17 नवंबर 2009

सिंचाई विभाग कर रहा है बेरोजगारों के भविष्य से खिलवाड़

डबवाली (लहू की लौ) सरकारी विभागों में आमतौर पर यह कहकर अपने दायित्वों की अधिकारी इतिश्री कर लेते हैं कि उनके पास पद खाली नहीं है। जबकि पद खाली हैं और बेरोजगारों को रोजगार देने की अपेक्षा नियमों को ताक पर रखकर चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों को डिप्लोमा होल्डर के लिए उपयुक्त स्थानों पर नियुक्ति करके सरकार को चूना लगाने के साथ-साथ पढ़े-लिखे बेरोजगारों के साथ भी धोखा करने से नहीं चूकते और अदालतों के आदेशों की भी अनदेखी करके लगातार नियमों की अवहेलना करने से परहेज नहीं कर रहे हैं।
इसके ज्वलंत उदाहरण का उल्लेख एक बेरोजगार ने अपने शपथपत्र में करते हुए बताया कि सिंचाई विभाग हरियाणा के उच्च अधिकारियों ने नियमों के विपरीत चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों को सिगनेलर (तार बाबू) के पद पर पदोन्नति देकर सरकार को करोड़ों रूपये का चूना लगाया है। गांव मौजगढ़ के जगदीश कुमार पुत्र सोहन लाल ने एक शपथ-पत्र देकर लगाते हुए शपथ-पत्र में लिखा है कि सिंचाई विभाग हरियाणा सिगनेलर ग्रुप-सी सर्विस रूल 1985 के अनुसार सिगनेलर (तार बाबू) को डायरेक्ट भर्ती किया जा सकता है। सिंचाई विभाग हरियाणा में चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों को सिगनेलर के पद पर प्रमोट करने का सिगनेलर ग्रुप-सी सर्विस रूल 1985 में कोई प्रावधान नहीं है। फिर भी सिंचाई विभाग हरियाणा के आला अधिकारियों ने तथाकथित भ्रष्टाचार की आड़ में नियम को तोड़कर चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों को सिगनेलर के पद पर प्रमोट करके सर्विस रूल 1985 की उल्लंघना ही नहीं की बल्कि इस प्रकार से सरकार को करोड़ों रूपये का चूना भी लगाया है।
शिकायतकर्ता के अनुसार यह गलत प्रमोट हुए सिगनेलर 13 माह का वेतन भी ले रहे हैं और एसीपी भी ले रहे हैं, जोकि नियमानुसार गलत है। शिकायतकर्ता ने बताया कि उसने 19 मार्च 2009 को मुख्यमंत्री हरियाणा और दिनांक 24 मार्च 2009 को मुख्य सचिव हरियाणा को पत्र लिखकर उपरोक्त मामले की राज्य सतर्कता ब्यूरो से जांच करवाने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने आज तक इस सम्बन्ध में न तो कोई जांच की और न ही नियमों की उल्लंघना करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की। जबकि सिंचाई विभाग हरियाणा के उच्च अधिकारी 25 वर्षों से नियम के विपरीत चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों को सिगनेलर के पद पर प्रमोट करके सरकार को करोड़ों रूपये का चूना लगा चुके हैं और लगा भी रहे हैं। शिकायतकर्ता ने यह भी अपने शपथपत्र में लिखा है कि सूचना अधिनियम 2005 के तहत हरियाणा सरकार से उसने सम्बन्धित सूचना मांगी थी कि सरकार उपरोक्त मामले की स्टेट विजीलैंस से जांच क्यों नहीं करवा रही और गलत प्रमोट हुए सिगनेलरों को क्यों नहीं हटाया जा रहा। नियम के विपरीत चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों को सिगनेलर के पद पर प्रमोट करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही। लेकिन सिंचाई विभाग ने यह कहकर पल्ला झाड़ दिया कि उस द्वारा मांगी गई सूचनाएं अधिनियम 2005 के तहत नहीं आती हैं।
आरोपकर्ता के अनुसार वे पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से सिविल रिटपोटीशन नं. 487/1997, 18238/1999, 10236/2000, 9131/2001 और कंटेपट पोटीशन (सीओसीपी) नं. 730/2003 आदि के तहत हाईकोर्ट में कई बार केस जीत चुके हैं। हाईकोर्ट ने भी सिंचाई विभाग हरियाणा सिगनेलर ग्रुप-सी सर्विस रूल 1985 को सही ठहराया है और सिंचाई विभाग को नियम के विपरीत गलत प्रमोट हुए सिगनेलरों को हटाने का आदेश दिया है। फिर भी सिंचाई विभाग के उच्च अधिकारी हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रहे।
शिकायतकर्ता के अनुसार सिंचाई विभाग हरियाणा में सिगनेलर (तारबाबू) के काफी पद खाली पड़े हैं। सिंचाई विभाग ने 1985 से लेकर आज तक एक बार भी नियम के अनुसार सिगनेलर के पद सीधी भर्ती से न भरकर नियम के विपरीत चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों को सिगनेलर के पद पर प्रमोट करके बेरोजगार डिप्लोमा होल्डर सिगनेलरों के साथ बहुत बड़ा अन्याय किया है और कर रहा है। जगदीश कुमार ने अपने शपथपत्र में यह भी आरोप लगाया है कि सिंचाई विभाग के उच्च अधिकारी जो सिगनेलर रिटायर हो जाता है, उसको ही ठेका पर सिगनेलर नियुक्त कर लेते हैं। उनके अनुसार प्रत्येक विभाग ठेके पर भर्ती करता है, लेकिन सिंचाई विभाग हरियाणा सिगनेलरों के इतने पद खाली होने के बावजूद भी न तो ठेके पर भर्ती करता है और न ही स्थाई भर्ती कर रहा है। बेरोजगार डिप्लोमा होल्डर आयु सीमा पार कर रहे हैं।
शिकायतकर्ता ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह सिंचाई विभाग में नियमानुसार खाली पदों को भरे और बेरोजगार डिप्लोमा होल्डरों के साथ न्याय करके बेरोजगारी को दूर करे।

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