मदद से पूरे करेंगे। -डॉ. केवी सिंह, वरिष्ठ कांग्रेस नेता
आधार के लिये ठंड में लगी कतार, बीच सड़क बैठ गये मासूम
डबवाली (लहू की लौ) आधार कार्ड बनाने के लिये गांव गंगा की रणजीत कौर अपने चार बच्चों को साथ लेकर सुबह 8 बजे डबवाली आ गई। केंद्र के बाहर लंबी कतार लगी देख ठंडी के बीच सड़क पर बैठ गई। दो साल का दलजीत गोद में रो रहा था। चार साल का मासूम जसनदीप कतार में खड़ा-खड़ा थककर वहीं बैठ गया। बेटी 5 वर्षीय नीरू तथा सात वर्षीय ज्योति कतार में खड़ी अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रही थीं।
ऐसे हालात थे मंगलवार को कलोनी रोड़ पर स्थित एक केंद्र पर। आधार के लिये मासूम बच्चे, महिलाएं, नौजवान, तथा बुजुर्ग एक ही कतार में खड़े थे। लेकिन केंद्र प्रभारी 11 बजे तक नहीं आया था। जिससे लोगों में रोष पैदा हो गया। लक्ष्मी देवी, संतराम, लाजवंती, राजदेवी कमल कुमार ने बताया कि वे सुबह 7 बजे ही लाईन में आकर खड़े हो गये थे। लेकिन अभी तक आधार कार्ड का केंद्र नहीं खुला है। वे कई दफा संबंधित केंद्र इंचार्ज से फोन पर बातचीत कर चुके हैं। लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं।
जाम की स्थिति
कलोनी रोड़ पर बने आधार कार्ड केंद्र के बाहर लोगों का हजूम उमडऩे के कारण राहगीरों को काफी परेशानी उठानी पड़ी। स्थिति जाम जैसी हो गई। वाहन चालक आधार कार्ड बनाने के लिये आये लोगों से उलझते नजर आये। नौबत मारपीट तक जा पहुंची। यहीं नहीं ठंड के बीच कतार में खड़े बच्चों का स्वास्थ्य गड़बड़ा गया।
नहीं आने दी जायेगी परेशानी
डबवाली में आधार कार्ड बनाने के लिये तीन केंद्र हैं। व्यवस्था बनाये रखने के लिये तहसीलदार से बात करूंगा। लोगों को किसी तरह की परेशानी नहीं आने दी जायेगी।
-धरिंद्र कुमार, कार्यकारी एसडीएम, डबवाली
ऐसे हालात थे मंगलवार को कलोनी रोड़ पर स्थित एक केंद्र पर। आधार के लिये मासूम बच्चे, महिलाएं, नौजवान, तथा बुजुर्ग एक ही कतार में खड़े थे। लेकिन केंद्र प्रभारी 11 बजे तक नहीं आया था। जिससे लोगों में रोष पैदा हो गया। लक्ष्मी देवी, संतराम, लाजवंती, राजदेवी कमल कुमार ने बताया कि वे सुबह 7 बजे ही लाईन में आकर खड़े हो गये थे। लेकिन अभी तक आधार कार्ड का केंद्र नहीं खुला है। वे कई दफा संबंधित केंद्र इंचार्ज से फोन पर बातचीत कर चुके हैं। लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं।
जाम की स्थिति
कलोनी रोड़ पर बने आधार कार्ड केंद्र के बाहर लोगों का हजूम उमडऩे के कारण राहगीरों को काफी परेशानी उठानी पड़ी। स्थिति जाम जैसी हो गई। वाहन चालक आधार कार्ड बनाने के लिये आये लोगों से उलझते नजर आये। नौबत मारपीट तक जा पहुंची। यहीं नहीं ठंड के बीच कतार में खड़े बच्चों का स्वास्थ्य गड़बड़ा गया।
नहीं आने दी जायेगी परेशानी
डबवाली में आधार कार्ड बनाने के लिये तीन केंद्र हैं। व्यवस्था बनाये रखने के लिये तहसीलदार से बात करूंगा। लोगों को किसी तरह की परेशानी नहीं आने दी जायेगी।
-धरिंद्र कुमार, कार्यकारी एसडीएम, डबवाली
बरसी पर घोषणा, डबवाली में दिया जायेगा डिजास्टर मैनेजमेंट का प्रशिक्षण
शहर में आने वाले प्रत्येक मंत्री-संतरी को जाना होगा अग्निकांड स्मारक पर
डबवाली (लहू की लौ) अब डबवाली में उपमंडल स्तर पर डिजास्टर मैनेजमेंट का प्रशिक्षण दिया जायेगा। यह घोषणा अग्निकांड की 19वीं बरसी पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे कार्यकारी एसडीएम ने की। वहीं भाजपा सरकार या फिर भाजपा संगठन का नुमाईंदा डबवाली में आयेगा तो सबसे पहले अग्निकांड स्मारक पर नत मस्तक होगा। यह घोषणा भाजपा के डबवाली प्रतिनिधि ने की। डबवाली अग्निकांड की 19वीं बरसी पर बच्चों, महिलाओं, समाजसेवियों के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। श्रद्धांजलि सभा में अग्निकांड पीडि़तों ने प्रशासनिक अधिकारियों तथा सरकार के समक्ष कुछ मांगें रखी।
मंच का संचालन करते हुये रमेश सचदेवा ने कहा कि अगर नरेंद्र मोदी के कहने पर स्वच्छता के लिये पूरा देश खड़ा हो सकता है। उसी तरीके से नरेंद्र मोदी 23 दिसंबर 1995 को अग्नि सुरक्षा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा करें, ताकि भारत ही नहीं पूरा विश्व डबवाली अग्निकांड से सीख ले सके। मानवीय गलती न दोहराई जाये। उन्होंने स्मारक को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने, उपमंडल स्तर पर डिजास्टर मैनेजमेंट का प्रशिक्षण देने, मेडिकल कॉलेज बनाने, सिविल अस्पताल में बर्न यूनिट स्थापित करने की मांग की। पीडि़तों ने मांग की कि सरकार को जो भी मंत्री या संतरी डबवाली में आये। वह कार्य शुरू करने से पहले अग्निकांड स्मारक पर नत्मस्तक हो।
भाजपा नेता को मांग मनवाने के लिये दोबारा मंच पर बुलाया
अग्निकांड पीडि़तों की मांग सुनने के बाद भाजपा नेता देवकुमार शर्मा यह कहते हुये अपना स्थान लेने लगे कि अग्निकांड पीडि़त जो भी उनसे सहयोग की अपेक्षा करेंगे वे उसके लिये तैयार हैं। सीएम ही नहीं अगर पीएम के पास भी जाना पड़ा तो वे जरूर चलेंगे। इसी बीच अग्निकांड पीडि़तों ने उन्हें एक मांग के लिये दोबारा मंच पर खड़ा कर लिया। जिस पर देवकुमार शर्मा ने कहा कि सरकार को जो भी मंत्री या संतरी डबवाली आयेगा, वह सबसे पहले अग्निकांड स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेगा।
इससे पूर्व अग्निकांड स्मारक पर हवन यज्ञ हुआ। श्री रामायण पाठ तथा श्री अखंड पाठ का भोग डाला गया। इस मौके पर तहसीलदार मातू राम नेहरा, डीएसपी सत्यपाल यादव, शहर थाना प्रभारी दलीप सिंह, बीईओ संत कुमार बिश्नोई, नप सचिव ऋषिकेश चौधरी, जनस्वास्थ्य विभाग के एसडीई संकेत शर्मा, अग्निकांड पीडि़त संघ के शमशेर सिंह, विनोद बांसल, सुच्चा सिंह भुल्लर, संचालक कमेटी के अध्यक्ष जयमुनी गोयल, प्रकाश चंद बांसल उपस्थित थे।
....जीवन रूपी नाटक का पर्दा गिरा दिया
डबवाली (लहू की लौ) डबवाली अग्निकांड की बरसी पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिये केवल मात्र हरियाणा के नहीं बल्कि सीमाओं के बंधन तोड़कर पंजाब तथा राजस्थान के लोग तथा राजनीतिक भी पहुंचे। वहीं सोशल मीडिया में भी अग्निकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि देने का सिलसिला लगातार जारी रहा। पंजाब पुलिस के फाजिल्कां तथा मोगा शहरों से आये पुलिस कर्मियों के साथ-साथ अकाली नेता अवतार सिंह बनवाला ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की। वहीं सोशल नेटवर्किंग साईट फेसबुक पर देश-विदेश के लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। रंगकर्मी संजीव शाद ने श्रद्धांजलि देते हुये लिखा कि दीवार पे लटके कलंडर पे आज 23 दिसंबर है। 19 वर्ष पहले भी 23 दिसंबर था, उस दिन रंगमंच पे उतरा था नन्हें कलाकारों का इक काफिला सपने ले के...मेरे शहर डबवाली में तालियों और संगीत के महारंग महोत्सव में आग ने तांडव मचा दिया, जीवन रूपी नाटक का पर्दा गिरा दिया। कैसा निर्देशक है तू कभी कभी तेरी पटकथा समझ में नहीं आती, हम तो मात्र कठपुतलियां हैं तेरे हाथ की। लेकिन शब्द नहीं है मेरे पास कुछ भी लिखने को हिम्मत नहीं है, बस है तो मौन और तेज चलती सांसें और नम आंखें...वो तो आज भी जिंदा हैं..। इसके साथ-साथ पिछले 19 वर्षों में डबवाली में विभिन्न पदों पर नौकरी कर चुके अधिकारियों ने वट्स ऐप के जरिये श्रद्धांजलि दी। तत्कालीन एसडीएम सतीश कुमार ने मृतक बच्चों को याद करते हुये दुखदायी घटना करार दिया।
मुझे लिखकर दो, आगे पहुंचाऊंगा
23 दिसंबर का दिन डबवाली के इतिहास में आंसुओं से लिखा जाता है। अग्निकांड के समय मैं 13 साल का था। एक बच्चे की पीड़ा, एक बच्चा ही समझ सकता है। उस समय आंखों से आंसू निकल आये थे। उस समय सोचा था कि एक बार उस जगह अवश्य जाऊंगा, यहां यह भीषण अग्निकांड हुआ। यह नहीं सोचा था कि डबवाली में आज ही के दिन अतिरिक्त कार्यभार संभालूंगा और स्मारक पर आने का मौका मिलेगा। डिस्जास्टर मैनेजमेंट उपमंडल स्तर पर शुरू होगा। राष्ट्रीय स्मारक बनाने या फिर अन्य जो मांग हैं, वे अग्निकांड पीडि़त लिखित में दें। उपायुक्त के माध्यम से मांगों को सरकार के आगे रखा जायेगा।
-धीरेंद्र कुमार, कार्यकारी उपमंडलाधीश, डबवाली
डबवाली (लहू की लौ) अब डबवाली में उपमंडल स्तर पर डिजास्टर मैनेजमेंट का प्रशिक्षण दिया जायेगा। यह घोषणा अग्निकांड की 19वीं बरसी पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे कार्यकारी एसडीएम ने की। वहीं भाजपा सरकार या फिर भाजपा संगठन का नुमाईंदा डबवाली में आयेगा तो सबसे पहले अग्निकांड स्मारक पर नत मस्तक होगा। यह घोषणा भाजपा के डबवाली प्रतिनिधि ने की। डबवाली अग्निकांड की 19वीं बरसी पर बच्चों, महिलाओं, समाजसेवियों के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। श्रद्धांजलि सभा में अग्निकांड पीडि़तों ने प्रशासनिक अधिकारियों तथा सरकार के समक्ष कुछ मांगें रखी।
मंच का संचालन करते हुये रमेश सचदेवा ने कहा कि अगर नरेंद्र मोदी के कहने पर स्वच्छता के लिये पूरा देश खड़ा हो सकता है। उसी तरीके से नरेंद्र मोदी 23 दिसंबर 1995 को अग्नि सुरक्षा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा करें, ताकि भारत ही नहीं पूरा विश्व डबवाली अग्निकांड से सीख ले सके। मानवीय गलती न दोहराई जाये। उन्होंने स्मारक को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने, उपमंडल स्तर पर डिजास्टर मैनेजमेंट का प्रशिक्षण देने, मेडिकल कॉलेज बनाने, सिविल अस्पताल में बर्न यूनिट स्थापित करने की मांग की। पीडि़तों ने मांग की कि सरकार को जो भी मंत्री या संतरी डबवाली में आये। वह कार्य शुरू करने से पहले अग्निकांड स्मारक पर नत्मस्तक हो।
भाजपा नेता को मांग मनवाने के लिये दोबारा मंच पर बुलाया
अग्निकांड पीडि़तों की मांग सुनने के बाद भाजपा नेता देवकुमार शर्मा यह कहते हुये अपना स्थान लेने लगे कि अग्निकांड पीडि़त जो भी उनसे सहयोग की अपेक्षा करेंगे वे उसके लिये तैयार हैं। सीएम ही नहीं अगर पीएम के पास भी जाना पड़ा तो वे जरूर चलेंगे। इसी बीच अग्निकांड पीडि़तों ने उन्हें एक मांग के लिये दोबारा मंच पर खड़ा कर लिया। जिस पर देवकुमार शर्मा ने कहा कि सरकार को जो भी मंत्री या संतरी डबवाली आयेगा, वह सबसे पहले अग्निकांड स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेगा।
इससे पूर्व अग्निकांड स्मारक पर हवन यज्ञ हुआ। श्री रामायण पाठ तथा श्री अखंड पाठ का भोग डाला गया। इस मौके पर तहसीलदार मातू राम नेहरा, डीएसपी सत्यपाल यादव, शहर थाना प्रभारी दलीप सिंह, बीईओ संत कुमार बिश्नोई, नप सचिव ऋषिकेश चौधरी, जनस्वास्थ्य विभाग के एसडीई संकेत शर्मा, अग्निकांड पीडि़त संघ के शमशेर सिंह, विनोद बांसल, सुच्चा सिंह भुल्लर, संचालक कमेटी के अध्यक्ष जयमुनी गोयल, प्रकाश चंद बांसल उपस्थित थे।
....जीवन रूपी नाटक का पर्दा गिरा दिया
डबवाली (लहू की लौ) डबवाली अग्निकांड की बरसी पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिये केवल मात्र हरियाणा के नहीं बल्कि सीमाओं के बंधन तोड़कर पंजाब तथा राजस्थान के लोग तथा राजनीतिक भी पहुंचे। वहीं सोशल मीडिया में भी अग्निकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि देने का सिलसिला लगातार जारी रहा। पंजाब पुलिस के फाजिल्कां तथा मोगा शहरों से आये पुलिस कर्मियों के साथ-साथ अकाली नेता अवतार सिंह बनवाला ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की। वहीं सोशल नेटवर्किंग साईट फेसबुक पर देश-विदेश के लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। रंगकर्मी संजीव शाद ने श्रद्धांजलि देते हुये लिखा कि दीवार पे लटके कलंडर पे आज 23 दिसंबर है। 19 वर्ष पहले भी 23 दिसंबर था, उस दिन रंगमंच पे उतरा था नन्हें कलाकारों का इक काफिला सपने ले के...मेरे शहर डबवाली में तालियों और संगीत के महारंग महोत्सव में आग ने तांडव मचा दिया, जीवन रूपी नाटक का पर्दा गिरा दिया। कैसा निर्देशक है तू कभी कभी तेरी पटकथा समझ में नहीं आती, हम तो मात्र कठपुतलियां हैं तेरे हाथ की। लेकिन शब्द नहीं है मेरे पास कुछ भी लिखने को हिम्मत नहीं है, बस है तो मौन और तेज चलती सांसें और नम आंखें...वो तो आज भी जिंदा हैं..। इसके साथ-साथ पिछले 19 वर्षों में डबवाली में विभिन्न पदों पर नौकरी कर चुके अधिकारियों ने वट्स ऐप के जरिये श्रद्धांजलि दी। तत्कालीन एसडीएम सतीश कुमार ने मृतक बच्चों को याद करते हुये दुखदायी घटना करार दिया।
मुझे लिखकर दो, आगे पहुंचाऊंगा
23 दिसंबर का दिन डबवाली के इतिहास में आंसुओं से लिखा जाता है। अग्निकांड के समय मैं 13 साल का था। एक बच्चे की पीड़ा, एक बच्चा ही समझ सकता है। उस समय आंखों से आंसू निकल आये थे। उस समय सोचा था कि एक बार उस जगह अवश्य जाऊंगा, यहां यह भीषण अग्निकांड हुआ। यह नहीं सोचा था कि डबवाली में आज ही के दिन अतिरिक्त कार्यभार संभालूंगा और स्मारक पर आने का मौका मिलेगा। डिस्जास्टर मैनेजमेंट उपमंडल स्तर पर शुरू होगा। राष्ट्रीय स्मारक बनाने या फिर अन्य जो मांग हैं, वे अग्निकांड पीडि़त लिखित में दें। उपायुक्त के माध्यम से मांगों को सरकार के आगे रखा जायेगा।
-धीरेंद्र कुमार, कार्यकारी उपमंडलाधीश, डबवाली
बस में जा रही थी पोस्तियों की बारात, पुलिस ने पकड़ लिया
डबवाली (लहू की लौ) शहर थाना पुलिस तथा नारकोटिकस सैल सिरसा ने संयुक्त कार्रवाई करते हुये बस में चल रही चूरा पोस्त तस्करों की बारात को गिरफ्तार किया है। चार महिलाओं सहित कुल 44 लोग पकड़े गये हैं। बस के चालक तथा परिचालक पर भी मामला दर्ज करके बस को इंपाऊंड कर लिया गया है।
मंगलवार दोपहर को शहर थाना के एसआई इंद्राज सिंह ने पुलिस बल के साथ गांव शेरगढ़ के नजदीक नाका लगाया हुआ था। इसी दौरान संगरिया साईड से एक निजी बस डबवाली की ओर आती हुई दिखाई दी। पुलिस ने बस में पोस्त के संदेह में तालाशी शुरू की। एक-एक करके प्रत्येक की तालाशी ली। बस में सवार सभी 44 सवारियों के पास चूरा पोस्त के पैकेट बरामद हुये। पुलिस बस को कब्जे में करके थाना ले आई।
महिलाएं भी पोस्त खाती हैं
पकड़े गये 44 आरोपियों में एक आरोपी खंड डबवाली के गांव मौजगढ़ का है। शेष सभी आरोपी पंजाब के थाना संगत, रामा मंडी, मोड़ मंडी के गांवों से हैं। महिलाओं में सबसे कम उम्र की आरोपी 30 वर्ष की है। जबकि सबसे उम्रदाज महिला करीब 60 वर्ष की। ऐसे ही पुरूष आरोपियों में 40 से 75 वर्ष की आयु तक के वृद्ध शामिल हैं। आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वे सभी पोस्त खाने के आदी हैं।
40 बिस्तरों का प्रबंध
पोस्तियों की बारात पर कार्रवाई करने के लिये पुलिस ने शहर थाना के साथ-साथ गोल बाजार पुलिस चौकी, सीआईए का स्टॉफ लगा दिया। वहीं शहर थाना में पोस्तियों के रहने के इंतजाम के साथ-साथ रात को सोने के लिये 40 बिस्तरों का प्रबंध किया गया। बुधवार को सभी को अदालत के समक्ष पेश किया जायेगा।
शहर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर दलीप सिंह ने बताया कि पकड़े गये आरोपियों से करीब 40 किलोग्राम चूरा पोस्त बरामद हुई है। आरोपियों के विरूद्ध नशीले पदार्थ की तस्करी करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। बस चालक महेंद्र सिंह तथा परिचालक मक्खन सिंह को मिलीभगत करके तस्करी में सहयोग करने के जुर्म में दफा 120बी के तहत गिरफ्तार किया गया है।
मायके से ससुराल जा रही युवती ने जहरीला पदार्थ निगला, हालत गंभीर
डबवाली (लहू की लौ) मंगलवार को बस अड्डा पर एक युवती ने जहरीला पदार्थ निगल लिया। उपचार के लिये उसे डबवाली के सरकारी अस्पताल में दाखिल करवाया। युवती अपने पति के साथ मायके से ससुराल जा रही थी।
गांव पन्नीवाला मोटा निवासी शंकर लाल ने बताया कि उसकी शादी करीब एक माह पूर्व छत्तरगढ़ (राजस्थान) निवासी जाटी रानी के साथ हुई है। 10 दिसंबर को वह उसे लेकर छत्तरगढ़ गया था। 13 दिनों बाद आज वापिस अपने गांव लौट रहा था तो डबवाली के बस अड्डा पर उसकी पत्नी ने चिचड़ मारने की दवा निगल ली। उसके पास यह दवा कैसे आई, उसे ज्ञात नहीं। उल्टियां करने पर वह उसे अस्पताल ले आया।
गांव पन्नीवाला मोटा निवासी शंकर लाल ने बताया कि उसकी शादी करीब एक माह पूर्व छत्तरगढ़ (राजस्थान) निवासी जाटी रानी के साथ हुई है। 10 दिसंबर को वह उसे लेकर छत्तरगढ़ गया था। 13 दिनों बाद आज वापिस अपने गांव लौट रहा था तो डबवाली के बस अड्डा पर उसकी पत्नी ने चिचड़ मारने की दवा निगल ली। उसके पास यह दवा कैसे आई, उसे ज्ञात नहीं। उल्टियां करने पर वह उसे अस्पताल ले आया।
मांगेआना में शुरू हुआ दो दिवसीय फल मेला
-प्रदेश भर से 2500 किसानों ने 2230 फलों को मेले में उतारा
-फल की बनावट, रंग तथा टेस्ट के आधार पर होगा पुरस्कार का चयन
डबवाली (लहू की लौ) इंडो-इजरायल प्रोजेक्ट के तहत गांव मांगेआना में बने फल उत्कृष्टता केंद्र में दो दिवसीय फल मेला शुरू हुआ। पहले दिन करीब 2500 किसानों ने 2230 फल मेले में रखे। चौ. चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय की बारह सदस्यीय टीम बुधवार को अपना निर्णय सुनाएगी। पहले तीन स्थानों पर आने वाले किसानों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया जायेगा। पुरस्कार फल की बनावट, रंग तथा टेस्ट के आधार पर मिलेगा।
मेले का शुभारंभ उद्यान विभाग हरियाणा के महानिदेशक डॉ. अर्जुन सिंह सैनी ने किया। डॉ. सैनी द्वारा केन्द्र पर प्रदर्शन तकनीकी व फसलों का अवलोकन किया। उन्होंने उपस्थित किसानों से कहा कि इस प्रकार के मेलों से बागवानी की नवीनतम तकनीकियों की जानकारी किसानों को उपलब्ध करवाई जाती है व किसान भाईयों को बागवानी में ज्यादा से ज्यादा नई तकनीकों को अपनाना चाहिए जिससे ज्यादा पैदावार के साथ-साथ अच्छी गुणवत्ता के फल व सब्जी प्राप्त होती हैं। जिसका बाजार भाव अच्छा मिलता है। उन्होंने यह भी बताया कि फल उत्कृष्टता केन्द्र, मांगेआना, सिरसा की तर्ज पर भारतवर्ष के अन्य राज्यो में भी फल उत्कृष्टता केन्द्र स्थापित किये गये है। किसानों को उत्कृष्टता केन्द्र पर लगाई गई विभिन्न प्रकार की फसलों जैसे, नींबू वर्गीय पौधें, अनार, अमरूद, खजूर, बेर आदि को विभिन्न प्रयोगों द्वारा दिखाया गया।
स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस पर हवन यज्ञ आयोजित
डबवाली (लहू की लौ) आर्य समाज मंदिर में 23 दिसंबर, मंगलवार को स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस व डबवाली अग्निकांड के शहीदों की स्मृति में हवन यज्ञ का आयोजन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। यज्ञब्रह्मा का दायित्व भारत मित्र आर्य ने निभाया जबकि डॉ. रामफल आर्य ने मुख्य यजमान के तौर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। तदोपरांत अध्यक्ष एसके दुआ, विजय कुमार शास्त्री व डॉ. रामफल आर्य ने स्वामी श्रद्धानंद के जीवन पर प्रकाश डाला।
स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस पर हवन यज्ञ आयोजित
डबवाली (लहू की लौ) आर्य समाज मंदिर में 23 दिसंबर, मंगलवार को स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस व डबवाली अग्निकांड के शहीदों की स्मृति में हवन यज्ञ का आयोजन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। यज्ञब्रह्मा का दायित्व भारत मित्र आर्य ने निभाया जबकि डॉ. रामफल आर्य ने मुख्य यजमान के तौर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। तदोपरांत अध्यक्ष एसके दुआ, विजय कुमार शास्त्री व डॉ. रामफल आर्य ने स्वामी श्रद्धानंद के जीवन पर प्रकाश डाला।
स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस पर हवन यज्ञ आयोजित
डबवाली (लहू की लौ) आर्य समाज मंदिर में 23 दिसंबर, मंगलवार को स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस व डबवाली अग्निकांड के शहीदों की स्मृति में हवन यज्ञ का आयोजन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। यज्ञब्रह्मा का दायित्व भारत मित्र आर्य ने निभाया जबकि डॉ. रामफल आर्य ने मुख्य यजमान के तौर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। तदोपरांत अध्यक्ष एसके दुआ, विजय कुमार शास्त्री व डॉ. रामफल आर्य ने स्वामी श्रद्धानंद के जीवन पर प्रकाश डाला।
स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस पर हवन यज्ञ आयोजित
डबवाली (लहू की लौ) आर्य समाज मंदिर में 23 दिसंबर, मंगलवार को स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस व डबवाली अग्निकांड के शहीदों की स्मृति में हवन यज्ञ का आयोजन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। यज्ञब्रह्मा का दायित्व भारत मित्र आर्य ने निभाया जबकि डॉ. रामफल आर्य ने मुख्य यजमान के तौर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। तदोपरांत अध्यक्ष एसके दुआ, विजय कुमार शास्त्री व डॉ. रामफल आर्य ने स्वामी श्रद्धानंद के जीवन पर प्रकाश डाला।
स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस पर हवन यज्ञ आयोजित
डबवाली (लहू की लौ) आर्य समाज मंदिर में 23 दिसंबर, मंगलवार को स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस व डबवाली अग्निकांड के शहीदों की स्मृति में हवन यज्ञ का आयोजन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। यज्ञब्रह्मा का दायित्व भारत मित्र आर्य ने निभाया जबकि डॉ. रामफल आर्य ने मुख्य यजमान के तौर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। तदोपरांत अध्यक्ष एसके दुआ, विजय कुमार शास्त्री व डॉ. रामफल आर्य ने स्वामी श्रद्धानंद के जीवन पर प्रकाश डाला।
स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस पर हवन यज्ञ आयोजित
डबवाली (लहू की लौ) आर्य समाज मंदिर में 23 दिसंबर, मंगलवार को स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस व डबवाली अग्निकांड के शहीदों की स्मृति में हवन यज्ञ का आयोजन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। यज्ञब्रह्मा का दायित्व भारत मित्र आर्य ने निभाया जबकि डॉ. रामफल आर्य ने मुख्य यजमान के तौर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। तदोपरांत अध्यक्ष एसके दुआ, विजय कुमार शास्त्री व डॉ. रामफल आर्य ने स्वामी श्रद्धानंद के जीवन पर प्रकाश डाला।
विभिन्न बैंकों में 508 ऋण आवेदन पत्र लम्बित
सिरसा (लहू की लौ) हरियाणा अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम, सिरसा का वर्ष 2014-15 का वार्षिक लक्ष्य पूरा करवाने के लिए अतिरिक्त उपायुक्त शरणदीप कौर बराड़ की अध्यक्षता में बैंक अधिकारियों की मीटिंग ली गई। मीटिंग में निगम के लक्ष्य की प्रगति व लम्बित आवेदन पत्रों की ब्रांच वाईज समीक्षा की गई।
समीक्षा करने उपरांत पाया कि जिले में कार्यरत विभिन्न बैंकों में अनुसूचित जाति के लगभग 508 ऋण आवेदन पत्र लम्बित हैं। उन्होंने इस पर कड़ा संज्ञान लेते हुए कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के नियम अनुसार निगम द्वारा प्रायोजित आवेदन पत्रों का निपटान 15 दिन में किया जाना अति आवश्यक है, ब्रांच मैनेजरों द्वारा लम्बे समय तक आवेदन पत्रों को लम्बित रखना नियम के विरूद्ध है।
बराड़ द्वारा समीक्षा के दौरान पाया गया कि पंजाब नैशनल बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, यूको बैंक, हरियाणा ग्रामीण बैंक, ओरियन्टल बैंक ऑफ कामर्स, पंजाब एण्ड सिंध बैंक, यूनियन बैंक, सैन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, बैंक ऑफ बड़ौदा, दि सिरसा सैन्ट्रल को-ऑप्रेटिव बैंक, बैंको में लम्बे समय से आवेदन पत्र लम्बित हैं। अतिरिक्त उपायुक्त द्वारा सख्त आदेश दिये गए कि शाखा प्रबंधक अनुसूचित जाति के व्यक्ति का आवेदन पत्र रद्द करने के लिए सक्षम नहीं है। आवेदन पत्र रद्द करवाने के लिए रीजनल मैनेजर की स्वीकृति आवश्यक है।
उन्होंने महाप्रबंधक दि सिरसा को-आप्रेटिव बैंक को आदेश दिये कि उनके बैंक में सबसे अधिक 160 ऋण आवेदन पत्र लम्बित हैं। सभी ऋण आवेदन पत्रों की स्वीकृति 31 जनवरी 2015 तक करवाए व निगम का वार्षिक लक्ष्य पूरा करे। अन्य सभी बैंक अधिकारियों को निर्देश दिये कि सभी बैंक अपने लक्ष्य अनुसार स्वीकृति पत्र जारी करें।
उन्होंने कहा कि अगली मीटिंग तक कोई भी आवेदन पत्र लम्बित मत रखें व सरकार की कल्याणकारी योजना का लाभ समय पर अनुसूचित जाति के व्यक्तियों को पहुंचाने में सहयोग करें।
समीक्षा करने उपरांत पाया कि जिले में कार्यरत विभिन्न बैंकों में अनुसूचित जाति के लगभग 508 ऋण आवेदन पत्र लम्बित हैं। उन्होंने इस पर कड़ा संज्ञान लेते हुए कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के नियम अनुसार निगम द्वारा प्रायोजित आवेदन पत्रों का निपटान 15 दिन में किया जाना अति आवश्यक है, ब्रांच मैनेजरों द्वारा लम्बे समय तक आवेदन पत्रों को लम्बित रखना नियम के विरूद्ध है।
बराड़ द्वारा समीक्षा के दौरान पाया गया कि पंजाब नैशनल बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, यूको बैंक, हरियाणा ग्रामीण बैंक, ओरियन्टल बैंक ऑफ कामर्स, पंजाब एण्ड सिंध बैंक, यूनियन बैंक, सैन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, बैंक ऑफ बड़ौदा, दि सिरसा सैन्ट्रल को-ऑप्रेटिव बैंक, बैंको में लम्बे समय से आवेदन पत्र लम्बित हैं। अतिरिक्त उपायुक्त द्वारा सख्त आदेश दिये गए कि शाखा प्रबंधक अनुसूचित जाति के व्यक्ति का आवेदन पत्र रद्द करने के लिए सक्षम नहीं है। आवेदन पत्र रद्द करवाने के लिए रीजनल मैनेजर की स्वीकृति आवश्यक है।
उन्होंने महाप्रबंधक दि सिरसा को-आप्रेटिव बैंक को आदेश दिये कि उनके बैंक में सबसे अधिक 160 ऋण आवेदन पत्र लम्बित हैं। सभी ऋण आवेदन पत्रों की स्वीकृति 31 जनवरी 2015 तक करवाए व निगम का वार्षिक लक्ष्य पूरा करे। अन्य सभी बैंक अधिकारियों को निर्देश दिये कि सभी बैंक अपने लक्ष्य अनुसार स्वीकृति पत्र जारी करें।
उन्होंने कहा कि अगली मीटिंग तक कोई भी आवेदन पत्र लम्बित मत रखें व सरकार की कल्याणकारी योजना का लाभ समय पर अनुसूचित जाति के व्यक्तियों को पहुंचाने में सहयोग करें।
महाशांति यज्ञ के साथ एनएसएस कैम्प की शुरूआत
डबवाली (लहू की लौ) मंगलवार को सीएमडीएवी स्कूल के प्रांगण में महाशांति यज्ञ के साथ एनएसएस कैम्प की शुरूआत की गई। जिसमें स्कूल प्राचार्या सरिता गोयल ने मुख्य यजमान की भूमिका निभाते हुए पूर्णाहुति दी और अग्निकांड में शहीद हुई दिवंगत आत्माओं को शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। शास्त्री महेन्द्र कुमार ने पूर्ण विधिविधान से मंत्रोच्चारण करते हुए यज्ञ पूर्ण किया।
कैम्प प्रभारी शकुंतला चुघ ने बताया कि स्वयंसेवियों ने अध्यापक अजय ग्रोवर और कुलदीप सिंह की देख रेख में स्कूल प्रांगण की सफाई की और अग्निकांड स्मारक स्थल पर पहुंच कर दिवंगत आत्माओं को श्रद्धा सुमन अर्पित किये।
प्रधानाचार्या ने इससे पूर्व स्वयंसेवियों को सच्चे देश भक्त और समाज सेवी बनने का प्रण करवाया। उन्होंने कहा कि 23 दिसम्बर से 25 दिसम्बर तक विद्यालय बंद रहेगा। लेकिन एनएसएस के स्वयंसेवी अपनीे सेवाएं प्रदान करते हुए स्कूल पहुंचेंगे। उन्होंने बताया कि ग्यारहवीं से बारहवीं कक्षा का पेपर 26 तारीख को लिया जायेगा।
कैम्प प्रभारी शकुंतला चुघ ने बताया कि स्वयंसेवियों ने अध्यापक अजय ग्रोवर और कुलदीप सिंह की देख रेख में स्कूल प्रांगण की सफाई की और अग्निकांड स्मारक स्थल पर पहुंच कर दिवंगत आत्माओं को श्रद्धा सुमन अर्पित किये।
प्रधानाचार्या ने इससे पूर्व स्वयंसेवियों को सच्चे देश भक्त और समाज सेवी बनने का प्रण करवाया। उन्होंने कहा कि 23 दिसम्बर से 25 दिसम्बर तक विद्यालय बंद रहेगा। लेकिन एनएसएस के स्वयंसेवी अपनीे सेवाएं प्रदान करते हुए स्कूल पहुंचेंगे। उन्होंने बताया कि ग्यारहवीं से बारहवीं कक्षा का पेपर 26 तारीख को लिया जायेगा।
180 रक्तदानियों ने रक्तदान करके शहीदों को दी श्रद्धांजलि
डबवाली(लहू की लौ) युवा रक्तदान सोसायटी ने अग्रवाल धर्मशाला में अग्निकांड के शहीदों की स्मृति में लगाये गये रक्तदान शिविर में सर्वप्रथम संदीप चौधरी ने रक्तदान कर शिविर का शुभारंभ किया।
भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य देव कुमार शर्मा ने शिविर का उद्घाटन करते हुए कहा कि 23 दिसंबर 1995 को जो अग्निकांड डबवाली में हुआ उसकी पीड़ा आज भी कम नहीं हुई है लेकिन फिर भी हमें मिलजुल कर उस पीड़ा को भुलाकर जीवन में आगे बढऩा चाहिए।
संस्था के संस्थापक सुरेंद्र सिंगला ने बताया कि संस्था द्वारा आयोजित 96वें विशाल रक्तदान शिविर में स्वेच्छा से 180 पुरूष महिलाओं ने रक्तदान कर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस मौके पर पंजाब नैशनल बैंक के शाखा प्रबंधक परमजीत कोचर, अरोड़वंश धर्मशाला सभा के अध्यक्ष प्रेम सिंह सेठी, अंतर्राष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन के शाखाध्यक्ष प्रीतम बांसल, उद्योगपति वरूण सिंगला, युनाईटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के शाखा प्रबंधक संतोष शर्मा व डॉ. जीडी जिंदल सहित बड़ी संख्या में शहर के गणमान्य व्यक्तियों में भाजपा मंडल अध्यक्ष मनोज शर्मा, लायंस क्लब सुप्रीम के अध्यक्ष नरेश गुप्ता, सचिव दीपक सिंगला, मनोहर लाल ग्रोवर, गुरदीप कामरा, विपिन अरोड़ा, संजय कटारिया, श्री सनातन धर्म पंजाब महावीर दल के सचिव घनश्याम वेद पाठी बलजीत शर्मा,श्री गौशाला प्रबंधक कमेटी के सचिव जवाहर कामरा, संस्था की सलाहकार समिति के सदस्य दविंद्र मित्तल, राकेश गर्ग भीटीवाला, मदन लाल गुप्ता, हरदेव गोरखी, चरण कमल गोयल, केवल कृष्ण चलाना, सुनीत ग्रोवर, मास्टर नवीन नागपाल, मुरारी लाल शर्मा, राम गोपाल मित्तल, रूपिंद्र गोयल, सतीश बांसल गोगी, हरीश सचदेवा, जितेंद्र गुप्ता लवली उपस्थित थे। महाराजा अग्रसेन मेडिकल कॉलेज आग्रोहा के ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. अजय कोचर के सानिध्य में 16 सदस्यीय टीम ने रक्त प्राप्त करने का कार्य किया।
भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य देव कुमार शर्मा ने शिविर का उद्घाटन करते हुए कहा कि 23 दिसंबर 1995 को जो अग्निकांड डबवाली में हुआ उसकी पीड़ा आज भी कम नहीं हुई है लेकिन फिर भी हमें मिलजुल कर उस पीड़ा को भुलाकर जीवन में आगे बढऩा चाहिए।
संस्था के संस्थापक सुरेंद्र सिंगला ने बताया कि संस्था द्वारा आयोजित 96वें विशाल रक्तदान शिविर में स्वेच्छा से 180 पुरूष महिलाओं ने रक्तदान कर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस मौके पर पंजाब नैशनल बैंक के शाखा प्रबंधक परमजीत कोचर, अरोड़वंश धर्मशाला सभा के अध्यक्ष प्रेम सिंह सेठी, अंतर्राष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन के शाखाध्यक्ष प्रीतम बांसल, उद्योगपति वरूण सिंगला, युनाईटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के शाखा प्रबंधक संतोष शर्मा व डॉ. जीडी जिंदल सहित बड़ी संख्या में शहर के गणमान्य व्यक्तियों में भाजपा मंडल अध्यक्ष मनोज शर्मा, लायंस क्लब सुप्रीम के अध्यक्ष नरेश गुप्ता, सचिव दीपक सिंगला, मनोहर लाल ग्रोवर, गुरदीप कामरा, विपिन अरोड़ा, संजय कटारिया, श्री सनातन धर्म पंजाब महावीर दल के सचिव घनश्याम वेद पाठी बलजीत शर्मा,श्री गौशाला प्रबंधक कमेटी के सचिव जवाहर कामरा, संस्था की सलाहकार समिति के सदस्य दविंद्र मित्तल, राकेश गर्ग भीटीवाला, मदन लाल गुप्ता, हरदेव गोरखी, चरण कमल गोयल, केवल कृष्ण चलाना, सुनीत ग्रोवर, मास्टर नवीन नागपाल, मुरारी लाल शर्मा, राम गोपाल मित्तल, रूपिंद्र गोयल, सतीश बांसल गोगी, हरीश सचदेवा, जितेंद्र गुप्ता लवली उपस्थित थे। महाराजा अग्रसेन मेडिकल कॉलेज आग्रोहा के ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. अजय कोचर के सानिध्य में 16 सदस्यीय टीम ने रक्त प्राप्त करने का कार्य किया।
यूरिया पर कृषि विभाग की निगरानी
यूरिया कृषि विभाग की निगरानी में बंट रही है। मंगलवार को तीन निजी खरीद केंद्रों पर यूरिया बंटी। सभी पर एडीओ तैनात रहे। शॉर्टेज के चलते केवल हरियाणा के किसानों को यूरिया देने के लिये आईडी प्रूफ मांगा गया। एक दिन में करीब चार हजार बैग बिके। स्टॉक में मात्र चार हजार बैग हैं। अभी तक पैक्सों तक यूरिया बैग नहीं पहुंचे हैं। जिससे किसानों में रोष व्याप्त है।
शहीद का दर्जा देने में सरकार को लगे 19 बरस
एचसीएस सोमनाथ कंबोज के ससुर बोले, इस देश में शहीदों का सम्मान नहीं, अपमान होता है
डबवाली (लहू की लौ) एसडीएम सोमनाथ कंबोज मेरे दामाद थे। डबवाली अग्निकांड से ठीक तीन दिन पहले उनका तबादला गुहला चीकां के लिये हो गया था। लेकिन डीएवी स्कूल के कार्यक्रम में आ रहे एक मंत्री के लिये व्यवस्थाएं देखने के लिये वे वहीं रूक गये। कार्यक्रम के बाद उन्होंने नई जगह पदभार ग्रहण करना था। लेकिन अग्निकांड ने मेरी बेटी कमलेश रानी के संग उन्हें भी लील लिया। मेरे दामाद ने कई बच्चों की जिंदगियां बचाई। जिन राजनीतिकों के लिये डयूटी निभाते उन्होंने अपने प्राण न्यौछावर किये, वहीं राजनीतिक उनकी शहीदी भूल गये। अग्निकांड के उन्नीस वर्षों बाद सरकार ने उन्हें शहीद का दर्जा दिया। यह कहना है यमुनानगर निवासी रिटायर्ड प्रिंसीपल यशपाल सिंह का।
23 दिसंबर 1995 को एचसीएस सोमनाथ कंबोज अपनी पत्नी तथा दो बच्चों प्रखर तथा समीर के साथ कार्यक्रम में पहुंचे थे। दोपहर बाद ठीक 1 बजकर 47 मिनट पर आग ने अपना तांडव दिखाया। इससे कुछ समय पूर्व ही दोनों बच्चे ड्रेस बदलने के लिये चालक के साथ गाड़ी में चले गये थे। आग में घिरे इस एचसीएस ने कई बच्चों को दीवार से बाहर फेंका। अपने अंग रक्षक के साथ आग में से निकलकर कई बच्चों को बाहर ले आये। बाद में अपनी पत्नी तथा बच्चों को बचाते हुये वे शहीद हो गये। मां-बाप को खो देने के बाद दोनों बच्चों को उनके नाना यशपाल अपने साथ यमुनानगर ले गये। सरकारी स्कूल से बतौर प्रिंसीपल रिटायरमेंट होने के बाद दोनों की परवरिश की। पेंशन राशि से पढ़ाकर प्रखर को एमबीए करवाई। जो आज करनाल स्थित एक निजी कंपनी में कार्यरत है। जबकि समीर ने होटल मैनेजमेंट में शिक्षा प्राप्त की है।
यशपाल सिंह ने बताया कि अग्निकांड से दो दिन पूर्व वह डबवाली में अपनी बेटी के साथ था। उसके दामाद को तबादले के साथ ही पदोन्नति मिलने वाली थी। जबकि बेटी कमलेश को अध्यापक की सरकारी नौकरी। लेकिन अग्निकांड ने दोनों को एक साथ लील लिया। सोमनाथ बच्चों को बचाते हुये शहीद हुआ। लेकिन सरकार ने उसे शहीद का दर्जा देने में उन्नीस वर्ष लगा दिये। इस देश में शहीदों का सम्मान नहीं अपमान होता है। ऐसा उसे सरकारी स्तर पर पत्र व्यवहार करने पर मालूम हुआ। चूंकि समीर को थर्ड क्लास नौकरी के लिये कई आवेदन किये, लेकिन किसी ने सुनवाई तक नहीं की।
ठंडे बस्ते में आवेदन
डबवाली अग्निकांड से अब तक विभिन्न राजनीतिक दलों की सरकार आ चुकी है। लेकिन किसी ने पलटकर अग्निकांड पीडि़तों तथा उनके परिवारों की ओर नहीं देखा। भूपिंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली सरकार में सोमनाथ को शहीद का दर्जा मिलने पर समीर को थर्ड क्लास श्रेणी में सरकारी नौकरी मिलने की आस बंधी। लेकिन मौजूदा मनोहर लाल खट्टर की भाजपा सरकार ने पुरानी सरकार की कार्यवाही पर अंकुश लगाते हुये समीक्षा करने की बात कही है। जिससे उन्नीस वर्षों बाद फिर से तस्वीर धुंधली हो गई है। चूंकि एक बार फिर फाईल ठंडे बस्ते में चली गई है।
अगर अधिकारियों के साथ ऐसा होता है, तो आम के साथ कैसा होगा
रिटायर्ड प्रिंसीपल ने बताया कि अगर एचसीएस अधिकारी को शहीद का दर्जा मिलने में उन्नीस वर्ष लगते हैं। परिवार के किसी सदस्य को नौकरी नहीं मिलती। न्याय मांगने पर राजनीतिकों के आश्वासन मिलते हैं, तो फिर आम व्यक्ति के साथ कैसा होता होगा, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश तथा केंद्र में भाजपा सरकार है। अग्निकांड पीडि़तों की मदद के लिये सरकार को आगे आना चाहिये।
23 दिसंबर 1995 को डबवाली में हुये भीषण अग्निकांड में कुछ ऐसे अधिकारी थे, जिन्होंने अपनी जान पर खेलकर नन्हें बच्चों की जान बचाई। एक एचसीएस अधिकारी ऐसा था, जिन्होंने तबादला होने के बावजूद अपना फर्ज निभाया। अपने फर्ज के लिये अपने प्राण न्यौछावर कर दिये। वहीं एक अधिकारी ऐसा भी था, जिसे डबवाली में आये महज तीन दिन हुये थे। अग्निकांड में बेटी को खो देने के बाद पीजीआई चंडीगढ़ में दाखिल रहते हुये प्रत्येक दिन अग्निकांड पीडि़तों को हौंसला दिया। आज यह अधिकारी हरियाणा पुलिस में एक बहुत बड़े ओहदे पर है। डबवाली अग्निकांड की 19वीं बरसी पर ऐसे अधिकारियों का याद आना स्वाभाविक है। लेकिन उस समय के उपायुक्त एमपी बिदलान से प्रत्येक अग्निकांड पीडि़त खफा है। जिस तरीके से वे बच्चों को पैरों तले कुचलते हुये भागे थे, वह भी अभी तक अग्निकांड पीडि़तों के जेहन में है।
आईजी अनिल राव के फूलों को नहीं भूले पीडि़त
डबवाली (लहू की लौ) मैं ठीक हो गया हूं, भगवान आपको भी ठीक करेगा। ये विचार हिसार के आईजी अनिल राव के हैं। 1995 में वे बतौर डीएसपी डबवाली में नियुक्त थे। डबवाली अग्निकांड से ठीक तीन दिन पहले ही उन्होंने पदभार ग्रहण किया था। अपनी बेटी सुरभि को डीएवी स्कूल में दाखिल करवाया था। 23 दिसंबर 1995 को वह अपनी बेटी के साथ कार्यक्रम में शरीक हुये थे। कार्यक्रम में उठे आग के बवंडर ने उनकी बेटी को लील लिया। खुद भी जख्मी होकर पीजीआई चंडीगढ़ में पहुंचे। खुद जख्मी होने के बावजूद उन्होंने पीजीआई में दाखिल अग्निकांड पीडि़तों का हौंसला बढ़ाया। दिन की शुरूआत में यह जाबांज अफसर प्रत्येक अग्निकांड पीडि़त के कमरे में फूल भेजता। साथ में परिजनों के लिये एक मैसेज। खुद की बैड रेस्ट खत्म होने के बाद अनिल राव पीजीआई में प्रत्येक अग्निकांड पीडि़त से मिले। अपने हाथों से फूल देकर कहा कि जिंदगी फूलों के सामान है। हमेशा खिलखिलाते रहना चाहिये। मैं ठीक हो गया हूं, भगवान आपको भी ठीक करेगा। ये शब्द आज अग्निकांड पीडि़तों को याद हैं। अनिल राव के हौंसले की बदौलत कई अग्निकांड पीडि़त आत्मनिर्भर बने।
डीएसपी से आईजी तक का सफर
अग्निकांड के बाद उनका तबादला कर दिया गया था। वे प्रदेश में विभिन्न जगहों पर रहते हुये पदोन्नति प्राप्त करते रहे। आग का दरिया लांघकर आया यह जाबांज अधिकारी आज हिसार का आईजी है। वे जब भी डबवाली आते हैं, तो अग्निकांड स्मारक पर जाना नहीं भूलते।
डबवाली (लहू की लौ) एसडीएम सोमनाथ कंबोज मेरे दामाद थे। डबवाली अग्निकांड से ठीक तीन दिन पहले उनका तबादला गुहला चीकां के लिये हो गया था। लेकिन डीएवी स्कूल के कार्यक्रम में आ रहे एक मंत्री के लिये व्यवस्थाएं देखने के लिये वे वहीं रूक गये। कार्यक्रम के बाद उन्होंने नई जगह पदभार ग्रहण करना था। लेकिन अग्निकांड ने मेरी बेटी कमलेश रानी के संग उन्हें भी लील लिया। मेरे दामाद ने कई बच्चों की जिंदगियां बचाई। जिन राजनीतिकों के लिये डयूटी निभाते उन्होंने अपने प्राण न्यौछावर किये, वहीं राजनीतिक उनकी शहीदी भूल गये। अग्निकांड के उन्नीस वर्षों बाद सरकार ने उन्हें शहीद का दर्जा दिया। यह कहना है यमुनानगर निवासी रिटायर्ड प्रिंसीपल यशपाल सिंह का।
23 दिसंबर 1995 को एचसीएस सोमनाथ कंबोज अपनी पत्नी तथा दो बच्चों प्रखर तथा समीर के साथ कार्यक्रम में पहुंचे थे। दोपहर बाद ठीक 1 बजकर 47 मिनट पर आग ने अपना तांडव दिखाया। इससे कुछ समय पूर्व ही दोनों बच्चे ड्रेस बदलने के लिये चालक के साथ गाड़ी में चले गये थे। आग में घिरे इस एचसीएस ने कई बच्चों को दीवार से बाहर फेंका। अपने अंग रक्षक के साथ आग में से निकलकर कई बच्चों को बाहर ले आये। बाद में अपनी पत्नी तथा बच्चों को बचाते हुये वे शहीद हो गये। मां-बाप को खो देने के बाद दोनों बच्चों को उनके नाना यशपाल अपने साथ यमुनानगर ले गये। सरकारी स्कूल से बतौर प्रिंसीपल रिटायरमेंट होने के बाद दोनों की परवरिश की। पेंशन राशि से पढ़ाकर प्रखर को एमबीए करवाई। जो आज करनाल स्थित एक निजी कंपनी में कार्यरत है। जबकि समीर ने होटल मैनेजमेंट में शिक्षा प्राप्त की है।
यशपाल सिंह ने बताया कि अग्निकांड से दो दिन पूर्व वह डबवाली में अपनी बेटी के साथ था। उसके दामाद को तबादले के साथ ही पदोन्नति मिलने वाली थी। जबकि बेटी कमलेश को अध्यापक की सरकारी नौकरी। लेकिन अग्निकांड ने दोनों को एक साथ लील लिया। सोमनाथ बच्चों को बचाते हुये शहीद हुआ। लेकिन सरकार ने उसे शहीद का दर्जा देने में उन्नीस वर्ष लगा दिये। इस देश में शहीदों का सम्मान नहीं अपमान होता है। ऐसा उसे सरकारी स्तर पर पत्र व्यवहार करने पर मालूम हुआ। चूंकि समीर को थर्ड क्लास नौकरी के लिये कई आवेदन किये, लेकिन किसी ने सुनवाई तक नहीं की।
ठंडे बस्ते में आवेदन
डबवाली अग्निकांड से अब तक विभिन्न राजनीतिक दलों की सरकार आ चुकी है। लेकिन किसी ने पलटकर अग्निकांड पीडि़तों तथा उनके परिवारों की ओर नहीं देखा। भूपिंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली सरकार में सोमनाथ को शहीद का दर्जा मिलने पर समीर को थर्ड क्लास श्रेणी में सरकारी नौकरी मिलने की आस बंधी। लेकिन मौजूदा मनोहर लाल खट्टर की भाजपा सरकार ने पुरानी सरकार की कार्यवाही पर अंकुश लगाते हुये समीक्षा करने की बात कही है। जिससे उन्नीस वर्षों बाद फिर से तस्वीर धुंधली हो गई है। चूंकि एक बार फिर फाईल ठंडे बस्ते में चली गई है।
अगर अधिकारियों के साथ ऐसा होता है, तो आम के साथ कैसा होगा
रिटायर्ड प्रिंसीपल ने बताया कि अगर एचसीएस अधिकारी को शहीद का दर्जा मिलने में उन्नीस वर्ष लगते हैं। परिवार के किसी सदस्य को नौकरी नहीं मिलती। न्याय मांगने पर राजनीतिकों के आश्वासन मिलते हैं, तो फिर आम व्यक्ति के साथ कैसा होता होगा, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश तथा केंद्र में भाजपा सरकार है। अग्निकांड पीडि़तों की मदद के लिये सरकार को आगे आना चाहिये।
23 दिसंबर 1995 को डबवाली में हुये भीषण अग्निकांड में कुछ ऐसे अधिकारी थे, जिन्होंने अपनी जान पर खेलकर नन्हें बच्चों की जान बचाई। एक एचसीएस अधिकारी ऐसा था, जिन्होंने तबादला होने के बावजूद अपना फर्ज निभाया। अपने फर्ज के लिये अपने प्राण न्यौछावर कर दिये। वहीं एक अधिकारी ऐसा भी था, जिसे डबवाली में आये महज तीन दिन हुये थे। अग्निकांड में बेटी को खो देने के बाद पीजीआई चंडीगढ़ में दाखिल रहते हुये प्रत्येक दिन अग्निकांड पीडि़तों को हौंसला दिया। आज यह अधिकारी हरियाणा पुलिस में एक बहुत बड़े ओहदे पर है। डबवाली अग्निकांड की 19वीं बरसी पर ऐसे अधिकारियों का याद आना स्वाभाविक है। लेकिन उस समय के उपायुक्त एमपी बिदलान से प्रत्येक अग्निकांड पीडि़त खफा है। जिस तरीके से वे बच्चों को पैरों तले कुचलते हुये भागे थे, वह भी अभी तक अग्निकांड पीडि़तों के जेहन में है।
आईजी अनिल राव के फूलों को नहीं भूले पीडि़त
डबवाली (लहू की लौ) मैं ठीक हो गया हूं, भगवान आपको भी ठीक करेगा। ये विचार हिसार के आईजी अनिल राव के हैं। 1995 में वे बतौर डीएसपी डबवाली में नियुक्त थे। डबवाली अग्निकांड से ठीक तीन दिन पहले ही उन्होंने पदभार ग्रहण किया था। अपनी बेटी सुरभि को डीएवी स्कूल में दाखिल करवाया था। 23 दिसंबर 1995 को वह अपनी बेटी के साथ कार्यक्रम में शरीक हुये थे। कार्यक्रम में उठे आग के बवंडर ने उनकी बेटी को लील लिया। खुद भी जख्मी होकर पीजीआई चंडीगढ़ में पहुंचे। खुद जख्मी होने के बावजूद उन्होंने पीजीआई में दाखिल अग्निकांड पीडि़तों का हौंसला बढ़ाया। दिन की शुरूआत में यह जाबांज अफसर प्रत्येक अग्निकांड पीडि़त के कमरे में फूल भेजता। साथ में परिजनों के लिये एक मैसेज। खुद की बैड रेस्ट खत्म होने के बाद अनिल राव पीजीआई में प्रत्येक अग्निकांड पीडि़त से मिले। अपने हाथों से फूल देकर कहा कि जिंदगी फूलों के सामान है। हमेशा खिलखिलाते रहना चाहिये। मैं ठीक हो गया हूं, भगवान आपको भी ठीक करेगा। ये शब्द आज अग्निकांड पीडि़तों को याद हैं। अनिल राव के हौंसले की बदौलत कई अग्निकांड पीडि़त आत्मनिर्भर बने।
डीएसपी से आईजी तक का सफर
अग्निकांड के बाद उनका तबादला कर दिया गया था। वे प्रदेश में विभिन्न जगहों पर रहते हुये पदोन्नति प्राप्त करते रहे। आग का दरिया लांघकर आया यह जाबांज अधिकारी आज हिसार का आईजी है। वे जब भी डबवाली आते हैं, तो अग्निकांड स्मारक पर जाना नहीं भूलते।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ (Atom)














