23 नवंबर 2014

राजस्थान कैनाल में डूबा कैंटर, दो बाल-बाल बचे

डबवाली (लहू की लौ) शनिवार सुबह संगरिया की ओर से आया एक कैंटर गांव अबूबशहर के निकट राजस्थान कैनाल में डूब गया। कैंटर की खिड़की के शीशे तोड़कर चालक तथा परिचालक बाहर आ गये। जिन्हें ग्रामीणों ने सकुशल बाहर निकाल लिया। सरकारी एंबुलैंस ने उपचार के लिये दोनों को अस्पताल में पहुंचाया।
कैंटर चालक दुल्ला सिंह निवासी बठिंडा ने बताया कि वीरवार को कैंटर में साबुन भरकर वह परिचालक गुल्लू के साथ बीकानेर गया था। साबुन छोडऩे के बाद कैंटर लेकर शुक्रवार को वापिस बठिंडा के लिये निकल गये। शनिवार को सुबह करीब साढ़े छह बजे गांव अबूबशहर के पास उसकी आंख लग गई। इसी दौरान अनियंत्रित हुआ कैंटर राजस्थान कैनाल में गिर गया। वह कैंटर के शीशे तोड़कर छत पर चढ़ गया। फिर गुल्लू को निकाला। वे सहायता के लिये चिल्लाए।
शोर सुनकर आये ग्रामीण
राजस्थान कैनाल के निकट स्थित गौशाला की सेवा कर रहे जगदीश गोदारा तथा सुभाष देहडू आवाज सुनकर नहर पर पहुंचे। उन्होंने पड़ौस में पाईप का टुकड़ा उठाकर उसे नहर में फेंका। जिसे पकड़कर चालक तथा परिचालक बाहर आ गये। ग्रामीणों ने अलाव जलाकर दोनों को सर्दी से बचाने का प्रयास किया। मौका पर पहुंचे सरकारी एंबुलैंस चालक सतपाल ने उन्हें उपचार के लिये सरकारी अस्पताल डबवाली में पहुंचाया।

अस्पताल में फूट-फूटकर रोया दुल्ला सिंह
अस्पताल में डयूटी पर मौजूद चिकित्सक भारत भूषण ने मानवीय फर्ज निभाते हुये कांप रहे चालक तथा परिचालक को सहायता प्रदान की। लेकिन दुल्ला सिंह की आंखों में अश्रुधारा रूकने का नाम नहीं ले रही थी। वह फूट-फूटकर रोया। दुल्ला सिंह ने बताया कि उसकी भतीजी की शादी 3 दिसंबर को होनी है। उसके भाई की मृत्यु होने के कारण वह ही उसका सबकुछ है। उसने अपने मालिक को कहा था कि यह उसका आखिरी चक्कर है। आखिरी चक्कर में जान पर बन गई थी। अगर उसे कुछ हो जाता तो क्या होता? चिकित्सक सहित अस्पताल स्टॉफ ने उसके सकुशल होने का दिलासा देकर आंसू पोंछे।

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