14 जून 2020

विश्व रक्तदाता दिवस विशेष


रक्तदान के प्रेमी हैं रामधन, 127 बार कर चुके हैं रक्तदान
जेबीटी नवीन नागपाल 87 तथा 77 बार रक्तदान कर चुके हैं डॉ. राजकपूर गर्ग




डबवाली(लहू की लौ) स्वेच्छिक रक्तदान की बात करें तो रोहतक के बाद सिरसा जिला प्रदेश में दूसरे स्थान पर है। अकेले डबवाली में हर वर्ष 10 हजार यूनिट रक्तदान होता है। ऐसे रक्तदाताओं में से एक है रामधन। इस इंसान को रक्तदान प्रेमी कहा जाए तो कोई अचरज नहीं होना चाहिए। डबवाली के गांव रामपुरा बिश्नोइयां का रहने वाला यह 58 वर्षीय इंसान 127 बार रक्तदान कर चुका है। खास बात यह है कि इनका ब्लड ग्रुप रेयर है। पेशे से ऑटो चालक यह इंसान रेयर ब्लड ग्रुप बी नेगेटिव होने के बावजूद 60 किलोमीटर के दायरे में रक्तदान करने पहुंच जाता है। रामधन ने वर्ष 1991 में रक्तदान की शुरुआत की थी। उन दिनों वह हनुमानगढ़ जंक्शन गया हुआ था। एक निजी अस्पताल में रक्त के अभाव में तड़प रही महिला को देखकर उसे रहा नहीं गया। चिकित्सक की प्रेरणा के बाद रामधन ने रक्तदान किया। महिला की जान बच गई। अब तक वह सिरसा, लुधियाना, चंडीगढ़, बीकानेर, जयपुर, हनुमानगढ़ के साथ-साथ इलाके में आयोजित होने वाले रक्तदान शिविर में 127 बार रक्तदान कर चुका है। यह शख्स युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गया है। उसे रक्तदान करते देख रामपुरा बिश्नोईयां, रामगढ़, गोरीवाला, गंगा, झुट्टीखेड़ा के युवा रक्तदान करने लगे हैं।

रामधन की तरह उसका ऑटो भी रक्तदान के लिए प्रेरित करता है। कई तरह के स्लोगन उसने अपनी ऑटो पर लिखवाए हुए हैं। ऑटो में बैठी सवारी को बातों-बातों में वह रक्तदान करने का आह्वान करता है। इस ऑटो चालक का सीधा सा फार्मूला है कि एक व्यक्ति को रक्तदान के लिए कहोगे, वह अपने पूरे परिवार को रक्तदान के लिए कहेगा। परिवार में एक भी सदस्य जागरूक हो गया, तो पूरा परिवार रक्तदानी बन जाएगी।

रक्त से बची थी जान, अब बचा रहे दूसरों की जान
डबवाली निवासी नवीन नागपाल 87 बार रक्तदान कर चुके हैं। वे पेशे से जेबीटी हैं। उनके रक्तदाता बनने की कहानी दिलचस्प है। उनका जन्म वर्ष 1973 को फिरोजपुर (पंजाब) में हुआ था। अगर समय पर रक्त न मिलता तो जच्चे-बच्चे में से किसी की जान जा सकती थी। जब नवीन करीब 22 साल के हुए तो उनकी मां राज रानी ने इस बात का खुलासा किया। उन्होंने रक्तदान करना शुरु किया। करीब 47 वर्ष के नवीन अब तक 87 बार रक्तदान कर अजनबियों से खून का रिश्ता जोड चुके हैं। उनके वाहन पर ब्लड डोनर लिखा हुआ है, साथ ही रक्तदान का डिजिट। हर तीन माह बाद वे रक्तदान करते हैं तो डिजिट बदल जाता है। नवीन नागपाल के अनुसार, आज तक उन्हें किसी तरह की कमजोर महसूस नहीं हुई। बल्कि फायदा हुआ है, आज तक कभी बीमारी ने घर नहीं किया।

उम्र 68 साल, फिर भी रक्तदान का जज्बा बरकरार
डबवाली निवासी डॉ. राजकपूर गर्ग करीब 68 वर्ष के हो चुके हैं। वे 77 बार रक्तदान कर चुके हैं। नियमानुसार वे रक्तदान नहीं कर सकते, लेकिन उनकी इच्छा है कि मरते दम तक रक्तदान करुं। डॉ. राजकपूर गर्ग ने बताया कि 1972 में मेडिकल कॉलेज रोहतक में बी फार्मेसी के दौरान जागरुक होकर पहली बार रक्तदान किया था। तब ऐसा लगा था कि जान निकल गई है। रिफ्रेशमेंट के बाद बाजार में बहुत कुछ खाया। कुछ दिनों बाद शरीर हलका-फुलका तथा एनर्जी से भरा लगा। तब से ऐसी लगन लगी कि अब यहां भी रक्तदान कैंप लगता है तो खून देने पहुंच जाते हैं। आज तक कभी भी शरीर में तकलीफ महसूस नहीं हुई।

सिरसा जिला में सर्वाधिक समय रक्तदान करने वालों में रामधन प्रेमी, नवीन नागपाल तथा डॉ. राजकपूर गर्ग आदि 8-10 लोगों का नाम सूची में शामिल है। ये ऐसे रक्तदाता है, जो युवाओं को रक्तदान के प्रति जागरुक करते हैं।
-अश्विनी शर्मा, कार्यक्रम अधिकारी, जिला रेडक्रॉस सोसायटी सिरसा

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