06 सितंबर 2010

हाथ से लिखा गुरूग्रंथ साहिब

डबवाली (लहू की लौ) जब किसी व्यक्ति के सिर पर कोई धुन सवार हो जाती है, तो वह निर्धारित लक्ष्य को पूरा करके ही दम लेता है। ऐसा ही एक व्यक्ति डबवाली में है। जिसने चार वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद श्री गुरूग्रंथ साहिब को अपने हाथों से लिखकर अपने दिल में उतारा। हरियाणा में इस प्रकार का काम करने वाला यह व्यक्ति पहला शख्स है।
डबवाली में वर्कशॉप चलाने वाले गुरमीत सिंह (54) पुत्र रिछपाल सिंह ने विशेष बातचीत में बताया कि उनका परिवार प्रारंभ से ही गुरू सिक्ख परिवार है। सिक्ख धर्म में उनकी आगाध श्रद्धा है। 1947 में हुए भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान उनका परिवार पाकिस्तान के सियालकोट को छोड़कर भारत में आ गया और तभी से वे लोग डबवाली में अपना कारोबार जमाए हुए हैं। उनका परिवार नितनेमी होने के कारण उसमें भी गुरूग्रंथ साहिब के प्रति श्रद्धा जगी। उसने निश्चय किया कि वह गुरूग्रंथ साहिब को अपने हाथों से लिखेगा। भले ही इसके लिए उसे कितना ही समय क्यों न लगाना पड़े। वर्कशॉप में दिन-भर काम करने के बाद रात को जो आराम करने का समय मिलता, उसमें से उसने गुरूग्रंथ साहिब के लिए समय निकालने का निश्चय किया और हर रोज रात को 12 बजे के बाद जब वातावरण शांत हो जाता, तो वह उठता और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद वह गुरूग्रंथ साहिब को हाथ से लिखना शुरू कर देता।
इस उत्साही व्यक्ति के अनुसार उसने 1 सितंबर 2004 को श्री गुरूग्रंथ साहिब को हाथ से लिखना प्रारंभ किया। वर्ष 2008 को चार वर्षों के अंतराल के बाद उसने अपने इस कार्य को फलीभूत करने में सफलता हासिल की। उस द्वारा लिखा गया हस्तलिखित गुरूग्रंथ साहिब इन दिनों डबवाली के गुरूद्वारा श्री कलगीधर सिंह सभा में संभला हुआ है। गुरमीत सिंह के अनुसार वे बात को जगजाहिर नहीं करना चाहते थे। इसी के चलते उन्होंने दो वर्ष तक इसे सहेजे रखा। बाद में उन्होंने सिक्ख नवयुवकों के पथभ्रष्ट होने से बचाने के लिए इसे जगजाहिर किया, ताकि वे इस बात से प्रेरणा लेकर नशा आदि का त्याग करके गुरूवाले बनें।
हस्तलिखित श्री गुरूग्रंथ साहिब का साईज 17 गुणा 14 ईंच है। जिसके 1430 अंग है। प्रत्येक अंग पर 19 लाईन है और प्रत्येक लाईन में 28 शब्द हैं। उसकी इच्छा है कि उस द्वारा लिखे गए श्री गुरूग्रंथ साहिब का प्रकाश हजूर साहिब, नांदेड (महाराष्ट्र) में हो। इसके अतिरिक्त गुरमीत सिंह के अनुसार वह नित नेम, सुखमणि साहिब, 9वीं पातशाही श्री गुरू तेज बहादर की वाणी भी अपने हाथों से लिख चुका है।
गुरमीत सिंह पेंटिंग करने के शौकिन भी हैं। उनके द्वारा पेंट की गई पंज प्यारों को अमृत छकाते हुए श्री गुरू गोबिंद सिंह की फोटो नन्दगढ़ साहिब, आनंदपुर साहिब में लगी हुई है।
बकौल गुरमीत सिंह वह 17 गुणा 14 ईंच का श्री गुरूग्रंथ साहिब लिखने के बाद 27 गुणा 34 ईंच का गुरूग्रंथ साहिब लिखना चाहते हैं। वे इसे ब्रश की सहायता से लिखेंगे। इस पर जल्द ही कार्य शुरू होगा।

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