03 अगस्त 2010

तेजाखेड़ा के जलघर के टैंक में समा गए दो दोस्त

डबवाली | गांव तेजाखेड़ा के जलघर की डिग्गी में एक छोटी सी दोस्ती की कहानी ने दम तोड़ दिया। एक ही कक्षा में पढऩे वाले गांव के दो किशोर रविवार सुबह यहां खेलने आए, लेकिन देर शाम डिग्गी से उनकी लाशें निकलीं। दोनों के परिजनों और गांव वालों का कहना है कि हो न हो वे जलघर में लगे अमरूद के पेड़ पर चढ़े होंगे और हो सकता है कि पेड़ से टहनियों की फिसलन से डिग्गी में गिर गए हों।
शीशपाल और विष्णु गांव दोनों आठवीं में पढ़ते थे। दोनों में खूब छनती थी। दोनों की उम्र पंद्रह बरस के आस पास थी। रविवार को छुट्टी का दिन था, सो दोनों सुबह 8 बजे ही अपने अपने घर से खेलने के लिए निकल पड़े। शीशपाल के पिता विनोद सुथार के मुताबिक सुबह से शाम होने लगी और दोनों की कोई पता न चला, यहां तक कि वे दोपहर को खाना खाने भी घर नहीं आए।
शाम तक दोनों नहीं लौटे तो उनके परिजनों को चिंता हुई और उनकी तलाश शुरू हुई तो जलघर की डिग्गी में शीशपाल और विष्णु की चप्पलें तैरती नजर आईं। इससे दोनों के डिग्गी में गिरने का आशंका उपजी। तुरत फुरत गांव के तैराक पप्पू (35) पुत्र रामरख को बुलाया गया। करीब डेढ़ घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद रामरख ने शीशपाल और विष्णु को खोज लिया, लेकिन तब तक उनकी सांसें उखड़ चुकी थीं। 
पेड़ से गिरने की आशंका
दोनों बच्चों की लाशें बाहर निकाले जाने के बाद पुलिस को सूचना दी गई। चौटाला पुलिस चौकी के एएसआई रोशन लाल ने बताया कि पुलिस ने मृतक शीशपाल के पिता विनोद सुथार और ग्रामीण मनसा राम, बनवारी लाल, सुखराम और पंच श्योनाथ आदि ने बयान में संभावना व्यक्त की है कि जलघर की डिग्गी के पास अमरूद के पेड़ से दोनों छात्र अमरूद तोडऩे के लिए पेड़ पर चढ़े होंगे। पेड़ की टहनी कमजोर होने के कारण दोनों डिग्गी में जा गिरे होंगे या डिग्गी के पास से उनके पांव फिसल गए होंगे जिससे वे डिग्गी में गिर गए होंगे। मौके पर कोई व्यक्ति न होने के कारण दोनों को बचाया नहीं जा सका।
गांव में पसरा मातम
दोनों छात्र शीशपाल व विष्णु की असामयिक मौत होने पर गांव तेजाखेड़ा में मातम पसरा हुआ है। ग्रामीणों ने बताया कि दोनों छात्र पढ़ाई में होशियार थे। शीशपाल का एक भाई और एक बहन है जबकि विष्णु के दो भाई और एक बहन है। सोमवार को गांव तेजाखेड़ा के रामबाग में दोनों मृतकों का अंतिम संस्कार किया गया।

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