19 जून 2020

मृत पशुओं के निस्तारण के लिए आगे आई हरियाणा सरकार, जिला स्तर पर बनाएगी बिजली संचालित भट्ठियां

राजस्थान की तर्ज पर हरियाणा में लागू होगा प्रॉजेक्ट, विकास एवं पंचायत विभाग के मुख्य सचिव ने जारी किए आदेश
डबवाली निवासी विनोद बांसल ने 8 मई 2020 को मुख्यमंत्री के आगे उठाया था मुद्दा, सरकार ने उनके सुझाव पर कार्य शुरु किया
डबवाली (लहू की लौ) मृत गौधन के निस्तारण के लिए हरियाणा में जिला स्तर पर बिजली से परिचालन होने वाली भट्ठियां लगाई जाएंगी। वाहनों के जरिए मृत पशुओं को भट्ठियां तक लेजाया जाएगा। यह कार्य जिला परिषद के तहत होगा। सूचना के लिए मोबाइल या फिर लैंडलाइन नंबर सार्वजनिक होगा। ताकि लोग मृत पशुओं के बारे में सूचित कर सकें। विकास एवं पंचायत विभाग हरियाणा के मुख्य सचिव ने उपरोक्त योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए जिला परिषद के सीइओ को आदेश जारी कर दिए हैं। पड़ौसी सूबे राजस्थान की तर्ज पर शुरु होने वाले इस प्रॉजेक्ट से प्रदेश की गौशाला या नंदीशाला को सीधा लाभ होगा। चूंकि मृत पशुओं का निस्तारण इनके लिए सबसे बड़ी समस्या है।
सीएम ने किया समस्या का समाधान
8 मई 2020 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने वीसी के जरिए गौशाला तथा नंदीशाला प्रबंधकों के साथ बैठक की थी। डबवाली नंदीशाला के अध्यक्ष विनोद बांसल ने मृत पशुओं के निस्तारण के लिए आ रही समस्या उठाई थी। सरकार को सुझाव दिया था कि उपमंडल स्तर पर बिजली या गैस से परिचालन होने वाली भट्ठियां लगाई जाएं। प्रत्येक उपमंडल पर दो वाहन उपलब्ध करवाए जाएं, ताकि मृत गौधन को भट्ठी तक पहुंचाया जा सकें। जिस पर सीएम ने सकारात्मक रवैया अपनाया था।
इस संबंध में विचार करने का भरोसा दिलाया था। बांसल के सुझाव पर अमल करते हुए हरियाणा सरकार ने यह व्यवस्था जिला परिषद के जरिए जिला मुख्यालयों पर लागू करने के आदेश पारित कर दिए हैं।

8 से 10 करोड़ होंगे खर्च
राजस्थान के जोधपुर तथा जयपुर में बने प्रॉजेक्ट का अध्ययन करने के बाद सरकार को सुझाव देने वाले विनोद बांसल ने बताया कि बिजली संचालित भट्ठियों के लिए 3 एकड़ जमीन की आवश्यकता होती है। 60 गुणा 220 फीट के तीन शैड के साथ-साथ बिजली, पानी का प्रबंध करना होता है। पूरे प्रॉजेक्ट पर करीब 8 से 10 करोड़ रुपये का खर्च आता है। अगर इसे पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीटी) पर शुरु किया जाए तो यह प्रॉजेक्ट बहुत अच्छा चल सकता है। एक समय में करीब 75 से 100 पशुओं का निस्तारण हो सकता है।

साइंटिफिक है भट्ठियों से निस्तारण
सरकार को सुझाव इसलिए पसंद आया कि इसके पीछे साइंटिफिक वजह है। बताया जाता है कि भट्ठियों में लेजाकर पशु की खाल उतारी जाएगी। ऑटोमेटिक कटर से शरीर कटने के बाद बॉयलर में लेजाया जाएगा। जलने के बाद बोन मेटीरियल फिश या मुर्गी फीड बनाने में काम आएगा। बताया जाता है कि फिश या मुर्गी फीड बनाने वाली कई कंपनियां इस प्रॉजेक्ट में दिलचस्पी दिखा रही हैं।

गौवंश गौशाला सेवा संघ ने सराहा
गौशाला हो या फिर नंदीशाला गर्मी या सर्दी के प्रभाव से पशुओं की मौत होना स्वाभाविक है। हर रोज काफी पशुओं की मौत हो जाती है। हम सरकार से लगातार इसके निस्तारण की मांग कर रहे थे। चूंकि प्रदूषण के कारण शहर या फिर गांव में हड्डारोडी खत्म हो रही हैं। सरकार ने निस्तारण का प्रॉजेक्ट बनाया है, वो बहुत अच्छा है। सरकार को बिना देरी प्रॉजेक्ट पर कार्य शुरु कर देना चाहिए।
-योगेश बिश्नोई, वरिष्ठ उपप्रधान गौवंश गौशाला सेवा संघ हरियाणा

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