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27 नवंबर 2024

ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाएं सुधारने के लिए एसडीएम अर्पित संघल का सख्त कदम

 स्कूलों से लेकर स्वास्थ्य सेवाओं का किया गहन निरीक्षण


डबवाली(लहू की लौ)ग्रामीण क्षेत्र में अच्छी सुविधाएं हों सरकारी स्कूलों में बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले साथ ही गांव कि पीएचसी में उन्हें अच्छी व्यवस्था मिले, इसी उद्देश्य को लेकर एसडीएम डबवाली अर्पित संघल ने मंगलवार को सरप्राईज विजिट की। यह सारी विजिट करीब दो घंटे चली।डबवाली एसडीएम अर्पित संघल ने मंगलवार को गांव शेरगढ़ के स्कूलों आंगनवाड़ी केंद्र से लेकर जनस्वास्थ विभाग के जल घर में विजिट कर सारी व्यवस्था जानी और कक्षा में जाकर शिक्षकों से बच्चों के बारे में पूछा।

स्कूल में मिले टूटे डेस्क

एसडीएम अर्पित संघल स्कूल में टूटे डेस्क देखकर हैरान रह गये। उन्होंने सीधा शिक्षकों से सवाल किये कि सर्दी में बच्चें क्या जमीन पर बैठेंगे। उन्हें बच्चों के बैठने की सही व्यवस्था करने के निर्देश दिये। 

स्कूल की बाऊंडरी वॉल टूटी

वही अपनी विजिट में देखा कि स्कूलज की चारदीवारी टूटी पड़ी थी। इसमें बच्चों की सुरक्षा और स्कूल की सुरक्षा पर सवाल उठा। एसडीएम ने दीवार को सही करवाने के निर्देश दिये।


आगनबाड़ी में खाया खाना

एसडीएम अर्पित संघल ने गांव शेरगढ़ की आगनबाड़ी और मिड डे मिल में बनने वाला राशन को खाकर चैक किया। जिसमें उन्होंने पंजीरी के साथ मिड-डे मिल चैक किया। साथ ही सूखा राशन चैक किया और सारे समान की  वैधता तिथि भी चैक की।


गांव की पीएचसी और जलघर का निरिक्षण

एसडीम संघल ने यहां शिक्षा व्यवस्था देखी वहीं गांव की पीएचसी और जलघर का निरिक्षण किया। इस में उन्हें दवाईयों की तिथि चैक की। साथ ही जल घर में पानी पीकर देखा। साथ ही क्लोरीनेशन भी चैक किया। जल घर के साथ की डिग्गियां भी चैक की।


मैंने आज गांव शेरगढ़ का सरप्राईज विजिट किया है।  स्कूल में तीन टीचर नदारद पाये गये। बाद में स्कूल हैड ने बताया कि वह छुट्टी पर है। स्कूल की बाऊंडरी वॉल के लिए पत्र लिखने के निर्देश दिये गये है। मैं इसी तरह स्कूलों में विजिट करता रहूंगा।      

-अर्पित संघल, एसडीएम डबवाली

06 जून 2020

नेहरू स्कूल में विश्व पर्यावरण दिवस पर ऑनलाइन पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन


डबवाली (लहू की लौ) नेहरू सीनियर सेकेंडरी स्कूल मे विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य पर बच्चों में ऑनलाइन पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन करवाया गया इस प्रतियोगिता में नेहरू सीनियर सेकेंडरी स्कूल के विभिन्न छात्र छात्राओं ने भाग लिया  प्रतियोगिता  का मुख्य विषय पर्यावरण सुरक्षा था।
इस अवसर पर नेहरू सीनियर सेकेंडरी स्कूल के निर्देशक हरि प्रकाश शर्मा ने बच्चों को प्रेरित करते हुए कहा कि पर्यावरण हमारे जीवन की एक ऐसी नींव है जो हमारे जीवन के प्रत्येक पक्ष से संबंधित है हमें हमारा पर्यावरण दूषित वस्तुओं से बचा कर रखना होगा आधुनिक युग में फैली कोरोना कि यह बीमारी भी हमारे पर्यावरण में उपस्थित विभिन्न प्राणियों के स्वास्थ्य को खराब कर रही है जिससे पूरे विश्व भर में यह विकट स्थिति उत्पन्न हो गई जिसका सामना आज पूरा विश्व कर रहा है इसीलिए हमें खुद को व अपने आसपास के पर्यावरण को साफ रख कर सहयोग देना चाहिए
 स्कूल के प्रधानाचार्य  जीवन सिंगला ने बच्चों को प्रेरित करते हुए कहा कि पर्यावरण अर्थात् परि+आवरण। हमारे आस-पास का वातावरण। अगर हमारे आसपास का वातावरण दूषित होगा इसका सबसे ज्यादा प्रभाव हमारे अपने  स्वास्थ्य पर पड़ेगा उन्होंने बच्चों को वृक्ष लगाने की सलाह दी उन्होंने वृक्षों का महत्व बताते हुए कहा कि वृक्ष हमारे जीवन की अनमोल कुंजी है यह प्रकृति का वह उपहार है जिसकी कोई कीमत नहीं है क्योंकि वृक्षों से हमें छाया, ऑक्सीजन, औषधियां आदि वस्तुएं जिन पर हमारा जीवन निर्भर करता है, मिलती हैं इसीलिए हमें अपने आसपास पर्यावरण का ध्यान रखना चाहिए। प्रतियोगिता के आयोजन मे प्राध्यापक पुनीत सिंगला व पिंकी वर्मा  की मुख्य भूमिका रही।  अध्यापकों ने बच्चों को पर्यावरण बचाने के लिये प्रेरित किया।

बाल मन्दिर स्कूल में वृक्षारोपण कर विश्व पर्यावरण दिवस मनाया

डबवाली (लहू की लौ) बाल मन्दिर स्कूल में शुक्रवार को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर अभिभावको ने वृक्षारोपण करके पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।
प्रिंसीपल सुरेन्द्र कुमार कौशिक ने विद्यालय प्रशासनिक कार्यालय में आए हुए अभिभावकों से आज वृक्षारोपण करवा कर पर्यावरण दिवस मनाया। इसके बाद बातचीत करते हुए प्रिंसीपल कौशिक ने कहा कि स्वच्छ शुद्ध, हरित पर्यावरण के लिए बाल मंदिर की अपनी अनूठी पहचान है और इसी पहचान में चार चांद लगाने के लिए विद्यालय परिसर में प्रतिवर्ष वन महोत्सव, विश्व पर्यावरण दिवस, पृथ्वी दिवस या किसी शुभावसर पर वृक्षारोपण किया जाता है और पृथ्वी एवं पर्यावरण को सुन्दर, स्वच्छ बनाए रखने में योगदान दिया जाता है। इस मौके पर अभिभावकों ने अपने वक्तव्य में कहा कि इतने विशाल परिसर को साफ सुथरा और हरा भरा बनाए रखना नि:संदेह प्रशंसनीय है।
प्रिंसीपल सुरेन्द्र कौशिक ने उपस्थित अभिभावकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि लॉकडाऊन से जो पर्यावरण में सुधार हुआ है वो पिछले 60 वर्षों में किए गए प्रयासों से भी नहीं हुआ। प्रकृति अब दूल्हन की तरह सज संवर कर सुन्दर रूप में हमारे सामने है। हमने अब अपने आचार व्यवहार से इसे दूषित और शोषित नहीं करना है। आज विश्व पर्यावरण दिवस पर शुभ संकल्प लेना चाहिए कि हम सदैव इसे स्वस्थ एवं स्वच्छ रखेंगे। पर्यावरण की सुरक्षा हमारे जीवन की सुरक्षा है।

05 जून 2020

हाई कोर्ट ने निजी स्कूल एसोसिएशन और सरकार को किया नोटिस, 15 जून तक देना होगा जवाब

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन द्वारा फीस बढ़ोतरी मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने लिया संज्ञान
चंडीगढ़ (लहू की लौ) गए थे नमाज पढऩे रोजे गले पड़ गए। कुछ इसी तरह का वाक्या प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के साथ वीरवार को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में हुआ। प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने कोरोना संक्रमण काल में चल रहे लाकडाउन के दौरान फी
स वसूली और नए सत्र से फीस बढ़ोतरी मामले को लेकर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की शरण ली थी। इसी मामले में स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार भी अधिवक्ता अभिनव अग्रवाल के माध्यम से बच्चों के अभिभावकों का पक्षकार बन गए। वीरवार को मामले में पहली सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन की तरफ से अधिवक्ता अभिनव अग्रवाल ने माननीय हाईकोर्ट के न्यायाधीश राजमोहन के समक्ष हरियाणा एजुकेशन एक्ट 1995 के सेक्शन चैप्टर छह के सेक्शन 17(5) की विस्तृत चर्चा की और बताया कि प्रत्येक निजी स्कूल को हर साल ऑडिट बैलेंस सीट निदेशालय के समक्ष जमा कराने के आदेश दिए हुए हैं। संगठन ने शिक्षा निदेशालय को इस संबंध में एक शिकायत दी थी। जिस पर शिक्षा निदेशालय ने 18 दिसंबर 2019 को प्रदेश के सभी निजी स्कूलों को क्षेत्रीय कार्यालयों में अपने स्कूल की ऑडिट बैलेंस सीट 31 दिसंबर तक जमा कराने के आदेश दिए थे। इन आदेशों में निदेशालय ने यह भी स्पष्ट किया था कि निर्धारित अवधि में ऑडिट बैलेंस सीट जमा नहीं कराने पर फार्म छह अधूरा माना जाएगा। संगठन की तरफ से यह बात भी कोर्ट के समक्ष रखी गई कि अधिकांश निजी स्कूलों ने ऑडिट बैलेंस सीट शिक्षा निदेशालय के समक्ष जमा नहीं कराई है। इसी वजह से उनका फार्म छह भी अधूरा पड़ा है।
वहीं प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की पैरवी कर रहे अधिवक्ताओं की तरफ से भी कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि ये मसला सरकार और निजी स्कूलों के बीच का है, इसमें संगठन का कोई लेना देना नहीं है। निजी स्कूल एसोसिएशन ने बच्चों की फीस बढ़ोतरी करने व लाकडाउन अवधि के दौरान अभिभावकों से फीस लेने संबंधी बातें भी रखी। प्राइवेट स्कूलों की मांग थी कि फार्म नंबर छह के अनुसार बच्चों से फीस लेने की अनुमति दी जाए और सरकार ने जो आदेश किए हैं, उन्हें स्थगित कराया जाए। न्यायाधीश राजमोहन ने मामले की सुनवाई करते हुए स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन द्वारा ऑडिट बैलेंस सीट संबंधी एक्ट का हवाला देते हुए इसकी अनुपालना नहीं करने अनुरोध पर हरियाणा सरकार और प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन को नोटिस जारी करते हुए 15 जून तक जवाब तलब किया है। हाई कोर्ट के कड़े रुख के बाद निजी स्कूल एसोसिएशन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। वहीं इस मसले में अब तक शिक्षा निदेशालय में ऑडिट बैंलेंस सीट जमा कराने से बचने वाले स्कूलों पर भी कार्रवाई की तलवार लटकना तय है। 

04 जून 2020

अब देशभर में जिला, राज्य और नेशनल स्तर पर स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया नहीं करा सकेगी स्कूली खेलों का आयोजन

अब निजी स्कूल बच्चों से नहीं ले सकेंगे खेल फंड की राशि, शिक्षा विभाग में निजी स्कूलों को भी नहीं जमा कराना होगा स्पोर्टस फंड
चंडीगढ़ (लहू की लौ) अब देशभर में जिला, राज्य और नेशनल स्तर पर स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया
(एसजीएफआई) स्कूली खेलों का आयोजन नहीं करा सकेगी। देशभर में आयोजित होने वाली स्कूली खेल स्पर्धाओं से लाखों रुपए के हेरफेर होने व खराब संचालन के चलते इसे खेल मंत्रालय ने अपनी मान्यता सूची में शामिल नहीं किया है। यही वजह है कि अब देश भर में स्कूली खेलों का आयोजन एसजीएफआई नहीं करा सकेगी।
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि भारतीय खेल मंत्रालय की तरफ से देशभर में नेशनल खेल फेडरेशनों को विभिन्न खेलों के आयोजन की मान्यता दी जाती है। एसजीएफआई अलग अलग राज्यों में स्कूली शिक्षा विभाग और फिर जिला स्तर पर जिला शिक्षा अधिकारी व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी की अगुवाई में खेलों का आयोजन कराती है। इसके लिए शिक्षा निदेशालय साल भर की खेल गतिविधियों का खेल कलेंडर भी जारी करता है। बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि कक्षा छठी से लेकर बारहवीं तक स्कूलों में प्रत्येक बच्चे लगभग 27 रुपये खेल फंड की राशि भी वसूल की जा रही है। इसी वजह से प्रत्येक निजी स्कूल शिक्षा विभाग में हजारों रुपयों का स्पोर्टस फंड जमा कराता है। प्रत्येक जिले में सैंकड़ों निजी स्कूल हैं और इस लिहाज से लाखों रुपयों का स्पोर्टस फंड जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में इक_ा हो जाता है। इसके अलावा शिक्षा निदेशालय भी जिला शिक्षा अधिकारी व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय को खेलों के नाम पर लाखों रुपयों की ग्रांट भेजता रहता है। अब खेल मंत्रालय स्कूली खेलों के आयोजन के लिए नई व्यवस्था पर मंथन करने में जुटा है।
बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि अब से स्कूली खेलों के आयोजन में किसी भी बच्चे को खेल फंड की राशि नहीं देनी होगी वहीं निजी स्कूल भी शिक्षा विभाग को स्पोर्टस फंड के नाम पर कोई शुल्क नहीं देगा।

डीईओ व डीईईओ की खेल शक्तियां छीनी, स्पोर्टस ग्रेडेशन का भी नहीं मिलेगा लाभ
खेल मंत्रालय ने स्कूली खेलों के आयोजन में एसजीएफआई को अपनी मान्यता सूची में शामिल नहीं किए जाने के बाद से हजारों खिलाडिय़ों का भविष्य भी दाव पर लग गया। एसजीएफआई द्वारा जारी किए गए खेल प्रमाण पत्रों के आधार पर नेशनल स्तर के खिलाडिय़ों को स्पोर्टस ग्रेडेशन, सालाना स्कॉलरशीप, खेल कोटा और रेलवे की सुविधाओं के साथ सरकारी नौकरी का कोई लाभ नहीं मिलेगा। अधिकांश प्रमाण पत्रों पर जिला शिक्षा अधिकारी के हस्ताक्षर होते हैं। इसके बाद खेल विभाग के अधिकारियों के भी हस्ताक्षर इन प्रमाण पत्रों पर होते हैं। जिनसे इन प्रमाण पत्रों की प्रमाणिकता पर बहुत बड़ा सवाल उठेगा।

52 नेशनल स्कूली स्पर्धाएं चैम्पियनशीप हुई रदद
एसजीएफआई की वेबसाइट पर खेल मंत्रालय द्वारा मान्यता रदद करने के आदेशों के कारण 52 नेशनल स्कूली खेल चैम्पियनशिप रदद करने का नोटिस लगा दिया है। इन खेल स्पर्धाओं में कक्षा तीसरी से बारहवीं तक के खिलाड़ी भाग लेते हैं। जिनकी स्पर्धाआएं जून और जुलाई माह में आयोजित की जानी थी। लेकिन अब इन खेलों को रद्द करने का नोटिस लगाने के बाद खेलों की तैयारियों में जुटे खिलाडिय़ों के भविष्य पर ही दाव पर लग गया है।