25 नवंबर 2014

शेक्सपियर : फादर ऑफ कंपोजिट थियेटर की धूम

कुछ ही दिनों में 120 देशों में पहुंची एसएम देवगण की पुस्तक

डबवाली (लहू की लौ) 65 वर्षीय भारतीय की अंग्रेज नाटककार पर लिखी पुस्तक को विश्व में वर्ष 2014 की सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों में स्थान मिला है। शेक्सपियर : फादर ऑफ कंपोजिट थियेटर नाम की यह पुस्तक विश्वभर में सराही जा रही है। पुस्तक का प्रकाशन लंदन की एक निजी कंपनी ने किया है। चार भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी यह पुस्तक अब तक विश्व के 120 देशों में पहुंच चुकी है।
क्या है पुस्तक में
इस पुस्तक को मंडी किलियांवाली निवासी डॉ. एसएम देवगण ने लिखा है। लेखक ने अपनी पुस्तक में करीब चार सौ साल पहले के अंग्रेजी नाटककार शेक्सपियर के लिखे नाटकों की तुलना भारतीय नाट्य शास्त्र, ग्रीक थियेटर, रशिया के पियोर थियेटर तथा जापान के कंबोकी जैसे थियेटर से की है। लेखक ने अपनी किताब में लिखा है कि जो नाटक आज से चार शताब्दी पूर्व लिखे गये थे, आज भी विश्व में मंचित होने वाले नाटकों पर उनका गहरा प्रभाव है। शेक्सपियर के नाटक मन, दिमाग पर असर करके व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले होते थे। आज भी नाटक उसी पद्धति पर चल रहे हैं। नाटक मनुष्य की मानसिकता में परिवर्तन करने का दम रखते हैं।
2002 में लिखी थी पुस्तक
इस संवाददाता से बातचीत करते हुये एसएम देवगण ने कहा कि शेक्सपियर पर उपरोक्त पुस्तक उन्होंने वर्ष 2002 में लिखी थी। लंबे समय के बाद उनके बेटे तिपेशवर ने पुस्तक की रूपरेखा को लंदन की एक पुस्तक प्रकाशन कंपनी के पास भेजा। पुस्तक की समरी लेने के बाद कंपनी ने पुस्तक को मंगवा लिया। प्रकाशन के बाद इसको विश्वभर में रिलीज किया है। उनकी पुस्तक का प्रकाशन लंदन, भारत, अमेरिका तथा कनाडा में अलग-अलग भाषाओं में किया जा चुका है। विश्व भर में जितनी पुस्तकें बिकेंगी उनका 25 प्रतिशत हिस्सा कंपनी उसे देगी।
यूं प्राप्त किया ज्ञान
पढ़ाने के साथ-साथ लेखक खुद भी पढ़ते रहे हैं। पढ़ाने के साथ-साथ देवगण ने बीएड, एमएड, पीएचडी के साथ-साथ लॉ की डिग्री प्राप्त की। पीएचडी के दौरान ही उन्हें स्टेज क्राफ्ट ऑफ शेक्सिपयर विषय पर शोध करने का मौका मिला। इस दौरान वे नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, नई दिल्ली के साथ-साथ बनारस तथा सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ बॉम्बे में गये। भारतीय नाटक शैली के साथ विश्व भर में प्रचलित अन्य शैलियों के अध्ययन करने का मौका मिला। जिसके बाद उन्होंने उपरोक्त विषय पर किताब लिखी।

पिता की कहानी ने दी मंजिल
विभाजन के समय लाहौर के गांव लक्खो को छोड़कर डॉ. एसएम देवगण का परिवार भारत में बसा था। उनके पिता हरबंस लाल पंजाब पुलिस में इंस्पेक्टर थे। उनके पिता को किताबें पढऩे का शौंक था। पिता से कहानी या कविता सुने बिना नींद नहीं आती थी। पिता से मिली किताबें पढऩे की आदत ने देवगण को विश्व भर में ख्याति दी है।


नाम : सुरिंद्र मोहन देवगण
(एसएम देवगण)
जन्म : 3 अप्रैल 1949
स्थान : जीरा (फिरोजपुर)
परिचय : राजकीय हाई स्कूल में मेट्रिक करने के बाद मोगा स्थित डीएम कॉलेज में बीए ऑनर की। पंजाब यूनिवर्सिटी कैंपस चंडीगढ़ से एमए (अंग्रेजी) की। इसके साथ ही खालसा कॉलेज अमृतसर में लेक्चरशिप ली। करीब 11 साल बीताने के बाद उन्होंने डीएवी कॉलेज जलालाबाद में वाईस प्रिंसीपल के रूप में नौकरी की। चार साल रहने के बाद डीएवी कॉलेज के शताब्दी समारोह में सीनियर लेक्चरर को प्रिंसीपल बना दिया गया। जिसके आधार पर वे पहली बार कल्याण (मुंबई) में डीएवी पब्लिक स्कूल के बतौर प्रिंसीपल नियुक्त हुये। इसके साथ ही वे गुजरात तथा महराष्ट्र स्थित डीएवी स्कूलों के डिप्टी रीजनल डायरेक्टर बनाये गये। बाद में पटियाला स्थित डीएवी संस्थान में नौकरी की। इसके बाद मंडी किलियांवाली स्थित बाल मंदिर स्कूल में प्रिंसीपल के रूप में करीब छह साल बिताये। प्रिंसीपल के रूप में मंडी किलियांवाली आने के बाद वे यहीं पर रहकर यहीं के हो गये।


सोशल साईंटस पर 40 लाख लोगों ने सराहा

सपोंसर कर रही कंपनी ने देवगण की किताब को सोशल नेटवर्किंग साईटस पर भी बिक्री के लिये उतारा है। ब्रीफ में दिये किताब के आंकलन पर विश्वभर में तेजी से लाईक किये जा रहे हैं। अब तक करीब 40 लाख लोगों ने लाईक किया है। देवगण के अनुसार दुनिया के 120 मुल्कों में किताब की बिक्री से होने वाली आमदन का 25 प्रतिशत हिस्सा उन्हें मिला। हालांकि किताब संबंधी बिक्री का पूरा कंट्रोल विश्व स्तरीय कंपनी के हाथों में है।

शेक्सपियर ने लिखे थे 38 नाटक

एसएम देवगण के अनुसार शेक्सपियर विश्व के सबसे बड़े नाटककार हुये हैं। अपनी जिंदगी में उन्होंने 38 नाटक लिखे। जोकि हास्यरस, दुखांत तथा इतिहास पर आधारित हैं। इन नाटकों में 154 गीत भी शामिल हैं।


अंतर्राष्ट्रीय मार्किट में किताब की कीमत

लंदन 8 पाऊं

भारत 849/- (बाऊंड)
377/- (पेपर बाऊंड)
अमेरिका 18 डॉलर
कनाडा 16 डॉलर

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