21 अप्रैल 2011

कहीं कर्मचारियों की कमी, कहीं कर्मचारी गायब


डाकघर बंद होने के कगार पर                                                                                                                   डबवाली (लहू की लौ) फिरंगियों के जमाने का बना डाकघर अब कर्मचारियों की कमी के चलते बंद होने की कगार पर है। दो कर्मचारियों के कंधों पर यह डाकघर रिसक-रिसक कर चल रहा है। कर्मचारियों के टोटे के चलते लोगों को अपना काम निपटाने के लिए घंटों खड़ा रहना पड़ता है।
भारत पर फिरंगियों की दास्तां के समय साल 1917 में डबवाली में डाकघर का निर्माण हुआ था। इसके बाद से यह डाकघर अब चौदह ग्रामीण शाखाओं को संभालने लगा है। लेकिन विडंबना यह है कि उपमंडल स्तर का डाकघर होने के बावजूद भी डाकघर में कार्य के लिए पर्याप्त कर्मचारी न होने से इस डाकघर की दशा दिनों-दिन बिगड़ रही है।
वर्तमान सबपोस्ट मास्टर लोकेश कुमार को इस समय अपने सब पोस्ट मास्टर के दायित्व के साथ-साथ कोषाध्यक्ष सेविंग लिपिक का कार्य करना पड़ रहा है। जबकि काऊंटर पर डेढ़ माह का अनुभव रखने वाले प्रवीण कुमार को नियुक्त किया हुआ है। इसके साथ-साथ ही सेवानिवृत्त डाक बाबू धुलीचंद को नियुक्त किया हुआ है। हालांकि इन दोनों की नियुक्ति काऊंटर पर न किए जाने का प्रावधान है। लेकिन मजबूरी के चलते इन्हें यह काम सौंप रखा है।
डाकघर में 31 मार्च से पूर्व कुल चार कर्मचारी थे। जिसमें से 31 मार्च को सब पोस्टमास्टर मेजर सिंह गिल सेवानिवृत्त हो गए और उनके स्थान पर रामनारायण बांसल को सबपोस्ट मास्टर नियुक्त कर दिया गया और डाकघर में भी काम करने के लिए मात्र तीन कर्मचारी रह गए। आज ही रामनारायण बांसल को भी गोरीवाला में स्थानांतरित करने के आदेश स्थानीय डाकघर में पहुंचे। जबकि रामनारायण बांसल मेडिकल लीव पर हैं और उनके स्थान पर किसी भी प्रतिनियुक्ति डबवाली डाकघर में नहीं की गई है। अब स्थिति यह है कि मात्र दो ही कर्मचारी पूरे डाकघर को संभालने के लिए रह गए हैं। हालांकि इस डाकघर के अंतर्गत 14 ग्रामीण डाकघर भी आते हैं।
वर्तमान सबपोस्ट मास्टर लोकश कुमार बारह वर्ष से डाक सेवा में है। लेकिन सबपोस्ट मास्टर की सीट पर डाकघर नियमों के अनुसार 20 वर्ष के अनुभवी को ही बनाया जा सकता है। इसी डाकघर में सबपोस्टर मास्टर पर रहे पीडी शर्मा ने भी पुष्टि की।
सब पोस्टमास्टर लोकेश कुमार के अनुसार इस डाकघर में प्रतिदिन 10 लाख रूपए की ट्रांजेक्शन होती है। लेकिन उनके अकेले के रहते इतनी ट्रांजेक्शन को संभालना उसके लिए मुश्किल है। नियमानुसार डाकघर में एक सब पोस्टमास्टर और सात बाबूओं की नियुक्ति होनी जरूरी है। लेकिन यहां पर केवल एक सब पोस्टमास्टर और एक बाबू ही कार्यरत है। जबकि एसबीआरडी, टीडी, एमआईएस, एनएससी, केपी, सीनियर सिटीजन तथा नरेगा से संबंधित काम भी उन्हें ही करने पड़ते हैं। इसके साथ-साथ चौदह ग्रामीण डाकघरों से डिलिंग का दायित्व भी उन पर है। यहां तक पोस्टमैन की बात है, डबवाली डाकघर में पहले छह पोस्टमैन थे, लेकिन अब चार रह गए हैं। हालांकि नगर की आबादी बड़ी है, काम भी बढ़ा है। परिणामस्वरूप दो पोस्टमैन को ओवर टाईम देना पड़ रहा है। अगर दो पोस्टमैन नियुक्त कर दिए जाएं तो डाक बांटने का काम जल्दी निबट सकता है और डाकघर की साख बनी रह सकती है।
मौका पर उपस्थित डाकघर प्रतिनिधि उषा रानी और सुभाष पप्पू ने बताया कि डाकघर में कर्मचारियों के अभाव के चलते उन्हें भी अपने काम निपटाने में घंटों इंतजार करनी पड़ रही है।
भारतीय डाक सेवा हिसार डिविजन के अधीक्षक साधु राम शर्मा के अनुसार सरकार के नियमानुसार डबवाली डाकघर में सभी पद पूरे हैं। 31 मार्च को सब पोस्ट मास्टर मेजर सिंह गिल सेवानिवृत्त हुए हैं। उनकी जगह भरने के लिए प्रक्रिया शुरू है।                                                                                                                                      डबवाली (लहू की लौ) डबवाली का सहकारी समितियां विभाग लालफीताशाही का शिकार है। उपमंडल मेें सहकारी समितियों के आडिट और उनकी शिकायतों की जांच का जिम्मा इस विभाग पर है, लेकिन दूसरों रिकार्ड खंगालने में माहिर इस विभाग का खुद का रिकार्ड कितना दुरुस्त है, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि विभाग में ड्यूटी पर तैनात 8 अधिकारियों और कर्मचरियों में से 5 छुट्टी पर थे, और ड्यूटी पर तैनात 3 कर्मचारी किसी मामले की जांच पर गौरीवाला पेक्स में गये हुए थे। इसके उपरांत विरान पड़े कार्यालय में खाली पड़ी कुर्सियां अपने अधिकारियों की बाट जोह रही थी। विभाग कार्यालय में डेपूटेशन पर तैनात चपरासी कांशी राम ही आने जाने वालों को फिर आने का आग्रह कर रहा था।
विभाग में अधिकारियों की कर्तव्य परायणता इतनी है कि एक निरीक्षक, मुख्य लिपिक और लिपिक छुट्टी पर है, तो एक महिला लिपिक बीमारी की लंबी छुट्टी पर है। वहीं एक अन्य लिपिक कृष्ण लाल का कोई अता पता नहीं है। वे पिछले कई दिन से बिना कारण बताए कार्यालय ही नहीं पहुंचे है। अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी भी विभाग के कार्य को प्रभावित कर रही है। सहकारी समितियां विभाग का ए. आर ओ का पद पिछले काफी समय से रिक्त पड़ा है और इसका अतिरिक्त प्रभार सिरसा के ए.आर.ओ. श्योकरण के पास है। विभाग के आठ उपनिरीक्षक चार चपरासी तथा 1 लिपिक के पद रिक्त पड़े है।
 विभाग के स्टेनो बुधराम से इस संदर्भ में संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि वे निरीक्षक जय भगवान और लिपिक बहादुर सिंह के साथ एक मामले की जांच को लेकर गोरीवाला गए हुए थे। विभाग कार्यालय में सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की अनुपस्थिति के संदर्भ में उन्होंने कहा कि उनके कार्यालय का जनता से सीधा संपर्क नहीं है इस कारण कर्मचारी या अधिकारी कार्यालय में उपस्थित हो या न हो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
 विभाग के एआरओ श्योकरण से बात की गई तो उन्होंने कार्यालय में कर्मचारियों की अनुपस्थिति को गंभीर बात बताते हुए कहा कि वे इस मामले की जांच करेंगे और दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही होगी।कर्मचारियों की डयूटी का रिपोर्ट कार्ड ये है
1. ए.आर.ओ.- श्योकरण- अतिरिक्त प्रभार सिरसा ड्यूटी पर
2. निरीक्षक - जय भगवान- जांच के लिए गोरीवाला रवाना
3. निरीक्षक-आशीष विश्नोई-छुट्टी पर
4. स्टेनो- बुध राम -जांच के लिए गौरी वाला रवाना
5. मुख्य लिपिक - राजेंद्र कुमार- छुट्टी पर
6. लिपिक -राज रानी- बीमारी की लंबी छुट्टी पर
7.लिपिक - कृष्ण लाल- अनुपस्थित, कारण ज्ञात नही
8. लिपिक- सतपाल सिंह- बीमारी की छुट्टी पर, एआरओ को फोन पर सूचना दी
9.लिपिक -बहादुर सिंह- जांच के लिए गौरी वाला गये
डबवाली कार्यालय -चपड़ासी- कांशी राम  उपस्थित

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