17 अप्रैल 2011

किसानों को मिले फसल भाव का अधिकार

 डबवाली (लहू की लौ) किसानों को अपनी जिनस का भाव स्वयं तय करने की अनुमति मिलनी चाहिए। ताकि किसान अपनी फसल को लागत मूल्य और महंगाई के स्तर के अनुसार बेच सकें। ये शब्द महाराष्ट्र के जिला अमरावती की तहसील दर्यापुर की कृषि उत्पन्न बाजार समिति के चेयरमैन मदन राव ने डबवाली मार्किट कमेटी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहे। उन्होंने बताया कि वे अपने अन्य सदस्यों साहिब राव वाईस चेयरमैन, निदेशक अभिजीत सिंह एडवोकेट, विनायक मोहोड, महेन्द्र देशमुख, विजय कुमार, बबराओ बरबत, ईश्वर बुंदेल, हिम्मत मातकर, मिलिनो टारल, पाटकर, अम्बेडकर के साथ देश की विभिन्न अनाज मण्डियों के भ्रमण पर निकले हैं। वे 11 अप्रैल को दर्यापुर से चले थे। चेयरमैन ने कहा कि हरियाणा की मण्डी डबवाली अनाज मण्डी का दौरा करने पर उन्होंने पाया कि यह मण्डी एक अच्छी मण्डी है। यहां किसानों के लिए विश्रामगृह बना हुआ है और किसानों को भाव भी अच्छा मिल रहा है। लेकिन फिर भी सरकार को चाहिए कि वह किसानों को अपनी जिनस का भाव उसी प्रकार तय करने का अवसर दे, जिस प्रकार से व्यापारी अपनी वस्तु का भाव तय करता है। उनके अनुसार उनकी खेती पूर्णतय: बरसात पर निर्भर है। सिंचाई का अन्य कोई साधन नहीं है। हालांकि बरसात अच्छी होने पर बीटी कॉटन, चना, मूंग अच्छी होती है। उन्होंने बताया कि देश की अन्य अनाज मण्डियों का दौरा करने का उनका उद्देश्य अपने क्षेत्र की अनाज मण्डियों को अधिक किसानोंन्मुखी बनाना है। देश की अन्य मण्डियों की सुविधाओं को वहां भी क्रियान्वित करवाना है। चेयरमैन के अनुसार उनका यह भ्रमण 11 अप्रैल से शुरू हुआ था। वे परतवाडा, इंदौर, उज्जैन, अजमेर, अमृतसर, जम्मू, पठानकोट, शिमला, चण्डीगढ़, कुरूक्षेत्र, दिल्ली, ग्वालियर, भोपाल से होते हुए वापिस 25 अप्रैल को दर्यापुर पहुंचेंगे।

कोई टिप्पणी नहीं: