02 अगस्त 2010

लोग पलायन को मजबूर

डबवाली (लहू की लौ) बाढ़ जैसी स्थितियों से गुजर रहे हर्ष नगर के लोगों ने पानी की निकासी न होने के बाद अब यहां से पलायन करना शुरू कर दिया है। दो परिवार पलायन कर ही गए हैं और अन्य पलायन करने के लिए सामान बांध रहे हैं।
शनिवार शाम को करीब डेढ़ घण्टे तक चली मूसलाधार वर्षा से हर्ष नगर में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई थी। जिसके चलते कागज बीनने वाले लोगों की करीब सौ झुग्गी पानी में डूब गई और घरेलू सामान के साथ-साथ दो बालिकाएं इस पानी में बह भी गई थी। रविवार को दूसरे दिन भी हर्ष नगर में जमा हुए पानी की निकासी न होने के कारण इस क्षेत्र के निवासियों ने पलायन करना शुरू कर दिया है।
बरसाती पानी का शिकार हुए प्रदीप (50) ने बताया कि बरसाती पानी में उसका सबकुछ बह गया। तिनका-तिनका इक्ट्ठा कर बनाया गया उसका बसेरा भी उजड़ गया। अब उसके पास अगर रहने के लिए बचा है तो केवल नीला आसमान। वह अब सिरसा जाने को मजबूर हो रहा है। प्रदीप अपनी पत्नी रीना, बेटे निब्बड, राखी पत्नी निब्बड, दूसरे बेटे रिंकू व उसकी पत्नी नूरी के साथ घर छोडऩे को मजबूर है। वह रविवार को सिरसा की ओर रवाना हुआ। प्रदीप के अनुसार उसे उम्मीद है कि सिरसा में बसे उसके रिश्तेदार मुश्किल के इन दिनों में उसे अपने यहां पनाह देंगे।
इधर बरसाती पानी में अपना सबकुछ गंवा चुके रोशन (30) तथा उसकी पत्नी भागा देवी ने अपना सामान समेटते हुए बताया कि उनके लिए यहां कुछ भी नहीं बचा है। मेहनत करके जोड़े गए बर्तन, कपड़े व अन्य सारा सामान पानी में बह गया। अब उनके पास यहां से पलायन करने के अतिरिक्त कोई चारा नहीं है। चूंकि हर्ष नगर में बरसाती पानी भरा हुआ है।
इसी नगर के निवासी सुभाष, विनोद, सेठ कुमार, लालचन्द, सिकन्दर आदि ने बताया कि करीब पच्चीस साल पूर्व उन्होंने पांच सौ-पांच सौ रूपए देकर सरकार से प्लाट लिए थे। इतने वर्ष बीतने के बावजूद पुन: सरकार ने उनकी कोई सुध नहीं ली। मजबूरन उन्हें मूलभूत समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है। नगर में सीवरेज लाईन बिछी हुई है, लेकिन थोड़ी सी बरसात आने पर ही सीवरेज चॉक हो जाते हैं। नतीजा यह रहता है कि बरसाती पानी की निकासी न होने के कारण पानी उनके नगर में जमा हो जाता है। जिससे हर बार उन्हें नुक्सान उठाना पड़ता है। शनिवार की मूसलाधार वर्षा में उनकी झुग्गियां बह जाने के बावजूद भी कोई प्रशासनिक अधिकारी उनकी सुध लेने नहीं आया। अब उनके पास यहां से पलायन करने के अतिरिक्त कोई मार्ग शेष नहीं बचा है।
जनस्वास्थ्य विभाग के जेई सुभाष चन्द्र ने बातचीत के दौरान बताया कि डिस्पोजल चलाकर पानी निकालने का प्रयास किया गया था। लेकिन साथ लगते पंजाब के किसानों ने इस पर एतराज प्रकट किया। जिसके चलते पानी की निकासी नहीं हो पाई थी। कुछ दूरी पर अतिरिक्त खड्डा खोदा गया है। ताकि जल्द ही पानी की निकासी हो सकें।

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